नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे का अर्थ naak bhau sikodna muhavare ka arth — घृणा करना ।

दोस्तो नाक और भौं यानि आंख के उपर पाए जाने वाले बाल भौंहे दोनो को जब सिकोड़ लिया जाता है तो यह नाक भौं सिकोड़ना है ।

मगर ऐसा घृणा करते समय किया जाता है, आपने देखा होगा जब कोई व्यक्ति किसी से ​घृणा करता है तो वह अपनी नाक और भौं को सिकोड़ लेता है और इसी कारण से नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे का अर्थ घृणा करना होता है ।

नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || naak bhau sikodna  use of idioms in sentences in Hindi

1.        एक तो गरीबो का भोजन नष्ट कर दिया और उपर से नाक भौं सिकोड़ रहे हो ।

2.        सुखदेव जैसे गरीब आदमी को देख कर हर कोई नाम सिकोड़ लेता है ।

3.        रामू को श्यामू ने जीवन में सफल होने के लिए राय दी तो रामू नाक भौं सिकोड़ने लगा ।

4.        जब सज्जन जीवन में सफल होने लगा तो उसके पड़ोसी नाक भौं सिकोड़ने लगे ।

5.        अक्षर सफल होने वाले लोगो के लिए दूसरे नाक भौं सिकोड़ना शुरू कर देते है ।

6.        सुरज के अभद्र व्यवहार को देख ही पूरे गाव के लोग उसे देख कर नाक भौं सिकोड़ लेते है।

7.        विद्यालय में संजू अध्यापको की बात नही मानती है तो मास्टर नाक भौं सिकोड़ लेते है ।

नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे पर कहानी || naak bhau sikodna story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक गाव हुआ करता था जहां पर एक परिवार रहा करता था और उसमें एक लड़का था जिसका नाम सुखलाल था । मगर लोग उसे सुखदेव कहते थे ।

सुखदेव जो था वह पढा लिखा था और उसने लगभग दो वर्षों तक दिल्ली जैसे बड़े शहर में काम किया था जिसके कारण से सुखदेव को यह पता था की वह किस तरह का काम करता है तो उसे फायदा हो सकता है

और सुखदेव जो था वह ज्यादा गरीब नही था तो उसने एक शहर में दुकान खोल ली जिसमें उसने पहले बच्चो के कपडे रखे और फिर उन्हे बचना शुरू कर दिया और इस तरह से काम करने के कारण से उसे ज्यादा कुछ फायदा नही हो रहा था मगर वह अपने इसी काम में लगा रहा और इसी तरह से अपना जीवन गुजारता रहा ।

 करीब एक वर्ष के बाद में सुखदेव ने अपनी दुकान में कुछ बदलाव ​कर दिया और अब बच्चो के कपड़ो के साथ साथ महिलाओ के कपड़े भी रखना शुरू कर दिया था । जिसके कारण से उसे काफी अच्छा मुनाफा मिलने लगा था और यह सब देख कर सुखदेव ने अपनी दुकान को विकसित करने के लिए और अधिक कपड़े रखने लग गया था ।

अब करीब छ महिनो के बद में लोगो को यह पता चला की सुखदेव महिलाओ के कपड़े भी बेचने का काम करता है और इस कारण से उसके गाव की महिला भी सुखदेव के पास जाकर कपड़े लेने लगी थी । मगर महिला जो होती है वह माथापची बहुत करती है

और बहुत सस्ते में कपड़े खरीदना चाहती है मगर सुखदेव इतनी कम किमत में कपड़े नही देता था तो इसका नतीजा यह हुआ की गाव की महिला उसके पास कम जाने लगी थी और दूसरा की वे लोग भी उससे घृणा करने लग जाती थी ।

मगर सुखदेव को इससे कुछ लेना देना नही था वह तो अपना जीवन इसी तरह से बिता रहा था । करीब एक साल के बाद में उसने पास में ही एक दुकान और खोल ली जिसमें पुरुषो का कपड़े रखने लगा था

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और उसमे अपने पिताजी को बैठाने लगा था और इस तरह से सुखदेव अब अपने व्यापार में सफल होता जा रहा था मगर यह सब देख कर गाव के लोगो को अच्छा कम ही लग रहा था और अब जब भी सुखदेव को कुछ लोग देखते थे तो वह नाक भौं सिकोड़ लेते थे और इस बारे में सुखदेव को पता चल गया ।

नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे का अर्थ

इस कारण से एक दिन उसने अपने पिता से इस बारे में बात की ओर कहा की पता नही गाव के कुछ लोग बेवजह मुझे देखते ही नाक भौं सिकोड़ लेते है और यह कहने के बाद में सुखदेव के पिता ने उसे समझाया की बेटा जब जीवन में कोई सफलता के करीब जाता रहता है तो बहुत से लोग उसे देख कर घृणा करने लग जाते है ।

मगर इसका मतलब यह नही है की हम जो काम कर रहे है वह छोड़ दे बल्की हमे इसी तरह से काम जारी रखना है । साथ ही सुखदेव को उसके पिता ने कहा की अब रही बात उन लोगो की जो तुम्हे देखते ही नाक भौं सिकोड़ लेते है तो ऐसे लोगो की और देखना ही बेकार है मतलब इस तरह के लोगो से संबंध कम रखना चाहिए और वे ऐसा करते है तो उनसे कोई फर्क हमे नही पड़ना चाहिए ।

पिताजी के समझाने के कारण से सुखदेव जो था वह समझ गया और अपने जीवन को इसी तरह से बितानेलग गया था अब सुखदेव जो था वह अपने जीवन में केवल काम पर ही ध्यान रखता था और यह नही ध्यान देता था की लोग उसके बारे में क्या सोचते है बल्की इसी तरह से अपना जीव बिताने लगा था ओर इसी तरह से जीवन बिताते बिताते वह अपने जीवन में और अधिक सफतला के करीब जाने लगा था ।

 और यह सब देख कर सुखदेव और उसका परिवार पूरी तरह से खुश था और वे अपने जीवन में इसी खुशी के साथ आगे बढते रहे और एक बेहतर जीवन जीते रहे थे ।

तो दोस्तो इस कहानी में आपको नाक भौं सिकोड़ना मुहावरे के अर्थ के बारे में जानने को मिला होगा जो की घृणा करना होता है और कहानी में जिस तरह से बताया है उस तरह से सत्य है क्योकी सफल होने वाले लोगो से बहुत से लोग घृणा करते है ।

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आपे से बाहर होना  माथे पर बल पड़ना   
आग में घी डालना  हाथ के तोते उड़ना
आँखों में धूल झोंकना  मिट्टी पलीद करना  
आँखें बिछाना  हाथ का मैल होना
आकाश पाताल एक करना  रंगे हाथों पकड़ना
अगर मगर करना  सीधे मुँह बात न करना
पहाड़ टूट पड़ना  प्रतिष्ठा पर आंच आना
आग लगने पर कुआँ खोदना  आँखे फटी रह जाना  
श्री गणेश करना  सिर ऊँचा करना
टस से मस न होना  ‌‌‌चोर चोर मौसेरे भाई
छोटा मुँह बड़ी बात  मर मिटना  
चोली दामन का साथ  ‌‌‌सहम जाना
गुदड़ी का लाल  घास खोदना  
गागर में सागर भरना  रफू चक्कर होना
कान पर जूं न रेंगना  अंतर के पट खोलना
आँखें फेर लेना  चादर से बाहर पैर पसारना
घाट घाट का पानी पीना  उन्नीस बीस का अंतर होना
बालू से तेल निकालना  सिर पर पाँव रखकर भागना  
अंग अंग ढीला होना  काठ की हांडी होना   
अक्ल के घोड़े दौड़ाना  एक लाठी से हाँकना
आवाज उठाना  भानुमती का पिटारा
मक्खी मारना  अंकुश रखना  निबंध व
चैन की बंशी बजाना  अंधी पीसे कुत्ता खाए
आग बबूला होना  का वर्षा जब कृषि सुखाने
भीगी बिल्ली बनना  नीम हकीम खतरे जान
जान हथेली पर रखना  अधजल गगरी छलकत जाए
लाल पीला होना  जैसा देश वैसा भेष मुहावरे
अंधे की लाठी  नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अंगूठा दिखाना  नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब  वाक्य
नौ दो ग्यारह होना  चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
 चौकड़ी भरनाआव देखा न ताव
 हरी झंडी दिखानाथोथा चना बाजे घना  
 हथेली पर सरसों जमानातेल देखो, तेल की धार देखो   
 हाथ को हाथ न सूझना  छाती पर मूँग दलना
 चेहरे पर हवाइयाँ उड़नाकंगाली में आटा गीला
 हाथ लगनाभूखे भजन न होय गोपाला
 हवा हो जानासाँच को आँच नहीं  
 हाथ खींचना ऐरा – गैरा नत्थू खैरा का
 हक्का-बक्का रह जाना पर उपदेश कुशल बहुतेरे

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।