लातों के भूत बातों से नहीं मानते का मतलब और कहानी

लातों के भूत बातों से नहीं मानते मुहावरे का अर्थ laaton ke bhoot baaton se nahi mante muhavare ka arth – दुष्ट व्यक्तियों को दंड की भाषा समझ मे आती है

दोस्तो आपने सुना होगा की जो भी कोई बुरा काम करता है तो वह अपने काम के अपराध को स्वीकार नही करता जैसे चोर अपना अपराध आसानी से स्वीकार नही ‌‌‌करता है। पर जब उसे पुलिस के डंडे पडने लगते है तो वह आखिर मे अपना अपराध स्वीकार कर ही लेते है ।

इस तरह से जो व्यक्ति दुष्ट होते है, जो बुरे कार्य करते है, तो ऐसे व्यक्तियों को बातो से समझाने पर उन्हे कुछ नही समझ मे आता मरग जब उन्हे दंड दिया जाता है तो वे हर एक बात को समझ जाते है और ‌‌‌अपना जुर्म कबूल कर लेते है ।

इस तरह से कह सकते है की दुष्ट व्यक्तियो को दंड की भाषा समझ मे आती है । तब इस तरह के व्यक्तियो के लिए ही इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

लातो के भूत बातो से नही मानते का वाक्य मे प्रयोग laaton ke bhoot baaton se nahi mante ka vakya me prayog

  • जब कोई समझाने पर भी न समझे तो उसे दंड देना ही पडता है क्योकी लातों ‌‌‌के भूत बातो से नही मानते ।
  • खूनी अपना अपराध स्वीकार नही कर रहा था तो पुलिस ने उसे बहुत पिटा जिसके कारण खूनी ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया । तब पुलिस को समझ मे आ गया की लातो के भूत बातो से नही मानते ।
  • रामलाल ने चोरी की थी यह सब ने देखा पर रामलाल यह मानने को तैयार ही नही की ‌‌‌उसने चोरी की थी ‌‌‌यह तो लातो का भूत है जो बातो से नही मानता ।
  • पिताजी के सामने बड चड कर बोल रहे रमेश को जब पिता ने पिटा तब वह जाकर शांत हो ‌‌‌सका यही है लातो के भूत बातो से नही मानते ।
  • सेठ को पता था की लातो के भूत बातो से नही मानते इस कारण से चोर को जुर्म कबुल कराने के लिए सेठ ने उसे पिटवा दिया ।
  • किसन के साथ बातचीत करने से कुछ नही होगा क्योकी लातो के भूत बातो से नही मानते ।
  • पुलिस के आते ही सारे डाकू रफुचकर हो गए क्योकी उन्हे पता था की पुलिस उन्हे पकड कर ‌‌‌पिटेगी सच कहा है लातो के भूत बातो से नही मानते ।

‌‌‌लातो के भूत बातो से नही मानते पर कहानी laaton ke bhoot baaton se nahi mante par kahanis

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे हजारी नाम का एक आदमी रहता था। जिसके पास धन दोलत की कोई कमी नही थी । वह गाव का सबसे बडा अमीर आदमी था । इस कारण से गाव के लोग भी उससे मदद मागते थे ।

पर हजारी मदद के नाम पर लोगो को ही ठगता रहता था । इसी तरह से एक बार की बात ‌‌‌है । उसी गाव मे रामलाल नाम का एक सिधा साधा आदमी रहा करता था । जिसके घर मे उसकी पत्नी और उसके दो बेटे रहा करते थे ।

रामलाल के लडके बहुत ही हट्ठे कट्ठे थे । पर वे भी अपने पिता की तरह बहुत ही नरम स्वभाव के थे । वे किसी के साथ भी झगडा नही करते थे । इस तरह से उनकी शराफत पूरे गाव मे छाई रहती थी । ‌‌‌रामलाल के पास भी धन की कोई कमी नही थी ।

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वह भी गाव के धनवान लोगो मे से एक था । हजारी को रामलाल का अमीर होना पंसद नही करते थे क्योकी लोग उसकी और रामलाल की तुलना कर कर ‌‌‌उसे को बुरा बाताते थे ।

इस कारण से हजारी सोचता रहता की अगर किसी तरह से रामलाल के पास जो जायदाद है उसे लूट लिया जाए तो वह ‌‌‌मेरी बराबरी नही करेगा और लोग भी उसकी मेरे साथ तुलना नही करेगे ।

इसी सोच के साथ हजारी मोके की तलाश मे था और एक दिन उसे मोका मिल गया । क्योकी रामलाल अपने बेटो की शादी कर रहा था इस कारण से उसे कुछ धन की और जरूरत पडी थी । तब हजारी ने उसे धन लेने को कहा ।

तब रामलाल ने बिना सोचे समझे धन ले लिया ‌‌‌लिया और अपने बेटो की शादी करवा दी थी । रामलाल को पता नही था की हजारी उसे धन देकर लूटना चाहता है । ‌‌‌उसके के बेटो का विवाह हो जाने के कारण से कुछ महिनो मे उन्होने हजारी के पैसे लोटा दिए ।

तब हजारी ने कहा की मैंने पैसे इतना नही दिया था मैंने तो बहुत अधिक दिया था। इस तरह से हजारी झुठ बोल ‌‌‌ ‌‌‌कर रामलाल से झगडा करने गला था । तब रामलाल ने कहा की तुमने तो इतना ही दिया था जितना मैंने तुम्हे दे दिया अब ज्याद झुठ बोलने से कोई फायदा नही होगा ।

इस तरह से फिर हजारी ने कहा की पहले तो पैसे ले लेते हो और जब देते हो तो पूरे नही देते साथ ही कहा की अगर पैसे नही मिले तो मैं तुम्हे देख लूगा । इस ‌‌‌तरह से हजारी रामलाल को धमकी देने लगा था ।

तब रामलाल ने कहा की तुमने स्वयं ही पैसे दिए थे मैंने तो मागे भी नही थे और अब तुम ऐसे कह रहे हो । इस तरह  से फिर रामलाल अपने घर चला गया । अगले ही दिन इसी बात को लेकर हजारी ले कुछ किराय के गुंडो के साथ रामलाल के खेत पर ‌‌‌कब्जा कर लिया ।

जब रामलाल को ‌‌‌इस बारे मे पता चला तो वह अपने बेटो के साथ जाकर उसे समझाने लगा की ऐसे नही करते मैने तो तुम्हे पैसे पूरे दिए थे । तब हजारी मानने को तैयार ही नही था की रामलाल ने उसे पैसे पूरे दिए । इस तरह से वहा पर फिर कुछ लोग आकर एक दुसरे का पक्ष लेकर एक दुसरे को गलत ठैराने लगे थे ।

इस तरह से काफी समय तक बहस चली पर ‌‌‌हजारी नही माना । तब अंत मे रामलाल थक गया और उसने अपने बेटो का कहा की बेटा यह तो मानने को तैयार ही नही है । तब रामलाल को उसके बेटो ने कहा की पिताजी लातो के भूत बातो से नही मानते ।

यह बात रामलाल को समझ में आ गई इस कारण से रामलाल ने अपने बेटो से कहा की तो फिर इसका इलाज करना होगा । इस तरह से फिर ‌‌‌रामलाल के बेटो ने मोका देख कर रामलाल के भाडे के गुडो को पीटा और अंत मे हजारी की अच्छी तरह से धुलाई की ।

यह देख हजारी और बाकी गाव के लोग चोक पडे । क्योकी रामलाल और उसके बेटे तो बहुत ही सरल थे और उन्होने हजारी को पिटा । साथ ही हजारी को जब पिटा गया तो वह भी कहने लगा की आपने पैसे दे दिए थे मैंने ‌‌‌जानबुझ कर ऐसा किया था ।

‌‌‌लातो के भूत बातो से नही मानते पर कहानी laaton ke bhoot baaton se nahi mante par kahanis

इस तरह से अंत मे हजारी ने अपना जुर्म ‌‌‌कबूल कर लिया था । तब गाव के लोगो को भी पता चल गया की हजारी कैसा है और सरल लोगो को देख कर उन्हे लूटता है । इस तरह से तब रामलाल ने कहा की ऐसे दुष्ट लोग लातो के भूत होते है जो बातो से नही मानते ।

इस तरह से कहने पर गाव के लोग भी कहने ‌‌‌लगे की आपने सही कहा अगर ये बात से मान जाते तो इन्हे पिटने की भी जरूरी नही पडती । पर ये तो भले लोगो की बात नही मानते है बल्की दंड देने पर ही पता चलता है ।

इस तरह से फिर हजारी ने रामलाल से कभी भी पंगा नही लिया । इस तरह से आपको यह पता चल गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

लातों के भूत बातों से नहीं मानते पर निबंध laaton ke bhoot baaton se nahi mante par nibandh

साथियो दुष्ट या गुनहगार को जब तक पिटा नही जाता तब ताक वह अपना गुनाह ‌‌‌कबूल नही करता है । इसी कारण से आज पुलिस के हाथो मे एक डंडा दिया जाता है । ताकी जो भी ‌‌‌उनके प्रेम की भाषा न समझे उन्हे डंडे की भाषा समझानी पडे ।

इस तरह से जब भी किसी दुष्ट को ‌‌‌लात मारी जाती है तब वह अपने आप की गलती मान ही लेता है। इस तरह से कह सकते है दुष्ट लोग दंड की ही भाषा समझते है ।

लातों के भूत बातों से नहीं मानते मुहावरे तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of laaton ke bhoot baaton se nahi mante in Hindi

दोस्तो अगर आप चोर को यह कहोगे की चोरी करना गलत बात है तो वह कभी मानता तक नही है और यह एक बार नही बल्की कई बार पुलिस के द्वारा कर कर देख लिया गया है । काफी बार पुलिस ने चोरो को पकड़ा और समझाया की चोरी करना गलत बात है फिर से चोरी नही करना है और ऐसे कह कर उन्हे छोड़ दिया गया था ।

मगर फिर भी वे चोरी करते हुए पड़े गए और तब उनको सजा मिली थी और सजा मिलने के बाद में ही चोर कहने लगे की साहब आगे से चोरी नही करेगे । तो पुलिस ने यह देखा की जो दुष्ट होत है उन्हे प्यार भरी बाते समझ में नही आती है बल्की उन्हे दंड देने पर ही समझ में आता है । और यह बात पूरी तरह से सत्य है ।

अब क्योंकी मुहावरा लात खाने वाले व्यक्ति के बारे में बता रहा है की लात खाने वाले कभी बात से मानने वाले नही है बल्की उन्हे लात मारने पर ही समझ में आती है और इसी से समझा जा सकता है की laaton ke bhoot baaton se nahi mante muhavare ka arth – दुष्ट व्यक्तियों को दंड की भाषा समझ मे आती है होता है ।

‌‌‌ऐसे मुहावरों की लिस्ट की लींक निचे दी जा रही है जो बहुत बार अनेक स्थानो पर प्रयोग मे बाती है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।