प्रतिष्ठा पर आंच आना मुहावरे का मतलब और वाक्य व निबंध

प्रतिष्ठा पर आंच आना मुहावरे का अर्थ pratishtha par aanch aana muhavare ka arth – इज्जत कम होना या अपमानित होना

दोस्तो प्रतिष्ठा के कारण से मनुष्य अपना सिर उचा उठाए रखता है । जिसके कारण से वह जहां भी जाता है वह अपने आप पर गर्व करता है । मगर जब वही व्यक्ति कुछ गलत कर देता है ‌‌‌तो वह डरता है की कही उसकी गलती किसी के सामने न आ जाए ।

क्योकी गलतिया सामने आपने पर अपमानित होना पडता है । और जब कोई अपमानित हो जाता है तो उसकी इज्जत कम हो जाती है और इस तरह से इज्जत कम होने को ही प्रतिष्ठा पर आंच आना कहा जाता है ।

प्रतिष्ठा पर आंच आना मुहावरे का मतलब और वाक्य व निबंध

‌‌‌प्रतिष्ठा पर आंच आना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग pratishtha par aanch aana muhavare ka vakya me prayog

  • बेटे के कार्यो की वजह से पिता की प्रतिष्ठा पर आंच आ गई ।
  • जब बेटा शहर पढने के लिए जाने लगा तो रामू ने उससे कहा की बेटा शहर जाकर कुछ ऐसा ना कर देना जिसके कारण से मेरी प्रतिष्ठा पर आंच आ जाए ।
  • अनामिका के शहर के लडके के साथ भागने के कारण से उसके पिता की प्रतिष्ठा पर आंच आ गई ।
  • महेश ने अपनी मां से कहा की मां मैं कभी भी ऐसा ‌‌‌काम नही करूगा जिससे पिताजी  की प्रतिष्ठा पर आंच आए ।
  • ‌‌‌भरे बाजार मे दारू पी कर नाचने के कारण से महेश की प्रतिष्ठा पर आंच आ गई ।
  • अगर बेटी की शादी मे बारात वापस चली जाए तो पिता के लिए प्रतिष्ठा पर आंच आएगी ही ।
  • रवीप्रकाश ने शराब के नशे मे अपने पिता के बारे मे बुरा भला कहा तो उनकी प्रतिष्ठा पर आंच आ गई ।
  • अगर तुमने यह बात गाव के लोगो को बताई ‌‌‌तो मेरी प्रतिष्ठा पर आंच आ जाएगी ।
  • दो सो रूपय ‌‌‌के लिए तुम मेरे साथ झगडा कर कर अपनी प्रतिष्ठा पर आंच लाने वाला काम कर दोगे ।
  • अध्यापक ने कहा की बच्चो कभी भी बुरा काम कर कर अपने पिता की प्रतिष्ठा पर आंच मत आने देना ।
  • ‌‌‌जिसने हमे पाल पोस कर इतना बडा कर दिया हम ‌‌‌उनकी प्रतिष्ठा पर आच थोडे आने देगे ।

प्रतिष्ठा पर आंच आना मुहावरे पर कहानी pratishtha par aanch aana muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक बहुत ही धनवान सेठ रहा करता था । सेठ के घर मे उसकी पत्नी और इकलोता बेटा रहा करता था । सेठ बहुत ही अच्छा आदमी था वह कभी भी किसी का ‌‌‌बुरा नही चाहत था ।

बल्की जितना हो सकता था उतनी ही लोगो की मदत कर दिया करता था । परन्तु जब सेठ का विवाह हो गया तो उसकी पत्नी ने सेठ को यह सब करने के लिए सेठ को मना करने लगी और लोगो की मदत करने का काम सेठ का बंद करवा दिया । क्योकी सेठ चालाक नही था जिसके कारण से वह अपनी पत्नी से दब गया और पत्नी की बात मानने लगा ।

जब सेठ का बेटा बडा होने लगा ‌‌‌तो उसे पढाई करने के लिए सेठ ने विधालय भेजा । मगर सेठ का बेटा विधालय ‌‌‌में न जाने की जीद्द करने लगा । जिसके कारण से सेठ की पत्नी ने अपने बेटे से कहा की बेटा तुम घर रह कर खेला ‌‌‌लिया करो ।

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इस समय पर भी सेठ की वहां नही चल पाई । इस तरह से कुछ महिनो के बाद मे फिर सेठ के घर एक बच्चे के रोने की ‌‌‌आवाज आने लगी । यानि सेठ के घर मे इस बार एक लडकी का जन्म हो गया था ।

यह देख कर सेठ तो बडा ही खुश था मगर उसकी पत्नी दुखी हो गई । क्योकी उस समय लडकी को मुसीबत मानते थे । जिससे कुछ लोग तो लडकी होते ही उसका गला घोट दिया करते थे ।

मगर सेठ की पत्नी की यह करने की हिम्मत नही हुई और सेठ उसे अपने ‌‌‌सिर पर बैठा कर पालने लगा था । जब बेटी बडी होने लगी तब उसकी मां उसके साथ भेदभाव कर कर अपने बेटे को ही खाना पिलाना यहां तक की रूपयो को उडाने के लिए भी दे दिया करती थी ।

इस तरह से करने के कारण से बेटी को बडा ही बुरा लगता । परन्तु उसके पिता उसके साथ थे जिससे बेटी अपना जीवन यापन करती रही । इसी ‌‌‌तरह से चलते चलते सेठ का बेटा और बेटी बडे हो गए । मगर अब सेठ की बेटी बडी ही सुसिल और शांत स्वभाव की थी और इसी के विपरीत सेठ का बेटा अडियल स्वभाव का था ।

जो अपने पिता के साथ बदतमीजी करने से पिछे नही हटता था । इसके अलावा पैसे उडाने का तो वह सोक चढाए रखता था । यानि वह पैसे बहुत ही खर्च करने ‌‌‌लगा । जिससे सेठ के धन मे हानि हो रही थी तभी सेठ की पत्नी ने अपने बेटे का विवाह तय कर दिया और ‌‌‌कुछ दिनो के बाद में उसका विवाह कर दिया ।

जिसके कारण से अब बेटे की पत्नी भी उस घर मे रहने लगी थी । क्योकी अब सेठ अपनी बेटी से प्रेम करता था और वही सेठ की पत्नी और उसका बेटा व उसकी पत्नी एक तरफ होकर सेठ की बेटी को ‌‌‌बुरा भला कहने मे कसर नही छोडते थे । यह रोजाना की कहानी होने लगी थी ।

जिसके कारण से सेठ परेशान हो गया और उसने अपने बेटी का भी विवाह करने की सोच ली । क्योकी सेठ के पास धन था और उसकी बेटी देखने मे बहुत ही खूबसूरत और सुसिल थी । जिसके कारण से उसका विवाह आसानी से हो गया । मगर उस समय दहेज लेना चल ‌‌‌रहा था । जिसके कारण से लडको वालो ने सेठ से दहेज मागा ।

तब सेठ बिना सोचे समझे दहेज देने के लिए राजी हो गया था । और लडको वालो के जाने पर उसकी पत्नी ने कहा की मैं इस लडकी के लिए एक फुटी कोडी नही दूगी । मगर अब सेठ भी अपनी पत्नी के साथ झगडा कर कर बेटी के लिए धन लेने को कहने लगा ।

जिसके कारण से ‌‌‌सेठ ने अपनी बेटी का विवाह तय भी कर दिया था । जिससे सेठ दिन रात बेटी के विवाह की तैयारी ‌‌‌करने लगा । और इसी बिच विवाह होने का समय आ गया ।

अगले दिन ही विवाह था तो सेठ ने अपने रूपयों को पत्नी से मागे तो सेठ की पत्नी ने पैसे देने के लिए मना कर दिया । मगर सेठ अपनी पत्नी के साथ झगडा ‌‌‌कर कर पैसे ले लिए । पैसे लेकर सेठ ने उन्हे किसी गुप्त जगह छिपा दिया ।

मगर पैसे छुपाते समय सेठ के बेटे ने यह सब देख लिया । जिसके कारण से सेठ के बेटे ने रातो रात ही पैस चोरी कर कर कही रख दिए । अब बरात सेठ के घर आ गई और विवाह के लिए दुलहा तैयार था । मगर तभी ‌‌‌दुलहे के पिता ने सेठ से दहेज ‌‌‌मागा ।

जिसके कारण सेठ ने दहेज का सारा समान ‌‌‌दुलहे के पिता को दिखा दिया मगर जब पैसे लाने के लिए गया तो उसे वहां पर पैसे नही मिले । तब वह अपनी पत्नी से कहने लगा की तुमने पैसे वापस ले लिए । मगर उसने इस बारे मे इनकार कर दिया ।

तब सेठ दुखी होकर बाहर गया तो ‌‌‌दुलहे के पिता को लगा की पैसे नही ‌‌‌ ‌‌‌है ।उस समय अगर दहेज का पूरा समान नही मिलता था तो बारात वापस चली जाया करती थी । और जब सेठ की बेटी का विवाह था तब भी ऐसा ही होने वाला था ।

 यानि ‌‌‌दुलहे के पिता ने सेठ से कहा की अगर दहेज का पूरा समान नही मिला तो वह बारात वापस ले जाएगा । यह सुन कर सेठ और दूखी हो गया और अपनी पत्नी से और पैसे मागने ‌‌‌‌‌‌लगा मगर अब सेठ की पत्नी समझने के लिए तैयार ही नही थी ।

तब सेठ ने अपनी पत्नी से कहा की पैसे दे दो ‌‌‌वरना मेरी प्रतिष्ठा पर आंच आ जाएगी । यह सुन कर भी सेठ की पत्नी ने पैसे नही दिए । जिसके कारण से निरास होकर सेठ ने यह सब ‌‌‌दुलहे के पिता को बता दिया ।

तब ‌‌‌दुलहे का पिता जाने ही वाला था ‌‌‌की सेठ ने उन्हे समझाने का प्रयास किया की अगर वे इस समय यहां से जाएगे तो मेरी प्रतिष्ठा पर आच आ जाएगी । मगर सेठ की बात ‌‌‌दुलहे के पिता ने भी नही सुनी । जब बारात वापस जाने लगी तो गाव के लोगो को इस बारे मे पता चला ।

प्रतिष्ठा पर आंच आना मुहावरे पर कहानी pratishtha par aanch aana muhavare par kahani

तब गाव के लोगो ने बारात को रोक लिया और कहा की हम सभी आपको पैस देगे । इस तरह ‌‌‌से फिर गाव के लोगो ने ही सेठ की बेटी के लिए दहेज के पैसे दिए । जिससे विवाह हो पाया ।

विवाह होने पर सेठ ने गाव के लोगो से पूछा तो उन्होने कहा की आपने हमारी भी दुखो मे मदत की थी तो हम आपकी मदत नही करेगे क्या । यह सुन कर सेठ खुश हुआ और गाव के लोगो को धन्यवाद कहा ।

इस दिन के बाद मे सेठ अपनी ‌‌‌पत्नी की बात नही मानता था बल्की जो भी कुछ कमाता वह गाव के लोगो की मदत करने के लिए ही दे देता था । जिसके कारण से सेठ की पत्नी ने उसे घर से निकाल दिया । मगर गाव के लोगो ने उसे आसरा दे दिया । इस तरह से फिर सेठ गाव के लोगो के साथ रह कर अपना जीवन गुजारने लगा ।

प्रतिष्ठा पर आंच आना मुहावरे ‌‌‌पर निबंध pratishtha par aanch aana muhavare par nibandh

साथियो प्रतिष्ठा का अर्थ इज्जत होता है और आंच आने का अर्थ कष्ट आना होता है। इस तरह से प्रतिष्ठा पर आच आने का अर्थ इज्जत पर कष्ट आना कह सकते है और इस तरह से इज्जत पर जब कष्ट आता है तो इज्जत कम होती है या अपमानित होने पर ही इज्जत पर कष्ट आता है ।

इस कारण से यह सब इस मुहावरे ‌‌‌का अर्थ है यह हम कह सकते है । इसी कारण से जब कभी किसी कारण से इज्जत पर कष्ट आता है तो इसे प्रतिष्ठा पर आंच आना कहा जाता है । इस तरह से इस मुहावरे के बारे मे आपको पता चल गया होगा की इसका अर्थ और वाक्य में प्रयोग क्या है ।

प्रतिष्ठा पर आंच आना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of pratishtha par aanch aana in Hindi

दोस्तो अगर मान ले की आप कोई गलती कर देते है और इसी गलती के कारण से आपको काफी कुछ सुनना पड़ता है और इससे आप काफी अधिक अपमानित होते है तो ऐसे में जाहिर होगा की जो आपने इज्जत इतने समय में बनाई थी वह जरा सी कम जरूर हो जाएगी ।

कहने का मतलब है की अगर किसी व्यक्ति को अपमानित किया जाता है तो इससे उसकी इज्जत कम हो जाती है और इज्जत को हमेशा से प्रतिष्ठा के रूप में माना जाता है और अगर ऐसा होता है तो इसका मतलब है की आपकी प्रतिष्ठा पर आंच आ गई है और इसी बात के कारण से आप यह समझ सकते है की pratishtha par aanch aana muhavare ka arth – इज्जत कम होना या अपमानित होना होता है।

और इस बात का मतलब यह भी होता है की जहां पर भी इज्जत कम होना या अपमानित होने की बात होती है वही पर इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किया जाता है।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।