हाथ को हाथ न सूझना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हाथ को हाथ न सूझना मुहावरे का अर्थ hath ko hath na sujna muhavare ka arth – बहुत अधिक अंधेरा होना ।

दोस्तो आप लोगो को पता होगा की हमे सुर्य के प्रकाश के कारण ही दिखाई देता है । और साथ ही आजकल बीजली या लाईट होने के कारण भी दिखाई देता है। ‌‌‌और जब कभी रात को लाईट नही होती है और उस दिन अमावश्या की रात होती है । तो उस रात बहुत ही अधिक अंधेरा होता है । उस दिन तो हमे लाईट के बिना कुछ भी दिखाई नही देता है ।

अगर उस समय हमारे सामने कोई आदमी भी आ जाएगा तो वह भी हमे दिखाई नही देगा । इसी तरह से जब इतना अधिक अंधेरा हो जाता है । ‌‌‌तब कहा जाता है की हाथ को हाथ न सुझना । क्योकी जब आदमी को आदमी नही सुझता है तो हाथ को हाथ कैसे सुझेगा ।

हाथ को हाथ न सूझना का अर्थ  और वाक्य मे प्रयोग

हाथ को हाथ सूझना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌कल रात तो भाई लाईट चली गई थी हाथ को हाथ भी नही सुझ रहा था ।
  • दिसम्बर जनवरी मे बहुत अधिक कोहरा होता है उस समय तो हाथ को हाथ भी नही सुझता है ।
  • दिपावली पर अचानक बिजली चलीगई हाथ को हाथ भी नही सुझ रहा था पर दिये ने बिजली की कमी दूर कर दि ।
  • सुर्य घ्रहण हो जाने के कारण हाथ को हाथ भी नही सुझ रहा ‌‌‌था ।
  • अमावश्या की रात को शहर से अपने गाव आ रहा था तो हाथ को हाथ भी नही सुझ रहा था बडी कठिनाई से गाव पहुंच पाया ।
  • जब भी बारीस होती है तब बिजली कट जाती है जिसके कारण से हाथ को हाथ नही सुझता है तो भोजन कैसे बना पाते है ।
  • ‌‌‌दोस्त की शादी मे लाईट चली जाने के कारण हाथ को हाथ नही सुझ पा रहा था तो मैंने लाईट का इंतेजाम किया ।

‌‌‌हाथ को हाथ न सुझना मुहावरे पर कहानी  Idiom story

एक बार की बात है किस शहर मे बाबूलाल नाम का एक लडका रहता था । उसके घर मे उसका पिता और उसकी माता रहा करती थी । बाबूलाल के पिता के पास बहुत ही धन था क्योकी बाबूलाल के पिता नोकरी लगे हुए थे ।

पैसे होने के कारण से उसके पिता ने उसे बहुत ‌‌‌पढाया और वह भी पढाई मे होशियार था । उसके साथ साथ एक लडके ने और पढाई की थी जिस का नाम दिपक था । दिपक के पिता भी अमीर थे वे केवल खेती करते थे । और दिपक गाव का लडका था और वह शहर जाकर पढाई करता था ।

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इस जरह से दिपक और बाबूलाल एक साथ पढ रहे थे इस कारण से दोनो ही बेस्ट फ्रेंड बन गए थे । इस कारण से दोनो ने जब स्कुल मे ‌‌‌12 ‌‌‌वी कलाश पास कर ली तो दोनो ने एक साथ फैसला लिया की वे दोनो कोलेज करेगे ।

इस कारण से दोनो एक साथ कोलेज करने लगे थे । इस तरह से इतने समय से साथ रहने के कारण से उन दोनो का प्रेम भाई की तरह हो यगा था । वह एक दुसरे को जब भी बूलते तो वे उसके पास चले जाते थे ।

चाहे रास्ते मे कितनी भी ‌‌‌मुसीबत क्यो न‌‌‌आए । ‌‌‌इसी तरह से एक दिन की बात है उस समय शर्दी का बहुत ही जोर था यानि दि‌‌‌सम्बर का महिना था । तब दिपक ने बाबूलाल को फोन कर कर कहा की दोस्त 9 तारीख को मेरी शादी है इस कारण से तुम्हे मेरे पास आना है । तब बाबूलाल ने उससे कहा की कब आना है ।

तब दिपक ने कहा की पांच तारिख को रात्री तक आ जाना । यह सुन कर ‌‌‌ठिक है पांच तारिख को मैं तुम्हारे पास आ जाउगा । इतना कह कर दोनो ने बात खत्म कर दी थी । और जब पांच तारिख आई तो बाबूलाल किसी दुसरे गाव मे चला गया था और आधा दिन बित जाने के बाद उसे याद आया की उसे अपने दोस्त के पास जाना है ।

इस कारण से वह तुरन्त ही वहां से अपने घर के लिए रवाना हो गया था । और ‌‌‌जब तक बाबूलाल घर पहुंचा तब तक रात होने को थी । तब बाबूलाल ने अपने पिता से कहा की पिताजी मे दिपक के पास जाकर आता हूं । यह सुनते ही उसके पिता ने कहा की अब तो रात होने को है और तुम अब उसके पास जा रहे हो ।

उसके पिता ने कहा की आज के समय मे भी गावो मे लाईट नही है और उपर से यह कोहरा भी आ सकता है । ‌‌‌जिसके कारण से हाथ को हाथ नही सुझेगा तुम उसके पास कैसे जाओगे । अपने पिता की बात सुन कर बाबूलाल ने कहा की नही मैं चला जाउगा ।

इतना कह कर वह वहां से रवाना हो गया था । उसे उस गाव की बस भी मिल गई थी । जब तक वह उसके गाव मे पहुंचा तब तब रात के दस बज गए थे । बस ने उसे उस गाव मे उतार दिया था  । पर ‌‌‌दिपक का घर काफी दुरी पर था । इस कारण से वह वहां तक जाने लगा था ।

तब उसे याद आया की उसने तो टोर्च भी नही लाई ताकी ‌‌‌मै उसके घर तक आसानी से पहुंच जाता । पर अब क्या हो सकता है । ऐसा सोच कर वह वहां से उसके घर की तरफ जाने लगा था । उस समय उसने देखा की गाव के रास्तो पर कोई भी लाईट नही है ।

पर किसी ‌‌‌तरह से बाबूलाल उसके घर मे चला गया था । तभी दिपक ने उसे आता देखा तो उसके सामने चला गया था और उसके पास जाकर कहा की दोस्त इतनी देर कैसे हो गई और तुम इस ‌‌‌अंधेरी रात मे यहां तक आ भी गए ।

साथ ही दिपक ने बाबूलाल से पूछा की इस समय हाथ को हाथ नही सुझता है तुम्हे रास्ता तो पता चल गया था ‌‌‌क्या । तब बाबूलाल ‌‌‌ने कहा की नही भाई सुझे तो कुछ भी नही ‌‌‌दिख रहा था पर अंदाजे से यहां तक सही सलामत आ गया हूं ।

‌‌‌हाथ को हाथ न सुझना मुहावरे पर कहानी  Idiom story

इस तरह से उन दोनो ने रात भर बात की । और फिर दिपक की शादी का दिन आया तो  उस रात को भी बहुत अंधेरा था पर कोहरा नही था । पर जहां पर दिपक की बारात पहुंची वहा पर कोहरा भी था । जिसके कारण से लाईट होने के कारण से ‌‌‌से भी कुछ दिखाई नही दे रहा था ।

पर किसी तरह से दिपक की शादी हो गई और फिर बारात वापस अपने गाव चली गई थी। और जब शुबह हुई तो दिपक के साथ साथ उसकी पत्नी और बाबूलाल भी दिपक के घर आ गए थे । इस तरह से दिपक की शादी हो गई थी । दोस्तो इस तरह से आप को पता चल गया होगा की हाथ को हाथ न सुझना मुहावरे का ‌‌‌अर्थ बहुत अंधेरा होना होता है ।

हाथ को हाथ न सूझना मुहावरे पर निबंध || hath ko hath na sujna essay on idioms in Hindi

दोस्तो इस मुहावरे के बारे में आपने एक कहानी उपर पढी थी और कहानी को पढने के बाद में आपको एक बात समझ में आ गई होगी की इस मुहावरे का अर्थ बहुत अधिक अंधेरा होना होता है ।

दरसल अमावश्या की रात एक ऐसी रात होती है जब बहुत ही अधिक अंधेरा होता है । और उस समय आस पास रखी चीजे दिखाई नही देती है । मगर ऐसे में सूर्य मान ले की न हो तो इतना अधिक अंधेरा होगा की आपके पास कोई व्यक्ति खड़ा है तो आप उसे छू सकते है मगर देख नही सकते है । क्योकी बीजली वाली लाईट कितने दिनों तक रहेगी ।

बल्की वह सूर्य ही है जिसके कारण से हम एम दूसरे को देख सकते है और आप इस बात को समझ सकते है । मगर मान ले की कभी किसी रात को काफी अंधेरा होता है तो ऐसे में कहा जाएगा की आज तो हाथ को हाथ नही सुझ रहा है और यह आप कहानी के माध्यम से समझ गए होगे ।  

‌‌‌निचे बेस्ट हिंदी मुहावरे दिए गए है जो ज्यादातर प्रयोग मे आते है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।