आइए समझाते है, कंधे से कंधा मिलाना का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग व कहानी

कंधे से कंधा मिलाना मुहावरे का अर्थ kandhe se kandha milana muhavare ka arth – साथ देना

दोस्तो आज के समय मे कुछ काम ऐसे होते है जो एक अकेला व्यक्ति नही कर सकता है । इस तरह के कार्यो को करने के लिए किसी दुसरे व्यक्ति के साथ देने की जरूरत ‌‌‌होती है और जब कोई व्यक्ति किसी कार्य मे साथ देता है तो वह कार्य जल्दी और सही तरह से होता है । जिस तरह से किसी भी युद्ध मे सभी का साथ जरूरी होता है । और इसी तरह से जब किसी के द्वारा साथ दिया जाता है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ साथ देना होता है ।

कंधे से कंधा मिलाना का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग व कहानी

कंधे से कंधा मिलाना मुहावरे का ‌‌‌वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • अगर हम कंधे से कंधा मिलाकर सामने वाले से युद्ध करेगे तो उसकी सेना चित आएगी ।
  • भारत की सेना ने कंधे से कंधा मिलाकर पाकिस्तान हो हरा दिया ।
  • पत्नी ने भी पति के साथ कधे से कधा मिलाकर काम किया तो वह कार्य बहुत जल्दी पुरा हो गया ।
  • प्रताब तुम टेंसन मत करो मैं इस कार्य ‌‌‌मे तुम्हारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खडा हूं ।
  • ‌‌‌इस मुस्किल समय मे भारत का हर एक जवान कंधे से कंधा मिलाकर खडा है यही बहुत बडी बात है ।
  • जब गाव के लोग कंधे से कंधा मिलाकर खडे हुए तो लूटेरो को गाव छोडकर जाना ही पडा ।
  • भारतवासी ने जब कंधे से कंधा मिलाया तो अंग्रेजो को भारत छोड कर जाना पडा ।

‌‌‌कंधे से कंधा मिलाना मुहावरे पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी राज्य मे एक राजा रहा करता था। ‌‌‌उस राजा का नाम महाबली विक्रम था । राजा नाम के अनुसार ही बलवान था और साथ ही उसके पास ऐसी सेना थी जो आसानी से किसी से हारती नही थी । हालाकी महाबली विक्रम के पास सेना की कमी थी फिर भी वह अपने सेना से दुगनी सेना को आसानी से परास्त करने की सक्ति रखती थी ।

जिसके कारण से उसके साथी कुछ ऐसे राजा ‌‌‌बन गए जो स्वयं ही बलवान थे । उन राजाओ को उसकी सेना का बल ही दिखता था । वे सोचते थे की अगर हम पर कभी बडी मुसीबत आ जाएगी तो महाबली विक्रम की सेना से मदद माग सकते है । और वह जब हमारी मदद करेगा तो कोई भी हमे हरा नही सकेगा।

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इधर राजा विक्रम का मानना था की अगर अच्छे राजाओ का साथ होगा तो ‌‌‌उसे उनसे कुछ सिखने को मिल जाएगा साथ ही ये राजा कभी भी मेरे खिलाफ नही जाएगे । इस तरह की सोच के साथ ही राजा विक्रम उनके साथ रहता था । राजा विक्रम बहुत ही दयालू था वह लोगो की मदद के नाम पर ही अपना धन नोछावर कर देता था ।

कहने का अर्थ है की मदद के नाम पर वह कभी भी नही सोचता और मदद करने के लिए ‌‌‌धन दान कर दिया करता था । जिसके कारण से राजा का नाम अपने राज्य मे मसुर था । साथ ही जब भी कोई राजा के राज्य पर हमला करता तो उसके राज्य के लोग भी उसके साथ खडे होते और विक्रम की मदद कर दिया करते थे ।

जिसके कारण से उन पर कोई भी हमला नही करता था । इसी तरह से एक बार की बात है राजा विक्रम के ‌‌‌राज्य मे एक राजदूत आया जो राजा प्रताबसिंह की तरफ से भेजा गया था । उस राजदूत ने कहा की राजा प्रताबसिंह ने कहा है की आप अपना राज्य उनके हवाले कर दे वरना वे आप पर युद्ध कर सकते है ।

यह सुनकर राजा विक्रम के मंत्रियो ने उस राजदुत पर तलवार रख दी । तभी राजा विक्रम बोला की मंत्री राजदूत को मारना ‌‌‌हमारे लिए पाप है । इसे यहां से जाने दो फिर राजा विक्रम ने कहा की राजदूत जाकर अपने राजा प्रताबसिंह से कह दो की हम उनसे नही डरते भले ही हमारे पास सेना की कमी हो पर हम उनका सामना कर लेगे पर इस राज्य को उनके हवाले नही करेगे ।

इतना कह कर राजा ने उस राजदूत को वहां से जाने दिया और फिर वह राजदूत ‌‌‌जाकर अपने राजा प्रताबसिंह को यह सब बात बता दी थी । प्रताबसिंह ने जब राजदूत की बात सुनी तो प्रताबसिंह को क्रोध आ गया और उसने अपनी सेना को राजा विक्रम के राज्य पर हमला बोलने के लिए कह दिया था ।

राजा विक्रम को भी पता था की राजा प्रताबसिंह हम पर हमला करेगा इस कारण से उसने अपने साथ जो राजा ‌‌‌थे उन्हे इस बारे मे बताया । तब वे राजा कहने लगे की विक्रम आप बेफिकर हो जाओ अगर सामने वाली सेना आप पर भारी पडती दिखी तो हम भी आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खडे हो जाएगे ।

इतना सुन कर राजा विक्रम ने कहा की आपके मुख से इतनी बात सुन ली यही काफी है । इतने मे राजा विक्रम के राज्य पर हमला हो ‌‌‌गया था । यह खबर राजा के एक गुप्त चर ने दी थी । तभी राजा ने अपनी सेना से कहा की आप लोग तैयार हो जाओ और सामने वाले को चिंटी की तरह मसल दो ।

अपने राजा की बात सुन कर राजा की सेना एक साथ खडी हो गई और राजा प्रताबसिंह का सामना करने ‌‌‌लगी । जैसे ही युद्ध भुमी मे राजा विक्रम की सेना पहुंची तब तक तो राजा ‌‌‌प्रताबसिंह ने उनके राज्य मे कदम रख दिया था ।

इस कारण से राजा विक्रम ने भी अपनी सेना को कंधे से कंधा मिलाकर लडने को कहा और काफी समय तक लडाई होने के बाद राजा प्रताबसिंह झखमी होकर जमीन पर गिर गया और अपने प्राण की भिक्षा मागने लगा । तब राजा विक्रम ने उसे माफी देते हुए कारागार मे डाल दिया । ‌‌‌

‌‌‌कंधे से कंधा मिलाना मुहावरे पर कहानी Idiom story

इस तरह से राजा विक्रम की सेना को लडते देख कर बाकी राजाओ के होस उड गए क्योकी सभी एक दुसरे का साथ देकर लड रहे थे । तब उन राजाओ को समझ में आया की सेना को भी लडते समय अपने ‌‌‌साथी का साथ देना चाहिए ताकी उसका अंत न हो और वह सामने वाले को हरा भी सके ।

इस तरह से राजा विक्रम की विजय हुई । ‌‌‌विजय हो जाने के कारण बाकी राजा राजा विक्रम की जय जय बोलने लगे । इस तरह से राजा विक्रम ने अपने राज्य को भी बचा लिया और सामने वाले को भी दिखा दिया की अगर सभी कंधे से कंधा मिलाकर लडेगे तो कोई भी उनका कुछ नही बिगाड सकता है । इस तरह से आप लोगो को इस कहानी से मुहावरे का अर्थ समझ मे आ गया होगा ।

कंधे से कंधा मिलाना मुहावरे पर निबंध || kandhe se kandha milana essay on idioms in Hindi

दोस्तो कंधा मानव के शरीर का वह हिस्सा होता है जो की मानव के हमेशा साथ देता है । और दो व्यक्तियो का कंधा मिलाने का मतलब होता है की वे दोनो एक दूसरे का साथ दे रहे है । जैसे की आपने उपर जाना की इस मुहावरे का अर्थ साथ देना होता है । तो इसका मतलब है की अगर कोई व्यक्ति किसी तरह से आपका साथ देता है तो इसका मतलब है की उसने आपके कंधे से कंधा मिला रखा है ।

जैसे की मान ले की आप रास्ते से जा रहे है और आपका मित्र आपके साथ चल रहा है तो इसका मतलब है की आप जिधर जा रहे है उसमें आपका मित्र भी साथ दे रहा है तो इस तरह से मित्र ने कंधे से कंधा मिला रखा है ।

इस तरह से खेती का काम करने में भी लोग एक दूसरे का कंधा मिला लेते है । कहने का मतलब है की किसी भी काम में अगर साथ दिया जाता है तो इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है और यह आप समझ सकते है।  

‌‌‌निचे बेस्ट हिंदी मुहावरे दिए गए है जो ज्यादातर प्रयोग मे आते है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।