पहाड़ टूट पड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पहाड़ टूट पड़ना मुहावरे का अर्थ pahaad toot padana muhaavare ka arth – अचानक बहुत बडी विपत्ति आना ।

दोस्तो आज के इस संसार मे ऐसा कोई भी नही है जिस पर दुख का साया न हो । ‌‌‌मगर कुछ लोगो का दुख तो देखा हुआ भी नही होता है पर जब इन लोगो के पर अचानक बहुत बडी विपत्ति ‌‌‌आ जाती है जिससे उनका कार्य नष्ट हो जाता है जैसे किसी के पास मान लो कंपनी है और अचानक वह कंपनी बंद हो गई तो इसे ही पहाड टुटना कहते है ‌‌‌जिसका अर्थ होता है मुसीबत आना ।

पहाड़ टूट पड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पहाड़ टूट पड़ना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग  || pahaad toot padana use of idioms in sentences in Hindi

  • रमेश बाबू को जब पता चला की उसकी कंपनी बंद हो गई तो मानो उस पर दुख का पहाड टूट पडा हो ।
  • गाव मे बाढ आ गई और सभी के घर पानी ‌‌‌के साथ बह गए ‌‌‌तब मानो गाव के लोगो पर दुखो का पहडा टूट पडा हो ।
  • राम पर इतने दुखो का पहाड टूट ‌‌‌पडे है की अब वह सुख होता क्या है भुल गया ।
  • महावीर प्रसाद की दुकान मे जब चौरी हो गई तब उसे ‌‌‌पता चला की दुखो का पहाड टूटना किसे कहते है ।

class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">पहाड़ टूट पड़ना मुहावरे पर कहानी ||  pahaad toot padana story on idiom in Hindi

एक समय की बात है महावीर नाम का एक आदमी अपने भाई के साथ अपने गव मे रहाता था । ‌‌‌वह दिन व रात काम कर कर अपना पेट ही भर पाता था । जब वर्षा होती तो महावीर और उसका भाई अपने गाव मे खेती कर कर अपना पेट भरते थे ।

इसी तरह से वे अपना ‌‌‌कार्य करते रहते थे । एक दिन महावीर का भाई बिमार हो गया था उस दिन से उनके बुरे दिन या फिर ऐसे कह सकते है उन पर दुखो का पहाड टुट पडा था । जब बिमारी को ठिक कराने के लिए वह शहर गया तो उसे पता चला कि इसके इलाज के लिए बहुत रुपयो की जरुरत पडेगी ।

इस कारण वह अपने गाव मे आकर कुछ रुपये उधार लेने के ‌‌‌गाव के सेठ के पास गया । ‌‌‌सेठ के पास जाकर उसने कुछ अधार रुपय मागे तब सेठ ने उससे कहा की मै तुम पर कैसे यकिन कर लू की तुम पैसे वापस दे दोगे । तब महावीर ने कहा की सेठ जी आप मेरा यकिन कर सकते हो । महावीर की बात सुनकर सेठ ने कहा की तुम्हे कुछ गिरवी रखना होगा तभी तुम्हे मै पैसे दे सकता हूं ।

यह सुनकर महावीर ने कहा की मेरे पास तो घर और ‌‌‌खेत के अलावा और ‌‌‌कुछ भी नही है मै ‌‌‌गिरवी क्या सकता हूं । सेठ को पता था की इसे पैसे ‌‌‌तो लेने ही पडेगे तब सेठ ने उससे कहा की अपने खेत को मेरे पास गिरवी रखना होगा । अगर तुम्हे ‌‌‌मन्जुर है तो तुम अपने खेत के कागजात लेकर आ जाओ ।

सेठ की बात सुनकर महावीर सोचने लगा ‌‌‌कि सेठ को खेत के कागजात देगे तभी यह पैसे देगा और तभी मेरा भाई ठिक होगा । तब महावीर ‌‌‌ने अपने घर ‌‌‌से खेत के कागजात लाकर सेठ को दे ‌‌‌दिए । और सेठ ने उसे ‌‌‌जितने रुपय मागे थे वह दे दिए और सेठ ने कहा की अगर तुम एक वर्ष के अंदर मेरे पैसे नही दे सके तो मै तुम्हारा खेत अपना बना लूगा ।

महावीर ‌‌‌सेठ की बात सुनकर अपने भाई को ठिक कराने के लिए शहर चला गया और अपने भाई का इलाज कराकर अपने गाव मे आ गया था इतने दिनो तक महावीर अपने गाव से बहार रहा था और जब तक उसका भाई पुरी तरह से ठिक नही होगया था तब तक वह अपने खेतो मे भी नही गया ।

उस समय महावीर ‌‌‌के खेत मे फसल खडी थी जो पशु चर गए थे यानि उसके खेत मे जो फसल थी उसे ‌‌‌पशु‌‌‌ओ ने पुरी तरह से नष्ट कर दि थी । जब उसका भाई ठिक हो गया तो उसके भाई ने कहा की भया हमने खेत मे फसल बोई थी तुम उसे ‌‌‌सम्भाल कर आए थे क्या । तब जाकर महावीर को याद आया की उसके खेत मे फसल थी।

तभी वह अपने खेत के लिए रखना हो गया था जब वह अपने खेत मे ‌‌‌गया तब उसने देखा की ‌‌‌उसकी फसल पशु नष्ट कर चुके है ‌‌‌। यह देखकर उसे बहुत ही दुख हुआ और साथ ही अपने आप पर घुस्सा आया क्योकी वह ही इतने दिनो तक अपने खेत मे नही आया था । जब ‌‌‌उसने घर जाकर अपने भाई को बताया कि फसल नष्ट हो गई है तो मानो उन पर दुखो का पहाड टूट पडा ।

फसल नष्ट हो जाने पर महावीर तो दुख मे था और साथ ही यह भी सोच रहा था की अगर वह सेठ को पैसे वापास नही दे सका तो सेठ उसके खेत पर कब्जा कर लेगा । तभी महावीर ने सोचा की अब दिन व रात एक कर कर पैसे इकखटे करने होगे । अभी भी बहुत समय पडा था पैसे चुकाने मे पर वह अकेला इतना रुपय कमा भी नही सकता था ।

वह ‌‌‌काम करने के लिए अपने गाव मे गया पर उसे वहा पर काम नही मिल सका था । गाव मे काम नही मिलने पर उसने सोचा की क्यो न शहर मे काम ‌‌‌ढूंढ ले तो वहा पर मिल जाएगा । यह सोचकर महावीर शहर मे काम करने के लिए चला गया था ।

पहाड़ टूट पड़ना मुहावरे पर कहानी

शहर जाकर ‌‌‌वह काम की तलास मे इधर उधर भटकने लगा पर उसे वहा पर भी काम नही मिल रहा था । फिर ‌‌‌एक दिन उसे शहर मे काम मिल गया पर जब वह काम कर कर वापस अपने गाव मे आया तो सेठ का दिया हुआ काम समाप्त हो गया और सेठ ने उसके खेत को अपना खेत बना लिया था ।

महावीर ने बहुत कोशिश की की सेठ उकसा खेत उसे वापस दे दे पर उस समय भी उसके पास सेठ के पुरे रुपय नही थे । इस कारण सेठ ने उसे खेत वापस नही ‌‌‌दिया । इस तरह से महावीर व उसके भाई पर दुखो का पहाड टूटता रहा । इस तरह से आप इस मुहावरे का अर्थ इस कहानी से समझ गए होगे ।

पहाड़ टूट पड़ना मुहावरे पर निबंध || pahaad toot padana essay on idioms in Hindi

‌‌‌साथियो आज इस संसार मे ज्यादातर लोगो के पास पैसे है और वे लोग अपना जीवन आन्नद के साथ बिताते है पर उन लोगो पर भी कभी मुसीबत आ जाती है जिनके कारण उनका बहुत बडा नुकसान होने लगता है । ठिक इसी तरह से हर किसी पर मुसीबत आ जाती है और फिर वह लम्बे समय तक आती ही रहते है। ‌‌‌इन मुसीबतो के आने को ही पहाड टूटना कहते है।

‌‌‌इस संसार मे ऐसे अनेक लोग है या फिर ऐसे कह सकते है की हर किसी पर कभी न कभी मुसीबत आती है । जिसके कारण ही उन्हे अपनो का पता चलता है । कहने का अर्थ है की विपत्ति आना भी कोई दुख की बात नही है । उस समय हमे अपने और पराये का पता चलता है । आज के समय मे हम ऐसे लोगो के बारे मे ऐसे ही नही बता ‌‌‌सकते है ।

जब हम पर दुखो का पहड टूटता है तभी हमे मसीबतो से लडने के बारे मे पता चलता है । उस समय हमारा सब कुछ नष्ट हो सकता है । जिस तरह से एक बिजनेस करने वाले को उसमे नुकसान हो जाता है और उसे अपना काम बंद करना पडता है तब लोग उसे कहते है की इस समय तुम पर दुखो का पहाड टूट रहा है पर तुम हिम्मत मत ‌‌‌हारना । पहाड टूटना मुहावरे का सरल भाषा मे अर्थ है विपत्ति आना ।

पहाड़ टूट पड़ना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of pahaad toot padana in Hindi

दोस्तो आप इस मुहावरे के कारण से ही इसके अर्थ को काफी आसानी से समझ सकते है । दरसल आपको पता है की पहाड़ किसे कहा जाता है और यह कितना बड़ा होता है । तो अगर पहाड़ अपने आप टूटने लग जाता है तो इसके पत्थर जो होते है वे धुल के कण की तरह निचे की और आने लग जाते है जिसके कारण से यह दूर तक जा सकते है । इतना ही नही बल्की आस पास अगर कोई रहता है या आस पास कोई शहर है तो वहां पर काफी बड़ी विपत्ति आ जाती है और लोगो को इसके बारे में कुछ पता नही होता है इस कारण से उन्हे यही लगता है की यह कैसी अचानक विपत्ती आ गई  ।

मगर अब लोग इस वि​पत्ती से कैसे निकलगे यह उनकी सोच होती है और यह उनको ही करना होता है । मगर जब कभी ऐसी अचानक वि​पत्ति आती है तो यह पहाड़ टूट पड़ने के बराबर ही होती है ओर यही कारण है की इस मुहावरे का तात्पर्य अचानक बहुत बडी विपत्ति आना होता है।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।