का वर्षा जब कृषि सुखाने का मतलब और वाक्य में प्रयोग व निबंध

का वर्षा जब कृषि सुखाने मुहावरे का अर्थ ka varsha jab krishi sukhane muhavare ka arth – समय बित जाने पर मदत बेकार है

दोस्तो किसान अपने खेत मे खेती करता है जिसके लिए उसे पानी की सक्त जरूरत रहती है और वह पानी किसान को वर्षा से प्राप्त होता है । जब वर्षा समय पर होती रहती है ‌‌‌तब किसान के लिए वह बहुत ही फायदेमद होगी क्योकी उसकी फसल अच्छी बनेगी ।

मगर जब वर्षा समय बितने के बाद होती है यानि जब फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है उसके बाद वर्षा होती हे तो उस वर्षा का किसान को कोई फायदा नही होता है । यानि वह वर्षा बेकार हो जाती है । इसी तरह से मानव के जीवन मे भी कुछ ‌‌‌कार्य ऐसे होते है जिनके लिए उसे किसी दूसरे की मदत चाहिए होती है जिस तरह से किसान को वर्षा की मदत चाहिए ।

मगर जब इस तरह के कार्यो के लिए समय पर मदत नही मिलती है और समय बित जाने पर मदत मिलती है तब वह मदत भी कोई काम की नही होती है । मगर समय बित जाने पर मदत जब मिलती है तब इस मुहावरे का ‌‌‌प्रयोग किया जाता है ।

का वर्षा जब कृषि सुखाने का मतलब और वाक्य में प्रयोग व निबंध

class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">का वर्षा जब कृषि सुखाने मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ka varsha jab krishi sukhane muhavare ka vakya me prayog
  • ‌‌‌जितने दिनो तक रामू की पत्नी बिमार थी तब रामू की किसी ने मदत नही की और पत्नी के मर जाने पर रामू की मदत करने वाले भी मिल गई सच है वर्षा जब कृषि सुखाने ।
  • ‌‌‌घर पर कर्जा होने से जब घर बिकने लगा तब मैंने लोगो से बहुत मदत मागी ‌‌‌पर किसी ने मदत नही की और घर बिक जाने पर किसी ने आकर मुझे पैसे दिए यही है का वर्षा जब कृषि सुखाने ।
  • रामलाल को भरे बाजार मे डाकूवो ने लूट लिया तब रामलाल बहुत चिल्ला रहा था पर कोई उसकी मदत करने के लिए नही आया और जब डाकू वहा से फरार हो गए तब ‌‌‌पुलिस उसके पास आई तब रामलाल ने कहा का वर्षा जब कृषि सुखाने ।
  • इसबार तो समय पर वर्षा की भी मदत नही मिली जिसके कारण से गाव के लोगो की सारी फसल नष्ट हो गई मगर फसल नष्ट हो जाने पर बहुत दिनो तक वर्षा होती रही यह तो वही बात हो गई का वर्षा जब कृषि सुखाने ।
  • ‌‌‌कुलदिप ने मेरी मदत तो की थी पर समय बित जाने पर यही है का वर्षा जब कृषि सुखाने ।
  • बेटे को पढाई के लिए आज ही विधालय मे फिस जमा करवानी थी परन्तु मेरे पास पैसे न होने के कारण से मैंने आपसे भी मदत मागी तो आपने भी इनकार कर दिया और अगले दिन पैसे दे रहे हो सच है का वर्षा जब कृषि सुखाने ।

‌‌‌का वर्षा जब कृषि सुखाने मुहावरे पर कहानी ka varsha jab krishi sukhane muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है दूर एक गाव हुआ करता था । उस गाव का नाम बाहटोल था । बाहटोल मे अनेक लोग रहा करते थे । परन्तु सभी अपने जीवन के लिए कृषि को ही अपना आधार मानते थे । पर समय के साथ साथ गाव के लोग कृषि से ‌‌‌दूर होने लगे थे ।

इस कारण यह था की बाहटोल मे वर्षा समय पर नही होती थी । जिसके कारण से किसानो की कुछ महिनो की फसल बेकार हो जाती थी । जब इस तरह से बार बार होने लगा तो किसान फसल अपने खेत मे कम ही उगाया करते थे ।

मगर उस समय से पहले कुछ पांचसो वर्षो पहले उस गाव मे वर्षा बहुत अधिक होती थी । इस तरह की बात गाव के लोग कहा करते थे । मगर जब समय के साथ उस गाव मे वर्षा की कमी आने लगी तो किसान ‌‌‌दुखी होने लगते थे । और अपनी फसल को बचाने के लिए रोजाना आसमान की तरफ देखते रहते की कब आसमान से वर्षा आ कर हमारी मदत कर दे ।

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 इसी तरह से एक बार की बात है उस गाव मे बहुत अधिक वर्षा हो गई थी । जिसे देख कर ‌‌‌लोगो को लगा की इस वर्ष काफी अधिक वर्षा होगी । जिसके कारण से गाव के सभी लोगो ने अपने अपने खेतो मे फसल बो दी ।

क्योकी वर्षा हो चुकी थी जिसके कारण से फसल अच्छी दिख रही थी । और एक महिने के बाद मे तेज वर्षा फिर से हो गई थी । इस कारण से उस ‌‌‌गाव मे काफी अधिक अच्छी फसल दिख रही थी ।

जिसे देख कर गाव के लोग काफी अधिक खुश हो रहे थे । अब सभी गाव के लोग रोजाना सुबह जल्दी उठ कर अपने खेत मे जानकर काम करने लग जाते थे । इस तरह से उनका जीवन चल रहा था ।

मगर धिरे धिरे जब फसल को वर्षा की जरूत हुई तो फसल पानी की कमी के कारण से मुरझाने ‌‌‌लगी थी। यह देख कर किसानो ने आसमन की तरफ देखना शुरू कर दिया था । इस ‌‌‌बात को जैसे जैसे समय बितता किसान दुखी होने लगे और अपने ईस्वर से प्राथना करने लगे की वर्षा हो ।

मगर वर्षा का कही पर ‌‌‌नामु निसान नही दिख रहा था । अब किसान जैसे ही सुबह उठते तो आसमान की तरफ देखते की आसमान ‌‌‌में बादल दिख रहे है ‌‌‌की नही । और इसी तरह से रोजाना पूरे दिन आसमान की तरफ देखते रहते थे ।

इस तरह से अब गाव के सारे लोग ‌‌‌दुखी हो गए थे और वर्षा से मदत माग रहे थे । मगर वर्षा होने का नाम ही नही ले रही थी । जिसके कारण से किसानो की फसल नष्ट होने लगी थी । धिरे धिरे वर्षा की कमी ने लोगो के खेतो की ‌‌‌हरियाली को पूरी तरह ‌‌‌से सुखा दिया ।

यानि वर्षा की कमी के कारण से किसानो की फसल बिना पके ही नष्ट हो गई । यह देख कर किसान बहुत ही दुखी हो गए । मगर उसी गाव मे एक व्यक्ति ने यह देख कर आत्महत्या भी कर ली थी । इस बात को एक ‌‌‌ही दिन हुआ था की वर्षा फिर से बहुत तेज हुई ।

इतनी तेज वर्षा होने के कारण भी गाव के लोग ‌‌‌‌‌‌दुखी नजर आ रहे थे । और मन ही मन सोच रहे थे की पहले तो वर्षा की जब जरूरत थी तब हुई नही और अब हो रही है । इसी तरह से गाव के लोग अगले दिन बात करने लगे थे ।

तब उन्ही लोगो मे से ‌‌‌किसी ने कहा का वर्षा जब कृषि सुखाने । यह सुन कर दूसरे भी बोल पडे की हां सही है । इसी तरह से जब अगले वर्ष वर्षा ने समय पर ‌‌‌मदत नही की जिसके कारण से फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई और फसल के नष्ट होने पर वर्षा आई तो फिर ‌‌‌से लोगो ने कहा का वर्षा जब कृषि सुखाने

‌‌‌का वर्षा जब कृषि सुखाने मुहावरे पर कहानी ka varsha jab krishi sukhane muhavare par kahani

इस तरह से फिर उस गाव मे बार बार होने लगा । जिसके कारण से लोगो के मन मे बैठ गया की जब समय पर मदत न हो और बादमे कोई मदत करे तो वह बेकार है और ‌‌‌इसी तरह के स्थान पर का वर्षा जब कृषि सुखाने का प्रयोग होने लगा ।

इस तरह से बाहटोल गाव के लोगो ने इस मुहावरे का अर्थ भी बता दिया था । बाहटोल के लोगे के साथ जब इस तरह से बार बार होने लगा तो ‌‌‌वे कृषि को त्याग कर शहर की तरफ बढने लगे और अन्य काम करने लगे । ‌‌‌इस तरह से फिर गाव के लोगो का जीवन गुजरता चला गया ।

का वर्षा जब कृषि सुखाने मुहावरे पर निबंध ka varsha jab krishi sukhane muhavare par nibandh

साथियो आपने उपर दी गई कहानी मे पढा की बाहटोल गाव के लोगो के साथ जब बार बार समय बित जाने पर वर्षा की मदत हुई तो उन्होने इसे का वर्षा जब कृषि सुखाने कहा । और इसी तरह से कुछ वर्षो के बाद जब लोग समय ‌‌‌बित जाने पर एक दूसरे की मदत करते तो इसे फिर का वर्षा जब कृषि सुखाने कहा ।

 जिसके कारण से यह एक मुहावरा बन गया और इसका प्रयोग होने लगा । इसी कहानी से यह भी पता चला की इस मुहावरे का अर्थ क्या है यानि समय बित जाने पर मदत होना बेकार है यही इस मुहावरे का सही अर्थ है ।

इस तरह से जब मनुष्य अपने जीवन ‌‌‌मे किसी से मदत ‌‌‌मागता है और उसे समय बित जाने पर मदत मिलती है तब इस मुहावरे का प्रयोग होना शुरू हो गया था । ‌‌‌इस तरह से अब आपको यह पता चल गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है और इसका कहां प्रयोग होता है ।

का वर्षा जब कृषि सुखाने मुहावरे का पर निबंध || ka varsha jab krishi sukhane essay on idioms in Hindi

दोस्तो आपको पता है की किसान के लिए सबसे महत्वपूर्ण पानी होता है अगर पानी नही होता है तो किसान खेती नही कर पाता है ।

और ऐसा बहुत बार होता है जब किसान अपनी फसल को बोए रहता है तो पानी की कमी आ जाती है क्योकी वर्षा नही होती है । अगर आप एक किसान है तो इस बात को अच्छे से समझ सकते है या फिर आपके पिता किसान है तो भी इसे समझ सकते है।

तो ऐसे में सारी फसल सुख जाने के बाद में अगर वर्षा आती है तो आप ही बताओ की क्या यह वर्षा उस फसल के लिए उपयोगी है तो इसका उत्तर होगा नही, और इसी से समझ में आ जाता है की ka varsha jab krishi sukhane muhavare ka arth – समय बित जाने पर मदत बेकार है होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।