पर उपदेश कुशल बहुतेरे मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

पर उपदेश कुशल बहुतेरे मुहावरे का अर्थ par updesh kushal bahutere muhavare ka arth – दुसरो को उपदेश देना आसान होना

दोस्तो आज के समय मे सभी ‌‌‌महातमा की तरह दुसरो को उपदेश देते रहते है की अपने जीवन मे यह करो अपने जीवन मे वह करो, मगर स्वयं सही होते नही है । ‌‌‌इस तरह के लोग जब भी अपने सामने कुछ गलत होते देखते है तो उस पर उपदेश देने लगते है । इस तरह से जब किसी व्यक्ति को दुसरो को उपदेश देना आसान लगता है और वह दुसरो को उपदेश देने लगता है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

पर उपदेश कुशल बहुतेरे मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

पर उपदेश कुशल बहुतेरे मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग par updesh kushal bahutere muhavare ka vakya me prayog

  • ‌‌‌सडक पर पडे एक व्यक्ति के सिर से खुन निकल रहा था और सभी वहा पर उपदेश दे रहे थे किसी को उस व्यक्ति की चिंता नही थी सच है पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
  • पडोस मे आग लग गई और तुम यहां पर नेकी का उपदेश दे रहे हो आग भुजाने के लिए प्रयत्न कर नही रहे सच है पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
  • दुनिया के लोग भी आज कल अजीब हो गए है सभी सोसल मिडिया पर ज्ञान बाटने के लिए बैठे है पर स्वयं सही चल नही रहे यही है पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
  • ‌‌‌सेठ हर दम दुसरो का बुरा करना चाहता है और मुझे बुरा न करने का ज्ञान दे रहा है सच है पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
  • जब मुजरीम से गलत कार्य न करने की बात सुनी तो राहुल ने कहा पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।
  • जब देखो रामू उपदेश देने के लिए पहुंच जाता है और अपने उपदेश पर स्वयं ही नही चलता सच ही है पर उपदेश कुशल बहुतेरे ।

‌‌‌पर उपदेश कुशल बहुतेरे मुहावरे पर कहानी par updesh kushal bahutere muhavare par kahani

एक समय की बात है किसी नगर मे एक धनवान व्यक्ति रहा करता था, जिसका नाम चंदनदास था । चंदनदास के घर मे उसकी पत्नी और दो लडके व तिन लडकिया रहा करती थी । चंदनदास ने बहुत शिक्षा ग्रहण की थी जिसके कारण से हर कोई उसे ज्ञानी समझते थे । और क्यो न समझे वह ‌‌‌हर समय ज्ञान की ही बाते करता रहता था ।

जिसके कारण से देखने वाला समझता की चंदनदास तो बहुत ही ज्ञानी है । इसी तरह से चंदनदास के गाव के लोगो को लगता था । एक बार चंदनदास अपने गाव के कुछ लोगो के साथ भ्रमण करने के लिए शिमला गया था । तब जाते समय रास्ते मे उसे एक आदमी जमीन पर पडा मिला जो बहुत ही ‌‌‌घंभीर ‌‌‌हालत मे था ।

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उस समय उस आदमी का शरीर बहुत ही ठंडा हो गया था । तब उसके आस पास कुछ लोग भी वहा पर इकट्ठे हो गए थे । यह देख कर चंदनदास भी वहा पर चला गया । जब उसने उस आदमी को देखा तो वह वहां खडे लोगो को उपदेश देने लगा की तुम यहा पर खडे खडे क्या कर रहे हो एक व्यक्ति मर रहा है और तुम यह सब देख ‌‌‌रहे हो ।

इस तरह से चंदनदास ने बहुत समय तक लोगो को सुनाया । परन्तु लोगो को कुछ असर नही हुआ जिससे कुछ समय बाद चंदनदास भी वहा से चला गया । तब पिछे से वही लोग बात करने लगे की हमे उपदेश दे रहा था परन्तु स्वयं इसकी मदद करे बिना ही चला गया यह तो वही बात हुई पर उपदेश कुशल बहुतेरे

चंदनदास के इस तरह ‌‌‌के आचरण को गाव के लोगो ने देखा तो उन्हे भी पता चला की यह केवल ज्ञान ही देता है उस पर स्वयं चलता नही है । जब इस बारे मे उन लोगो ने अपने बाकी गाव के लोगो को बताया तो उन्हे यकिन नही हुआ । ‌‌‌एक बार की बात है गाव के विधालय मे चंदनदास को किसी फकसन मे आमत्रित किया था ।

जिसके कारण से चंदनदास वहा पर गया और बच्चो को ज्ञान देने लगा की जब भी किसी बुजुर्ग को देखो तो उसकी मदद कर देनी चाहिए और हमेशा सच बोलना चाहिए और सचाई के रास्ते पर चलना चाहिए । साथ ही उसने कहा की कभी भी किसी को ‌‌‌बुरा भला नही कहना चाहिए ।

इस तरह से सुन कर बच्चो को लगा की ये जो कह रहे है वह सही है । साथ ही वहा के गुरूओ को भी लाग की सच मे चंदनदास महान है । इस बात को दो ही महिने हुए थे की गाव के लोगो को पता चला की चंदनदास के घर मे चोरी हो गई है और वह इसका इलजाम गाव के कुछ लडको पर लगा रहा है ।

तब गाव के ‌‌‌लोगो ने यह भी देखा की वह उन लडको से उटपटाग बाते कर रहा है और किसी की बात मान नही रहा । तब एक बुड्डे आदमी ने चंदनदास से कहा की बेटा तुम चुप रहो हम पता लगा लेगे की तुम्हारे घर मे किसने चोरी की है ।

तब चंदनदास ने बिना सोचे समझे उस आदमी को डाट दिया और उसे भला बुरा कहा । यह देख कर सभी कहने लगे की ‌‌‌तुम लोगो ‌‌‌को हमेशा सही बोलने के लिए कहते हो और बडो से बदतमीजी करने के लिए मना करते हो और आज तुम ही इनकी बात नही मान रहे हो । यह तो वही बात हुई पर उपदेश कुशल बहुतेरे । ‌‌‌

यह ‌‌‌सब उस विधालय के अध्यापको और छात्रो ने भी देखा । ‌‌‌तब वे छात्र भी सोचने लगे की हमे ज्ञान देने के लिए चला था और स्वयं ही अपनी बातो पर चलता नही है। उस दिन के बाद मे चंदनदास हर समय लोगो को जैसा उपदेश देता उसके बिल्कुल उलटा करता हुआ लोगो के सामने आने लगा ।

तब लोगो को समझ मे आ ‌‌‌गया की जो लोग उपदेश देते है वह उन उपदेशो पर चल रहा है यह कह नही सकते क्योकी आज के समय मे उपदेश देने वाले बहुत है पर ‌‌‌उन पर चलने वाले कम है ।

इसके बाद मे फिर गाव के लोगो ने ‌‌‌कभी भी चंदनदास की बात नही मानी । जिससे चंदनदास को भी पता चल गया की केवल उपदेश देन से ही कुछ नही होता उस पर चलना भी पडता है ।

‌‌‌पर उपदेश कुशल बहुतेरे मुहावरे पर कहानी par updesh kushal bahutere muhavare par kahani

इस कारण से फिर जब चंदनदास उन उपदेशो पर चलने लगा तो उसे बहुत ही कठिन लगा जिससे उसने कभी भी किसी को उपदेश नही दिया और अपना जीवन जैसे चलता है वैसे चलाने लगा । इस तरह से ‌‌‌आपको इस कहानी से पता चल गया होगा की पर उपदेश कुशल बहुतेरे मुहावरे का अर्थ क्या होता है ।

पर उपदेश कुशल बहुतेरे मुहावरे पर निबंध par updesh kushal bahutere muhavare par nibandh

साथियो वर्तमान के संसार मे ज्ञानी लोगो की कोई कमी नही है क्योकी अगर आप किसी भी सोशल मीडिया ऐप पर मोटिवेशनल थोट सर्च करोगो तो लोगो की लाईन लग जाएगी । पर उन ही लोगो ‌‌‌मे से अनेक लोग ऐसे है जो एक बार पोस्ट कर देते है परन्तु पोस्ट के अनुसार स्वयं नही होते है ।

इसी तरह से आस पास के लोग भी होते है । क्योकी जीस तरह से कहानी मे बताया गया था की एक आदमी मरने वाला था और चंदनदास वहां पर खडे लोगो को उपदेश देने लगा । ‌‌‌उसे यह पता नही था की उपदेश देने से अच्छा इस आदमी ‌‌‌की मदद करनी चाहिए ।

इसी तरह से अनेक ऐसे लोग है जो बाताते है की जीवन मे सही रास्ते पर ही चलना चाहिए पर वह स्वयं ही सही रास्ते पर नही चलते है। इस तरह के लोगो को उपदेश देना आसान लगता है । इसी तरह के लोगो के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

पर उपदेश कुशल बहुतेरे मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of par updesh kushal bahutere in Hindi

दोस्तो आज के समय में अगर हम घर से बहार निकलते है तो हर स्थान पर एक ऐसा व्यक्ति जरूर मिल जाता है जो की समय समय पर उपदेश देने लग जाता है । यानि कहा जाता है की तुम्हे ऐसा करना चाहिए और तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए ।

मगर कुछ तो ऐसे लोग होते है जो की अच्छे अच्छे उपदेश देते है मगर स्वयं उनके बिल्कुल विपरित होते है और उनके जब उपदेशो को सुना जाता है तो मन में एक ही विचार आता है की दुसरो को उपदेश देना आसान होना और यह बात पूरी तरह से सच है ।

क्योकी अगर कोई किसी को उपदेश देता है तो यह नही कह सकते है की दुसरो को उपदेश देना आसान होता है मरग वही पर मुहावरो का प्रयोग किया जा सकता है और ऐसे स्थान पर पर उपदेश कुशल बहुतेरे कहा जाता है और इस बात का मतलब हुआ की par updesh kushal bahutere muhavare ka arth – दुसरो को उपदेश देना आसान होना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।