चाँदी काटना मुहावरे का अर्थ क्या है और वाक्य में प्रयोग

चाँदी काटना मुहावरे का अर्थ Chandi katna muhavare ka arth  – बहुत धन अर्जित करना या खूब लाभ होना ।

दोस्तो चांदी की किमत हमेशा सोने से कम ही रहती है । मगर चांदी की किमत भी कोई ज्यादा कम नही है बल्की यह वर्तमान में ₹ 70345 प्रति 1 किलो ग्राम के आस पास है । और अब इस तरह की उच्च किमत वाली वस्तु अगर कोई कमाने लग जाता है तो इसका मतलब हुआ की उसे तो खूब लाभ हो रहा है या वह बहुत धन अर्जित कर रहा है ऐसा कह सकते है ।

और अक्षर सुनार जो होते है वे ग्राहक की कुछ चांदी काट लेते है और अपने पास रख लेते है और इस तरह से बहुत से ग्राहको के द्वारा लाई जाने वाली चांदी की थोड़ी थोड़ी मात्रा भी काट ली जाती है तो यह मिलकर बहुत ज्यादा मात्रा बन जाती है और अब चांदी अधिक बन जाती है

जिसकी किमत भी बहुत अधिक है तो इस तरह से कर कर सुनार बहुत धन अर्जित करता है या कह सकते है की सुनार को खूब लाभ होता है । और इसी तरह से चांदी काटना मुहावरे का सही अर्थ बहुत धन अर्जित करना या खूब लाभ होना होता है ।

चाँदी काटना मुहावरे का अर्थ क्या है और वाक्य में प्रयोग

चांदी काटना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || Chandi katna  use of idioms in sentences in Hindi

1.        कुछ भी कहो भाई साहब लॉकडाउन के समय में मास्क बनाने वालो ने तो चांदी काट ली ।

2.        वर्तमान के समय में मेडिकल वाले तो चांदी काटते है ।

3.        सुनिता तो अब डॉक्टर बन चुकी है खुब चांदी काटेगी ।

4.        एक सरकारी दफतर का छोटा सा बाबू भी आज के समय मे चांदी काटने में लगा रहता है ।

5.        भाई बड़े शहरो में डॉक्टर मरीज को घर पर देखने के करीब 500 रूपय ले लेते है, सच है डॉक्टर तो आजकल खूब चांदी काटते है ।

6.        इस बार वर्षा के अच्छे होने के कारण से किसान तो खूब चांदी काटेगे ।

7.        अभी शर्दी आने वाली है तो सोहनलाल शर्दी में पहने जाने वाले कपड़ो को बनाने में लगा है लगता है इस बार वह खुब चांदी काटने वाला है ।

8.        शर्दी के समय में राजवीर ने शहर में कपड़ो की दुकान खोल कर चांदी काट ली ।

9.        मुरारिलाल मिठास भंडार वाले तो हमेशा त्योहार के समय चांदी काट लेते है ।

10.      दिपावली के समय में पूरे शहर में मिठाई बनाने वाले लोग चांदी काट लेते है ।

चांदी काटना मुहावरे पर कहानी || Chandi katna story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है, एक छोटा सा नगर हुआ करता था जहां पर बहुत सारे लोग रहते थे और उन ही लोगो में से बहुत से लोग ऐसे थे जो की अपने जीवन में कुछ अलग तरह का काम करते थे और उन्हे लाभ भी हासिल होता था ।

मगर कहते है की कुछ लोग ऐसा काम कर देते है जिसे देख कर सभी को यही लगता है की आज से पहले ऐसा काम किसी ने नही किया और इस काम के कारण से उन्हे खूब लाभ भी होता है । और इसी तरह से सोहनलाल के साथ हुआ था ।

दरसल पहले के समय में क्या था की जब भी कभी शर्दी आती थी तो लोगो को इससे बचने के लिए कोई तरीका नजर नही आता था और इसका कारण यह था की उस समय लोगो को शर्दी के समय पहने जाने वाले विशेष तरह के कपड़ो के बारे में पता नही था ।

मगर एक बार सोहनलाल जो था वह किसी बड़े शहर में गया था जहां पर उसने ऐसे कुछ कपड़े देख लिए जो की लोग शर्दी के समय में पहनते थे और यह सब देख कर सोहनलाल के मन में एक ख्याल आया की अगर वह भी अपने शहर में इस तरह के कपड़े लेकर जाता है तो उसे खुब पैसे मिल सकते है ।

मगर जब उन कपड़ो की किमत सोहनलाल ने पूछी तो वह आसमान छू रही थी क्योकी उस समय इस तरह के कपड़े ज्यादा नही थे । और इस कारण से सोहनलाल जो था वह यह काम न कर सका ।

मगर जब शर्दी निकल गई तो उसे एक ख्याल आया की अगर वह किसी तरह से अपने हाथो से कपड़े बना सकता है तो इससे उसे काफी फायदा मिल सकता है और क्योकी उसकी मां जो थी वह छोटे मोटे कपड़े बना लेती थी इसी कारण से सोहनलाल को यही सही लगा और अपनी मां की मदद से कपड़े बनाना सिख गया ।

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अब सोहनलाल ने कुछ कर्जा लिया और शहर जाकर उन लेकर आ गया । अब उन का भाव भी सस्ता था क्योकी शर्दी जा चुकी थी और अब उन का कोई काम न था तो अपने आप भाव कम हो गया और इसका फायदा उठा कर सोहनलाल ने खुब उन लेकर अपने घर आ गया । 

घर आकर अपनी मां की मदद से कपड़े बनाना सिखा और फिर मां बेटे दोनो कपड़े तैयार करने में लग गए थे । सोहनलाल और उसकी मां दोनो दिन में 5 जोड़ी ही कपड़े बना पाते थे यानि सोहलाल 2 जोड़ी और उसकी मां 3 जोड़ी बना पाते थे ।

मगर एक महिने के बाद में यह सब बड कर कुल 10 जोड़ी प्रति दिन के बनने लगे थे और इसी तरह से उन्होने कुल 6 महिनो तक काम किया और अपने पूरे घर को कपड़ो से भर दिया ।

अब कुछ लोगो को पता चला की सोहनलाल और उसकी मां यह सब कर रहे है और यह सब देख कर लोग उन्हे मुर्ख कहने लगे । मगर जैसे ही शर्दी का समय आया तो सोहनलाल ने अपने गाव में अपनी मां को एक छोटी सी दुकान खोलकर दे दी ताकी वह कपड़े बेच सके और स्वयं बड़े शहर में जाकर कम किमत पर कपड़े बचने लगे ।

और इस तरह से काम करने के कारण से सोहनलाल को बहुत धन अर्जीत हुआ । और गाव के लोगो को भी कपड़े पसं आए तो उन्होने भी कम किमत में अच्छे कपड़े ले लिए और इस तरह से सोहनलाल को लाभ प्राप्त हुआ

चाँदी काटना मुहावरे का अर्थ

और यह सब देख कर गाव के लोग अब कहने लगे की सोहनलाल ने तो चांदी काट ली और पूरे शर्दी के मोसम में इसी तरह से सोहनलाल कपड़े बचता हुआ शहर में फेमस हो गया और जो कजा था वह भी उतर गया था और अब सोहलाल प्रति वर्ष इसी तरह से काम करने लगा और अपने जीवन में खुब चांदी काटने लगा ।

साथ ही उसकी मां भी इसी काम मे लगी रही और धिरे धिरे सोहनलाल का बड़ा व्यापार बन गया उसके पास कुछ लोग भी काम करने लगे और अब सोहलाल के पास धन ही धन आने लगा था । और अब सोहनलाल अच्छा जीवन बिताने लगा ।

तो इस तरह से व्यापार में सफल होने के बाद में चांदी काटना पड़ता है । वैसे चांदी काटना मुहावरे के अर्थ के बारे में कहानी से समझ गए होगे ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।