अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ andhe ki lakdi hona muhaavare ka arth – एकमात्र सहारा होना ।

दोस्तो इस संसार मे न जाने केसे केसे लोग रहते है । उनमे से ही अनेक लोगो का एक ही सहारा होता है यानि उनका इस दुनिया मे एक ही व्यक्ति है वह बेटा बेटी पत्नी कोई भी हो सकता है । ‌‌‌जब भी उससे कोई कहता की इसे अपने साथ क्यो रखते हो कोई काम करने के लिए भेज दो । तब वह कहता है की अगर इसे कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा यह तो मेरा एकमात्र जीने का सहारा है इसे ही अंधे की लाठी कहते है । यानि एकमात्र सहारा होना ही अंधे की लाठी का सही अर्थ है।

अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अंधे की लाठी मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग  || andhe ki lakdi hona use of idioms in sentences in Hindi

‌‌‌रमेश ने अपने पिता से कहा की मुझे फोज मे जाना है तो उसके पिता ने कहा की अब इस दुनिया मे तुम ही तो मेरी अंधे की लाठी हो तुम्हे मे अब कही पर नही जाने दुगा ।

राम ही अब अपनी माँ की अंधे की लाठी बना हुआ है।

रामानन्द

की ‌‌‌पहले पेन्सन आती थी पर अब वह भी नही आ रही है तो वह क्या करगा । इस बुढापे मे पेन्सन ‌‌‌ही तो उसकी अंधे की लाठी बनी हुई थी।

‌‌‌जनाब इनका तो इस दुनिया मे कोई भी नही है एक बेटा है वह ही इसकी अंधे की लाठी बना हुआ है ।

‌‌‌अपने पिता की मृत्यू हो जाने पर राहुल का भाई ही उसकी अंधे की लाठी बनकर रहा ।

जब लुटेरो ने सारा धन लुट लिया तो पुलिस ही राघव की अंधे की लाठी बनी ।

अंधे की लाठी मुहावरे पर कहानी ||  andhe ki lakdi hona story on idiom in Hindi

‌‌‌कुछ समय पहले की बात है एक गाव मे रामानन्द नाम का एक आदमी रहता था । उसके घर मे उसके अलावा उसके दो बेटे और रहते थे । जिनमे से बडा बेटा पडा लिखा था और नोकरी की तैयारी कर रहा था पर छोटा बेटा अभी भी पढाई कर रहा था । बडे बेटे की पढाई को देखकर रामानन्द को लग रहा था की यह नोकरी तो अवश्य ही लग ‌‌‌जाएगा ।

क्योकी वह दिन व रात बस पढता ही रहता था यहा तक की खाना भी समय पर नही खाता । जब उसके पिता उसे खाना खाने के लिए कह देते थे तो वह खाना खा लिया करात था और जिस दिन उसके पिता घर मे नही होते तो वह पुरे दिन खाना नही खाता ।

इस तरह की तैयारी को देखकर रामानन्द ने अपने बडे बेटे से कहा ‌‌‌की बेटा तुम किस नोकरी की तैयारी कर रहे हो तो वह ‌‌‌कहने लगा की पिताजी मै तो फोजी बनुगा और देश की सेवा करुगा । तब रामानन्द ने कहा की तो इस बार जो नोकरी आएगी तुम ऐसा करना की मेरे से पैसे लेजाना और वह फोर्म अवश्य ही भरवा देना ।

अपने पिता की बात सुनकर उसने कहा की ठिक है पिताजी । जब वह नोकरी लग गया ‌‌‌तो उसके पिता बहुत खुश हो गए और गाव मे जाकर सभी को मिठाई बाटकर आने लगा । जब गाव के लोगो को पता चला की रामनन्द का बेटा फोजी बन गया है । ‌‌‌तब सभी गाव के लोग बहुत खुश हो गए और कहने लगे की अच्छा ही है ।

इससे हमारे गाव का नाम भी होगा की उस गाव के लडके ने दुश्मनो को मार भगाया है । ‌‌‌कुछ ही दिनो के बादमे वह नोकरी करने के लिए चला गया । अपने बडे भाई को नोकरी करते देखकर रामानन्द का छोटा बेटा भी फोज की तैयारी करने लग गया था। छोटा बेटा भी 12 पास कर लिया था जिसके कारण वह आगे और न ‌‌‌पढ कर नोकरी की तैयारी करने लग गया ।

गाव के लोग भी उसकी इस हिम्मत पर भरोसा करते थे और कहते ‌‌‌की जिस तरह से रामानन्द का बडा बेटा नोकरी लग गया है इसी तरह से उसका छोटा बेटा भी नोकरी लग जाएगा । उसके पिता भी बहुत खुश थे की उसका बेटा भी नोकरी कि तैयारी करने मे लगा है । धिरे धिरे रामनन्द की उर्म बड रही थी और एक साल के बाद मे कुछ फोजी रामानन्द के घर मे एक बडा सा बक्सा लेकर आए थे

‌‌‌जब गाव के लोगो को पता चला की रामानन्द के घर मे फोजी आए है तो गाव के लोग भी रामानन्द के घर गए । और वहा जाने पर उन्हे पता चला की रामानन्द का बडा बेटा जो फोजी बना था वह देश के लिए सहीद हो गया था । इस कारण सभी फोजी व गाव के लोग उसका अंतिम संसकार करते समय उसे सलूट किया।

‌‌‌किसी तरह से रामानन्द ने अपने आप को सम्भाल लिया था । और सोचने लगा की मेरा एक बेटा देश के लिए अपना बलिदान दे दिया है तो क्या मेरा दुसरा बेटा तो मेरे पास ही है । समय बितता गया और 6 माह के बाद मे रामनन्द का छोटा बेटा अपनी तैयारी ‌‌‌वापस सुरु कर ‌‌‌दी। वह अभी भी देश की हिफाजत करने के लिए फोजी बनना ‌‌‌चहाता था।

जब ‌‌‌अपने पिता के पास आकर उसने फोम भराने के लिए पैसे मागे तो रामानन्द कहने लगा की नही बेटा अब तु ही मेरी अंधे की लाठी है तुम्हे मै फोज मे नही भेज सकता । अपने पिता की बात सुनकर ‌‌‌उसने अपने सपनो को मार दिया ।

अंधे की लाठी मुहावरे पर कहानी

अब जब भी रामानन्द से कोई मिलता तो वह कहते की आपका छोटा बेटा भी तो तैयारी ‌‌‌कर रहा था वह अभी तक नोकरी नही लगा क्या । तब रामानन्द कहता की अब इस दुनिया मे इस अंधे की लाठी वही तो है उसे मै फोज मे कैसे भेज सकता हूं । इस तरह से आप इस काहानी का अर्थ समझ गए होगे ।

अंधे की लाठी मुहावरे पर निबंध || andhe ki lathi essay on idioms in Hindi

‌‌‌साथियो आज के समय मे हर किसी को जिने के लिए कोई न कोई वजह तो ‌‌‌चाहिए होती है और जब उनकी उर्म होने लग जाए तो उनकी अंधे की लाठी भी बनने वाला चाहिए होता है जो ‌‌‌उसकी बुडापे मे सेवा कर सके । कुछ लोगो की तो सेवा करने वाले अनेक होते है पर कुछ लोग ऐसे ही होते है जिनका इस दुनया मे कोई भी नही है उनका तो ‌‌‌केवल एक ही सहारा है ।

जो उनका बेटा बेटी व भाई आदी मे से कोई भी हो सकता है  । वे चहाते है की इनको कुछ भी न हो इस कारण ऐसे लोग उन्हे अपने से दुर नही जाने देते है । और वे भी सोचते है की हम ही हमारे पिता का ऐकमात्र सहारा है अगर हमे कुछ हो गया तो यह हमारे ‌‌‌बिना अकेले नही जी पाएगे । इस कारण वे भी अपनो ‌‌‌के पास रहेते है और उनकी सेवा करते है। इस तरहे से वे अपने पिता व माता या अन्य किसी का एक मात्रसहारा बने रहेते है और उनकी सेवा करते है इसे ही अंधे की लाठी होना कहते है ।

जिसका सिधा सा अर्थ यह है की अपने जिवन मे एक ही ऐसा है जो हमारा है उसके अलावा और हमारा कोई भी नही है । अगर वह न हो तो हम इस ‌‌‌दुनिया मे रह नही सकते है । वह ही हमारा एकमात्र सहारा है । इस तरह से आप समझ गए होगे ‌‌‌की इस मुहावरे का सही अर्थ ‌‌‌क्या है ।

अंधे की लाठी मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of andhe ki lathi in Hindi

दोस्तो आप जहां पर रहते हो वहां पर एक ऐसे व्यक्ति को तलाश करे जो की अंधा होता है । तो आपको देखने को मिलेगा की उसके पास एक लाठी होती है और जब आप उससे इस लाठी के महत्व के बारे में पुछते हो वह बातने लग जाएगा की वह उसके लिए कितनी उपयोगी है । और ‌‌‌आपको पता चल जाएगा की अंधे की लाठी एकमात्र सहारा होने को दर्शाता है ।

मतलब यह होता है की आज की दुनिया में जो व्यक्ति किसी के लिए एक मात्र सहारा बने हुए है वे अंधे की लाठी की तरह होते है जैसे की एक वृद्ध औरत है और उसके परिवार में उसका एक ही पोता है तो वह जो पोता होता है वह अंधे की लाठी होती ‌‌‌है । यानि उस औरत के लिए एकमात्र सहारा होता है ।

‌‌‌वैसे तो दुनिया में आपको बहुत से लोग देखने को मिल जाएगे जो की एकमात्र सहारा माने जाते है मगर असल में वे उनकी उस तरह से मदद करते नही है । और आप इसे समझ सकते है ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।