अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे का मतलब और वाक्य व कहानी

अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे का अर्थ adhajal gagri chhalkat jaye muhavare ka arth – कम गुणवान या ज्ञानी व्यक्ति का बहुत अधिक गुणवान या ज्ञानी होने का दिखावा करना

दोस्तो आपने पानी पिने का घड़ा देखा होगा । ‌‌‌जिसमे गावों की औरते पानी कुवे से लेकर आती है । जब औरते कभी कभार पानी का घडा आधा भर कर ही जाने लगती है तो उस घड़े मे जो पानी होता है वह पूरे  छलकता रहता है । क्योकी वह आधा भरा हुआ था और अधा खाली था ।

इसी तरह से जब मनुष्य को आधा ज्ञान होता है तो वह छलकता है यानि वह दिखावा करता है की मुझे बहुत अधिक ज्ञान है । इस कारण से कहा जाता है की जब मनुष्य अपने जीवन मे किसी कारण ‌‌‌अपने कम गुणवान से अधिक गुणवान बनने का दिखावा करता है तब अधजल गगरी छलकत जाए कहा जाता है ।

अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे का मतलब और वाक्य व कहानी

अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे का वाक्य में प्रयोग adhjal gagri chalkat jaye muhavare ka vakya mein prayog

  • जब राजीव ने दसवी कक्षा पास कर ली तो गाव के लोगो के सामने ऐसे सिना चोडा करकर चलने लगा जैसे वह कलेक्टर बन गया हो सच है अधजल गगरी छलकत जाए ।
  • ‌‌‌प्रताबसिंह का तो कहना ही क्या जरा सा पैसा क्या आ गया अपने आप को लखपति समझने लगा सच है अधजल गगरी छलकत जाए ।
  • सुसिलता का तो कहना ही क्या पति एक पराईवेट नोकरी मे ‌‌‌लगा है और दिखावा ऐसे करती है जैसे मानो उसका पति कमिश्नर बन गया हो ।
  • लवणदास जब से पडित के पास शिक्षा लेकर आया है अपने आप को पूर्ण ज्ञानी मानने लगा है और सभी को ज्ञान देता है यही है अधजल गगरी छलकत जाए ।
  • ‌‌‌महेश ने पांचवी कक्षा पास की है और अकड इस तरह रहा है जैसे कोई नोकरी लग गया हो सच है अधजल गगरी छलतक जाए ।
  • हजारी को आता कुछ नही है परन्तु गाव का सरपंच होने के कारण बहुत ज्ञानी होने का ढोग करने लगा है सच ही है अधजल गगरी छलतक जाए ।
  • तुम तो इस तरह से दिखाव कर रहे हो जैसे मानो कोई लोटरी निकल आई हो ‌‌‌यही है अधजल गगरी छलकत जाए ।

अधजल गगरी छलतक जाए मुहावरे पर कहानी adhjal gagri chalkat jaye muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है बुलासर नाम का एक गाव हुआ करता था । बुलासर के सभी लोग बहुत ही अच्छे और नेक दिल्ल थे । वे कभी भी अपने गाव के किसी ‌‌‌व्यक्ति को मुसीबत मे देखते तो उसकी मदत कर दिया करते थे । इस कारण से उस गाव का नाम भी चारो और फैला ‌‌‌हुआ था ।

इस तरह से बुलासर का नाम सुन कर हर कोई वहा जाना चाहता और लोगो के नेक दिल्ल को देखना चाहता था । इसी तरह से एक बार ‌‌‌दूर गाव से एक साधू महात्मा उस गाव मे आ गए थे । साधू के साथ उसके दो सेवक भी थे ।

इस तरह से वे पूरे तिन लोग थे । ‌‌‌जब साधू बुलासर मे पहुंचे तो साधू को उसके सेवको ने पूछा की महाराज हम यहां ‌‌‌किस कारण से आए है । तब साधू ने कहा की सेवकों मैं यह जानना चाहता हूं की आखिर यह गाव सच मे जैसा सुन रखा है सही है या इस गाव मे भी कोई न कोई ऐसा मिलेगा जो मुर्ख बना कर गाव के लोगो को ठगता होगा या लोगो की मदत के नाम से ही दूर जाता हो । ‌‌‌साथ ही अपने आप की बढाई करने पर पिछे न हठता हो ।

जैसा देश वैसा भेष मुहावरे का मलतब और वाक्य मे प्रयोग

नौ दिन चले अढ़ाई कोस का मतलब और वाक्य में प्रयोग व कहानी

नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब और वाक्य व निबंध

चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग व कहानी

आव देखा न ताव का अर्थ और वाक्य व निबंध

तब साधू के सेवको ने कहा की महाराज तो हमको क्या करना है । ‌‌‌यह सुन कर साधू ने कहा………………………. हमे कुछ नही करना है बल्की गाव मे जाकर एक स्थान पर बैठना है । इस तरह से सुन कर सेवकों के मन मे चलने ‌‌‌लगा की आखिर एक स्थान पर बैठने से गाव के बारे मे कैसे जान पाएगे ।

इस दुविधा के बारे मे साधू पूछा तो साधू ने कहा ………………… की सेवको तुम इस बारे में अपने आप जान ‌‌‌जाओगे । इस तरह से कह कर साधू ने अपने सेवको को एक अच्छा स्थान देखने के लिए गाव मे भेज दिया । तब सेवको ने गाव के पास एक पहाड देखा और साधू को इस बार में बता दिया ।

साधू पहाड के बारे मे जान कर पहडा की पर रहने के लिए जाने लगा । पहाड ज्यादा उच्चा नही था जिसके कारण से साधू को वह रहने के लिए ‌‌‌बहुत ही अच्छा लगा । साधू और ‌‌‌उसके दो सेवक वहां रहने लगे । एक दिन बित गया परन्तु गाव के लोगो को साधू के बारे में कुछ पता नही था ।

परन्तु अगले ही दिन एक आदमी को पता चल गया की साधू गाव के पहाड पर रह रहे है । उस आदमी का नाम ‌‌‌गिरधारीलाल था । वह ‌‌‌गिरधारीलाल बहुत ही लालची था । साथ ही अपने आप की बढाई करने मे उसे जरा भी बुरा नही लगता था । ‌‌‌

तब उसने मन ही मन सोचा की अगर वह साधू की सेवा करने लगा तो उसे भी ज्ञान हासिल हो जाएगा और फिर गाव के लोग उसे बहुत महान यानि ज्ञानी मानने लगेगे । इस तरह से सोच कर ‌‌‌गिरधारीलाल साधू के लिए रोजान खाने के लिए कुछ न कुछ ले जाने लगा और दिन भर उसके पास रह कर सेवा करने लगा था । अब गाव के लोग भी साधू के पास ‌‌‌आने लगे थे ।

क्योकी उनको भी साधू के बारे मे पता चलने लगा था । तब गाव के लोग देखने लगे की ‌‌‌गिरधारीलाल साधू के पास रह रहा है और उनकी सेवा कर रहा है । परन्तु साधू ने ‌‌‌गिरधारीलाल को सेवा करने के लिए नही कहा था बल्की वह तो उसे अपना अन्य काम करने के लिए भेज रहा था ।

इस बारे मे साधू ने कहा ………. ‌‌‌गिरधारी तुम अपना अनमोल समय क्यों मेरी सेवा मे नष्ट कर रहे हो मेरे पास दो सेवक है, मेरी सेवा करने के लिए। तब गिरधारी कहता की ……………………… महाराज मैं भी आपका सेवक हूं ।

इस तरह से साधू के मना करने पर भी गिरधारी साधू का कहना नही मान रहा था और उनकी सेवा मे लगा रहा । इस तरह से साधू को उस पहाड पर रहते हुए चार ‌‌‌माह बित गए थे । और इतने समय मे गिरधारी साधू की सेवा करता रहा था ।

जब साधू वहां से चला गया ‌‌‌तब जाकर गिरधारी अपने गाव मे गया । साधू के वापस चलने के कारण से सेवको ने साधू से पूछा ……………………. महाराज आप जिस काम के लिए गए थे वह तो हुआ ही नही ।

तब साधू कहने लगा…………… मैंने उस गाव मे ऐसे ‌‌‌व्यक्ति का पता लगा लिया है जो बहुत ही लालची और किसी दुसरे की मदत न करने वाला है । साधू की यह बात सुन कर सेवक कहने लगे………………….. हम भी तो आपके पास थे । पर हमे तो उस व्यक्ति के बारे मे पता भी नही चला ।

तब साधू ने कहा……………………………………. वह व्यक्ति कोई और नही बल्की गिरधारी ही है । यह सुन कर सेवक साधू से कहने लगे ‌‌‌की उसने आपकी कितनी सेवा की थी और आप उसे ही इतना बुरा बता रहे है । सेवको की बात सुन कर साधू ने कहा……………………. की अगर आपको मेरी बात पर विश्वास नही हो रहा है तो आप स्वयं ही उस नगर मे वापस जाकर पता लगा लो ।

परन्तु इस बार अपना भेष बदल कर जाना । साधू की बात सुन कर सेवकों ने कहा……………… ‌‌‌महाराज हम जाकर पता लगाएगे और यह आपको बता देगे की गिरधारी बहुत ही अच्छा है । इस तरह से कह कर अगले ही दिन दोनो सेवक उसी नगर मे वापस चले गए ।

क्योकी उन्होने अपना भेष बदल रखा था जिसके कारण से कोई उन्हे नही पहचान पा रहा था । तभी सेवको ने देखा की गिरधारी गाव के कुछ लोगो के साथ बैठ कर उन्हे ‌‌‌ज्ञान की बातें बता रहा था । और जो बात साधू ने उसे सिखाई ही नही थी वह अपने मन की तरफ मे गिरधारी बोल रहा है ।

गिरधारी के बारे मे पूरा जानने के लिए वे दो तिन दिनो तक वही रहे । तब उन सेवको को पता चला की गिरधारी तो साधू से भी बडा ज्ञानी है ऐसा गाव के लोगो को कह रहा है । तब सेवक समझ गए की ‌‌‌इसे अल्प ज्ञान है फिर भी अपने आप को पूर्ण ज्ञानी बता रहा है ।

जिसकी बात गाव के कुछ लोग मान भी रहे है । साथ ही कुछ लोग कह रहे है की चार महिनो तक अगर कोई साधू के पास रह लेता है तो वह ज्ञानी नही हो जाता अधजल गगरी छलकत जाए । यह सब जान कर सेवक वापस साधू के पास चले गए ।

अधजल गगरी छलतक जाए मुहावरे पर कहानी adhjal gagri chalkat jaye muhavare par kahani

और साधू के पास जाकर कहा की ‌‌‌महाराजा अपने जो कहा था वही हुआ । वह गिरधारी आपके पास चार महिने क्या रह ‌‌‌लिया अपने आप को ज्ञानी बताने लगा है । यह सुन कर साधू ने कहा अधजल गगरी छलकत जाए । तब साधू ने कहा………. की वह पहले ही इस बारे मे योजना बना कर मेरे पास आया था और मुझे इस बारे मे पता भी चल गया ।

परन्तु मैं देखना चाहता था की वह ‌‌‌मेरी कितने दिनो तक सेवा करेगा । मगर गिरधारी ने तो योजना बना ली थी जिसके कारण से मैं वहां से जल्दी ही वापस आ गया । वरना वह लोगो को फिर बहकाने लग जाता था । मगर एक समय ऐसा आ जाएगा की लोग उसकी इस चालाकी को आसानी से समझ जाएगे । इस तरह से फिर साधू अपने निवास स्थान पर वापस चला गया था और वही पर ‌‌‌अपना कार्य करने लगा था । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

अधजल गगरी छलकत जाए मुहावरे पर निबंध || adhajal gagri chhalkat jaye essay on idioms in Hindi

दोस्तो इस मुहावरे के बारे मे कहा जाए तो आप शायद इसके बारे में अभी सब कुछ समझ गए है ।

मगर दोस्तो आपको बता दे की मुहावरा उन लोगो के बारे में  बात कर रहा है जिसके पास ज्ञान की कमी होती है ओर उनका यही ज्ञान उन्हे ऐसे बना देता है जैसे की मानो वे काफी ज्ञानी हो ।

वैसे ज्ञान का होना एक गुण माना जाता है और जिसके पास ज्ञान होता है उसे गुणवान व्यक्ति कहा जाता है । मगर जिसके पास गुण न हो यानि ज्ञान न हो मगर वह फिर भी गुणवान होने का दिखावा करता है तो उसी तरह के लोगो के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है।

और इसी बात से आप यह समझ ले की adhajal gagri chhalkat jaye muhavare ka arth – कम गुणवान या ज्ञानी व्यक्ति का बहुत अधिक गुणवान या ज्ञानी होने का दिखावा करना होता है ।

very very most important hindi muhavare

सोने पे सुहागा मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सांप को दूध पिलाना मुहावरे का अर्थ व वाक्य और कहानी

साँप सूँघ जाना का अर्थ और वाक्य ‌‌‌में प्रयोग

घर पर मुहावरे ghar par muhavare

सूरज को दीपक दिखाना मतलब और वाक्य मे प्रयोग

सकते में आना का मतलब और वाक्य में प्रयोग

सिर आँखों पर बैठाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

लट्टू होना मुहावरे का मतलब या अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

रोंगटे खड़े होना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

रोंगटे खड़े होना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

राग अलापना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व निबंध

रंग चढ़ना का मतलब और वाक्य व कहानी

रंग उड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

रंग में भंग पड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

माथा ठनकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मारा मारा फिरना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मुँह चुराना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

मुँह लगाना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मुँह काला करना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मुँह फुलाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

सिर पर भूत सवार होना मुहावरे का अर्थ व वाक्य व कहानी

मुंह में पानी आना का अर्थ और वाक्य व कहानी

बहती गंगा में हाथ धोना मुहावरे का अर्थ व वाक्य

बाल बाल बचना मुहावरा का अर्थ और वाक्य व कहानी

बालू की भीत का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

बाएं हाथ का खेल मुहावरे का मतलब व वाक्य मे प्रयोग

बछिया का ताऊ का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

बाट जोहना मुहावरे का अर्थ व कहानी और वाक्य मे प्रयोग

बखिया उधेड़ना मुहावरे का मतलब, कहानी व वाक्य मे प्रयोग

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।