जान हथेली पर रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

जान हथेली पर रखना मुहावरे का अर्थ jaan hathelee par rakhana muhaavare ka arth – प्राणो की ‌‌‌फिकर या परवाह न करना।

दोस्तो कुछ लोग ऐसे होते है जो अपनी परहवा न किए बिना ही दुसरे लोगो को बचनाने मे लगे रहते है । वे यह नही सोचते की यह हमारा लगता कोन है । इसे बचाने से हमे भी नुकसान हो सकता है । वे तो बस अपने बारे ‌‌‌मे न सोचकर दुसरो के बारे मे सोचते ही रहते है । इसे ही जान हथेली पर रखना  कहते है । यानि अपने प्राणो की ‌‌‌फिकर न कर कर दुसरो को बचना ।

जान हथेली पर रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

जान हथेली पर रखना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग  || jaan hatheli par rakhna use of idioms in sentences in Hindi

भारतीय सेना के जवान भारत की सेवा करने के लिए अपनी जान हथेली पर रखे खडे है ।

रामबाबू का क्या कहान वह तो अपने लोगो के लिए अपनी जान भी हथेली पर रख लेता है ।

अपने भाई को बचाने के लिए मदन ने अपनी जान हथेली पर रख कर आग मे कुद गया ।

अपने देश की हिफाजत करने के लिए हर एक जवान अपनी जान हथेली पर रख सकता है ।

class="has-vivid-red-color has-text-color wp-block-heading">जान हथेली पर रखना मुहावरे का ‌‌‌पर कहानी ||  jaan hatheli par rakhna story on idiom in Hindi

‌‌‌कुछ समय पहले की बात है एक गाव मे मनोज नाम का एक लडका रहता था उसके घर मे ‌‌‌उसके पिता के अलावा और कोई भी नही ‌‌‌रहता था। उसकी माँ की मुत्यु उसके बच्पन मे ही हो गई उसकी माँ एक आतकंवादी के हाथो से माँरी गई थी । मनोज के पिता ने ही उसे पाल पोस कर बडा किया और पडाया लिखाया था ।

उसका पिता चहाता था की वह ‌‌‌फोजी बने और अपने देश की सेवा करने मे लगा रहे। मनोज जब बडा हुआ तो उसके पिता ने कहा की बेटा तुम्हे फोजी बनना है और इस देश की हिफाजत करनी है इसी कारण मेने तुम्हे इतना पडाया है। उस समय गाव मे विधालय थी नही और वह पास के गाव मे जाकर 12 वी कक्षा पास की थी ।

जब वह 12 कक्षा पास कर लि तो उसे पिता ‌‌‌ने उसे आगे न पडाकर तैयारी करने को कहा । अपने पिता की बात मानकर मनोज दिन व रात फोजी बनने के लिए तैयारी ‌‌‌लगा था । इस तरह की तैयारी कभी भी उस गाव के लोगो मे से नही की थी । उसकी इस लगन को देखकर उसके पिता को पुरा विश्वास हो गया था कि यह फोजी तो बनकर ही रहेगा और अपने देश के लिए जिएगा ।

‌‌‌जब उसने पेपर ‌‌‌पार कर लिया ‌‌‌तब उसके पिता को पुरा विश्वास हो गया था की वह नोकरी पक्का लग जाएगा और उसे तैयारी कराता रहा । पर जब उसके शरीर की जांच हुई तो पता चला की इसकी आंखो मे व कोई अन्य कमी है जिसके कारण वह नोकरी नही लग सका ।जब उसके पिता को पता चला की वह नोकरी नही लगेगा तो उसके पिता बहुत ही ‌‌‌उदास हो गए ।

तब उसके बेटे ने कहा की पिताजी आप यही तो चहाते थे की ‌‌‌मै देश की सेवा करु तो आप उदास मत ‌‌‌होओ मै अभी भी अपने देश की सेवा कर सकता हूं । तब उसके पिता ने कहा की कैसे मनोज ने अपने पित को जबाब देते हुए कहा की अपने गाव के लोगो ‌‌‌पर जब भी कोई मुसीबत आएगी तो मै इनकी सेवा करुगा और धीरे धीरे ‌‌‌अन्य गावो मे भी सेवा करने मे पहुचुगा ।

हमारे यहा पर जब भी आग लगती है तो वे लोग अंदर ही मर जाते है उन्हे कोई भी नही बचाता है तो मै उन लोगो को बचाउगा ।इसी ‌‌‌सोच के साथ उसने एक वर्ष तक अन्य काम किया और पैसे इखटे किए और अगले ही वर्ष उसने आग भुजाने की गाडी खरीद कर ले आया था।

उसके इस काम मे उसके दोस्तो ने ‌‌‌भी पुरा साथ दिया ।अब  जब भी उनके गाव मे कही आग लगती तो वे लोग भुजाने के लिए चले जाते थे । उनके इस काम को देखकर गाव के लोग उन्हे आग भुजाने के लिए रुपये भी देने लगे जिससे ‌‌‌उन्होने एक दुकान खोली । ‌‌‌उस दुकान मे एक फोन रख लिया ताकी जब भी कही आग लगे हमे फोन कर कर बता सके । धीरे धीरे आस पास के गावो के लोग भी मनोज को आग भुजाने के लिए बुलाने लगे थे ।

उसके चार दोस्त थे और ‌‌‌सभी आग भुजाने मे उसकी साहयता भी करते थे । आग लगने के कारण जो भी लोग अपने घर से बाहर नही निकल सके वही पर फस गए उन्हे भी मनोज व उसके साथी अपनी जान हथेली पर लेकर बचाते थे । उनके इस काम को देखकर लोग उन्हे बहुत आदर देने ‌‌‌लगे ।

गाव के लोग भी आपस मे बात करने लगे थे की मनोज व उसके चारो दोस्त अपनी जान ‌‌‌अपनी जान की परवा न कर कर दुसरो को बचाते है । जिस तरह से एक फोजी अपने देश की सेवा करता है उसी तरह से वह भी अपने देश की सेवा करता है। एक बार पास के गाव मे आग लग गई थी तो मनोज व उसके दोस्त आग भुजाने के लिए गए हुए थे ।

वहा पर अनेक लोग घरो मे ही फस गए थे । तभी मनोज व उसके दोस्त सभी ‌‌‌लागो को बचाने के लिए आग मे कुद पडे थे । लोगो को बचाते समय उनमे से किसी एक का हाथ जल गया था । फिर भी वे लोगो को बचाने से पिछे नही हठे ।

जान हथेली पर रखना मुहावरे का ‌‌‌पर कहानी

जब सभी लोगो को बचाकर बहार ले आए तब लोगो ने कहा की इसे कहते है अपनी जान हथेली पर ‌‌‌रखना ये लोग अपनी परवा न कर कर हमे बचाते है । ये कोई फोजी से कम नही है। इस तरह ‌‌‌से आप इस कहानी से मझ गए होगे की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

जान हथेली पर रखना मुहावरे का ‌‌‌पर निबंध || jaan hatheli par rakhna essay on idioms in Hindi

साथियो आज के जमाने मे सबको अपनी ही फिकर रहती है कोई भी दुसरो के बारे मे नही सोचते है । उनको तो अपने सिवा किसी से कुछ नही लेना देना । पर कुछ लोग ऐसे होते है जो अपनी जान भी गवाकर दुसरो को बचाते है । जैसे एक फोजी अपनी जान गवाकर अपने देश को बचाता है ।

‌‌‌इसी तरहे के कुछ लोग अपने गाव शहर मे भी होते है । जो अपनी परवा न कर कर दुसरो को बचाने मे लग जाते है । ऐसे लोग तो तैयार ही रहते है की कब उन्हे दुसरो को बचाने का मोका मिले । इस तरह के लोग यह नही सोचते की हमे कुछ हो गया तो क्या होगा । हमारी ही जान हमे बचानी चाहिए।

‌‌‌ऐसे लोगो को इस बात से कोई लेना देना नही होता की अगर हम मर गए तो हमारे ‌‌‌परिवार का क्या होगा । अपनी जान भी ‌‌‌गिरवी रख देते दुसरो के लिए । जिस तरह से आग लगने पर कोई भी आग मे जल रहे लोगो को नही बचाता पर एक फायरमेन लोगो को बचाता है । ‌‌‌वह अपनी जान हथेली पर रख कर दुसरो को बचाने मे लग जाता है । इस तरह से आप समझ गए होगे की जान हथेली पर लखना मुहावरे का अर्थ क्या है ।

जान हथेली पर रखना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of jaan hatheli par rakhna in Hindi

दोस्तो आपको पता है की अगर कोई व्यक्ति अपने प्राणो की फिकर नही करता है तो उसके लिए ऐसा कहा जाता है की वह अपनी जान को हथेली पर रख कर आगे बढ रहा है या जीवन जी रहा है । तो आप समझ सकते है की इस मुहावरे का अर्थ जो होता है वह प्राणो की ‌‌‌फिकर या परवाह न करना ‌‌‌होता है ।

मगर यह केवल कहने तक ही सही लगता है क्योकी जीवन में बहुत से लोग ऐसे है जो की अपनी जान की काफी फिकर करते है । यानि उनको प्राण निकल जाने के कारण से डर लगता है जिसके कारण से वे कभी भी ऐसा काम नही करते है जिसके कारण से उन्हे लगे की उनकी जान को किस तरह की समस्या हो जाए ।

‌‌‌कुल मिलाकर कहना यह चाहते है की आज के युग में बहुत से ऐसे लोग है जो कील प्राणो की फिकर करते है । मगर कुछ ऐसे भी लोग होते है जिनको अपने प्राणो की किसी तरह की फिकर नही होती है जैसे इंडियन आर्मी ।
तो इस तरह से जो होता है जिसे प्राणो की फिकर नही होती है उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया ‌‌‌जाता है ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।