अंधी पीसे कुत्ता खाए मुहावरे का मतलब और वाक्य व कहानी

अंधी पीसे कुत्ता खाए मुहावरे का अर्थ andhe pise kutta khaye muhavare ka arth – परिश्रम करे कोई ओर और उसका लाभ किसी ओर को मिलना

दोस्तो अंधे व्यक्ति ‌‌‌के सामने क्या घट रहा है उसके बारे मे ‌‌‌उसे पता नही चलता है । जिसके कारण से वह जो भी कार्य करता है उसका लाभ कोई आसानी से उठा सकता है। ‌‌‌इसी तरह से जब कोई व्यक्ति परिश्रम करता है और उसका फायदा कोई ओर उठा लेता है तब इसे अंधी पीसे कुत्ता खाए कहा जाता है ।

अंधी पीसे कुत्ता खाए मुहावरे का मतलब और वाक्य व कहानी

अंधी पीसे कुत्ता खाए मुहावरे का वाक्य में प्रयोग andhe pise kutta khaye muhavare ka vakya me prayog

  • जब से रामू मरा है उसकी मां की हालत अंधी पीसे कुत्ता खाए की तरह हो गई है ।
  • पति के मर जाने के कारण से सरला दिन रात काम ‌‌‌करती है और उसके कार्य का फल उसकी बहुएँ उठाने लगी है सच हैं अंधी पीसे कुत्ता खाए ।
  • जब से कुशल ने सेठ की चालाकी मे आकर गलत कागजातो पर दसकत ‌‌‌किय है तब से कुशल जो भी कार्य करता है उसका फल सेठ ही लेता है सच है अंधी पीसे कुत्ता खाए ।
  • दयानन्द ने बडी मुश्किल से अपने खेत मे अजान उगाकर रखा था ‌‌‌जैसे ही फसल पकी तो उधार वाले टपक पडे और उसकी सारी फसल स्वयं ले ली यही है अंधी पीसे कुत्ता खाए ।
  • किसान दिन रात मेहन्त ‌‌‌करता रहता है और बिचोलिय फसल को इकट्ठा कर कर पैसे कमा लेते है सच है अंधी पिसे कुत्ता खाए ।
  • सब्जिवाला रामलाल से दस रूपय किलो के हिसाब से सब्जियां खरीदकर शहर ले जाकर ‌‌‌उस सब्जी को ही 30 रूपय किलो के हिसाब से बेचता है यही हैं अंधी पीसे कुत्ता खाए ।
  • महावीर दिन रात काम करता है और जब पैसे लेकर घर जाता है तो उसका भाई सारे पैसे उससे ले लेता है यही है अंधी पीसे कुत्ता खाए ।
  • तुमने राहुल को बहुत गलत समझ रखा है वह तुम्हे कभी अपनी मेहन्त का पैसा नही देगा क्योकी ‌‌‌वह अंधी पीसे कुत्ता खाए के बारे मे जानता है ।

 अंधा पीसे कुत्ता खाए मुहावरे पर कहानी andhe pise kutta khaye muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है एक बहुत बडा गाव हुआ करता था । गाव के सभी लोगो से एक ही नाम सुनने को मिलता था जो गाव के सेठ का था । क्योकी सेठ बहुत ही नेक दिल्ल था वह गाव के लोगो की मदत करता रहता था । जिसके कारण से ‌‌‌गाव के लोग सेठ को बहुत ही अच्छा मानते थे ।

मगर सेठ बहुत ही बिमार रहा करता था । जिसके कारण से एक दिन उसकी अचानक मोत हो गई । सेठ की मृत्यु के बारे मे जान कर गाव के लोग बहुत ही दुखी हो गए । अब सेठ के घर मे उसकी पत्नी और सेठ के दो भाई और उनकी पत्नियां ही रह गई थी ।

सेठ की पत्नी का नाम सुरेखादेवी ‌‌‌था । सुरेखादेवी भी अपने पति की तरह बहुत ही अच्छी औरत थी । परन्तु सेठ के भाई बहुत ही लालची थे जिसके कारण से उन्होने सेठ का सारा धन अपने कब्जे मे ले लिया ।

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जिसके कारण से सुरेखा के पास अब एक फुटी कोडी तक नही रही । साथ ही सुरेखा घर का सारा काम किया करती थी । जिससे सेठ के भाई और उनकी पत्नियां ‌‌‌ने सुरेखा से घर का काम करवाना शुरू कर दिया था ।

अब सुरेखा दिन रात घर का कार्य करने मे लगी रहती थी । फिर भी उसे खाने को समय पर रोटिया नही मिलती थी । ‌‌‌सुरेखा की इस तरह की हालत देख कर गाव के लोग भी कुछ नही बोलते थे ।

जिसके कारण से सेठ के भाई और उनकी पत्नियां इसी तरह से उससे काम ‌‌‌करवाते रहते थे । और जब सुरेखा से काम नही होने लगा तो उसे घर से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया । जिसके कारण से सुरेखा अब गाव मे इधर उधर भटकने लगी । ‌‌‌

क्योकी कहा जाता है की जो मुसीबत मे होता है उसकी मदत करने के लिए कोई नही आता ‌‌‌है, इसी तरह से सुरेखा के साथ हो रहा था । वह जब भी लोगो से खाने के लिए रोटिया मागती तो कोई भी उसे नही देता था ।

तब सुरेखा यह सोचती थी की मेरे पति ने इनकी कितनी सेवा की थी और आज ये ही गाव के लोग मेरी मदत करने के लिए आगे ‌‌‌नही आ रहे है । यह आखिर इसी तरह से चलता रहा तब सुरेखा गाव के लोगो के घर जाकर थोडा थोडा काम करती और अपना पेट भरने के लिए अनाज लेकर आ जाती थी।

‌‌‌क्योकी सुरेखा के पास रहने के लिए भी स्थान नही था जिससे वह अब गाव के किसी खंडहर मे रहने लगी थी। ‌‌‌जिसके कारण से जो कोई उसे देखता तो पागल कहता था । यहां तक की कोई भी उसके पास तक नही जाता था । सुरेखा जो भी अनाज लोगो के पास ‌‌‌से लेकर आती उसका वह अपने स्थान पर जाकर पत्थर से आटा पिसने लग जाती थी ।

‌‌‌सुरेखा अपना जीवन गुजार रही थी परन्तु दिन दिन बितने के साथ साथ वह आंखो से अंधी हो गई । जिसके कारण से आस पास जो जनवर होते थे उनमे से ही एक कुत्ता उसके पास रहने लगा था । इस बारे मे सुरेखा को पता नही था जिसके कारण से वह कुछ नही कर रही थी । ‌‌‌जिसके कारण से सुरेखा जो ‌‌‌भोजन अपने लिए लेकर आती थी उससे ही वह कुत्ता अपना पेट भरने लगा था ।

इस तरह से एक बार सेठ के भाईयो के पास ‌‌‌शहर से एक आदमी आया । जो सुरेखा के पास से गुजरा तो उसने देखा की सुरेखा आटा पीस रही है और कुत्ता उसे खा रहा है । यह देख कर वह हंसने लगा और सेठ के भाईयो के घर जाकर उन्हे बताने लगा की गाव मे एक औरत आटा पीस रही है और कुत्ता उसे खा रहा है यानि अंधी पीसे कुत्ता खाए

यह सुन कर सेठ के भाई कुछ ‌‌‌नही बोले । परन्तु जब वह आदमी वापस शहर जाने लगा तो इसी तरह से गाव के कुछ लोगो से बात की तो गाव के लोगो ने बताया की वह सेठ की पत्नी है जिनके पास आप अभी जाकर आए थे वह उनकी भाभी है ।

यह सुन कर वह आदमी चोक पडा और मन ही मन सोचने लगा की सेठ के भाई तो बडे ही निर्दय है उन्होने अपनी भाभी की इस तरह की ‌‌‌हालत बना दी है । तब उस आदमी ने गाव के लोगो से कहा की इसका तो दिन बहुत ही खराब चल रहा है अंधी पीसे कुत्ता खाए

 अंधा पीसे कुत्ता खाए मुहावरे पर कहानी andhe pise kutta khaye muhavare par kahani

इतना कह कर वह आदमी तो वहा से चला गया परन्तु फिर पिछे से समय के साथ सुरेखा की मृत्यु हो गई । उसकी मृत्यु हो जाने के बाद मे जब भी गाव के लोग यह देखते की मेहन्त कोई और करता है और ‌‌‌उसका फायदा कोई और पा रहा है । तब अंधी पीसे कुत्ता खाए ही कहा जाने लगा । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस कहानी का अर्थ मुहावरे के अर्थ से किस प्रकार मिलता है ।

अंधी पीसे कुत्ता खाए मुहावरे पर निबंध andhe pise kutta khaye muhavare par nibandh

साथियो उपर दी गई कहानी मे बताया गया की किस तरह से सुरेखा का जीवन बदला और जो वह कार्य ‌‌‌करती उसका फायदा कोई और उठाता था । इसी तरह से जब मनुष्य के जीवन मे किसी कारण से होता है तो इसे अंधी पीसे कुत्ता खाए कहा जाता है ।

क्योकी अंधी का अर्थ है की जिसके आंख न हो यानि जिसे पता न हो वह जो भी कार्य करती है उसका फायदा कोई और उठा लेता है । इस तरह की बात जब कही होती है तब इस मुहावरे का ‌‌‌करते है । इस तरह से आप समझ गए होगे ।

अंधी पीसे कुत्ता खाए मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of andhe pise kutta khaye in Hindi

दोस्तो मुहावरा काफी सिंपल है जिसे समझना आसान है जैसे की आपको पता है की अगर हम रोटिया बना कर खाते है तो इसके लिए अनाज को पिसना होता है तो अगर यह अनाज कोई अंधी महिला पिसती है और इसे खाता कुत्ता है तो यह तो वही हुआ की आप अगर किसी काम को करते हो ओर उसके पैसे किसी को को मिल जाए ।

नही समझे, तो समझे की मान ले की आप एक काम करते है जिसके लिए आपको 500 रूपय दिए जाने है मगर काम पूरा होने पर वह 500 रूपय आपको नही मिलते है बल्की वह आपके भाई या दोस्त को मिल जाते है तो इसका मतलब हुआ की मेहनत आप कर रहे हो और फल किसी ओर को मिल रहा है और यही असल में अंधी और कुत्ते की तरह है।

तो इसी से समझ ले की andhe pise kutta khaye muhavare ka arth – परिश्रम करे कोई ओर और उसका लाभ किसी ओर को मिलना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।