अरमान निकालना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग व कहानी

अरमान निकालना मुहावरे का अर्थ armaan nikala muhavare ka arth – मन की इच्छा पूरी करना या लालसा पुरी होना

दोस्तो अरमान का अर्थ इंच्छा या लालसा से होता है और निकालने का अर्थ बहार निकालने से होता है । क्योकी जो इंच्छा होती है वह मन मे होती है और कहा भी जाता है की ‌‌‌अपने मन की इंच्छा ‌‌‌दबानी नही चाहिए उसे बाहर निकाल देनी चाहिए ताकी मन शांत हो जाए । क्योकी निकालने को पूरा करना भी कह सकते है इसी कारण से इंच्छा पूरी करने को ही अरमान निकलना कहा जाता है ।

अरमान निकालना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग व कहानी

अरमान निकालना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग vakya mein prayog

  • ‌‌‌तुमने उसके घर डाका डाल कर अरामन निकाल ही लिया ।
  • गाव के लोगो ने रामू को कितना समझाया था की वह सेठ से दूर रहे मगर उसने सेठ के साथ मारपीट कर ही ली सच है अब तो रामू के अरमान निकल गए होगे ।
  • पडोसी की बात सुन सुन कर सरला परेशान हो गई और एक दिन उसने पडोसी को इस तरह से सुनाया की उसकी बोलती बन्द ‌‌‌होते देर नही लगी । अब सरला के अरामन निकल गए ।
  • ‌‌‌महेश अपनी पत्नी से कहने लगा की अब तो बेटा भी नोकरी लग गया है जरा शहर से महगी वाली साडी लेकर आ जाओ तुम्हारे मन का भी अरमान निकल जाए ।
  • सुसिला ने अपने सास से लडाई कर कर अपने मन के अरमान निकाल लिए ।
  • ‌‌‌सुरेश दिन के 200 रूपय लेकर आता है उनसे होता क्या है मेरे समोसे खाने तक के अरमान नही निकल पाए ।
  • गाव मे झगडा कर कर तुम्हारे तो अरामान निकल गए होगे ।

  • पार्वती और सुरेखा के बिच मे तुमने ऐसा क्या कर दिया जिसके कारण से तुम इतनी खुश हो रही हो लगता है की तुम्हारे मन के अरामान निकल गए होगे ।

‌‌‌अरमान निकालना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

किसी समय की बात है एक गाव हुआ करता था । उस गाव में सुरेखा नाम की एक औरत रहा करती थी और उसके घर मे उसका पति और एक बेटा रहा करता था । सुरेखा बडी ही लालची औरत थी जिसके कारण से वह अपने पति के पैसो को स्वयं ही लेकर खर्च करती थी । यहां तक की वह पैसो के ‌‌‌मामले मे तो अपने बेटे व पति तक पर भरोषा नही करने वाली थी ।

इस तरह की होने के साथ साथ वह झगडालू भी थी यानि बात बात पर झगडा करने वाली थी । उसका बेटा बडा ही सुंदर और बेग सिलाई करने का काम सिख रहा था । उसे बेग सिलाई के काम को सिखते हुए कुल 2 वर्ष लग गए । मगर अब उसे काम अच्छी तरह से आने लगा था ‌‌‌और वह एक सेठ के पास काम भी करने लगा था । जिसके कारण से उसे अच्छी पगार मिल जाया करती थी ।

मगर जीतने भी मिलते वह स्वयं ही अपनी मां को दे दिया करता था । अब सुरेखा के बेटे के विवाह करने की उम्र हो गई थी तो सुरेखा ने किसी तरह से अपने बेटे का विवाह तो करवा दिया । मगर अब जो बहु आई थी उसे सुरेखा ‌‌‌आराम करने तक का समय नही देती थी ।

यानि उसे दिन और रात काम करवाती रहती थी । मगर हद तो तब हो गई जब सुरेखा के बेटे ने कुछ रूपय अपने पास रखना शुरू कर दिया । यह देखने के बाद मे सुरेखा अपनी बहु को दिन रात ताने सुनाने लगी थी। इसी तरह से रोज चल रहा था ।

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जिसके कारण से सुरेखा की बहु अपने पति को यह बात ‌‌‌कहती थी। मगर अब सुरेखा का बेटा न तो अपनी पत्नी की तरफदारी करता और न ही अपनी मां की तरफदारी करता था  । जिसके कारण से दोनो उससे रूठी रहती थी । इसी तरह से चलते हुए एक वर्ष बित गया । मगर अब सुरेखा उसी तरह से अपनी बहु को परेशान करती रहती थी ।

 इस तरह से सुरेखा की बहु बहुत ही परेशान हो गई थी और अंदर से ‌‌‌भडक रही थी साथ ही अपने पति को कहती की अगर अपनी मां को नही समझाया तो एक दिन मैं उसे अच्छा सबक सिखाउगी । मगर अब वह अपनी पत्नी की बात को हलके मे लेता जा रहा था और उसकी बात नही मान रहा था ।

इसी के चलते एक दिन की बात है सुरेखा की बहु अपने माईके जाकर आई ही थी की सुरेखा ने उसे चाय बनाने को कहा । यह ‌‌‌सुन कर सुरेखा की बहु ने चाय बना दी । मगर जब पकडाई तो सुरेखा ने जरा सा चखा और कहा की यह तो फिकी है और इतने मे चाय को जमीन पर फैक दिया ।

यह देख कर सुरेखा की बहु को बहुत ही बुरा लगा । मगर उसने अपनी गलती मानते हुए फिर से चाय बनाई मगर इस बार चाय मिट्ठी हो गई थी । जिसके कारण से सुरेखा ने फिर से ‌‌‌जमीन पर फेंक दिया था । यह देख कर फिर से सुरेखा की बहु को बुरा लगा और उसने फिर उस चाय को साफ कर कर फिर से नई चाय बनाई । इस बार चाय पूरी तरह से सही थी ।

मगर फिर भी सुरेखा ने चाय को बेवजह जमीन पर फैंक दिया । मगर सुरेखा की बहु सुरेखा से कुछ नही बोल रही थी । कुछ समय के बाद मे भोजन बनाने का समय ‌‌‌हुआ तो सुरेखा की बहु ने अच्छा स्वादिस्ट भोजन बनाया । मगर सुरेखा को बहु को परेशान करना था जिसके कारण से वह चाय की तरह ही भोजन को नष्ट करने लगी थी ।

जब दो बार ऐसा किया तो बहु परेशान हो गई और उसने अपनी सास के पास जाकर समझाया और पूछा की आप ऐसा कर क्यो रही हो । मगर अब सास अपनी बहु के साथ झगडा ‌‌‌करने पर खडी हो गई । यह देख कर बहु बहुत परेशान हो रही थी और बिना सोचे समझे अपनी सास के गाल पर एक दिया। जिसके कारण से सास आराम से चुप होकर जमीन पर बेठ गई ।

साथ ही बहु ने सुरेखा को कहा की आइनदा अगर ऐसे वेसे ही मुझे परेशान करोगी तो अच्छा नही होगा । मगर अब सुरेखा कुछ नही बोल रही थी । यह सब करने के ‌‌‌बाद मे सुरेखा की बहु को लगा की अब यह मुझे बेवजह परेशान नही करेगी । मगर कुछ समय के बाद मे सुरेखा का पति और उसका बेटा ‌‌‌आए तो वह इस बात के बारे मे दोनो को कहने लगी ।

यह सुन कर सुरेखा के बेटे ने अपनी पत्नी से कहा की तुम कई दिनो से ऐसा करने की सोच रही थी अब तो तुम्हारे अरमान निकल ही गए होगे । मगर ‌‌‌अब सुरेखा की बहु भी नही मान रही थी और वह कहने लगी की मेरे साथ यह हुआ । पूरी बात जानने के बाद मे सुरेखा का पति और उसका बेटा चुप चाप कमरे मे चले गए ।

‌‌‌अरमान निकालना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

 यह देख कर सुरेखा समझ गई की अगर मैंने इसी तरह से किया तो मेरा हाल बुरा होगा । अब सुरेखा की बहु मन ही मन खुश  थी और सोच रही थी की आज उसके अरमान निकल ‌‌‌गए । इस दिन के बाद मे सुरेखा ने अपनी बहु को जरा भी परेशान नही किया । और फिर वह घर बडी ही खुशी के साथ चल रहा था । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की अरामान निकालना का अर्थ क्या होता है ।

‌‌‌अरमान निकालना मुहावरे पर निबंध muhavare par nibandh

साथियो आपने जीस तरह से उपर कहानी मे पढा कि किस तरह से बहु अपने सास की बातो से बार बार परेशान होती थी और फिर उसने एक दिन अपनी सास को चुप करवा ही दिया । क्योकी वह ऐसा करने के लिए कई बार सोच चुकी थी मगर जब उसने कर दिया तो उसके मन को शांति मिली । इस‌‌‌ समय कहानी मे अरमान निकालना मुहावरे का ही प्रयोग हुआ था ।

इसी तरह से वर्तमान मे लगभग सभी लोगो के मन मे कुछ ऐसा होता है जो वे करना चाहते है या कहना चाहते है । मगर किसी कारण से कर नही सकते या कह नही सकते । जिस ‌‌‌तरह से अगर कोई नोकरी करने वाला आदमी है और वह अपने जीवन मे नोकरी न कर कर कुछ और काम करना ‌‌‌चाहता है मगर वह लोग क्या कहेगे ऐसा सोच कर ऐसा कर नही पा रहा है ।

मगर जब वह नोकर छोड कर अपना स्वयं का कोई बिजनेश ‌‌‌शुरू करता है तब उसके लिए कहा जाता है की इतनी अच्छी नोकरी तुमने आखिर छोड कर अपना अरामान निकाल ही लिया । इस तरह से इस मुहावरे का प्रयोग मन की इंच्छा को बाहर निकलाने पर होता है । ‌‌‌यानि कहा जा सकता है की जब मन की इच्छा को बाहर निकलाने की कही पर बात होती है या लालसा पूरी करने की बात होती है तब इस मुहावरे का प्रयोग होता है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ भी मन की इच्छा पूरी करना या लालसा निकालने से होता है ।  

अरमान निकालना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of in Hindi

दोस्तो अगर ​किसी को गुस्सा आता है तो वह जब तक अपने इस गुस्से को नही निकाल देता है तब तक वह गुस्से में ही बना रहता है ।

और अपने गुस्से को निकालने के लिए वह एक कारण का  देखता है और जब कारण आ जाता है तो वह अपने इस गुस्से को निकाल देता है ।

उसी तरह से मानव के जीवन में जो मन होता है उसमें अनेक तरह की इच्छा होती है जिनमें से काफी सारी बुरी इंच्छा भी होती है और कुछ अच्छी इंच्छा भी होती है । और मानव इन इच्छाओ को पूरा करना चाहता है।

और जब मानव अपने जीवन की इन इच्छाओ को पूरा कर लेता है या किसी खास इच्छा को पूरा कर लेता है तो इसे अरमान निकालना कह सकते है ।

दरसल दोस्तो armaan nikala muhavare ka arth – मन की इच्छा पूरी करना या लालसा पुरी होना होता है और जहां पर इस मुहावरे के अर्थ की बात होती है वही पर इसका वाक्य में प्रयोग किया जाता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।

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