भानुमती का पिटारा का मतलब और वाक्य में प्रयोग व मुहावरे पर कहानी

भानुमती का पिटारा मुहावरे का अर्थ bhanumati ka pitara muhavare ka arth – ऐसा पात्र जिसमे आवश्यकता की सभी वस्तुए मोजुद हो

दोस्तो आज के समय मे ऐसी वस्तु का बहुत अधिक महत्व होता है जिसमे आवश्कता की सभी वस्तुए मोजुद हो । क्योकी हर कोई अपने उपयोग की वस्तु को एक ‌‌‌ही स्थान से प्राप्त करना चाहता है । जिस तरह से पढाई ‌‌‌और ज्ञान हासिल करने के लिए कैवल स्कुलो की जरूरत नही होती बल्की वर्तमान मे इंटरनेट यानि गूगल बाबा से सब हासिल किया जाता सकता है ।

इस तरह से जब आवश्यकता की सभी वस्तुएं कही पर मोजुद होती है तो ‌‌‌इसी समय इस मुहावरे का प्रयोग करते हुए इसे भानुमती का पिटारा कहा जाता है ।

भानुमती का पिटारा का मतलब और वाक्य में प्रयोग व मुहावरे पर कहानी

‌‌‌भानुमती का पिटारा मुहावरे का वाक्य में प्रयोग  bhanumati ka pitara muhavare ka vakya me prayog

  • नानी के पास सभी बच्चे इस लिए जाते है क्योकी नानी सभी को आवश्यकता की वस्तु देती है जैसे मानो नानी के पास भानुमती का पिटारा हो ।
  • मेरी मां मेरे लिए भानुमती के पिटारे से कम नही है क्योकी मुझे जो चाहिए होता है वह मुझे पल भर मे दे देती है ।
  • ‌‌‌रावतमल सभी लोगो की मदत करता रहता है जैसे मानो उसके पास भानुमती का पिटारा हो ।
  • राजवीर से जैसे ही कोई उससे कुछ मागता है तो वह उसे तुरन्त दे देता है इससे लगता है की राजवीर के पास भानुमती का पिटारा है ।
  • जब से राम की लोटरी लगी है तब से उसके पास भानुमती का पिटारा आ गया है हर समय अपने बेटे की इच्छा पूरी करता रहता है ।
  • हरीदेव का तो कहना ही क्या वह मेरी ‌‌‌हर तरह से मदत करता रहता है जैसे मानो उसके पास भानुमती का पिटारा हो ।
  • हमारे गाव का मामुली बेद हर रोग का इलाज कर सकता है मानो उसके पास भानुमती का पिटारा हो ।
  • भले ही मेरे पास धन दोलत न हो पर मैं अपने बेटे के लिए भानुमती का पिटारा तो बन ही सकता हूं ।

भानुमती का पिटारा मुहावरे पर कहानी bhanumati ka pitara muhavare par kahani

‌‌‌एक समय की बात है एक गाव हुआ करता था । जिसमे एक बुढ़िया ‌‌‌और उसकी बेटी भानुमती रहा करती थी । बुढ़िया बडी ही चालाक और ज्ञानी थी । साथ ही ‌‌‌जादू करना जानती थी । जिसके कारण से किसी भी छण ‌‌‌जादू कर कर कोई भी वस्तु बना लेती थी । बुढ़िया के मेजीक (‌‌‌जादू) का एक निश्चित समय होता था ।

उस मसय के बाद उस बुढ़िया का मेजीक खत्म हो ‌‌‌हो जाता था । इस तरह से समय के साथ मेजीक को खत्म होते देख कर बुढ़िया बडी ही दुखी हो जाती थी । वह चाहती थी की एक समय ऐसा हो की उसका मेजीक कई दिनो या महिनो तक चले । इस कारण से वह अपने मेजीक के समय को बढाने के लिए अनेक तरह के प्रयत्न करती थी ।

मगर बुढ़िया की उम्र हो रही थी और उसका सपना पुरा ‌‌‌नही हो पा रहा था । यह देख कर बुढ़िया ने सोचा क्यो न मैं अपना जादू अपनी बेटी भानुमती को सिखा दू । ताकी मैं जो नही कर पा रही हुं वह मेरी बेटी कर सके । यह सोच कर बुढ़िया ने अपना जादु अपनी बेटी को सिखाना शुरू कर दिया ।

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इस तरह से भानुमती को जादू सिखने मे पूरे दो वर्ष लग गए । परन्तु अभी उसका ‌‌‌जादू पूरा नही हुआ था की बुढ़िया की मोत हो गई । इस तरह से भानुमती ने अधुरा ही जादू सिखा । मगर वह समय के साथ अपने आप को जादुगरनी बनाने के लिए लगी रही ।

जिसके कारण से पूरे 20 वर्षो मे वह बहुत बडी जादुगरनी बन गई । जिसके बारे मे अभी तक किसी को पता नही था । परन्तु एक दिन कुछ छोटे बच्चे खेलते हुए ‌‌‌भानुमती के पास चले गए थे । भानुमती के घर मे उन बच्चो ने देखा की भानुमती जादू कर रही है और तरह तरह की वस्तु बना रही है ।

यह देख कर उन बच्चो ने भानुमती के सामने जाने की हिम्मत की और फिर भानुमती से कहा की हमे चॉकलेट खाने के लिए चाहिए । यह सुन कर भानुमती सोच मे पड गई की आज इन बच्चो ने ‌‌‌मेरा जादू देख लिया है अगर मैंने इनकी इच्छा पूरी नही की तो ये गाव के लोगो को बता देगे की मैं जादू करती हूं ।

यह सोच कर जादूगरनी भानुमती ने उन बच्चो को खुब सारी चॉकलेट अपने ‌‌‌पिटारे से निकाल कर दी । जिसके कारण से बच्चे चुप चाप वहां से चले गए । भानुमती को पता नही था की अगर गाव के लोगो के सामने ‌‌‌वह अपना जादू दिखाएगी तो वह बहुत ही फेमस हो जाएगी और उसे हर कोई जानने लगेगा । इसी कारण से वह डर रही थी ।

मगर बच्चो को एक बार जो कुछ मिल जाता है वह उसी व्यक्ति से फिर से वह वस्तु लेते है । इस कारण से अगले दिन फिर वे बच्चे भानुमती के पास आकर चॉकलेट मागने लगे । तब भानुमती ने फिर से उन्हे ‌‌‌चॉकलेट दे दी । मगर अब बच्चे भी चालक बन कर भानुमती से अलग अलग तरह की वस्तुए मागने लगे ।

तब भानुमती बिना सोचे समझे उन्हे अपनी टोपी से वह वस्तु निकाल कर बच्चो की इंच्छा पूरी करती जा रही थी । धिरे धिरे समय बितता गया और अब वे बच्चे बडे हो गए तो भानुमती से बडी चिजे मागने लगे ‌‌‌जब भानुमती उन्हे ‌‌‌वह भी दे देती थी । तब उन लडको ने देखा की भानुमती एक पिटारे से वह वस्तु निकालती है जो हम उससे मागते है ।

यह देख कर फिर वे लडके कहते की भानुमती के पिटारे मे सब कुछ मिलता है । इस तरह से समय बितता गया और भानुमती के बारे मे गाव के लोगो को पता चलता गया । जिसके कारण से गाव का हर कोई जानने लगा की ‌‌‌भानुमती बच्चो की इच्छा पूरी करने के लिए अपने पिटारे से तरह तरह की वस्तुएं निकातली है ।

यह जानने के बाद मे जब भी कोई बच्चा अपने माता पिता से कुछ मगता तो उसके माता पिता कहते की हमारे पास कोई भानुमती का पिटारानही है । मगर जब किसी के माता पिता उनकी हर इच्छा पूरी करने लगे तो वे कहते की ‌‌‌मेरे माता पिता के पास भी भानुमति का पिटारा है । इस तरह से समय के साथ भानुमती कान नाम चारो ओर फैल गया और जब भानुमती की उम्र हुई तो उसकी मृत्यु हो गई ।

भानुमती का पिटारा मुहावरे पर कहानी bhanumati ka pitara muhavare par kahani

‌‌‌भानुमती की मृत्यु के बाद जब भी कोई व्यक्ति किसी ‌‌‌को उसकी आवश्यक्ता की वस्तु दे देता तो उसके लिए यही कहा जाने लगा की इसके पास भानुमती का पिटारा है यानि ऐसा पात्र है जिसमे आवश्यकता की सभी वस्तुएं मोजुद हो । इस तरह से भानुमती की मां का सपना तो पूरा नही हो सका पर भानूमती ‌‌‌के मरने के बाद ‌‌‌उसने अपना नाम दुनिया मे छोड दिया जो आज तक ‌‌‌एक मुहावरे के रूप मे चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा ।

भानुमती का पिटारा मुहावरे पर निबंध bhanumati ka pitara muhavare par nibandh

साथियो आपने उपर दी गई कहानी मे पढा की भानुमती के जादु के बारे मे जान कर सभी उसके पिटारे की तारिफ करने लगे और एक ऐसा समय आ गया की जो भी कोई आवश्यकता की वस्तु समय पर देता उसके ‌‌‌लिए इसी नाम का प्रयोग होने लगा ।

इस कारण से मानव के जीवन मे भी आज ऐसी अनेक वस्तुओ की जरूरत होती है जो आसानी से किसी के पास नही मितली है । मगर जो कोई इन वस्तुओ को देता है उसके लिए कहा जाता है की इसके पास भानुमती का पिटारा है । यानि जो मागा जाए ‌‌‌वह यह अपने पिटारे से निकाल कर दे देता है । ‌‌‌

क्योकी उपर कहानी के हिसाब से उस गाव मे भानुमती ने ही सबसे पहले अपने पिटारे से उपयोग की वस्तु दी थी जिसके कारण से यह मुहावरा उसके नाम पर ही भानुमती का पिटारा बन गया । इस तरह से आपको इस कहानी से मुहावरे का अर्थ समझ मे आ गया होगा ।

भानुमती का पिटारा मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of bhanumati ka pitara in Hindi

दोस्तो भानुमती की कहानी अगर आपने पढी है तो आपको पता होगा की उसके पास एक पिटारा हुआ करता था जिसके अंदर सभी तरह की आवश्यकता की वस्तु मिल जाती थी ।

तो अगर असल जीवन मे आपके के पास भी ऐसा कुछ हो जिसके पास आपके लिए आवश्यकता की सभी वस्तु हो । यानि अगर आपको कुछ चाहिए होता है और वह आपको किसी व्यक्ति से मिल जाती है और आपको जो कुछ चाहिए होता है वह उसी व्यक्ति के पास से मिलता है तो इसका मतलब है की वह आपके लिए भानुमती का पिटारा है ।

क्योकी भानुमती के पिटारे का अर्थ यही होता है की  ऐसा पात्र जिसमे आवश्यकता की सभी वस्तुए मोजुद हो और अगर ऐसा कोई व्यक्ति होता है तो उसके लिए भी इस मुहावरे का प्रयोग कर सकते है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।