भीतर तक काँप जाना का अर्थ और मुहावरे का ‌‌‌वाक्य व एक कहानी

भीतर तक काँप जाना इस मुहावरे का अर्थ होता है bhitar tak kar jana muhavare ka arth – बहुत ही अधिक डर जाना ।

दोस्तो जैसा की आपको पता है की डर के कारण से शरीर कांपने लग जाता है । और इस तरह से शरीर के कांपने को ही डर जाना कहा जाता है । जिसे कांप उठना कहा जाता है । ‌‌‌मगर कभी कभार ऐसा होता है की मनुष्य बाहर से ही नही कांपता बल्की वह अंदर से भी कापने लग जाता है और अंदर से तभी कापता है जब उसे बहुत ही अधिक डर लगने लग जाए । जब बहुत अधिक डर लगता है तो फाकी समय के बाद भी वह इसी तरह से कांपता रहता है । इस तरह से बहुत अधिक डरने को ही भितर तक कांप जाना कहा जाता ‌‌‌है ।

भीतर तक कांप जाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • डाकूओ की धमक्की को सुन कर धनवान सेठ भीतर तक कांप गया ।
  • राहुल अपने अध्यापक को देख कर भीतर तक कांप गया क्योकी उसने होमवर्क नही किया था ।
  • जब महेश को उसके पिता ने शराब पीते हुए देख लिया तो महेश भीतर तक कांप उठा ।
  • अनजान जगह पर लालूयादव ने डरावनी आवाजे सुनी तो वह भीतर तक कांप उठा ।
  • झुलाराम ने सेठ के घर चोरी कर ली और अगले ही दिन अपने घर की तरफ पुलिश को आते देख कर ‌‌‌वह भीतर तक काप उठा ।
  • ‌‌‌जगली शेर को गाव में देख कर पूरे गाव के लोग भीतर तक काम उठे ।

भीतर तक कांप जाना ‌‌‌मुहावरे पर कहानी (साधू और सेठ की दुश्मनी)  story on idiom

दोस्तो किसी नगर मे एक बडा ही धनवान सेठ रहा करता था । सेठ के पास इतना अधिक धन था की वह पैसो से गाव के लोगो के घर बार सब कुछ खरीद सकता था । इतना अधिक धनवान होने के कारण से सेठ का गाव में बडा नाम था और ‌‌‌लोग सेठ को इतना अधिक सम्मान देते थे की अगर वह कुछ कह देता तो लोग उसके खिलाफ तक जाना पंसद नही करते थे ।

इस तरह से होने के कारण से यह कहा जा सकता है की सेठ उस गाव का राजा था । मगर सेठ की एक गलती ने सेठ को कंगाल बना दिया और गाव के लोगो को धनवान बना दिया था । क्योकी वसंत ऋतु का समय होने ‌‌‌के कारण ‌‌‌गाव का महोल बडा ही चहक महकता था । और गाव मे तरह तरह के पेड पौधे होने के कारण से वह पूरा का पूरा गाव खुशबू दार रहता था ।

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जिसके कारण से जो भी उस गाव के पास से जाता वह एक रात गाव मे जरूर रूकता था । इस सबका फायदा सेठ ही उठाता था । क्योकी सेठ उस गाव में अपना एक होटल खोल चुका था ‌‌‌जिसमें यात्रिगण आराम ‌‌‌किया करते थे । सेठ यह दावा करता था की जो भी यात्रि को चाहिए वह सब यहां पर मिलेगा यहां तक की किसी को भी दुखी ‌‌‌होकर यहां से नही जाना होगा ।

यही कारण था की सेठ अपने गाव के लोगो के साथ प्रेम भाव से रहता था और यहां तक की गाव के लोगो को पेड पौधो की देखभाल करने के लिए कुछ पैसे भी दे देता था । ‌‌‌जिसके कारण से गाव के लोग इस काम में लगे रहते थे । मगर गाव के लोग इतने भौले थे की सेठ की चालाकी को समझ नही पाए ।

मगर एक दिन की बात है साधुओ की एक टोली उस नगर के बाहर से भजन कीर्तन करते हुए जा रही थी । ‌‌‌जिसके भजन को सुन कर गाव के लोगो को बडा अच्छा लगा । इसके अलावा जब वह साधुओ की टोली उस नगर में से ‌‌‌बडी तो उन्हे आभास हुआ की यहां पर जरूर कुछ अनोखा है क्योकी खुशबू ने उन्हे अपनी और आकर्षित कर लिया और वे इसी के कारण से गाव मे आ चुके थे ।

जैसे ही साधुओ की टोली गाव में पहुंची अंधेरा हो गया जिसके कारण से उन्हे विश्राम करने के लिए एक उचित स्थान चाहिए था । मगर साधू थे उनके पास न तो खाने को था और न ही कुछ धन था । ‌‌‌जिसके कारण से जब वे सेठ ‌‌‌से एक रात्रि के लिए ‌‌‌विश्राम के लिए मकान मागा तो सेठ ने कहा की पैसे लगेगे ।

तब साधुओ की टोली ने कहा की हमारे पास पैसे नही है । यह सुन कर सेठ को  लगा की ये लोग भिखारी है इनके पास पैसे नही तो मेरी हॉटल मे मकान भी नही । यह सोच कर साधू ने ऐसा ही उन साधुओ की टोली से कहा । यह सुन कर ‌‌‌साधुओ की उस टोली में से सबसे अधिक ज्ञानी और ‌‌‌गुरूदेव आया और उसने कहा की पुत्र हम साधू है अगर तुम हामारी साहयता करोगे तो तुम्हे अवश्य कुछ लाभ होगा एक रात की बात है आराम करने के लिए स्थान दे दो ।

मगर सेठ को अब क्रोध आ गया और उसने अपने कुछ लोगो को बुला कर साधूओ को बहार निकाल दिया । इस तरह ‌‌‌बहार निकालने के कारण से साधुओ को बडा बूरा लगा । जिसके कारण से साधुओ की उस टोली ने अपने ‌‌‌गुरूदेव से कहा की ‌‌‌गुरूदेव अब हम इस ‌‌‌विरान जगह में कहा रूकेगे ।

तब ‌‌‌गुरूदेव ने कहा की शिष्यो आप फिकर न करो अगर यह ‌‌‌मुर्ख हमे यहां रहने नही दे रहा है तो गाव अभी बाकी है । यह सुन कर साधुओ की टोली ने कहा की ‌‌‌‌‌‌गुरूदेव हम कुछ समझे नही । तब ‌‌‌गुरूदेव ने कहा की शिष्यो आप मेरे साथ आओ । इस तरह से फिर वह साधू की टोली गाव के एक एक घर जाने लगी और रात्रि में आराम करने के लिए जगह मागने लगे थे ।

तब कुछ लोगो ने तो कहा की महाराज हमारे पास इतनी ही जगह है तो कुछ ने उन्हे खाना दिया और कहा की महाराज रहने के लिए ‌‌‌जगह नही मिल सकती है । आप चाहो तो दूसरे घरो मे जा सकते हो । मगर इस तरह से साधुओ को खाना तो मिल ही गया मगर रहने के लिए स्थान नही मिला ।

जिसके कारण से साधुओ की टोली परेशान होने लगी । तब ‌‌‌गुरूदेव ने कहा की शिष्यो उस झोपडी मे जाकर देखते है जरूर कुछ सहायता मिल जाएगी । जब टोली वहा पहुंची तो ‌‌‌उन्होने देखा की यहां पर एक ‌‌‌बुडिया रहती है। साथ ही देखा की इस बुडिया के पास एक ही झोपडी है ।

मगर फिर भी उस बुडिया ने साधूओ को रहने के लिए स्थान दिया और स्वयं अपने पशुओ के पास जाकर सो गई । यह देख कर साधुओ को रात भर निंद नही आई । क्योकी गाव में ऐसा कोई नही था जो उनकी मदद नही कर रहा ‌‌‌था । मगर ‌‌‌जिस बुडिया के पास एक झोपडी थी उसने उनकी मदद क्यो कर दी । यह सोच सोच कर साधु की टोली परेशान हो रही थी ।

जब साधुओ को सुबह जाग आई तो उन्होने सबसे पहले उसी बुडियो को देखना चाहा मगर वह उन्हे नही मिली । बल्की वह जंगल चली गई थी। क्योकी रात को साधुओ को निंद न आने के कारण से सुबह ‌‌‌निंद से उठने मे अधिक देर हो गई थी।

भीतर तक कांप जाना ‌‌‌मुहावरे पर कहानी (साधू और सेठ की दुश्मनी)  story on idiom

जब साधुओ ने बुडिया के बारें मे पता लगाया तो उन्हे पता चला की वह बुडिया गाव के लोगो की बकरी चराने का काम करती है और उसका इस दुनिया में एक बेटा था वह भी पैसो के लिए शहर चला गया है । यह जान कर साधुओ को बडा बूरा लगा । तभी उन्हे सेठ मिल गया और सेठ उन साधू को बुरा ‌‌‌भला कहने लग गया था ।

यहां तक की सेठ ने उन्हे गाव से जाने को भी कहा था । तब साधू चुप रहे और उसके जाने के बाद सभी जंगल गए तो उस बुडिया ‌‌‌मिल गई और सभी बुडिया से आराम करने लिए स्थान क्यो दिया इस बारे में बात करने लगे थे । ‌‌‌तब उन्हे बुडिया के जीवन में दुखो के बारे मे पता चला । तब साधुओ की उस टोली ने अपने ‌‌‌गुरूदेव से कहा की ‌‌‌गुरूदेव हमे इस बुडिया की मदद करनी चाहिए ।

यह सुन कर ‌‌‌गुरूदेव ने कहा की ठिक है आप सभी ‌‌‌जंगल से बहुत सारी पेड की लकडी लेकर बुडिया के घर आ जाओ । इस तरह से कह कर वह साधू वहां से चला गया और उसकी टोली या शिष्य इस काम मे जुट गए । ‌‌‌गुरूदेव सिधा ही सेठ के पास गया और कहा की हमे आज यही रहना है इस कारण से तुम एक रात के लिए अपने यहां रहने दो ।

 आखिर साधू देखना चाहता था की सेठ सच मे ‌‌‌पैसो का लालची है या किसी की मदद भी कर सकता है । मगर साधू को सेठ ने फिर से धक्के मार कर निकाल दिया । और कहा की तुम जहां चाहो वहा अपना ठिकाना बना सकते हो पर तुम जैसे बिखारी मेरी हॉटल मे रहे तो बाकी सभी यहां नही रहेगे ।

यह देख कर साधू को बुरा लगा और ‌‌‌उसने कहा की सेठ अब से तुम्हारे बुरे दिन ‌‌‌शुरू हो रहे है । यह सुन कर सेठ ने कहा की तुम लोग और मेरे बुरे दिन लेकर ‌‌‌आओगे । यह सुन कर सेठ बुडिया के घर गया तो उसने देखा की उसके शिष्यो ने बहुत सारी लकडी लाकर रख दी है ।

तब साधू ने अपने शिष्यो से कहा की अगर हम किसी जगह पर जाते है तो वहा अपना ‌‌‌घर बना लेते है आज भी यही करना है मगर आज अपना ‌‌‌घर समझ कर एक महल बनाना है । यह सुन कर शिष्यो ने साधू से कहा की ठिक है ‌‌‌गुरूदेव ऐसा ही होगा । क्योकी साधुओ की उस टोली को घर बडा ही अच्छा बनाना आता था । जिसके कारण से उन्होने लकडियो का इतना अधिक सुंदर घर बना दिया की बुडिया देख कर वापस जाने लगी थी क्योकी उसे लग नही रहा था की यह उसी का घर है ।

‌‌‌मगर तभी साधुओ ने उसे रोक लिया और बताया की यह आपका ही घर है । तब ‌‌‌गुरूदेव ने कहा की माताजी आज से आपको बकरी चराने की जरूरत नही होगी क्योकी जो सेठ काम करता है वह आप कारोगी । तब बुडिया ने कहा की साधुओ क्यो मजाक कर रहे हो सेठ के पास अपरम पार धन है मगर मेरे पास खाने को तक नही है ।

इस तरह से ‌‌‌बुडिया कह कर आराम करने के लिए अपनी उसी झोपडी में चली गई । थोडी देर मे रात्रि होने वाली ही थी तभी कुछ लोग उस नगर में आए तो उन्होने देखा की एक लकडी का महल बना हुआ है जिसके बाहर लिखा है की जो भी यात्रि विश्राम करना चाहता है वह यहां रूक सकता है और इसके लिए पैसे ‌‌‌देने की भी जरूरत नही है ।

यह ‌‌‌देखकर सभी उसी महल मे चले गए । यह देख कर सेठ को बडा घुस्सा आया और उसने साधूओ को कहा की देखता हूं की तुम क्या क्या करते हो । इस तरह से सेठ साधुओ को अपना दुश्मन मानने लगा था । मगर जैसे ही अगले दिन यात्रिगण जाने गले तो उन्होने कुछ न कुछ दिया । ‌‌‌

जिसका फिर से उपयोग कर कर साधूओ ने महल को चमका दिया ।इस तरह से 10 दिनो तक चलता रहा । जिसके कारण से ‌‌‌बुडिया का लकडियो का महल गाव मे सबसे अच्छा लगने लगा था । जो की एक विश्राम घर के नाम से जाना जाने गला । यहां तक की गाव के लोगो को भी यह बडा अच्छा लगा । जिसके कारण से सभी अपने घरो के बहार एक ‌‌‌लकडियो का विश्राम घर बानाने लगे थे ।

मगर सभी यात्रिगण बुडिया के महल मे ही जाते और अगले दिन जो कुछ वे दे सकते थे वे दे देते थे । इस तरह से बुडिया के पास धन आने लगा था । यह जब बुडिया के बेटे को पता चला तो वह भी अपनी पत्नी के साथ अपनी मां के पास आ गया और उसकी सेवा करने लगा था । ‌‌‌यह देख कर साधुओ को बडा अच्छा लगा ।

तब ‌‌‌गुरूदेव को उनके शिष्यो ने कहा की ‌‌‌गुरूदेव अब हमको यहां से जाना चाहिए । मगर साधु ने अपने शिष्यो से कहा की नही अभी हम दो दिनो तक यहां रहेगे और बुडियो के बेटे को विश्राम घर को कैसे चलाना है बताएगे । इस तरह से फिर साधुओ की उस टोली ने बुडिया के बेटे को ‌‌‌समझा दिया की पैसो की लालच मे अगर तुमने यात्रि को रहने नही दिया या फिर किसी से भी पैसे मागे तो यह घर नष्ट हो जाएगा ।

 क्योकी साधू की वाणी थी जिसके कारण से ऐसा हो सकता था । जिससे बुडियो का बेटा कभी भी ऐसा नही करेगा साधूओ को वचन दे दिया । इसके बाद मे साधू वहां से चले गए । मगर इससे सेठ का काम ‌‌‌पुरी तरह से बंद पड गया । और जब साधू वापस सेठ के पास पहुंचे तो उन्हे देख कर सेठ भीतर तक कांप उठा

तब साधूओ की उस टोली का ‌‌‌गुरूदेव सेठ से कहने लगा की सेठ अगर तुम उस दिन हमे यहां रहने देते तो ऐसा दिन आज नही आता था । तब सेठ डर के मारे ‌‌‌गुरूदेव के चरणो मे जा गिरा और कहा की महाराज ऐसा फिर कभी नही ‌‌‌होगा । यह सुन कर ‌‌‌गुरूदेव ने कहा की अगर तुमने चंद पैसो के लिए इस गाव के लोगो को परेशान किया तो तुम्हारा एक एक कर कर सब कुछ नष्ट हो जाएगा ।

यह सुन कर साधू डर गया और कहा की ऐसा नही होगा । इस तरह से साधू वहां से चले गए । इस बात को 2 महिने बिते तो सेठ वापस अपने पहले वाली चाल को चलने लगा और गाव के ‌‌‌लोगो को अपनी बात मनवा कर विश्राम घर को उठाड फैंका मगर बुडिया के बेटे ने ऐसा नही किया । जिसके कारण से सेठ उसका घर तोडने के लिए कुछ लोगो को भेजने लगा ।

जिसके कारण से वह विश्राम घर तो नही टुटा बल्की सेठ का ही हॉटल गिर गया । जिसके कारण से सेठ का बहुत बडा नुकसान हुआ । मगर अभी वह समझ नही पाया ‌‌‌बल्की वह फिर से उस विश्राम घर को उजाडने में लगा रहा और अपना नुकसान नही देख रहा था । इस तरह से वह विश्राम घर तो नही उजाड पाया ‌‌‌बल्की सेठ कंगाल हो गया ।

भीतर तक कांप जाना ‌‌‌मुहावरे पर कहानी (साधू और सेठ की दुश्मनी)  story on idiom

तब उस बुडिया ने सेठ को साधू की बात याद दिलाई । जिसके कारण से सेठ ‌‌भीतर तक कांप उठा और उन साधूओ से वापस माफी मागने के लिए बुडिया से उनका पता ‌‌‌पूछने लगा था । मगर साधूओ के बारे मे बुडिया को भी नही पता था । जिसके कारण से ‌‌‌सेठ अपने गाव का सबसे गरीब आदमी बनकर रह गया । इस तरह से सेठ ने साधू से दुश्मनी कर कर गाव के लोगो को अपने से अमीर बना दिया । इस तरह से आपको इस ‌‌‌कहानी से मुहावरे के अर्थ के बारे मे समझ मे आया होगा ।

‌‌‌अगर लेख जरा भी अच्छा लगा तो कमेंट कर कर बताए ।

भीतर तक काँप जाना इस मुहावरे पर निबंध || bhitar tak kar jana essay on idioms in Hindi

दोस्तो आशा है की आप इस मुहावरे को समझ चुके है । क्योकी आपने अभी उपर जो कुछ पढा है उसके आधार पर यह कहना गलत नही होगा की आपको इस मुहावरे के बारे में इतनी जानकारी मिल चुकी है जो की आपको यह समझाने के लिए काफी होती है की बहुत ही अधिक डर जाना ही इस मुहावरे का अर्थ होता है ।

क्योकी आपने सबसे पहले तो इस मुहावरे को समझा था और इसके बाद मे आपको हमने एक कहानी प्रदान की थी ​ताकी आप इस कहानी की मदद से भी यह समझ सकते है की इस मुहावरे का अर्थ क्या होता है।

वैसे वाक्य में प्रयोग करने के कारण से प्रत्येक मुहावरा समझ में आ जाता है और इसी कारण से भीतर तक कांप जाना मुहावरे के वाक्य में प्रयोग भी हमने आपको दिए है ताकी आप मुहावरे को समझ सकते है।

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नजर चुराना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

चुल्लू भर पानी में डूब मरना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

बाल बाँका न होना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

घमंड में चूर होना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

डींग हाँकना (मारना) मुहावरे का मतलब और वाक्य में प्रयोग

छाती पर साँप लोटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

धाक जमाना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

जली कटी सुनाना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

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धूप में बाल सफेद करना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

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तारे गिनना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

तेली का बैल होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दम भरना का मतलब और वाक्य व कहानी

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हाथ खाली होना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

हाथ तंग होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व निबंध

आसन डोलना मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

अंडे का शाहजादा मुहावरे का मतलब और वाक्य व कहानी

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।

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