घास खोदना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

घास खोदना मुहावरे का अर्थ ghas khodna muhavare ka arth  – महत्वहीन कार्य करना

दोस्तो आप सभी को पता है की घर मे घास उगने मे कुछ देर नही लगती है । जिसे समय समय पर खोदकर निकालना पडता है । अगर उस घास को समय पर खोदकर नही निकाला जाता है तो वह समय के साथ फैल कर बहुत बडा हो जाता है । ‌‌‌मगर घास को खोद कर निकालने पर इस कार्य का जरा भी महत्व नही होता है यानि यह कार्य महत्वहिन का होता है।

इस तरह के कार्य करने के लिए कभी भी समय निकाला जा कसता है या इन कार्यो को किसी भी वक्त कर लेते है । मगर फिर भी ये कार्य महत्वहिन ही रहेगे । इस तरह से जब कभी किसी कारण से महत्वहिन कार्य कोई व्यक्ति करता है ‌‌‌तो इसे घास खोदना कहा जाता है । यहां पर महत्वहिन कार्य होने पर ही इस मुहावरे का प्रयोग होता है चाहे फिर वह कार्य ‌‌‌कैसा भी हो ‌‌‌सकता है ।

‌‌‌घास खोदना मुहावरे का ‌‌‌वाक्य में प्रयोग ghas khodna muhavare ka vakya me prayog

  • कोरोना काल मे सभी लोग घर पर बैठ कर घास खोद रहे थे ।
  • बेटा तुम्हे मैंने घास खोदने के लिए इतना बडा नही किया है कोई नोकर लग जा ताकी मै भी कह सकु की मेरा बेटा नोकरी करता है ।
  • किसनराम को इतना पढा लिखा दिया केवल घास खोदने के लिए ।
  • महेश तुम तो जरा भी अपने पिता की नही सोचते हो उन्होने तुम्हे सबसे अच्छी ‌‌‌शिक्षा दी और तुम ही घर पर बैठ कर घास खोद रहे हो ।
  • मुझे घास खोदने का कोई सोक नही अगर आपके पास कोई अच्छा काम है तो बता दो ।
  • धनसेठ के पास धन की कोई कमी नही है तभी उसका इकलोता बेटा इतना बडा हो जाने पर भी घास खोदता है ।
  • कोरोना क्या आ गया ‌‌‌पुरे देश को घास खोदना पड गया ।
  • इतनी गरीबी होने के बाद भी घास खोद रहे हो आखिर तुम्हारा घर चल कैसे जाता है ।
  • मुश्किल से मैंने तुम्हे नोकरी लगाया था और तुम सेठ के साथ झगडा कर कर नोकर छोड दी और अब घर पर नालायक की तरह बैठे रहते हो इसे कहते है घास खोदना ।
  • ‌‌‌रामू के बारे मे पूरे गाव के लोग जाते है तभी उसे कोई नोकरी नही देता जिसके कारण से रामू घर पर रह कर घास खोदने मे लगा है ।

‌‌‌घास खोदना मुहावरे पर कहानी ghas khodna muhavare par kahani

घास खोदना मुहावरे का अर्थ

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक धनराम नाम का आदमी रहा करता था । धनराम के पास धन तो नही था परन्तु वह पुरा राम की तरह पवित्र और सच्चे मन वाला था । इस तरह का होने के कारण से गाव के सभी लोग उसके साथ रहा करते थे । साथ ही जब भी धनराम गाव के लोगो से मदत मागता तो गाव के लोग उसकी मदत करत दिया करते थे ।

इसके अलावा धनराम शहर के बहुत से लोगो को अच्छी तरह से जानता था जो बडी बडी कंपनियों मे काम किया करते थे । मगर वे सभी पडे लिखे थे और धनराम पढा लिखा नही था । जिसके कारण से वह उनके साथ काम नही कर सका । ‌‌‌बल्की वह शहर के एक दर्जी के पास काम किया करता था ।

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‌‌‌वहां पर धनराम कपडे बेचने का काम करता था और दर्जी उन्ही कपडो की सिलाई कर कर लोगो को दे देता था । इस तरह से वह दर्जी एक साथ दोगुना पैसा कमा रहा था । जिसके कारण से उसके पास धन की कोई कमी नही थी। इसके अलावा धनराम के घर मे उसकी पत्नी और उसका एक बेटा था ।

जिसे धनराम ने बहुत ही अच्छी शिक्षा दी और ‌‌‌अच्छे गुण भी दिए । इस तरह से जब धनराम के बेटे ने अपनी शिक्षा पूरी कर ली तो धनराम ने बिना देर किए अपने बेटे को शहर के उन्ही लोगो के पास काम लगा दिया जो बडी बडी कंपनियों में काम किया करते थे ।

क्योकी धनराम का बेटा पढा लिखा था जिसके कारण से उसे काम मिल गया और उसे अच्छी पगार भी मिलने ‌‌‌लग थी । यह देख कर धनराम बहुत ही खुश था । पर धनराम के बेटे की एक आदत बहुत ही बुरी थी । वह किसी की भी बात नही सुनता था । जिसके बारे मे अनेक बार सुचना धनराम के पास पहुंच चुकी थी ।

मगर अब जब वह काम करने लगा तब भी धनराम को इसी बात का डर था । की अगर किसी ने उसे कुछ कह दिया तो वह उस व्यक्ति की एक नही ‌‌‌सुनेगा और काम छोड कर घर आ जाएगा । एक महिने काम करने के बाद मे एक दिन धनराम के बेटे को एक अधिकारी ने कुछ बाते सुना दी ।

जिसके कारण से धनराम ‌‌‌के बेटे को क्रोध आ गया और उस अधिकारी के साथ झगडा करने लगा । इस तरह से झगडा करते देख कर उस अधिकारी ने धनराम के बेटे को नोकरी से ‌‌‌निकला दिया था ।

जब धनराम के बेटे को नोकरी से निकाल दिया तो वह क्रोध के साथ बोल कर आ गया की मुझे भी इस तरह की तुच्छ नोकरी की कोई जरूरत नही है । इतना कह कर वह तो अपने घर चला गया परन्तु जब इस बारे मे धनराम को पता चला तो उसने अपने बेटे को बहुत सुनाया ।

मगर इस बात का उस पर कोई असर नही हो रहा ‌‌‌था । फिर भी धनराम ने उसे सुनाने के लिए कहा की मैंने तुम्हे जो नोकरी दिलाई थी वहां लोग जाने के लिए तरसते है और तुम उसे छोडकर अब क्या घर पर घास खोदोगे । इतना कहने के बाद मे धनराम की पत्नी ‌‌‌वहां पर आ गई और अपने पति को किसी तरह से चुप कराया और बाद मे वहां से भेज दिया ।

इसी तरह से इस बात को इस दिन ही ‌‌‌बिता था की जो भी कोई धनराम के ‌‌‌पास आता तो वह धनराम को यही कहता था की तुम्हारे बेटे ने इतनी अच्छी लोकरी छोड दी और अब घर पर बैठ कर घास खोद रहा है । साथ ही कहा करते की उसे अब कोई अच्छी नोकरी और दिलाओ ।

तब धनराम कहता की उसकी अक्ल ठिकाने आने दो पहले । इस तरह से फिर धनराम ‌‌‌के बेटे को दो वर्ष बित गए मगर वह अपने घर पर ही ‌‌‌रहता था । इसके बाद मे धनराम ने अपने बेटे का विवाह कर दिया । ताकी घर की जिम्मेदारी समझ मे आएगी तो काम अपने आप कर लेगा ।

विवाह हो जाने के बाद भी जब धनराम का बेटा काम करने के लिए नही जाता तो उसे हर कोई कह देता की तुम्हारे तो मोज हो रही है शादी हो जाने पर भी काम करना नही पड रहा है बल्की‌‌‌ घास खोद रहे हो । इस तरह से सुन कर वह अपने आप को निराश महसुस करता जिसके कारण से फिर वह काम करने के लिए जाने लगा था ।

मगर अब अच्छा काम नही मिलने पर वह कभी काम पर जा पाता तो कभीनही जा पता । इस तरह से दो वर्ष और चलने के बाद मे उसके पिता ने फिर से उसी कंपनी मे उसे नोकरी दिला दी । मगर इस बार ‌‌‌वह अपने अधिकारी की हर बात सुन कर कार्य करता रहा और लम्बे समय तक वही डटा रहा । इस तरह से उनका जीवन चल रहा था । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ  क्या है ।

घास खोदना मुहावरे पर निबंध ghas khodna muhavare par nibandh

साथियो घास खोदने का काम जो भी करता है उसके लिए यह तक नही कहा जा सकता की यह काम कर रहा है । क्योकी इस तरह के काम का कोई महत्व नही होता है । जिस तरह से उपर कहानी मे बताया गया की धनराम का बेटा जब घर पर ही रहने लगा तो उसे सब बुरा कहते थे ।

क्योकी उसने एक अच्छी नोकरी छोड दी और अब घर मे रहकर आराम कर रहा है । तो इस तरह से आराम करने का यह कार्य महत्व‌‌‌हिन कार्य हुआ । इस तरह से जब कोई भी महत्वहिन कार्य होता है तो उस समय इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

इस तरह से अनेक ऐसे कार्य है जिनके करने या न करने का कोई महत्व नही है । मानव अपने जीवन मे ऐसे अनेक छोटे मोटे कार्य करता ही रहता है । जैसे वर्तमान मे मुबाईल चलाना एक महत्वहिन कार्य है ।

‌‌‌जिसे करने पर कोई भी यह तक नही कहेगा की यह लडका या यह व्यक्ति कुछ काम कर रहा है बल्की कहेगा की घास खोद रहा है काम तो होता नही । ‌‌‌इस तरह से इस मुहावरे का प्रयोग होता है इस बारे में आपको पता चल गया होगा ।

घास खोदना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of ghas khodna in Hindi

दोस्तो जैसा की आपने लेख को पढा ओर इस लेख के माध्यम से यह जाना की यहां पर घास को खोदने को एक ऐसा काम बताया जा रहा है जो की किसी तरह का महत्व नही रखता है।

क्योकी यह तो आप ही समझ सकते है की अगर आपके पास काम होगा तो आप घास को खोदने के लिए कभी भी समय नही निकालेगे । मगर जब आप जीवन में आराम करते है और आपके पास किसी तरह का काम नही होता है तो आप समय को बिताने के लिए घास को खोदने लग जाते है ओर ऐसा मैं तो करता हूं ।

तो इसका मतलब हुआ की घास खोदना एक महत्वहीन कार्य है जिसे करने का मतलब है की आप असल में महत्वहीन कार्य कर रहे है।

और ऐसे ही बहुत से काम है जो की महत्व​हीन माने जाते है ओर अगर उन कार्यों को कोई करता है तो उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग कर सकते है तो इसका मतलब हुआ की ghas khodna muhavare ka arth  – महत्वहीन कार्य करना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।