नौ दिन चले अढ़ाई कोस का मतलब और वाक्य में प्रयोग व कहानी

नौ दिन चले अढ़ाई कोस मुहावरे का अर्थ nau din chale adhai kos muhavare ka arth – अत्यंत धीमी गति से काम करना

दोस्तो एक व्यक्ति जब चल कर कही जाता है तो वह कुछ समय मे बहुत दूरी तय करता है और इसी तरह अगर वह व्यक्ति नो दिनो तक चलता ही रहता है तब वह व्यक्ति काफी अधिक दूरी ‌‌‌तय कर लेता है ।

मगर जब कोई व्यक्ति नो दिनो तक लगातार चलने पर वह ढाई कोस ही पहुंच पाता है तो वह व्यक्ति बहुत ही धीमी गति से चल रहा था । इसी तरह से धिमी या मंद गति से जब कोई कार्य किया जाता है तब इसे नो दिन चले अढाई कोस कहा जाता है ।

नौ दिन चले अढ़ाई कोस का मतलब और वाक्य में प्रयोग व कहानी

9 दिन चले अढ़ाई कोस मुहावरे का ‌‌‌वाक्य में प्रयोग no din chale adhai kos muhavare ka vakya mein prayog

  • रामकिसन तुम्हारा बेटा तो बडी ही अच्छी तरह से काम कर रहा है नो दिन चले अढाई कोस ।
  • कल तुम पेपर देने के लिए जा रहे हो और अभी तक कुछ भी याद नही किया यह तो वही बात हो गई नो दिन चले अढाई कोस ।
  • प्रकाश तुमने कैसे आदमी को काम दिया है अभी नो दिन हो गए और मकान की नीम ही भर ‌‌‌पाई है यह तो वही बात हुई नो दिन चले अढ़ाई कोस ।
  • तुमको चार दिन हो गए इसी काम को करने मे परन्तु अभी तक थोडा सा काम किया है सच है नो दिन चले अढ़ाई कोस ।
  • ‌‌‌भाई हमे बहुत भुख लगी है तुम्हे चार घण्टे बित गए रोटिया बनाते हुए यह तो वही बात हुई नो दिन चले अढ़ाई कोस ।
  • पुराराम बडा ही नेक आदमी है तभी तुम उसके यहां छोटे से काम में बहुत अधिक समय लगाते हो ‌‌‌सच नो दिन चले अढ़ाई कोस ।
  • महेश काम तो मैं तुम्हे दिला सकता हूं परन्त वहां नो दिन चले अढ़ाई कोस ‌‌‌वाली बात नही चलेगी ।

नो दिन चले अढ़ाई कोस मुहावरे पर कहानी nau din chale adhai kos muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक धनपतराय नाम का आदमी रहा करता था । नाम के अनुसार धनपतराय के पास बहुत अधिक धन था । धनपतराय एक सरकारी ठेकेदार था जिसके कारण से वह सराकरी तरीके से ‌‌‌काम किया करता था ।

धनपतराय हर वह काम करता था जो एक ठेकेदार करता है । यानि वह मकान बनाने से लेकर रोड बनाने तक सभी प्रकार के काम किया करता था । मगर वह जब भी इन कामों को करता तो उनमे समय बहुत लगता था । क्योकी समय अधिक लगने पर ही उसे बहुत अधिक पैसे मिल पाते थे ।

इसी तरह से एक बार धनपतराय अपने ‌‌‌गाव के पास के गाव मे स्कुल बनाने के लिए गया हुआ था । उस समय विधालय इतना बडा नही हुआ करता था । उसमे दो चार कमरे ही हुआ करते थे । इस कारण से धनपतराय को भी चार कमरे बनाने का ऑर्डर मिला था।

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क्योकी अगर उन चार कमरो को बनाने मे जितना भी ‌‌‌अधिक समय लगता है तो धनपतराय ‌‌‌को सराकार उतना ही अधिक पैसा ‌‌‌देगी । इस बात के बारे मे धनपतराय को पता था । जिसके कारण से वह रोजाना काम करने के लिए जाता परन्तु जहां उसे आठ बजे जाना चाहिए था वहां पर धनपतराय काम करने के लिए दस बजे जाता था ।

 यानि वह कार्य तो करता परन्तु उसे बहुत ही धिमी गति से कर रहा था । इस तरह से उसने एक मकान बनाने मे 15 दिन लगा दिए थे । क्योकी सराकर कभी भी अपने कार्य को देखने के लिए नही आती थी जिसके कारण से फिर धनपतराय ने इसी तरह से कार्य किया ।

यानि उसने उन चार मकान को बनाने मे पूरे दो महिने लगा दिए । जिससे सरकार की तरफ से उसे दो महिने के पैसे मिल गए थे । अब सरकार के एक ‌‌‌अधिकारी को इस बारे मे सक हो गया की ‌‌‌धनपतराय चार मकानो मे दो महिने कैसे लगा सकता है ।

यानि उसे समझ मे आ रहा था की धनपतराय बहुत ही ढील बरत कर काम करा रहा है । ताकी सरकार से ज्यादा से ज्यादा पैसा लूट सके । इस बारे मे सबुतो के साथ धनपतराय ‌‌‌को पकडने के लिए उस ‌‌‌अधिकारी ने फिर से धनपतराय को उसी गाव मे दो मकान बनाने ‌‌‌को और दिए ।

क्योकी ‌‌‌धनपतराय को आदत पड गई थी इसी तरह से काम करने की । जिसके कारण से वह इसी तरह से काम कर रहा था । अब इस तरह से काम करते हुए उसे 10 दिन बित गए । तब तक उसने दो मकानो की नीम ही भरी थी । तभी अचानक एक दिन सुबह सुबह वह अधिकारी धनपतराय का कम देखने के लिए उस गाव मे ‌‌‌चला गया ।

तब उस अधिकारी ने देखा की ‌‌‌धनपतराय सुबह दस बजे काम करने के लिए आता है । साथ ही उसने देखा की इसने दस दिनो मे बहुत ही थोडा काम किया है । यह देख कर वह समझ गया की यह सच मे सरकार को लूट रहा है । यह जान कर उस अधिकारी ने धनपतराय पर कैस फाईल बना ली ।

‌‌‌कैस फाईल बन जाने के कारण से धनपतराय को अधिकारीयो के सामने सबुत देने पडे की दस दिनो तक उसने केवल नीम ही भरी है । इतना थोडा काम क्यो कर राह है । तब वह बहाने बना कर उससे निकलने की कोशिश कर रहा था । परन्तु तभी उसके पिछले कार्यो के बारे मे सब को पता चला की उसने दो महिनो मे केवल चार मकान बनाए ‌‌‌थे ।

यह जान कर सभी अधिकारी समझ गए की यह सरकार को लूट रहा है । इस कारण से अधिकारीयों ने धनपतराय से कहा की तुम्हारे कार्यो को देख कर लग रहा है की 9 दिन चले अढ़ाई कोस । इतना कह कर उन अधिकारीयो ने धनपतराय का लाईसेंस रद कर दिया ।

जिसके कारण से फिर वह कभी भी सरकारी कार्य नही कर सका । ‌‌‌साथ ही इस तरह से सरकार को लूटने के लिए धनपतराय पर 4 लाख का जुर्माना भी लग गया । जिससे धनपतराय ने जीतने पैसे सरकार को बेवकुफ बना कर लिए थे उससे ज्यादा लग गए थे ।

नो दिन चले अढ़ाई कोस मुहावरे पर कहानी nau din chale adhai kos muhavare par kahani

जब इस बारे ‌‌‌मे गाव के लोगो को पता चला तो वे भी कहने लगे की अगर इसी तरह से नो दिन चले अढ़ाई कोस करेगा तो यही होगा । इस तरह से फिर धनपतराय अपने सारे जीवन मे सराकरी काम नही कर सका और फिर उसे कुछ अन्य कार्य कर कर ही अपना जीवन गुजारना पडा । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस कहानी का अर्थ क्या होता है ।

‌‌‌नौ दिन चले अढ़ाई कोस मुहावरे पर निबंध nau din chale adhai kos muhavare par nibandh

साथियो आज के समय मे जो व्यक्ति समय के साथ चल कर अपना कार्य जल्दी जल्दी करता है । वह अपने जीवन मे बहुत अधिक ‌‌‌लाभ अर्जीत कर पाता है । मगर जो व्यक्ति आलसी बन जाता है और अपने शरीर को कुछ कष्ट नही देना चाहता तो वह हर कार्य को मंद गति से करता है । ‌‌‌

चाहे फिर वह कोई भी कार्य क्यो न हो । आपने सुना है की कच्छवा एक ऐसा प्रणी है जो बहुत ही धीमी गति से चलता है । परन्तु वह लगातार चलता ही रहता है यानि उससे जीतना होता है वह प्रयास करता है ।

मगर खरगोश जो कच्छवे की तुलना मे काफी अधिक गति से चलने के बाद भी आलसी बन कर धिरे धिरे चलता है और समय ‌‌‌के साथ वह अपनी दुरी नही तय कर पता है और वह कच्छवे से हार जाता है । यहां पर मैं यह बताना चाहता हूं की खरगोस की तरह जब कोई व्यक्ति धीमी या मंद गति से कोई काम करता है तब इसे नो दिन चले अढ़ाई कोस कहा जाता है ।क्योकी वह अपने काम मे ढिल बरत देता है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ सिधा ‌‌‌साधा है और आपको इस बारे मे पता चल गया होगा ।

नौ दिन चले अढ़ाई कोस मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of nau din chale adhai kos in Hindi

दोस्तो अगर आप भगवान को मानते है तो आपको पता है की बहुत से लोग है जो की भगवान के दर्शन करने के लिए यात्रा पर जाते रहते है । जैसे की तिर्थ यात्रा का नाम आपने सुना होगा जिसमें लोग यात्रा करने के लिए जाते है ।

हालाकी आज के समय में तो वाहन की मदद से यात्रा की जाती है मगर पहले के समय में ऐसा नही होता था बल्की पहले पैदल ही यात्रा की जाती थी । मगर वर्तमान में भी बहुत से ऐसे स्थान है जहां पर लोग जाने के लिए पैदल यात्रा करते है ।

और आपने अगर कभी किसी भी स्थान की पैदल यात्रा की है तो आपको पता होगा की 9 दिन लगातार चलने के कारण से हम काफी दुरी तय कर सकते है । और यह दूरी करीब 450 किलोमिटर से भी ज्यादा हो सकती है । क्योकी केवल ढाई कोश चलने की बात हो रही है और आपको बता दे की 1कोस मे 3.2 किलो मीटर होता है तो इस तरह से कुल 9 किलोमिटर ढाई कोस का होता है ।

तो अगर आप 9 दिन में केवल 9 ही किलोमिटर चलते है तो इसका मतलब है की आपने काफी कम दूरी तय की है और इसका मतलब है की आपने काफी धिमी गती से काम किया है । इसी बात से आप समझ ले की nau din chale adhai kos muhavare ka arth – अत्यंत धीमी गति से काम करना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।