नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब और वाक्य व निबंध

नेकी कर, दरिया में डाल मुहावरे का अर्थ neki kar dariya me dal muhavare ka arth – उपकार करने पर बदले की भावना रखना

दोस्तो समय के अनुसार इंसान बदलता जा रहा है और हर कार्य मे अपना स्वार्थ देखता है । इसी कारण से जब कोई व्यक्ति कसी दुसरे की मदत करता है तब भी वह उसमे अपना फायदा या ‌‌‌बदले की भावना रखता है । मगर जब कोई व्यक्ति इस तरह के पुण्य या उपकार  करने पर बदले की भावना न रखे तब इसे नेकी कर दरिया मे डाल कहा जाता है ।

नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब और वाक्य व निबंध

‌‌‌नेकी कर दरिया मे डाल मुहावरे का वाक्य में प्रयोग neki kar dariya me dal muhavare ka vakya me prayog  

  • भाईसाहब मैंने आपकी मदत अपने फायदे के लिए नही की मैंरा तो मानना है नेकी कर दरिया मे डाल ।
  • ‌‌‌राजा रोज गाव के लोगो को धन दान करता है परन्तु उनसे कुछ मागता नही है यही है नेकी कर दरिया मे डाल ।
  • नेकिराम का घर ‌‌‌जल जाने के कारण से गाव के सभी लोगो ने थोडी थोडी मदत की तो राम ने भी उसे बहुत पैसे दान दे दिए और कहा की मैं यह पैसे तुम्हे देकर कोई उपकार नही कर रहा हूं नेकी कर दरिया मे डाल ।
  • रास्ते ‌‌‌मे चल रही बुडिया को हरीदेव ने मरने से बचा लिया और जब बुडिया उसे कहने लगी की मैं तुम्हारा यह उपकार कभी नही भुलूगी तो हरीदेव ने कहा नेकी कर दरिया मे डाल ।
  • कुलदिप की मुसीबत मे मदत करने के कारण कुलदिप रामू का बहुत उपकार मानने लगा था परन्तु रामू ने कहा की मेरा तो एक सिद्धात है नेकी कर दरिया ‌‌‌मे डाल ।
  • उसने तुम्हे मुसीबत मे देख कर मदत कर दी उसका तुम पर उपकार करने की बात नही थी वह तो नेकी कर दरिया मे डाल की तरह है ।
  • मुरारी ने गाव की मुसीबत मे धन देकर साहयता की और कहा की यह ‌‌‌देकर मैं आप लोगो पर उपकार नही कर रहा हूं नेकी कर दरिया मे डाल ।
  • साधू लोगो को मुसीबत मे देख कर गुप्त तरह से मदत करता ‌‌‌था और आज तक उसने इस बार मे किसी को नही बताया सच है नेकी कर दरिया मे डाल ।
  • भला मैं गाव के लोगो को क्यो बताउगा की मैंने तुम्हारी मदत की थी मेरा तो मानना है नेकी कर दरिया मे डाल ।

नेकी कर दरिया मे डाल मुहावरे पर कहानी neki kar dariya me dal muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है सुरतनगर नाम का एक बहुत बडा गाव हुआ करता था । गाव ‌‌‌बडा होने के कारण से वहा रहने वाले लोग कुछ गरीब तो कुछ अमीर थे । यानि वहां रहने वाले लोग अमीर और गरीब दोनो थे । परन्तु उस गाव मे कोई भी दुसरे को मुसीबत मे देख कर उसकी मदत नही करता था ।

बल्की वह उसे देख कर एक बार तो दुखी होता और फिर अपने आप के काम मे लग जाता और उसके दुख को भूल जाता था । ‌‌‌इस तरह से अपने पर मुसीबत आने के कारण से गरीब लोगो को निकलने के लिए धन की जरूरत पडती थी ।

जो वे अमीरो से लिया करते थे और फिर अमीर उन लोगो पर अपना अहसान जातने लग जाते थे । इस तरह से फिर अमीर लोग उन गरीब लोगो से उम्र ‌‌‌भर अपने लिए काम करवाते थे । इसी तरह से उस गाव मे चल रहा था की एक दिन उस ‌‌‌गाव मे एक साधू आया था ।

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साधू दिखने मे बहुत ही गरीब लग रहा था परन्तु एक साधू होने के कारण से उसे हर कोई धन आसानी से दान देता था । इस कारण से साधू के पास बहुत अधिक धन था जो वह लोगो की मदद के लिए रखता था । परन्तु किसी को भी पता नही था की साधू लोगो की मदत करने के लिए धन देता है ‌‌‌और साधू इस बारे के किसी को भी बतता नही था ।

जब साधू ने सुरतनगर मे देखा की लोग एक बार जब किसी की मदत कर देते है तो फिर उसे अपने अहसान के बोझ के तले दाब देते है । यह देख कर साधू को बहुत ही बुरा लगा । तब साधू ने लोगो को प्रवचन दिए परन्तु इन परवचनो से लोगो पर कोई फर्क नही पडा ।

तब साधू ने यह ठान लिया ‌‌‌की वह गाव के लोगो की मदत करने के लिए अपना धन दान देगा और इस बारे मे किसी को बताएगा भी नही । साधू लोगो से कहता था की जिस पर भी भारी मुसीबत हो वह मेरे पास सुबह चार बजे आ जाए । मैं उसको ज्ञान की बाते बताउगा ‌‌‌जिससे ‌‌‌उसकी मुसबीत दूर हो जाएगी ।

यह सुन कर अमीर लोग सोचने ‌‌‌लगे थे की आखिर ‌‌‌बातो से मुसीबत हल होती ‌‌‌तो आज यहां किसी पर मुसीबत नही होती । इस कारण से हर कोई सुबह चार बजे साधू के पास नही जा पाता था । परन्तु जो मुसीबत मे हो वह तो अपनी मुसीबत को दूर करने के लिए कुछ भी कर सकता है ।

इस कारण से वह साधू के पास मदत मागने के लिए चला जाता था । और साधू उस आदमी को ज्ञान देता, अगर वह मुसीबत पैसो से ‌‌‌होने वाली होती तो उन्हे पैसे भी देता था । इस तरह की मदत पा कर वे दुखी लोग साधू से कहते की हम आपके इस अहसान को जीवन भर नही भुलेगे ।

तब साधू उनसे कहता की मैं यह नही चाहता की तुम मेरी इस मदत को अहसान मानो । अगर तुम्हे अहसान मानने को मैं कहता तो इतनी सुबह तुम्हारी मदत करने के लिए मैं तुम्हे नही ‌‌‌बुलाता । मेरा तो मानना है नेकी कर दरिया में डाल । इस कारण से तुम इस मदत ‌‌‌के बारे मे किसी को नही बताओगे ।

साधू के ऐसा कहने पर वे लोग नही समझ पा रहे थे । परन्तु साधू से वादा किया की वे इस बारे मे किसी को नही बताएगे । इसी तरह से धिरे धिरे साधू गाव के सभी लोगो की मदत कर चुका था । किसी को पैसे ‌‌‌देकर साधू ने मदत की तो किसी को किसी अन्य तरह से ।

इस बारे मे किसी को कुछ पता नही था । साधू जब भी किसी की मदत करता तो उसे यही कहता था की नेकी कर दरिया मे डाल । इस तरह से दो वर्षों तक साधू वही रहा और फिर अचानक गाव के लोगो को बिना बताए ही साधू गाव से चला गया ।

जब साधू गाव से चला तो गया तब ‌‌‌लोग कहने लगे की साधू ने मेरी इस तरह से मदत की थी । यह सुन कर दूसरे भी बोलने लगे की साधू ने मेरी मदत की थी । इस तरह से फिर गाव के सभी लोगो को पता चल गया की साधू ने पूरे गाव की मदत की परन्तु कभी भी किसी को यह नही कहा की उसने गाव के इस व्यक्ति की मदत की थी ।

यह सब जान कर गाव के सभी लोगो को ‌‌‌पता चल गया की चाहे जिस भी कार्य मे मदत या ‌‌‌पुण्य का काम किया हो पर सामने वाले से इसका उपकार नही मानना चाहिए यानि नेकी कर दरिया मे डाल । इस तरह से गाव के सभी लोग फिर साधू के सिद्धांत पर चलने लगे थे और एक दूसरे की मदत करते परन्तु कभी भी इस बात का अहसान ‌‌‌करना नही मानते थे ।

यानि मदत या ‌‌‌पुण्य कर कर ‌‌‌उपकार ‌‌‌करना नही मानते थे । इस तरह से फिर गाव के सभी लोग एक समान हो गए उनमे अमीरी गरीबी का भेद टल गया । इस तरह से आपको इस कहानी से पता चल गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

नेकी कर दरिया मे डाल मुहावरे पर निबंध neki kar dariya me dal muhavare par nibandh

साथियो नेकी का अर्थ होता है ऐसा कर्म जो ‌‌‌पूण्य का हो । दरिया का अर्थ होता है ‌‌‌नदी मे पानी का बहाव । इस तरह से नेकी कर दरिया मे डाल का अर्थ होता है की ‌‌‌पूण्य करने के बाद मे जो विचार उत्पन्न होता है की मैंने उसकी मदत की या मैंने ‌‌‌पूण्य का काम किया है ।

यह विचार उस नदी मे बह रहे पानी मे डाल दो या इस इस तरह से कह सकते है की ‌‌‌पूण्य करने के बाद जो उपकार करने की बात होती है वह नदी ‌‌‌के पानी के बहाव के साथ उसे भी बहा दिजीए । यानि उपकार करने पर बदले की भावना न रखना या पुण्य करने के बाद उपकार करने की भावना न रखना । इस तरह से इस मुहावरे के बारे मे आपको पता चल गया होगा की इसका अर्थ क्या है ।

नेकी कर, दरिया में डाल मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of neki kar dariya me dal in Hindi

दोस्तो आप इस संसार के एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां पर जो कोई रहता है उनमें से आप भी एक है । तो आपने अपने आस पास ऐसे लोगो को जरूर देखा होगा जो की खुब दुसरो का भला करते है ।

मतलब दूसरो के लिए ऐसे कार्य करते रहते है ​जिसके कारण से दूसरो का भला हो और उनकी मदद हो । मगर इस तरह के लोगो में से ही कुछ लोग मतलबी होते है जो की दूसरो की केवल इसी कारण से मदद करते है की वे भी कभी उनकी मदद करेगे ।

यानि अगर आप किसी की मदद कर रहे हो तो आप भी यह जरूर सोचेगे की कल वह भी मेरी मदद करेगा । मगर असल में मित्र ऐसा नही सोचना चाहिए । क्योकी दूसरो के लिए भला करने के बदले की भावना नही होनी चाहिए ।

और इसी बात से आप समझ सकते है की इस मुहावरे का सही अर्थ neki kar dariya me dal muhavare ka arth – उपकार करने पर बदले की भावना न रखना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।