चादर से बाहर पैर पसारना का मतलब और वाक्य में प्रयोग

चादर से बाहर पैर पसारना मुहावरे का अर्थ chadar ke bahar pair pasarna muhavare ka arth  – आय से अधिक पैसे खर्च करना

दोस्तो आज के मसय मे पैसो का बहुत अधिक महत्व हो गया है । क्योकी पैसो के बगेर किसी का जीवन नही चल सकता है । ऐसा इस कारण से हो गया है क्योकी आज एक छोटी सी वस्तु ‌‌‌के काफी ‌‌‌अधिक पैसे लगते है । तो मानव को अपना जीवन चलाने के लिए कितने पैसो की जरूरत होती है । इस कारण से कह सकते है की पैसो का बहुत महत्व है ।

जिससे हर कोई पैसे कमाता है । मगर जब किसी व्यक्ति के पास पैसे इतने हो की वह अपना घर ही सही तरह से चला पता है मगर उन ‌‌‌कमाय गए पैसो से अधिक खर्च कर देता है । याजि जब कोई आय से अधिक पैसे खर्च करता है तब इसे चादर ‌‌‌से बाहर पैर पसारना कहा जाता है ।

चादर से बाहर पैर पसारना का मतलब और वाक्य में प्रयोग

चादर ‌‌‌से बाहर पैर पसारना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग  chadar se bahar pair pasarna muhavare ka vakya mein prayog

  • महेश के पास पैसो की कोई कमी नही थी परन्तु इसने चादर ‌‌‌से बाहर पैर पसारना चाहा और आज पाई पाई के लिए तरस रहा है ।
  • रामलाल का बेटा नोकरी लगा है और ‌‌‌एक मामुली ‌‌‌सेठ के नोकर हो तुम उसकी होड कर कर चादर ‌‌‌से बाहर पैर पसारना अक्लमंदी नही है ।
  • कुलदिप के पिता कॉलेज के लेक्चरार है तभी वह इतने पैसे खर्च करता है मगर हम उसकी होड कर कर चादर ‌‌‌से बाहर पैर नही पसार सकते ।
  • कुसलचंद तुम मुश्किल से अपना पेट ही भर पाते हो तो फिर इस तरह की अनउपयोगी वस्तुओ को अपने ‌‌‌घर मे रख कर चादर ‌‌‌से बारह पैर पसार‌‌‌ना अक्लमंदी नही है ।
  • जनाब बेटा है वह मेरा अगर उसके लिए चादर ‌‌‌से बाहर पैर नही पसारूगी तो मैं अपने बेटे के लिए कुछ न कर सकुगी ।
  • पिताजी ने अपनी आमदनी से ज्यादा मुझे देकर इतना बडा किया है और नोकरी लगा दिया अब मेरा भी समय आ गया है की मैं चादर ‌‌‌से बहर पैर पसार कर उनकी सेवा करू।
  • ‌‌‌आजकल के लडके छोटी मोटी चिजो को देख कर चादर ‌‌‌से बहार पैर पसार लेते है ।
  • पैसे कमानते हो दिन के 100 और अपने घर मे इस तरह की वस्तु ला रखी है जैसे मानो की दिन के 1000 रूपय कामा रहे हो यह तो वही बात हुई चादर ‌‌‌से बाहर पैर पसारना ।
  • पिताजी ने पहले ही कह दिया था की बेटा जितना तुम्हारे पास है उसी से ‌‌‌काम चलाना सिख लो क्योकी चादर ‌‌‌से बाहर पैर पसारने से कोई फायदा नही है ।
  • लखवीर सिंह भले ही दिन के 200 रूपय कमाता हो परन्तु उसने आज तक चादर ‌‌‌से बाहर पैर पसारना नही सिखा और जितना होता है उसी से काम निकालता है ।

‌‌‌चादर से बाहर पैर पासारना मुहावरे पर कहानी chadar ke bahar pair pasarna muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक धनवान सेठ रहा करता था । सेठ बहुत ही अक्लमंद था ‌‌‌और अपने पैसो का पाई पाई का हिसाब रखता था । अगर वह अपने घर मे भी पैसे देता तो एक अलग किताब मे लिख लेता था । ‌‌‌क्योकी वह मानता था की ‌‌‌जितना उपयोग हो उतना ही पैसा खर्च करना चाहिए ।

सेठ के घर मे उसकी पत्नी और उसका एक बेटा व एक बेटी रहा करती थी। इस तरह से सेठ का परिवार बडा भी नही था । जिसके कारण से उन्हे अपने परीवार पर ज्यादा पैसे खर्च भी नही करने पडते थे । सेठ के पास इतना धन होने के बाद भी सेठ का घर ‌‌‌किसी गरीब खाने से कम नही लगता था ।

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यह देख कर गाव के लोग कहते की सेठ क्या इतने रूपयो को अपने साथ लेकर जाएगा जो इस तरह का गरिब खाना बना रखा है। सेठ के बेटे का नाम किसनलाल था । जो अपने पिता की तरह बिल्कल नही था ।

क्योकी वह अपने पिता की तरह कंजुसी न बरत कर जितने हो कसता था उतने पैस खर्च करता ‌‌‌। मगर सेठ के जीते जी यह सब नही हो ‌‌‌सका और सेठ के मरने के बाद मे किसनलाल अपने पैसो को अनाप सनाप कार्यो मे खर्च करने लगा ।

साथ ही सेठ के बेटे ने एक बहुत ही अच्छा महल बना लिया था । जिसे देखने वाला ‌‌‌उसे कोई राजा महाराज ही समझ लेता था । क्योकी वह महल इसी तरह का था । साथ ही उस महल मे सभी आवश्यक्ता ‌‌‌के समान से ‌‌‌लेकर अनपयोगी समान भी मिल जाता था ।

यानि महल मे सभी ऐसो आराम की वस्तु मोजुद थी । इसके अलावा किसनलाल उन पैसो को अपने दोस्तो पर भी काफी खर्च करता था और जब भी गाव मे से निकलता तो ऐसा लगता मानो कोई राजा ही निकल रहा हो ।

इस तरह से देख कर गाव के लोग भी कहा करते की पिता कंजुस था तो बेटा ‌‌‌चादर के बाहर पैर पसार रहा है । मगर कहते है ना पैसा हाथ का मैल होता है तो वह मैल किसनलाल के हाथ से धुल गया ।

यानि जब किसनलाल का सारा पैसा खर्च हो गया और उसके पास अपने ‌‌‌महल के अलावा कुछ नही बचा तब जाकर वह काम करने के लिए जाने लगा । उस समय काम करने पर बहुत अधिक पैसे नही मिला करते थे । यानि ‌‌‌किसनलाल दिन भर मजदुरी करता और उसे केवल 100 रूपय ही प्राप्त होते थे ।

जिनते तो वह दिन के एक पहर में हमेसा ही खर्च कर देता था । मगर अब पैसो की कमी होने के बाद वह अपने खर्चो को कुछ कम कर दिया था । मगर आदत कितने दिनो तक रह सकती है । पहले की तरह ही वह अनउपयोगी वस्तुओ मे अपना पैसा बहुत अधिक ‌‌‌खर्च करता था ।

इस तरह से देख कर किसनलाल को उसकी बहन ने समझाया की भाई अगर तुम इसी तरह से चादर के बाहर पैर पसारोगे तो एक दिन तुम्हारे पास कुछ नही रहेगा । क्योकी अब उसकी बहन ही थी पिता और मां की मृत्यु पहले ही हो गई थी । और जो बहन थी वह भी अपने ससुराल रहा करती थी ।

जिसके कारण से वह अपनी बहन ‌‌‌की भी नही सुन रहा था । मगर जब महल धिरे धिरे खाली होने लगा यानि महल की वस्तुए बिकने लगी तब उसे समझ मे आने लगा था ।

‌‌‌चादर से बाहर पैर पासारना मुहावरे पर कहानी chadar ke bahar pair pasarna muhavare par kahani

जिसके कारण से किसनलाल ने फिर अपने खर्च कम किए और अपने पास जितने रूपय होते उन्हे ही बचाने के लिए खोचता था । इस तरह से फिर वह अपना जीवन कष्टो के साथ काटने लगा । इस तरह से ‌‌‌आपको इस कहानी से इस मुहावरे का अर्थ समझ मे आ गया होगा ।

‌‌‌चादर के बाहर पैर पसारना मुहावरे पर निबंध chadar ke bahar pair pasarna muhavare par nibandh

साथियो यहां पर चादर पैसो को बताया गया है और पैर पसारने को उनको खर्च करने का तरीका बताया गया है । क्योकी मनुष्य को सोने के लिए जितनी लंबी चादर चाहिए होती है उसके पास उतनी लंबी चादर नही होती है । तो उसके पैर चादर से बाहर निकल जाते है ।

इसी तरह से ‌‌‌जब पैसा इतना कम हो परन्तु उसकी तुलना मे खर्च ज्यादा होता है तो यह बात एक चादर से बाहर पैर पसारने वाली हो जाती है । क्योकी जब कोई व्यक्ति कहानी से हिसाब से कम पैसे कमाता हो और वह खर्च बहुत अधिक करता है तो निश्चित है की वह आने वाले समय मे अपने आप को कष्टो मे धकेलेगा ।

क्योकी जाहिर है ‌‌‌खर्च अधिक हो जाने पर उधार पैसे लेने पड जाते है और उन पैसो को चुकाने के लिए घर खेत आदी तरह क उपयोगी वस्तु बेचनी पड जाती है । आप यह ‌‌‌बात एक दारू पिने वाले बेवडे पर लेकर समझ ‌‌‌सकते हो । क्योकी बेवडा अपनी दारू के लिए उधार ‌‌‌कर लेता रहता है मगर वह काम कुछ नही करता । जिसके कारण से उसकी चादर बहुत ही छोटी होती है ।

यानि कमाई बहुत ही कम है मगर पैर या खर्चे बहुत अधिक होने पर उस पर कर्जा चढ जाता है और बादमे उसे अपना कर्जा उतारने के लिए अपनी उपयोगी वस्तु बेचनी पड जाती ‌‌‌है ।

इसी तरह से अगर वह शराबी या बेवडा अपनी ओकात मे जितना होता या उसके पास पैसा जितना होता उसी से काम निकालता तो उसकी उपयोगी वस्तु नही बिकती जिसके कारण वह उस वस्तु को किसी कष्ट के वक्त काम मे ले सकता था या कह सकते है की उसके जीवन का आसरा वह वस्तु बनी रहती ।

क्योकी किसी का घर बिक जाने ‌‌‌पर उसके रहने के अलावा भी‌‌‌अनेक कष्टो का सामना करना पड जाता है । इस कारण से कहा जाता है की सुखी जीवन जीने के लिए किसी के पास ‌‌‌जितने पैसे होते है उसी से अपना घर चलाना चाहिए या उसी से अपनी आवश्यक्ता को पूरा करना चाहिए । ताकी वह किसी का कर्जदार न बन सके ।

मगर जब ‌‌‌कोई व्यक्ति अपनी कमाई से अधिक पैसे खर्च करता ‌‌‌तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ आप बहुत अच्िछ तरह से समझ गए होगे । मैं आसा करता हूं की मेरे द्वारा बताई गई बाते आपके लिए उपयोगी होगी ।

चादर से बाहर पैर पसारना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of chadar ke bahar pair pasarna in Hindi

दोस्तो वर्तमान का वह समय है जब आपको कई तरह के लोग देखने को मिल जाते है । और इनमें से बहुत से लोग तो ऐसे होते है जिनके पास धन काफी अधिक होता है मगर यह केवल दिखावे के लिए ही होता है । जैसे की मान ले की कोई व्यक्ति है जो की नोकरी करता है तो असल में उसके पास जो धन है वह उतना ही होता है की उसे आराम से जीवन जीने मे मदद कर दे ।

मगर वही नोकरी करने वाला व्यक्ति दिखावटी होगा तो ऐसा दिखाएगा जैसे की मानो उसके पास कितना सारा धन है । कहने का मतलब है की वह और अधिक धनवान होने का दिखावा करता है और और इसी दिखावे को करने के कारण से कुछ लोग अपनी आय से अधिक धन को खर्च करने लग जाते है ओर असल में इस तरह के लोगो के लिए ही इस मुहावरे कार प्रयोग किया जाता है । मतलब साफ है की chadar ke bahar pair pasarna muhavare ka arth  – आय से अधिक पैसे खर्च करना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।