जैसा देश वैसा भेष मुहावरे का मलतब और वाक्य मे प्रयोग

जैसा देश वैसा भेष मुहावरे का अर्थ प्रयोग jaisa desh vaisa bhesh muhavare ka arth – जहां रह रहे हो उसी स्थान की सामाजिक रितियोनितियो के अनुसार रहना

दोस्तो आज के समय मे जो व्यक्ति समाज की रितियो के अनुसार नही चलते है उन्हे समाज जल्दी से अपनाता नही है। इस कारण से सभी समाज ‌‌‌के अनुसार चलने लगते है । और जहां वे रहते है वही की बोलचाल, रहन सहन, खाना ‌‌‌पीना आदी अपना लेते है । इस तरह से जब कोई व्यक्ति जहां रहता है उसी स्थान के अनुकूल बन कर रहता है तब इसे जैसा देश वैसा भेष कहा जाता है।

जैसा देश वैसा भेष मुहावरे का मलतब और वाक्य मे प्रयोग

‌‌‌जैसा देश वैसा भेष मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग jaisa desh vaisa bhesh muhavare ka vakya me prayog

  • कई वर्षों से भारत ‌‌‌में रह रहे कुछ अंग्रेजो ने हिंदी बोलना शुरू कर दिया है सच है जैसा देश वैसा भेष ।
  • जब से रामू गुजरात गया है गुजराती बोलने लगा है यही है जैसा देश वैसा भेष ।
  • जब रामलाल शहर जाता है तो शहरी बन जाता है और गाव मे जाता है तो गाव ‌‌‌मे हरने वाले लोगो की तरह रहने लग जाता है कोई कह भी नही सकता की यह गाव का है या शहर का यही है जैसा देश वैसा भेष ।
  • प्रताब विदेश जाकर क्या आ गया पूरी तरह से विदेशी बन गया सच है जैसा देश वैसा भेष ।
  • बेटे को अंग्रजी स्कुल मे भेजने के कारण से यह अंग्रेजी बोलने लगा है यही है जैसा देश वैसा ‌‌‌भेष ।‌‌‌
  • भाई जब शहर पढने के लिए आए हो तो शहरी तो बनना ही पडेगा क्योकी जैसा देश वैसा भेष ।
  • लॉ कॉलेज मे पढाई करने के कारण से रविप्रकाश हर समय कानूनी की बात करने लगा है सच है जैसा देश वैसा भेष।
  • आजकल तुम तो बडे लोगो के साथ खाना पीना कर रहे हो तभी बडे अच्छे अच्छे पकवान खाने लगे हो सच है जैसा देश वैसा भेष ।

‌‌‌जैसा देश वैसा भेष मुहावरे पर कहानी jaisa desh vaisa bhesh muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे महेशराव नाम का एक आदमी रहा करता था । महेशराव बहुत ही गरीब था जिसके कारण से वह जहां भी काम करने के लिए जाता तो उसे अपने काम मे सफलता नही मिलती थी । महेशराव बहुत ही पढा लिखा था फिर भी उसे कही अच्छा काम नही मिलता था ।

‌‌‌इस बात से महेशराव बहुत ही दुखी रहता था और अपने जीवन को हर समय कोसता रहता था । महेशराव के घर मे उसके माता पिता रहते थे । महेशराव के पिता का एक ऐकसीडेंट मे पैर कट गया था । जिसके बाद मे उनसे कोई भी काम नही होता था ।

जिससे महेशराव ही अपने घर को चलाने के लिए कोई छोटा मोटा काम कर लिया करता था । ‌‌‌इस तरह का कार्य करने के कारण से उसका केवल घर ही चलता था । यहां तक की खाने के अलावा वे अपने लिए कपडे तक नही ला सकते थे । जिसके कारण से महेशरव फटे कपडे ही पहना करता था ।

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यह सब देख कर गाव के लोग भी उसे ऐसा वैसा समझ कर उसके पास नही जाते थे । जिसके बारे मे महेशराव के अच्छी तरह से पता था । परन्तु ‌‌‌ महेशराव अपनी किसमत को ही दोष देता रहता था । मगर एक बार महेशराव के गाव मे एक साधू आया था ।

जब इस बारे मे महेशराव को पता चला तो उसने साधू के पास जाकर पूछा की महाराज मैं काम करने के लिए हर बार अलग अलग शहरो मे गया परन्तु हर कोई मुझे काम देने से मना कर देता है । तब साधू बाबा ने देखा ‌‌‌तो महेशराव ने बहुत ही खराब कपडे पहन रखे थे ।

 यह देख कर साधू बाबा ने कहा की ‌‌‌बेटा तुम अबकी बार अपने पास के शहर मे जाना और बहुत ही सुंदर कपडे पहनना और वही की भाषा बोलना । साथ ही गाव की हर बात भुल कर पूरी तरह से शहरी बन जाना क्योकी आजकल जैसा देश वैसा भेष ही चलता है ।

साधू की बात मान कर महेशराव ने ‌‌‌शहर जाने के लिए कुछ पैस किसी से उधार लेकर आ गया और शहर जाकर स्वयं पुरी तरह से बदल गया । अब देखने वाला यह तक नही कह सकता था की यह महेशराव ही है क्या । जब उसने पहली कंपनी मे नोकरी मागी तो उसे वहां नोकरी मिल गई ।

क्योकी वह अंग्रेजी मे बात कर रहा था साथ ही अपना भेष पूरी तरह से बदल लिया था । ‌‌‌जिससे देखने वाला उसे ऐसा वैसा नही समझता था । अब काम मिल जाने के कारण से महेशराव ने उस कंपनी मे बडी ही अच्छी तरह से काम किया । जिससे उसे प्रमोशन भी मिल गया ।

अब महेशराव को बहुत ही अच्छी तनख्वाह मिलती थी । जो ‌‌‌वह अपने पिता को अपने गाव मे भेज देता था । इस तरह से महेशराव ने कुल चार महिने काम ‌‌‌किया । जिसके कारण से उसने बहुत अधिक धन कमा लिया और बादमे अपने गाव मे चला गया ।

जब गाव के लोगो ने देखा की महेशराव बडे ही अच्छे कपडे पहन कर अपने गाव आया है । तो गाव के लोग उसका मजाक बनाने लगे की अच्छे कपडे पहनने से कोई अमीर नही बन जाता । परन्तु उन्हे पता नही था की यह सच मे अमीर बन गया है । ‌‌‌तब महेश उन लोगो से अंग्रेजी मे ही बात करता था ।

जो लोगो को बिल्कुल समझ मे नही आती थी । मगर महेशराव को इसकी आदत बन गई थी जिससे वह अपने गाव की गरीबी को भुल कर शहरी लोगो की तरह बन गया । जब इस बारे मे गाव के लोगो को पता चला की महेशराव शहर मे बहुत ही अच्छा काम करता है और उसे बहुत ही अच्छे पैसे ‌‌‌मिल रहे है।

तो गाव के लोगो को यकिन नही हुआ । परन्तु जब महेशराव का घर चमकने लगा तो उन्हे इस बात का पता चल गया की सच मे महेशराव धनवान बन गया है। साथ ही उसे देखने पर पता लग रहा था की वह पूरी तरह से शहरी बन गया है ।

तब गाव के लोग महेशराव के पास जाने लगे और ‌‌‌उससे कहने लगे की तुम तो शहर मे जाकर शहरी ‌‌‌लोगो की तरह रहने लगे हो । तब महेशराव कहाता की जैसा देश वैसा भेष । तभी उसे उस साधू की बात याद आ गई ।

तब उसने उस साधू बाबा का पता लगाया और उससे मिलने के लिए उसके पास चला गया । पास जाकर महेशराव ने साधू से कहा की बाबा आपने जो मुझसे कहा था मैंने वैसा ही किया जिसके कारण से मुझे पहली बार मे ही ‌‌‌काम मिल गया और मैं आज बहुत ही धनवान बन गया हू ।

तब साधू बाबा को याद आया की उन्होने महेशराव को क्या कहा था । तब साधू बाबा ने कहा की बेटा आज का समय ही इस तरह का होता जा रहा है की कही पर भी चले जाओ । अगर उस स्थान के अनुकूल अपना भेष नही बना लेता है तो कोई भी वहा रह नही सकता है यानि जैसा देश होता ‌‌‌वैसा भेष

‌‌‌जैसा देश वैसा भेष मुहावरे पर कहानी jaisa desh vaisa bhesh muhavare par kahani

इस तरह से महेशराव को फिर अच्छी तरह से समझ मे आ गया था । इसके बाद मे महेशराव शहरी लोगो के साथ शहरी तरह से ही रहता था और गाव के लोगो के साथ गाव के लोगो की तरह ही रहता था ।

 इस तरह से महेशराव के सारे कष्ट दूर हो गए और वह अपना जीवन आराम से गुजारने लगा । ‌‌‌अब आपको समझ मे आ गया होगा की ‌‌‌इस कहानी से मुहावरे का अर्थ क्या निकलता है ।

जैसा देश वैसा भेष मुहावरे पर निबंध  jaisa desh vaisa bhesh muhavare par nibandh

साथियो इस मुहावरे मे देश का अर्थ एक ऐसे स्थान का है जाहां पर आप रहने के लिए गए है । और भेष का अर्थ वही की संस्कृति यानि वहां का रहन सहन तोर तरीके आदी से है । इस तरह से इसका अर्थ हुआ की जिस स्थान पर रहते है वह ‌‌‌वही के तोर तरीके यानि संस्कृती अपना लेना ।

इसी तरह से उपर कहानी में बताया गया है की किस तरह से महेशराव ने शहर की संस्कृती अपना ली जिसके कारण से हर कोई उसे शहरी समझने लगा और उसे काम आसानी से मिल गया । साथ ही गाव के लोगो के पास जाने पर गाव के लोग भी कहने की तुम शहर मे रह कर आए हो तो शहरी ही बन ‌‌‌गए । इस तरह से जाहां रहते हो वही की संस्कृती यानि तोर तरीके अपना लेना ही इस मुहावरे का सही अर्थ होता है । इस तरह से इस मुहावरे के बारे मे आपको पता चल गया होगा ।

जैसा देश वैसा भेष मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of jaisa desh vaisa bhesh in Hindi

दोस्तो जैसा देश वैशा भैस नाम से एक गाना भी बना हुआ है जो की आप युट्युब पर आसानी से सुन सकते है । मगर दोस्तो गाने और रियल दुनिया में काफी अंतर होता है ।

मगर  यह तो आप भी समझ सकते है की अगर हम भारत से है तो हमे भारत देश में रहने वाले लोगो की तरह के ही वेसभुषा धारण करनी चाहिए ।

मगर भारत में पहले के समय में जो पहना जाता था उसे आज भी पहना जाना चाहिए और यही देश की पहचान का कारण बनता है । मगर वही पर अगर हम किसी विदेश में जाते है और वहां पर भारत के कपड़े पहनते है तो यह अजीब लगता है क्योकी हमे फिर उस देश के अनुसार बदलना होता है ।

और यही इस मुहावरे में बताया जा रहा है और रही बात इसके अर्थ की तो आप इन सब बातो से समझ सकते है की jaisa desh vaisa bhesh muhavare ka arth – जहां रह रहे हो उसी स्थान की सामाजिक रितियो – नितियो के अनुसार रहना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।