सुर्खाब के पर लगना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग और कहानी

सुर्खाब के पर लगना मुहावरे का अर्थ surkhab ke par lagna muhavare ka arth – कोई विशेष गुण होना ।

दोस्तो सुर्खाब एक तरह का पक्षी है जो की आकार में पालतू बतख के जीतना सा होता है । यह अत्यधिक सुंदर पक्षी है जो की अपनी सुंदरता के कारण से ही जाना जाता है । दरसल इसके पंख इसे और सुंदर बना देते है जो की काले, सफेद और चमकिले रंग के होते है । और इतना सुंदर होने के कारण से इसे विशेष गुण वाला पक्षी माना जाता है ।

अब किसी मानव के सुर्खाब पक्षी के यह पंख लग जाते है तो इसका मतलब है की वह भी पक्षी की तरह काफी सुंदर हो जाता है जिसके कारण से उस मानव को भी विशेष गुण वाला माना जाएगा ।

और ठिक इस तरह से सुर्खाब के पर लगना मुहावरे का अर्थ कोई विशेष गुण होना होता है ।

सुर्खाब के पर लगना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग और कहानी

सुर्खाब के पर लगना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||   use of idioms in sentences in Hindi

1.        जरूर उस लड़की के सुर्खाब के पर लगे थे तभी राहुल उसके पीछे पीछे रहता था ।

2.        लगता है की कंचन के तो सुर्खाब के पर लगे है तभी कॉलेज के सारे लड़के उसके दिवाने बने फिरते है।

3.        जरूर महेश की पत्नी के सुर्खाब के पर लगे थे तभी उसे इतनी जल्दी वीडीओ अधिकारी की नोकरी मिल गई ।

4.        महेश के कौन से सुर्खाब के पर लगे हैं जो स्कूल में सभी अध्यापक उसकी तारिफ करते रहते है ।

5.        तेनाली राम के जरूर सुर्खाब के पर लगे थे तभी राजा उसे इतना महत्व देते थे ।

6.        वहां क्या लड़की है जरूर इसके सुर्खाब के पर लगे है तभी यह इतनी अच्छी लग रही है ।

7.        अर्जुन के सुर्खाब के पर लगे थे जो भगवान श्री कृष्ण ने उसे विराट रूप दिखाया था ।

सुर्खाब के पर लगना मुहावरे पर कहानी || surkhab ke par lagna  story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक छोटा सा स्कूल था जहां पर बहुत सारे बच्चे रहते थे और अध्ययन करते थे । वही पर अध्यापक जो थे वे सभी बच्चो को समान रूप से अध्ययन करवाते थे और कहते थे की जीवन में सफल होना है और यह सफलता हासिल करने के लिए आपको अभी मन लगा कर पढना होगा ।

क्योकी अगर मन लगा कर पढा नही गया तो आप सफल हो नही सकते हो और सफल हो नही सकते हो तो जीवन में काफी परेशानी आ सकती है । इस कारण से आपको पढना है । इस तरह से कह कर अध्यापक बच्चो को पढने के लिए कहते ही रहते थे ।

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मगर बच्चो का क्या है वे एक बार तो इस बात पर ध्यान देते थे मगर दूसरे ही पल वे इस बात को भूल जाते थे और खेलने कूदने में ज्यादा ध्यान देते थे । मगर कहते है की स्कूल में कोई न कोई ऐसा होता है जिसके अंदर अन्य बच्चो से कोई विशेष गुण होते है और ऐसे ही महेश था ।

दरसल महेश जो था वह पूरी स्कूल में सबसे होशियार था वह 9 वी कक्षा का विद्यार्थी था मगर उसे 10 कक्षा के प्रशनो के बारे में भी पता था और उसका उत्तर आसानी से दे देता था ।

सुर्खाब के पर लगना मुहावरे का अर्थ

अगर महेश को अध्यापक एक बार कुछ पढा देते थे तो उसे वह याद हो जाता था और वह दूसरे ही पल अध्यापक को पूरा का पूरा बता सकता था । इस कारण से हर बार स्कूल में सबसे ज्यादा नम्बर भी महेश के बनते थे और यह सब देख कर अध्यापक भी महेश की तारिफ पर तारिफ करते थे ।

अध्यापक बच्चो को कहते थे की अगर पढना है तो महेश की तरह पढो ताकी कक्षा में अच्छे नम्बर आए और तुम्हारा नाम स्कूल में हर कोई जाने । मगर बच्चे फिर भी नही पढते थे बल्की वे अपनी मोज मस्ती में जीवन बिताते रहते थे ।

मगर जब कोई दूसरा व्यक्ति जो की गाव से हो या स्कूल से बहार का हो और वह यह सुनता था की महेश की तरह बनो, महेश की तरह समझो, महेश की तरह पढो तो वह समझता की आखिर महेश के क्या सुर्खाब के पर लगे है जो अध्यापक उसके ही गुण गान करते रहते है और ऐसा ही एक बार हुआ ।

दरसल एक बार की बात है जो स्कूल था वहां पर छोटा सा प्रोग्राम था जिसके कारण से गाव के कुछ बड़े छोटे लोग भी स्कूल में आए थे और उस प्रोग्राम का हिस्सा बने थे ।

 अब उस प्रोग्राम में सभी ने अपना अपना मत सभी के सामने लगा और सभी ने शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए जो हो सकता था वह किया और शिक्षा को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है इस बारे में सुझाव दिया । मगर अंत के अंदर स्कूल के हेडमास्ट का नम्बर आ गया और अब हेडमास्टर को बोलना था ।

तो हेडमास्टर ने पहले तो कुछ समय तक भाषण दिया और कहा की हम ऐसे करेगे जिससे बच्चे पढेगे और मन लगेगा । और फिर कहने लगे की हम सभी बच्चो को महेश की तरह बनाने की कोशिश करेगे, सभी महेश की तरह पढने में ज्यादा ध्यान देगे और पूरे स्कूल में जिस तरह से महेश का नाम है उसी तरह से सभी का नाम होगा और अंत में हेडमास्टर ने कहा की मैं दावा करता हूं की महेश भविष्य में एक अच्छी सरकारी नोकरी पर होगा ।

अब यह सब सुन कर गाव के लोगो ने कहा की आखिर यह महेश है कोन, क्या महेश के सुर्खाब के पर लगे है जो की अध्यापक उसकी तारिफ पर तारिफ किए जा रहा है ।

अब बहुत से लोग तो ऐसे थे जो की महेश को जानते तक नही थे तो उन्होने आस पास बैठे लोगो से पूछा तो किसी ने बताया की महेश इस स्कूल में सबसे होशियार है और सबसे ज्यादा ज्ञानी होने का गुण अपने पास रख रखा है तभी अध्यापक महेश की तारिफ कर रहे है और यह जानने के बाद में लोगो को समझ में आया की सच में महेश के तो सुर्खाब के पर लगे है ।

और कुछ समय के बाद में प्रोग्राम का समापन हुआ ओर फिर सभी लोग अपने अपने घर चले गए ।

तो इस तरह से दोस्तो कहानी से आप समझ सकते है की सुर्खाब के पर लगना मुहावरे का सही अर्थ कोई विशेष गुण होना होता है । अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर देना ।

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आपे से बाहर होना  माथे पर बल पड़ना   
आग में घी डालना  हाथ के तोते उड़ना
आँखों में धूल झोंकना  मिट्टी पलीद करना  
आँखें बिछाना  हाथ का मैल होना
आकाश पाताल एक करना  रंगे हाथों पकड़ना
अगर मगर करना  सीधे मुँह बात न करना
पहाड़ टूट पड़ना  प्रतिष्ठा पर आंच आना
आग लगने पर कुआँ खोदना  आँखे फटी रह जाना  
श्री गणेश करना  सिर ऊँचा करना
टस से मस न होना  ‌‌‌चोर चोर मौसेरे भाई
छोटा मुँह बड़ी बात  मर मिटना  
चोली दामन का साथ  ‌‌‌सहम जाना
गुदड़ी का लाल  घास खोदना  
गागर में सागर भरना  रफू चक्कर होना
कान पर जूं न रेंगना  अंतर के पट खोलना
आँखें फेर लेना  चादर से बाहर पैर पसारना
घाट घाट का पानी पीना  उन्नीस बीस का अंतर होना
बालू से तेल निकालना  सिर पर पाँव रखकर भागना  
अंग अंग ढीला होना  काठ की हांडी होना   
अक्ल के घोड़े दौड़ाना  एक लाठी से हाँकना
आवाज उठाना  भानुमती का पिटारा
मक्खी मारना  अंकुश रखना  निबंध व
चैन की बंशी बजाना  अंधी पीसे कुत्ता खाए
आग बबूला होना  का वर्षा जब कृषि सुखाने
भीगी बिल्ली बनना  नीम हकीम खतरे जान
जान हथेली पर रखना  अधजल गगरी छलकत जाए
लाल पीला होना  जैसा देश वैसा भेष मुहावरे
अंधे की लाठी  नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अंगूठा दिखाना  नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब  वाक्य
नौ दो ग्यारह होना  चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
 चौकड़ी भरनाआव देखा न ताव
 हरी झंडी दिखानाथोथा चना बाजे घना  
 हथेली पर सरसों जमानातेल देखो, तेल की धार देखो   
 हाथ को हाथ न सूझना  छाती पर मूँग दलना
 चेहरे पर हवाइयाँ उड़नाकंगाली में आटा गीला
 हाथ लगनाभूखे भजन न होय गोपाला
 हवा हो जानासाँच को आँच नहीं  
 हाथ खींचनाऐरा – गैरा नत्थू खैरा का
 हक्का-बक्का रह जानापर उपदेश कुशल बहुतेरे

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।