गर्दन उठाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है और वाक्य में प्रयोग व कहानी

गर्दन उठाना मुहावरे का अर्थ gardan uthana muhavare ka arth — विरोध करना ।

दोस्तो जब अंग्रेजो का राज हुआ करता था तो उनके सामने कोई भी व्यक्ति अपनी गर्दन को उठा तक नही सकता था । मतलब उनके सामने गर्दन को हमेशा झुका कर रखा जाता था । और जो कोई ऐसा नही करता था तो उसका सर कलम कर दिया जाता था । क्योकी माना जाता था की जो गर्दन उठाता है वह असल में अंग्रेजो का विरोध कर रहा है ।

तो उस समय से गर्दन उठाना एक मुहावरा बना हुआ है और जो कोई गर्दन उठाता है तो असल में वह विरोध करता है । तो इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ विरोध करना होता है और जहां पर विरोध करने की बात होती है वही पर इसका वाक्य में प्रयोग किया जाता है।

गर्दन उठाना मुहावरे का अर्थ क्या होता है और वाक्य में प्रयोग व कहानी

गर्दन उठाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग  || gardan uthana use of idioms in sentences in Hindi

1.            अंगेजी रानी के समाने जो भी कोई गर्दन उठाता उसका सर कलम कर दिया जाता ।

2.            आज भारत में कितना भ्रष्टाचार हो रहा है मगर कोई गर्दन उठाने को तैयार नही ।

3.            जब तक इस भ्रष्टाचार के खिलाफ गर्दन उठाई नही जाएगी तब तक यह कम नही होगा ।

4.            जब भारतिय लोगो ने अंग्रेजो के खिलाफ गर्दन उठाई तो सभी को भारत छोड़ कर भागना पड़ा ।

5.            जैसे ही भारतिय नागरिको ने गर्दन उठाई अंग्रेज दूम दबा कर भागने लगे ।

6.            दुष्ट राजा के सामने कोई भी गर्दन उठाने की हिम्मत नही करता था क्योकी जो भी ऐसा करता मारा जाता ।

7.            जलालुद्दीन के सामने जैसे ही ईरान के धार्मिक पाकीर सीदी मौला ने गर्दन उठाई तो उन्हे जलालुद्दीन ने हाथी के पैरों तले कुचलवा दिया ।

8.            अगर राज्य का राजा ही दुष्ट होता है तो भला कौन गर्दन उठाने की जुरअत कर सकता है ।

गर्दन उठाना मुहावरे पर कहानी ||  gardan uthana story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक दुष्ट राजा हुआ करता था जो की पूरे राज्य के लोगो को ही अपना गुलाम बनाए रखना पसंद करता था । राजा इतना अधिक दुष्ट था की लोगो को जैसा कहता था लोगो को वैसा करना ही होता था । अगर कोई ऐसा नही करता था तो उनकी मोत कर दी जाती थी और यही कारण था की जिस राज्य में वह राजा रहता था वहां के सभी लोग राजा से डरते थे और जैसे ही राजा किसी को कुछ कह देता था लोग वैसे ही कर देते थे ।

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 राजा का डर लोगो के अंदर ​इतना अधिक था की कोई भी उनके खिलाम आवाज उठाने की हिम्मत नही कर पाता था । क्योकी सभी को मालूम था की अगर ऐसा किया गया तो उसी दिन उनको मोत के घाट उतार दिया जाएगा । और यही कारण था की कोई भी ऐसा नही कर पाता था । दरसल यह दुष्ट राजा जो था वह ऐसा कई बार कर चुका था ।

एक बार की बात है राजा जो था वह लोगो से बड़े बड़े पत्थरो को मगवाता जा रहा था और लोगो को भेढ बकरियो की तरह काम पर लगा रखा था और सभी को गदहे की तरह काम करना पड़ रहा था और यह सब देख कर एक नोजवन आदमी था उसे काफी गुस्सा आ गया और उसने राजा के खिलाफ गर्दन उठाने की हिम्मत कर ली और राजा को भला बुरा कहने लगा ।

 यह भी कहा की जो राजा होता है वह प्रजा के दुखो को कम करता है न की उनके दूूखो को दूर करता है । और यह सब जब राजा ने सुना तो वह जोर जोर से हंसने लगा जिसकी हंसी का कारण कोई नही जान पाया था । मगर सेनिक समझ गए तुरन्त उस लड़के को पकड लिया गया और उसे पकड़ कर राजा के सामने ले जाया गया ।

 तब राजा ने कहा की इसे पूरे राज्य के बिच में लेकर चलो । वहां पर जाने के बाद में राजा ने उसका सर कलम करवा दिया । जिसे देख कर राजा की पूरी की पूरी प्रजा बहुत ही अधिक डर गई थी । उस दिन के बाद में कोई भी ऐसा नही करता था ।

 मगर जो भी ऐसा करता था उसकी मोत निश्चित होती थी और यही कारण रहा था की राजा के सामने कोई गर्दन उठाने की हिम्मत नही कर पाता था । मगर कहते है की जो लोग दुष्ट होते है प्रजा पर जुर्लम करते है उनकी मोत भी निश्चित होती है । और ऐसा ही हुआ था ।

पास ही के राज्य में एक ठाकुर राजा रहा करता था । जिसे लोग ठाकुरजी कहा करते थे । जब उन्हे यह ज्ञान हुआ की उनके पास के राज्य में लोगो के साथ इस तरह का जुल्म किया जाता है तो ठाकुरजी को काफी गुस्सा आ गयाऔर उन्होने योजना के साथ दुष्ट राजा के राज्य पर हमला कर दिया ।

हमला जो था वह इतना अधिक भयानक था की दुष्ट राजा को समझने का मोका तक नही मिला की क्या किया जाए । क्योकी ठाकुरजी की सेना जो थी वह राज्य के अंदर और यहां तक की राजा को महल के अंदर घुस कर मार दिया था और यह सब होने के कारण से लोग बहुत ही खुशर थे ।

 मगर दुखी भी थे क्योकी वे यह नह जानते थे की आखिर अब इस राज्य का नया राजा जो होगा वह कौन होगा और कैसा होगा । इस कारण से प्रजा जो थी वह ठाकुरजी के सामने सर को झुका कर खड़ी हो गई ।

तब ठाकुरजी ने सभी को हिम्मत देते हुए कहा की अगर तुम सभ यह ठान लो की हमे इस मुसीबत से लड़ना है तो आप सभी कब का इस राजा को मार देते थे । मगर सभी को एक साथ गर्दन उठानी थी । मगर आप ऐसा नही कर पाए और यही कारण रहा था की राजा आप सभी पर इतने समय तक क्रुर व्यवाहर करता रहा था ।

गर्दन उठाना मुहावरे का अर्थ

मगर अब और नही होगा क्योकी राजा मर चुका है और अब यहां पर मेरा भतिजा राजा बनेगा । और इस तरह से ठाकुरजी ने अपने भतिजे को वह राज्य सोप दिया और राजा बना दिया था । उस दिन के बाद में उस प्रजा को बहुत खुशी हुई और वे अपने जीवन को आराम से बिताने लगे थे। वही पर दुष्ट राजा का अंत हो गया था ।

इस तरह से दोस्तो इस कहानी में पता चलता है की जो भी कोई दुष्ट राजा के सामने ​गर्दन उठाने की हिम्मत करता था यानि राजा का विरोध करता था उसका अंत कर दिया जाता था । मगर अंत में उसी दुष्ट राजा की मोत बुरी तरह से होती है ।

तो दोस्तो कहानी से समझ सकते है की गर्दन उठाना मुहावरे का अर्थ विरोध करना होता है ।

दोस्तो अगर कुछ पूछना हो तो कमेंट कर देना ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।