गुजर बसर करना मुहावरे का अर्थ gujar basar karna muhavare ka arth

गुजर बसर करना मुहावरे का अर्थ gujar basar karna muhavare ka arth – आवश्यकता से कम में काम चलाना ।

दोस्तो मानव के जीवन में उसकी चाह बहुत बड़ी रही है और ऐसा होता रहेगा । क्योकी जैसे जैसे मानव की आवश्यकता पुरी होती जाती है उसकी आवश्यकता या चाह बढती जाती है । जीनका ‌‌‌पूरा होना मुसकिल नही होता है । मगर दोस्तो कुछ लोग ऐसे भी होते है जो की अपनी थोड़ी सी आवश्यकताओ को पूरा नही कर पाते है क्योकी उनका जीवन भी बड़ी कठिनाई से चल पाता है ।

‌‌‌जैसे उनको किसी वस्तु की अधिक जरूरत होती है तो वे उस वस्तु को न लाकर अपनी अन्य महत्वपूर्ण जारूरतो को पूरा करते है जैसे भोजन करना और अपने परिवार का पेट भरना । इस तरह से कहा जाता है की ऐसे लोग अपनी आवश्यकताओ से कम में काम चलाते है । और जहां पर आवश्यकता से कम में काम चलाने की बात ‌‌‌होती है । वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

गुजर बसर करना मुहावरे का अर्थ gujar basar karna muhavare ka arth

गुजर बसर करना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग // gujar basar karna muhavare ka vakya mein prayog

  • जब से राहुल की जॉब गई है वह बड़ी कठिनाई से गुजर बसर कर रहा है ।
  • जनाब मैं आपका पैसा कैसे वापस दे पाउगा क्योकी आज कल मैं स्वयं ही बड़ी कठिनाई से गुजर बसर कर रहा हूं ।
  • पिता के देंहांत के बाद में महेश के पास कुछ नही बच्चा जिसके कारण से उसे गुजर बसर कर ‌‌‌कर ही अपना जीवन चलाना पड़ रहा है ।
  • ‌‌‌बाढ के आने के कारण से हमारा गांव पूरी तरह से बरर्बाद हो गया बड़ी कठिनाई से गुजर बसर कर रहे है ।
  • इस बार भूकंप के आने से सब कुछ नष्ट हो गया है अब तो गुजर बसर करना ही होगा तभी जीवन चल पाएगा ।
  • ‌‌‌कंचन का पति भले ही विदेश में कमाता हो मगर घर में अभी भी गुजर बसर हो पा रहा है ।
  • जनाब नोकरी लग जाने से कुछ नही होता है क्योकी जीवन गुजर बसर कर कर ही चलाना पड़ता है ।

‌‌‌गुजर बसर करना मुहावरे पर कहानी

दोस्तो अभी कुछ ही समय पहले की बात है मेरा एक मित्र हुआ करता था । जिसका नाम सुनिल था । दोस्तो मित्र बड़ा ही अच्छा था । वह कभी भी किसी काम के लिए मना नही करता था । मगर वह सहायता तो कर सकता था मगर अपने पास से कुछ दे नही पाता था । दरसल दोस्तो वह बहुत ही ‌‌‌अधिक निर्धन था ।

क्योकी उसके घर में कुल 10 सदस्य थे मगर काम करने वाला उसके पिता ही थे। अभी सुनिल और मै दोनो एक साथ अध्ययन करने के लिए अपने शहर के विद्यालय में जाते रहते थे । सुनिल अध्ययन करने में काफी अधिक होसियार लड़का था । और यही कारण था की उसका पिता चाहता था की सुनिल नोकरी लग जाए ‌‌‌।

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भला कोन पिता नही चाहेगा की उसका बेटा नोकरी लगे । मगर सुनिल के घर की हालत इस तरह की थी की उसके दिमाग में काफी अधिक टेंसन बना देती थी। क्योकी उसके घर की हालत ऐसी थी की घर के सभी सदस्यो का पेट भी सही तरह से नही भर पाता था । और यह तो आपको भी पता है की इस समय में एक व्यक्ति कितनो का पेट ‌‌‌भर सकता है ।

क्योकी मेहगाई बढ गई है। मगर सुनिल सोचता था की जब वह किसी अच्छी नोकरी को पा लेगा तो उसके घर की सारी परेशानी दूर हो जाएगी । जिसके कारण से उसने आईटीआई ‌‌‌करना शुरू कर दिया था  । और बडी मेहनत के साथ अपनी अध्ययन में लगा रहा था । इस तरह से दो वर्षों तक अध्ययन करने के कारण से उसका आईटीआई कोर्स पूरा हुआ था ।

इसके बाद में सुनिल ने सोचा की वह किसी जॉब की तैयारी करेगा । मगर ऐसा न हो सका । क्योकी घर की हालत इस तरह की थी की सुनिल को किसी तरह के काम ‌‌‌की तलाश में लगना ही पड़ा था । इस तरह से दो महिनो तक काम की तलाश करने के बाद में उसी ‌‌‌के शहर में उसे एक कंपनी में नोकरी मिल गई थी ।

 दरसल दोस्तो कंपनी में काम मिलने के कारण से सुनिल और उसके सभी घर के सदस्य काफी अधिक खुश हो गए थे । क्योकी सभी को लगा था की अब उनका बेटा काम करने लगा है तो ‌‌‌उनका घर अच्छी तरह से चलेगा । पहली बार में ही सुनिल को महिने के 12 हजार रूपय मिलने लगे थे।

जो की वर्तमान में मिलना आसान नही है। दोस्तो इसी काम के कारण से सभी खुश थे । एक महिने तक काम करने के बादमें सुनिल को लगने लगा की उसके लिए यह जॉब पर्याप्त नही है। ‌‌‌क्योकी जॉब के कुल वेतन से सुनिल ‌‌‌का परिवार गुजर बसर ही कर पाते थे । और हमेशा ही परिवार के सदस्य पहले ही नई नई आवश्यकता को सुनिल के सामने रखते रहते थे ।

मगर सुनिल को पता था की आवश्यकता का पूरा होना आसान नही है । मगर उसे यह भी मालूम था की वह इस जॉब को छोड़ भी नही सकता है। क्योकी ऐसी जॉब ‌‌‌का मिलना आसान नही होगा । इस कारण से सुनिल अपने इसी काम में लगा रहा था । और इस तरह से उसे कंपनी में काम करते हुए कुल 14 वर्ष हो गए है ।

और वर्तमान में उसका वेतन 18000 हो चुके है । यह केवल सुनिल के इतने वर्षों तक एक ही कंपनी में काम करने के कारण से हुआ है । दोस्तो अब ‌‌‌आप सोच रहे होगे की इतने रूपय मिलने के कारण से अच्छा जीवन चल रहा होगा । मगर दोस्तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की वर्तमान में भी सुनिल और उसके परिवार का वही हाल है जो पहले था ।

क्योकी जीवन में आवश्यकता के बढने के कारण से उसका यह वेतन भी कम लग रहा है। ‌‌‌दरसल दोस्तो उसके घर में कुल दस सदस्य है जिनका पेट भरने में ही उसका आधा वेतन लग जाता है । और फिर घर में विवाह के योग्य भी लोग है तो उसकी कमाई तो कम पड़नी ही है ।

और यही कारण है की सुनिल के घर के लोग कहते है की बेटे के अच्छा काम करने के कारण से ही हमारा तो गुजर बसर हो रहा है। ‌‌‌तब एक दिन सुनिल मुझ से मिला और मुझे कहने लगा की भाई चाहे जीवन में कितना भी कमा लो मगर इस जीवन का गुजर बसर ही होगा । क्योकी अगर अधिक पैसे आ जाएगे तो आवश्यकता ‌‌‌देर नही लगती ।

 जीनका पूरा होना मुश्किल होगा और तभी ऐसा लगेगा की नोकरी से वेतन कम मिल रहा है । ‌‌‌तब मैंने कहा की हां भाई यह तो सत्य कहा आपने । आज मैं भी एक अध्यापक की जॉब पर काम कर रहा हूं तो मुझे भी अधिक पैसे मिल रहे है। मगर घर में जरूरतो की कोई कमी नही है । हर दिन एक न एक आवश्यकता आ जाती है जिनका पूरा होना मुमकिन नही है । और जीवन में गुजर बसर ही हो रहा है।

 ‌‌‌इस तरह  से दोस्तो सुनिल के जीवन की तरह हमारे जीवन में भी यही हाल है । चाहे जीतने भी पैसे कमा लोग मगर हम अपनी सभी आवश्यकताओ को पूरा नही कर सकते है । क्योकी आवश्यकता बढती जा रही है।

इस तरह से आपको इस कहानी से समझ में आया होगा की इस मुहावरे का अर्थ आवश्यकता से कम में काम चलाना होता है ।

‌‌‌गुजर बसर करना मुहावरे पर कहानी

‌‌‌गुजर बसर करना मुहावरे पर निबंध

दोस्तो इस दुनिया में अनेक तरह के लोग है । और ऐसे बहुत से लोग है जो दिन का एक लाख कमाते है और ऐसे भी बहुत है जो दिन के 40 हजार रूपय कमाते है । और ऐसे भी बहुत लोग है जो दिन का 400 रूपय कमा पाते है। तो दोस्तो जो लोग एक लाख कामाते है उनकी आवश्यकता की बात करे तो ‌‌‌उनकी आवश्यकता काफी अधिक बड़ी होती है ।

जो की पूरा होने पर काफी अधिक धन खर्च हो जाता है । और हर दिन एक न एक आवश्यकता नई बन जाती है । और उसे पूरा करने में लगा रहते है । और उसी तरह से महिने के चालिस हजार कमाने वाले लोगो का यही हाल है । और अब जो लोग 400 कमाते है उनका जीवन तो कितनी कठिनाईयो ‌‌‌के साथ चलेगा यह तो आपको पता ही होगा ।

क्योकी दोस्तो आज महगाई इतनी अधिक हो गई है की दिन के 400 रूपय तो पेट भरने में ही लग जाते है । और फिर अन्य आवश्यकता तो पूरा कैसे हो पाएगी । बल्की उन्हे आवश्यकता से कम में काम चलाना पड़ता है । इस तरह से निर्धन लोगो के लिए विशेष कर इस मुहावरे का ‌‌‌प्रयोग होता है । मगर असल में जहां पर आवश्यकता से कम में काम चलाने की बात होती है वही पर इस मुहावरे का प्रयोग होता है ।

यहां पर ‌‌‌मेरे कहने का अर्थ यह होगा की जीवन में चाहे जीतना भी धन काम लो मगर आवश्यकताओ को पूरा नही ‌‌‌किया जा सकता है । और जब आवश्यकताओ को पूरा नही कर पाता है तो आवश्यकता से कम में का ‌‌‌चलाना पड़ता है । इस तरह से मैं आसा करता हूं की आप इस मुहावरे को अच्छी तरह से समझ गए होगे ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।