नाक-भौं चढ़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

नाक-भौं चढ़ाना मुहावरे का अर्थ nak bho chadna muhavare ka arth — घृणा या असंतोष प्रकट करना ।

दोस्तो नाक के बारे में आप जानते है ओर भौं का मतलब भौंह से होता है जो की आंख के उपर जो हड्डी होती है उस पर पाए जाने वाले बालो को कहा जाता है ।

अब दोस्तो एक ऐसी स्थिति होती है जब मानव के जीवन में नाक सच में भौं चढ जाती है और वह स्थिति घृणा या असंतोष प्रकट करने वाली होती है । क्योकी आपने देखा होगा की जब कोई ​घृणा प्रकट करता है तो इस स्थिति में नाक को थोड़ा उपर की और कर लिया जाता  है और भौं को थोड़ा निचा कर लिया जाता है तो इसका मतलब है की नाक भौं पर जा चढी है ।

तो इस आधार पर नाक भौं चढना मुहावरे का अर्थ होता है घृणा या असंतोष प्रकट करना ।

नाक-भौं चढ़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

नाक भौं चढना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||  nak bho chadna use of idioms in sentences in Hindi

1.        राजवीर को देखते ही संगिता नाक भौं चढा लेती है ।

2.        आखिर बात क्या है आज कल बहुत ज्यादा नाक भौं चढोए रहते हो ।

3.        अध्यापक ने राहुल को दो टॉफी खाने को दी मगर राहुल ने नाक भौ चढा ली ।

4.        मां ने संगिता और रमेश दोनो को समान लड्डू खाने को दिया, मगर रमेश ने नाक भौं चढा लिया ।

5.        संगिता को भी समान मात्रा में लड्डू मिले है और तुम्हे भी समान मात्रा में मिले है मगर तुम नाक भौं चढाए हुए क्यो हो ।

6.        गरीबो को देखते ही अमीर लोग नाक भौं चढा लेते है ।

7.        यह भारत देश है यहां पर गरीबो को देख कर नाक भौं चढाना नही चाहिए ।

8.        सुनिता जैसी खुबसुरत लड़की को देख कर न जाने सुरज भाई क्यो नाक भौं चढा लेता है।

नाक भौं चढाना मुहावरे पर कहानी || nak bho chadna story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक बड़ा शहर हुआ करता था जहां पर वैसे तो कई तरह के लोग थे जीनमे अमीर लोग भी थे और गरीब लो भी रहा करते थे । मगर वहां पर रहने वाले बहुत से लोगो में संगिता नाम की महिला काफी अलग थी।

क्योकी संगिता जो थी वह काफी धनवान थी और अलग इस कारण से थी क्योकी वह हमेशा गरीब लोगो से घृणा करती थी और उन गरीब लोगो को जब भी अपने पास ​देखती थी तो नाक भौं चढा लेती थी  ।

 इस कारण से संगिता जो थी वह अपने घर में किसी नोकरानी को भी नही रखती थी यहां तक की जहां पर वह काम करती थी वहां पर भी किसी महिला या पुरुष को गरीब नही देखना चाहती थी । मगर कहते है की जहां पर नोकरी ​की जाए वहां पर हमारा कोई बस नही होता है इसी तरह से संगिता के साथ था ।

दरसल आपको बात दे की संगिता जो थी वह एक कंपनी में काम करती थी जो की सभी कर्मचारियो से उपर थी और उपर होने के कारण से वह हमेशा अमीर लोगो के साथ रहती थी । मगर एक दिन की बात है उसके बॉस ने अपनी कंपनी में किसी आदमी को नोकरी दे दी ​जिसका नाम राजवीर था और यह जो राजवीर था वह एक ऐसा व्यक्ति था जो की गरीब था ।

 मगर गरीबी के साथसाथ राजीवर के पास अच्छा ज्ञान था और इसी ज्ञान के कारण से राजवीर को नोकरी मिली थी । मगर अब उसे ऐसे काम में रखा गया था जिसके कारण से उसे हमेशा संगिता के साथ रहना पड़ता था । अब राजीवर जो था उसे इससे कोई लेना देना नही था की वह एक अमीर महिला के पास काम कर रहा हे या गरीब के पास ।

मगर संगिता जो थी उसे इस बात का बहुत फर्क पड़ने लगा था । क्योकी वह गरीबो को देखना भी पसंद नही करती थी तो राजवीर जब उसके पास काम करने लगा तो संगिता को अच्छा नही लगा और संगिता जो थी वह अब जब भी राजीवर को देखती थी तो नाक भौं चढा लेती थी और इसी तरह से काम चलता रहा ।

मगर एक दिन राजीवर को पता चला की संगिता जो है वह उसे देखती ही नाक भौं चढा लेता है इस कारण से संगिता से राजवीर ने पूछ लिया की ऐसा क्यो कर रही हो मगर पूछने पर संगिता को गुस्सा आ गया और उसने जम कर राजवीर को सुनाना शुरू कर दिया ।

मगर राजवीर को इन सबसे बुरा लगा इस करण से वह बॉस के पास गया और संगिता की सिकायत कर दी और तब बॉस को पता चला की संगिता जब भी राजवीर को देखती है तो घृणा प्रकट करती है और इस बारे में जानने बाद में बॉस ने संगिता से कहा की अगर तुम्हे इस कंपनी में काम करना है

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तो सही तरह से रहना चाहिए यहां पर कोई गरीब और अमीर नही है क्योकी राजवीर गरीब है तो इसका मतलब यह तो नही है की तुम इसे जब भी देखो तो नाक भौ चढा लो और बॉस के ऐसा कहने पर संगिता को मजबूरन कहना पड़ा की आज के बाद में ऐसा नही होगा ।

नाक-भौं चढ़ाना मुहावरे का अर्थ

 क्योकी अगर वह ऐसा नही कहती थी तो उसे काम से निकाला जा सकता था और काम से निकल जाने के बाद में वह भी गरीब बन सकती थी इस कारण से उसने ऐसा न होगा कह दिया ।

अब राजीवर को जब भी संगिता देखती थी तो उसके साथ अच्छी तरहसे बात करने लगी थी और इसी तरह से जीवन में चलता रहा और एक समय ऐसा आ गया जब संगिता की यह जो आदत थी वह पूरी तरह से बदल गई ।

अब संगिता जो थी वह जब भी राजवीर या किसी गरीब को देखती थी तो नाक भौं नही चढाती थी ओर यह सब देख कर किसी ओर को तो न सही मगर राजवीर को अच्छा लगा और इसके बाद में दोनो की जीवन चलता रहा और दोनो एक साथ मिल कर कंपनी में काम करते रहे ।

तोइस तरह दोस्तो कहानी से आपने समझ लिया होगा की नाक भौं चढाना मुहावरे का अर्थ घृणा या असंतोष प्रकट करना होता है ।

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आपे से बाहर होना  माथे पर बल पड़ना   
आग में घी डालना  हाथ के तोते उड़ना
आँखों में धूल झोंकना  मिट्टी पलीद करना  
आँखें बिछाना  हाथ का मैल होना
आकाश पाताल एक करना  रंगे हाथों पकड़ना
अगर मगर करना  सीधे मुँह बात न करना
पहाड़ टूट पड़ना  प्रतिष्ठा पर आंच आना
आग लगने पर कुआँ खोदना  आँखे फटी रह जाना  
श्री गणेश करना  सिर ऊँचा करना
टस से मस न होना  ‌‌‌चोर चोर मौसेरे भाई
छोटा मुँह बड़ी बात  मर मिटना  
चोली दामन का साथ  ‌‌‌सहम जाना
गुदड़ी का लाल  घास खोदना  
गागर में सागर भरना  रफू चक्कर होना
कान पर जूं न रेंगना  अंतर के पट खोलना
आँखें फेर लेना  चादर से बाहर पैर पसारना
घाट घाट का पानी पीना  उन्नीस बीस का अंतर होना
बालू से तेल निकालना  सिर पर पाँव रखकर भागना  
अंग अंग ढीला होना  काठ की हांडी होना   
अक्ल के घोड़े दौड़ाना  एक लाठी से हाँकना
आवाज उठाना  भानुमती का पिटारा
मक्खी मारना  अंकुश रखना  निबंध व
चैन की बंशी बजाना  अंधी पीसे कुत्ता खाए
आग बबूला होना  का वर्षा जब कृषि सुखाने
भीगी बिल्ली बनना  नीम हकीम खतरे जान
जान हथेली पर रखना  अधजल गगरी छलकत जाए
लाल पीला होना  जैसा देश वैसा भेष मुहावरे
अंधे की लाठी  नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अंगूठा दिखाना  नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब  वाक्य
नौ दो ग्यारह होना  चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
 चौकड़ी भरनाआव देखा न ताव
 हरी झंडी दिखानाथोथा चना बाजे घना  
 हथेली पर सरसों जमानातेल देखो, तेल की धार देखो   
 हाथ को हाथ न सूझना  छाती पर मूँग दलना
 चेहरे पर हवाइयाँ उड़नाकंगाली में आटा गीला
 हाथ लगनाभूखे भजन न होय गोपाला
 हवा हो जानासाँच को आँच नहीं  
 हाथ खींचना ऐरा – गैरा नत्थू खैरा का
 हक्का-बक्का रह जाना पर उपदेश कुशल बहुतेरे

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।