कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का अर्थ kaan par joon na rengana muhaavare ka arth – कुछ भी ध्यान न देना।

दोस्तो अगर कोई गलत ‌‌‌रास्ते पर चल रहा है जिससे कारण उसके नुकसान के साथ साथ दुसरो का भी नुकसान हो जाए । उसे कितना भी समझाया जाए की ऐसा नही करना चाहिए पर वह बिल्कुल भी नही समझता यानि ‌‌‌उसे कितना भी समझाया जाए पर उसके कान पर जूं  नही रेगती है । जिसका सिधा सा अर्थ है किसी बात पर बिल्कुल भी ध्यान न देना ।

कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग  || use of idioms in sentences in Hindi

‌‌‌जब मेने समझाया था की इस लडाई झगडे मे कुछ भी नही रखा है पर उस समय तुम्हारे कान पर जूं तक नहीं रेंगी और आज तुम इस हालत मे हो ।

इस लडके को कितना भी समझाया जाए पर इसके कान पर जूं तक नहीं रेंगेगी ।

जब मै तुम्हे समझाने के लिए चिल्लात रहता था उस समय तो तुम्हारे कान पर जूं तक नहीं रेंगी और आज ‌‌‌तुम सही रास्ते पर चलने कि बात कर रहे हों ।

‌‌‌जब आप मुझे समझा रहे थे तो उस समय मरे कान पर जूं तक नहीं रेंगी पर आज मुझे समझ मे आ गया की आप सही कह रहे थे ।

class="has-vivid-red-color has-text-color wp-block-heading">कान पर जूं न रेंगना मुहावरे पर कहानी ||  story on idiom in Hindi

प्राचिन समय की बात है बिरबल नाम का एक आदमी अपने गाव मे अपने माता पिता के साथ रहता था । उसे खाने का भोजन आराम से मिल जाया करता था । बिरबल बहुत ही लालची था जब भी उसे लगता की इसमे ‌‌‌मेरा फायदा है तो वह कुछ भी कर सकता था । उस समय उस गाव मे लुटेरे लोगो को लूटने के लिए ‌‌‌आते‌‌‌ थे ।

लुटेरों को देखकर गाव के लोग घबरा जाते थे और अपने आप को बचाने के लिए इधर उधर भागने लगते थे  । बिरबल नाम का ही बिरबल था उसे ज्ञान कुछ भी नही था उसे लगता था की अगर ‌‌‌वह इन लुटेरों के साथ हो जाए तो ये कम से कम उसे तो नही लूटेगे । इस कारण वह लुटेरों के साथ होने के लिए उनकी मदद करनी सुरु कर दि थी ।

जब भी गाव के लोगो को लुटे‌‌‌रे लूटने के लिए आते थे तो बिरबल उन्हे लोगो के बारे मे बता देता था की किसके पास कितना धन है । लोगो को लूटाने के कारण गाव के लोग बिरबल को गालिया देने लगे थे पर इससे उसे कोई भी फर्क नही पडता था ।

धिरे धिरे लुटेरों ने अपना सेवक बनाकर बिरबल को उस गाव मे ‌‌‌रहने को कहा और कहा की जो भी लोग रुपय नही देगे उनके बारे मे तुम मुझे बता देना । समय बितता गया और बिरबल गाव के लोगो को लूटने का काम अपने हाथ मे लेता गया । अगर गाव के लोगो मे से कोई भी अपने धन का आधा हिस्सा उसके पास नही लाकर देता था तो वह ‌‌‌लूटेरों को कह देता था ।

जिससे उसका सारा धन लूटेरे अपने साथ ले ‌‌‌जाते थे लुटेरों का साथ देने के लिए लोगो ने बिरबल को समझाने के लिए एक साथ उसके घर मे गए और वहा जाकर उन्होने उसे बहुत समझाया और कहा की ये लोग किसी के नही हो कसते है इन्हे तो अपने आप से मतलब है । गाव के लोगो की बात सुनकर बिरबल के कान पर जु तक नही चली ।

गाव के लोग और कुछ बोलते उससे पहले ही बिरबल ‌‌‌ने गाव के लोगो को जाने के लिए कह दिया । गाव के लोग कर भी क्या सकते थे वे चुप चाप वहा से चले गए । जैसे ही वे वहा से गए तभी बिरबल के माता पिता ने भी उसे बहुत समझाया की गाव के लोग सही कह रहे थे पर अपने माता पिता की बात भी सुनकर उसके कान पर जु नही रेंगी ।

जब उसके माता पिता को लगा की इसे तो कुछ ‌‌‌भी समझ मे नही आएगा तो वे आगे कुछ नही बोले और वहा से चले गए । तभी उस गाव मे एक पुलिस वाला आया वहा पर आकर उसे पता चला की इस गाव मे लूटखोर गाव को लूटते है । लुटेरों को पकडने के लिए ‌‌‌पुलिस वाला गाव मे भेस बदलकर रहने लगा ।

वहा पर रहते रहते उसे पता चला की बिरबल उन लोगो के साथ मिला हुआ है । ‌‌‌उस पुलिस वाले ने बिरबर के साथ साथ लुटेरों को भी पकडना चहा और समय का इंतजार करता रहा । कुछ ही दिन के बाद ‌‌‌लूटेरें गाव मे आया और जैसे ही लोगो का धन लेजाने ‌‌‌लगे तो पुलिस वाले ने अपने साथियो के साथ उस पर हमला बोल दिया और उसे पकडने के लिए भागने ‌‌‌लगे ।

जब लूटेरे नही रुके तो पुलिस वाले ने उन्हे मारने के लिए हमला बोल दिया । जिससे ‌‌‌कुछ लूटेरे तो मारे गए पर उनका सरदार वहा से भाग गया था । बिरबल यह सब एक और खडे ‌‌‌होकर देख रहा था जब कोई भी पुलिस के हथे नही चढा तो पुलिस वाले ने बिरबल को पकडकर थाने मे डाल दिया ।

कान पर जूं न रेंगना मुहावरे पर कहानी

वहा पर लेजाकर पुलिस वाले ने उसे बहुत मारा तब जाकर उसे पता चला की गाव के लोग सही कहते थे ‌‌‌और सोचने ‌‌‌लगा की उस समय तो ‌‌‌मेरे कान पर जु भी नही रेंगी । बिरबल उस समय सोच रहा था की उसने गाव के लोगो को दुख पहूंचाया है तभी तो कोई भी उसे छुटाने नही आया है । और न ही वे लूटेरे आए है जिनके कारण वह लोगो को लूटता था । ‌‌‌इस तरह से आप इस कहानी का अर्थ समझ गए होगे ।

कान पर जूं न रेंगना मुहावरे पर निबंध || kaan par ju na rengna essay on idioms in Hindi

साथियो आप लोगो को पता ही होगा की आज के समय मे अगर किसी को यह कहा जाए की यह काम तुम मत करो यह काम अच्छा नही है तो वह आपकी बात नही मानेगा उससे पुछने पर वह कहता है की तुमने क्या कहा था कहने का अर्थ यह है की उसे कितना भी कुछ क्यो न कहा जाए उसके काम मे एक ‌‌‌भी बात नही गई ।

ऐसे लोगो को अक्ल तब तक नही आती जब तक उनके खुद के साथ कुछ गलन न हो जाय कहने का अर्थ है की अगर वे लोग कुछ बुरा कर रहे है तो जब तक उनको उस काम की सजा नही मिल जाती तब तक उन्हे वह काम अच्छा लगेगा । किसी के कहने पर भी वे उसकी बात को नही मानते है।

ऐसे लोगो के लिए कहा जाता है की ‌‌‌इसे तो कितना भी क्यो न समझा दो इसके कान पर से जु भी नही रेंगेगी । इस तरह के लोगो को वह काम अच्छा लगता है उन्हे लगता है की ये लोग हमसे यह ‌‌‌काम नही करने के लिए कह रहे है पर यह तो अच्छा ही काम है ।

सामने वाले लोगो को तो वह काम गलत ही लगता है पर इस बात से उन्हे कोई लेना देना नही है की सामने वाला हमारे‌‌‌ बारे मे क्या सोचते है । उन्हे तो अपने आप से लेना देना है ऐसे लोगो की इस संसार मे कोई भी कमी नही है । ऐसे लोग आसानी से मिल जाएगे । इस तरह से आप इस मुहावरे का अर्थ समझ गए होगे ।

कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of kaan par ju na rengna in Hindi

दोस्तो कहते है की इस दुनिया में ऐसे बहुत से लोग है जो की समय अपने आस पास रहने वाले लोगो को महत्व नही देते है और उनके द्वारा कही गई बातो पर जरा भी ध्यान नही देते है और उन्हे पता तक नही होता है की आखिर किसी ने क्या कह दिया । तो इस तरह के ‌‌‌लोगो के लिए हम इस मुहावरे का प्रयोग कर सकते है ।

क्योकी यह जो मुहावरा है वह साफ साफ सकेंत कर रहा है की जरा भी या कुछ भी ध्यान न देना और आपको पता है की आज के युग में ऐसा बहुत होता आ रहा है जो की जरा सा या कुछ भी ध्यान नही देते है और आप यह समझ सकते है ।

अगर आपकी बातो पर कोई ध्यान नही दे रहा ‌‌‌है तो आप उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग कर सकते है और कह सकते है की उसके कान पर तो जू न रेगी । वैसे आपको बता दे की यह मुहावरा महत्वपूर्ण है तो इसे याद रखना । और अंत में बताना की आप इस मुहावरे का प्रयोग किसके लिए करने वाले हो ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।