रफू चक्कर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

रफू चक्कर होना मुहावरे का अर्थ rafoo chakkar hona muhavare ka arth  – डर कर भाग जाना

दोस्तो चोर और पुलिस मे एक अलग ही रिस्ता होता है । क्योकी जब भी चोर पुलिस को देखता है तो वह उससे डरने लगता है । क्योकी उसने गलक कार्य किए है । जिससे वह डर कर पुलिस से छिपने की ‌‌‌कोशिश करते है । इसी तरह से जब उसे पता चलता है की पुलिस उसे पकडने के लिए आ रही है तो वह पुलिस से डर जाता है और ‌‌‌चोरी न कर कर भाग जाता है । इस तरह से जब कभी कोई व्यक्ति किसी कारण से डर कर भाग जाता है तब इसे रफू चक्कर होना कहा जाता है ।

रफू चक्कर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

‌‌‌रफू चक्कर होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग rafoo chakkar hona muhavare ka vakya me prayog

  • जैसे कालू को पता चला की पुलिस उसे पकडने के लिए आ रही है तो कालू ‌‌‌रातो रात रफू चक्कर हो गया और किसी को पता भी नही चला ।
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  • ‌‌‌यहां ‌‌‌लड़ाई होते देख कर रामलाल जुरूर रफू चक्कर हो गया होगा तभी दिखाई नही दे रहा है ।
  • महेश को जैसे ही पता चला की शहर के गुंडे उसे गली गली ‌‌‌ढूंढ रहे है तो महेश उसी दिन रफू चक्कर हो गया और अपने गाव आ गया ।
  • मेरा बेटा दस लोगो को एकेला ही मार सकता है उसे रफू चक्कर होने की कोई जरूरत नही है ।
  • ‌‌‌राजा ‌‌‌शेरसिंह को आते देख कर गुनेहगार तुरन्त रफू चक्कर हो गया ।
  • गुनेहगार पुलिस से बच कर रफू चक्कर हो गया परन्तु पुलिस ने भी उसे फिर से पकड लिया ।
  • खिलाडीचंद रफू चक्कर होने वाला नही है वह अपने घर मे ही मिलेगा ।
  • गाव मे खेल रहे बच्चों ने जब अपने अध्यापक को आते देखा तो सभी रफू चक्कर हो ‌‌‌कर अपने घर मे चले गए ।
  • जैसे ही पिताजी घर जाने लगे तो खेल रहा रामू रफू चक्कर होकर अपने घर मे जाकर पढाई करने लगा ।

‌‌‌रफू चक्कर होना मुहावरे पर कहानी rafoo chakkar hona muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी गनर में एक धनवान धनसेठ रहा करता था । जिसके घर मे उसकी पत्नी और दो बेटे थे । धनसेठ बहुत ही सरल स्वभाव का था । साथ ही धनसेठ गाव के लोगो की मदत करने के लिए उन्हे उधार पैसे भी दे दिया करता था । जिसके कारण से गाव के लोगो की मुसीबत हल ‌‌‌हो जाया करती थी और धनसेठ ब्याज पर पैसे कमा लेता था ।

मगर जो लोग समय पर उसे पैसे दे दिया करते उससे धनसेठ ज्यादा ब्याज नही लेता था । और पैसे लेने के लिए कभी भी उसके घर नही जाता था । मगर जो लोग धनसेठ को उसका उधार दिया हुआ पैसा समय पर नही देता था उसके लिए धनसेठ बहुत बुरा बन जाता और उसका पिछा‌‌‌ कभी भी नही छोडता ।

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इसी तरह से एक दिन की बात है गाव मे रामानन्द नाम का एक आदमी रहा करता था । जिसके घर मे भी उसकी पत्नी और दो बेटे ही रहा करते थे । उस समय रामानन्द के बेटे छोटे थे जिसके कारण से उनका उज्जवल भविष्य बनाने के लिए रामानन्द ने धनसेठ से कुछ रूपय उधार ले लिए ।

उधार लिए हुए ‌‌‌पैसो से रामानन्द ने अपने बेटो को पढाई करने के लिए दुर अच्छे विधालय मे भेज दिया था । तब उसे और पैसो की जरूरत पडी तो वह धनसेठ से और उधार लेने के लिए चला गया था । जिसके कारण से धनसेठ ने बिना सोचे समझे मदत करने के लिए पैसे दे दिए । और कहा की जब बेटे सफल हो जाए तो पैसे दे देना ।

इस तरह से ‌‌‌समय बितता गया और रामानन्द के बेटे बडे हो गए थे । तब धनसेठ ने सोचा की अब तो रामानन्द के बेटे भी बडे हो गए है साथ ही पैसे उधार लिए हुए उसे काफी समय बित गया है जिसके कारण से अब उसे पैसे दे देने चाहिए ।

इस तरह से एक दिन धनसेठ ने रामानन्द को अपने पास बुलाकर कहा तो उसने कहा की अभी हाथ जरा तंग ‌‌‌है अगले महिने ले लेना । जब अगला महिना आया तो धनसेठ ने रामानन्द को अपने घर बुलवाया तब रामानन्द धनसेठ के पास नही गया ।

इस कारण से धनसेठ को पता चल गया की अब भी वह पैसे नही देना चाहता है । पैसो का इंतजार करते हुए धनसेठ ने अगले महिने का इंतजार किया और फिर वह स्वयं ही रामानन्द के घर चला गया और ‌‌‌उससे पैसे मागने लगा था । मगर रामानन्द ने कहा की अभी बेटे नोकर लग जाएगे तो दे दुगा । इस बात को एक वर्ष बित गया ओर बेटो को नोकर लगे हुए भी छ महिनो से ज्यादा हो गए थे ।

मगर रामानन्द पैसे देना का नाम ही नही ले रहा था । जिसके कारण से धनसेठ जब भी रामानन्द को देखता तो पैसे मागता चाहे वह गाव ‌‌‌की गलियो मे भी क्यो न हो । इस कारण से जैसे ही रामानन्द को पता चलता की धनसेठ उसकी तरफ आ रहा है तो वह तुरन्त वहा से चला जाता था ।

इसी तरह से एक दिन रामानन्द गाव के लोगो के साथ बैठ कर मोज मस्ति कर रहा था तभी धनसेठ उसी तरफ आता हुआ रामानन्द को दिखा तो रामानन्द तुरन्त वहां से चला गया । जब ‌‌‌धनसेठ उन लोगो के पास आया तो उसे पता चला की रामानन्द यहां पर नही है ।

तब धनसेठ ने उनसे पूछा की रामानन्द कहा चला गया । तभी वे लोग बोलने लगे की अभी तो वह यही था मगर आपको आते देख कर पता नही क्यो रफू चक्कर हो गया है। तब धनसेठ ने बताया की मैं उसके पैसे मागता हू दो वर्ष बित गए उसका पिछा करते हुए ‌‌‌मगर पैसे देने का ‌‌‌नाम ही नही ले रहा है ।

साथ ही कहा की अब तो उसके बेटे भी नोकर लग गए है । परन्तु अब भी वह पैसे नही दे रहा है । तब गाव के लोगो को पता चलने लगा की आखिर धनसेठ को देखते ही रामानन्द क्यो भागने लगता है ।

इसी तरह से दो महिनो के बाद मे जब रामानन्द के दोनो बेटे शहर से आय तब धनसेठ ‌‌‌उनके घर गया और बेटो को बताने लगा की उसने इतने रूप रामानन्द को दिए थे जो अभी तक वापस नही दिए है । साथ ही जब भी मुझे देखता है तो पता नही कहां रफु चक्कर हो जाता है ।

‌‌‌रफू चक्कर होना मुहावरे पर कहानी rafoo chakkar hona muhavare par kahani

यह जान कर दोनो बेटो ने अपने पिता का लिए हुआ उधार धनसेठ को वापस दिया। इसके बाद मे धनसेठ ने कभी भी रामानन्द की मदत नही की । मगर ‌‌‌रामानन्द के इस तरह से करने के कारण से उसका नाम पुरे गाव मे ‌‌‌हो गया की वह धनसेठ से उधार ले चुका है और वापस नही दिए और जब भी धनसेठ को आते देखता है तो रफू चक्कर हो जाता है । इस तरह से फिर गाव मे कोई भी रामानन्द की अच्छा नही मानते थे । इसके बाद मे धनसेठ ने भी कभी रामानन्द की मदत नही की । इस तरह ‌‌‌से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

‌‌‌रफू चक्कर होना मुहावरे पर निबंध rafoo chakkar hona muhavare par nibandh

साथियो यह तो हमेशा से ही चला आ रहा है की जो भी कोई गलत कार्य करता है वह किसी न किसी से डरता ही रहता है । मगर यहां पर मैं केवल गलत कार्य की बात न कर कर उन सभी की बात कर रहा हूं जो किसी न किसी से डरते हो और उसके सामने आने पर डर कर भाग जाते हो ।

जैसे मनुष्य ‌‌‌एक छोटे से जीव से लकर बडे जीव तक सभी से डर सकता है । यानि अगर किसी के सामने शेर आ जाए तो वह उससे डर कर भागने लग जाता है । इसी तरह अगर चोर के सामने पुलिस आए तो वह पुलिस से डर कर भागता है ।

इसी तरह से जिसने किसी का बुरा किया हो वह उसके सामने कभी नही जाता है । मेरा कहने का अर्थ है की जो भी कोई ‌‌‌किसी भी कारण से डर कर भागता है उसी के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है क्योकी डर कर भागना ही इस मुहावरे का अर्थ होता है । 

रफू चक्कर होना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of rafoo chakkar honain Hindi

दोस्तो एक बात का हमेशा ध्यान रखना की अगर आपको इस जीवन में आगे बढना है और जीवन में सफल होना है तो डरना कभी नही है । क्योकी अगर आप जीवन से डर गए या कह सकते है की जीवन में आने वाली परेशानियों से डर गए तो आप इस जीवन को त्याग देगे और जीवन से हार मान लेगे जो की सबसे बड़ी गलती मानी जाती है ।

कहा जाता है की जीवन को नष्ट करना मुर्खता है क्योकी मानव जीवन काफी कोशिशो के बाद मिलता है और इस जीवन मे जो कुछ हमे सिखना चाहिए वह न सिख कर हम जीवन को त्यागते है तो यह मुर्ख होने को दर्शाता है।

अगर आप कोई काम करते है और उस काम में डरते नही है ओर करते रहते है तो आप एक दिन सफल जरूर होते है मगर वही पर आप डर कर भाग जाते है और काम छोड देते है तो इसका मतलब हुआ की आप rafoo chakkar हो रहे है और असल में इसी बात से आप समझ सकते है की rafoo chakkar hona muhavare ka arth  – डर कर भाग जाना होता है।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।