मन चंगा तो कठौती में गंगा का अर्थ और वाक्य व कहानी

मन चंगा तो कठौती में गंगा मुहावरे का अर्थ man changa to kathauti me ganga muhavare ka arth – अगर मन शुद्ध है तो किसी भी स्थान पर मुल्यवान वस्तु प्राप्त हो जाती है ।

दोस्तो आपने संत रविदास के जुते बनाने की कथा पढी होगी जिसमे बताया गया है की रविदास ने कठौती मे गंगा मया को बुला लिया । ‌‌‌और गंगा मया कठौती जैसे गंदे स्थान पर भी आ जाती है इसका कारण यह था की रविदासजी का मंन शुद्ध था जिसके कारण से गंगा मया ने एक बार भी नही सोचा की कठौत अशुद्ध है ।

इसी तरह से जब कोई मनुष्य किसी कार्य मे अपने मन को पूरी तरह से शुद्ध रख कर ‌‌‌कार्य करता है तो उसे अवश्य सफलता मिलती है और उसे उचित मुल्य की ‌‌‌वस्तु भी आसानी से प्राप्त हो जाती है । इस तरह से जब किसी व्यक्ति के साथ होता है तो इसे मन चंगा तो कठौती मे गंगा कहा जाता है ।

मन चंगा तो कठौती में गंगा का अर्थ और वाक्य व कहानी

‌‌‌मन चंगा तो कठौती मे गंगा मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग man changa to kathoti me ganga muhavare ka vakya me prayog

  • लखवीरसिंह का कहना है की अगर कोई व्यक्ति गंगा नही नहा सकता तो कम से कम कर्म अच्छे करने चाहिए जिससे अच्छे फल प्राप्त हो क्योकी मन चंगा तो कठौती मे गंगा ।
  • रवीदास जी जिस कठौती का उपयोग जुते बनाने मे करते थे उसी मे गंगा मया प्रकट हो गई ‌‌‌क्योकी मन चंगा तो कठौती मे गंगा ।
  • किरन कभी भी मंदिर नही जाती पर जब भी किसी बेबस को देखती है तो उसकी मदद कर देती है तभी आज उसके पास किसी चिज की कमी नही है सच कहा मन चंगा तो कठौती मे गंगा ।
  • रामलाल ने कहा धनवान बनने के लिए जरूरी नही किसी की मदद मागे बस अपना मन साफ रख कर काम करना चाहिए ‌‌‌क्योकी मन चंगा तो कठौती मे गंगा ।
  • रामू जुते बनाता है तो क्या हुआ वह अपने काम को साफ मन से करता है तभी आज उसके पास किसी चिज की कमी नही है सच है मन चंगा तो कठौती मे गंगा ।
  • जब से लालू ने अपना मन शुद्ध रखना शुरू किया है तब से उसका कारोबार बडी अच्छी तरह से चलने लगा यही है मन चंगा तो कठौती ‌‌‌में गंगा ।

मन चंगा तो कठौती मे गंगा मुहावरे पर कहानी man changa to kathoti me ganga muhavare par kahani

दोस्तो बहुत ही प्राचिन समय की बात है मेहरगढ नाम का एक गाव हुआ करता था उस गाव मे एक साधू बाबा रहा करते थे । साधू के घर मे कोई भी नही था बल्की वह मेहरगढ का नही था ।

उसे अपने गाव का नाम तक याद नही था अगर कोई उससे पूछता की बाबा आप कहा ‌‌‌से हो तब वह कहता की बेटा इस संसार मे कही पर भी चले जाओ सभी अपना ही है । इस तरह से बाबा छोटी बात कह कर गहरा मतलब छोड देते थे जिसे हर कोई आसानी से नही समझ सकता है ।

साधू रोजाना अपने ध्यान मे लगा रहता और कभी कभार गाव के कुछ लोग उन्हे किसी कार्य मे बुलवा लेते थे । जिसके कारण से साधू उस कार्य मे ‌‌‌चला जाता और गाव के लोगो को ज्ञान देता था ।

उस गाव मे अनेक तरह के लोग रहा करते थे जिनमे से कोई अमीर तो कोई गरीब था । इस तरह के लोगो मे से ही फकिरमल नाम का एक गरीब आदमी रहता था । उसके घर मे उसकी पत्नी व मां रहा करती थी ।

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फकिरमल अकेला ही उस घर मे कमाने वाला था । वह गरीब था इस कारण से उसे कोई ‌‌‌भी अच्छा काम नही देते थे । जिसके कारण से फकिरमल ने एक जुते चपल बनाने का कार्य खोल लिया ।

जिससे वह हमेशा अपने घर ‌‌‌के बहार बैठ कर जुते चपल बनाता था । ‌‌‌जिसके कारण से गाव के अनेक लोग उसे पास आकर अपने जुते चपल के तलवे चढाया करते थे । क्योकी फकिरमल का काम ही यही था इस कारण से वह अपना काम पूरा मन लगा कर करता और अपने मन को बिल्कुल साफ रखता था ।

इस तरह से उसे काम करते हुए बहुत समय बित गया । पर अभी वह गरीब ही था जिसके कारण से गाव के लोग उसे अच्छा नही मानते थे । इस तरह से एक बार फकिरमल की पत्नी ने व्रत रखा था जिसके कारण से उन्होने उस साधू बाबा को अपने ‌‌‌ ‌‌‌घर आने के लिए कई दिनो पहले ही कह दिया था ।

क्योकी साधू बहुत ही ज्ञानी था वह जानता था की कोई भी काम छोटा बडा नही होती है और कोई भी गरीब अमीर व अच्छा बुरा नही होता है । इस कारण से उसने फकिरमल के घर मे आने का निमंत्रण स्विकार कर लिया था ।

इस तरह से दो तिन दिन बित जाने के बाद मे अनेक लोग ‌‌‌साधू बाबा के पास इसी व्रत का निमंत्रण लेकर गए थे । तब साधू बाबा ने कहा की मैं उस दिन फकिरमल के पास जा रहा हूं ।

यह सुनते ‌‌‌ही साधू बाबा को लोग कहते की आप उस गरीब के पास क्यो जा रहे हो उसके पास आपके लिए भोजन भी नही है । पर साधू बाबा को ‌‌‌इससे कोई मतलब नही था की फकिरमल उन्हे भोजन कराए या न कराए । जिसके कारण से साधू बाबा ने ‌‌‌कहा ‌‌‌की ‌‌‌मैं उस दिन उसी के पास जाउगा अगर आपको मुझे बुलाना है तो आप वही आ जाना ।

इस तर‌‌‌ह से फिर साधू बाबा ने लोगो की एक ‌‌‌भी बात नही सुनी । जब व्रत आया तो फकिरमल साधू को अपने घर बुलाने के लिए आ गया था । जिसके कारण से साधू फकिरमल के साथ उसके घर ‌‌‌चला गया।

वहा जाने के बाद मे फकिरमल की पत्नी ने अपने ‌‌‌हाथो से चावल बनाकर दिए । जब फकिरमल ने साधू बाबा को भोजन परोषा तो वह अपने मन मे बिल्कुल हल चल नही होने दे रहा था बल्की कह सकते है की अपने पूरे मन से साधू बाबा को भोजन परोष रहा था ।

इस बारे मे साधू बाबा को पता चल गया । जिसके कारण से साधू बाबा ने थोडा ही भोजन किया और कह दिया की मेरा पेट भर गया ‌‌‌। यह सुन कर फकिरमल ने कहा की साधू बाबा आप और भोजन ले लो । इस तरह से उसने दो तिन बार पूछा तब अंत मे साधू बाबा ने कहा की तुम्हारे इस तरह के शुद्ध मन को देख कर मेरा पेट भर गया ।

इस तरह से फिर साधू बाबा ने भोजन पूरा कर लिया और अंत मे जब साधू बाबा जाने लगा तो फकिरमल ने उन्हे दान के तोर पर अपने ‌‌‌हाथो से बनाई गुई ‌‌‌जुती (चपल) को साधू को ‌‌‌दी । जुती लेकर साधू बाबा ने कहा की मैं जानता हूं की तुमने इन्हे कितने प्रेम से बनाया है ।

‌‌‌इतना कह कर साधू बाबा ने उसी समय जुती पहन ली । तभी गाव के कुछ लोग फकिरमल के घर मे आ गए और साधू बाबा को दान देने लगे । पर उन लोगो मे से कुछ लोगो अपने मन ही मन मे ‌‌‌सोच रहे थे की साधू बाबा को मैंने इतना दान दिया है । इस बारे मे साधू बाबा को पता चल रहा था इस कारण से साधू ने उसी समय कहा की मन चंगा तो कठौती मे गंगा

यह सुन कर लोगो ने पूछा की क्या मतलब है साधू बाबा इसका । तब साधू बाबा ने कहा की जिसका मन शुद्ध होगा उसे किसी भी स्थान पर किसी भी कार्य मे लाभ ‌‌‌प्राप्त हो जाता है । ‌‌‌यह बात गाव के लोगो को जब समझ मे नही ‌‌‌आई तो वे फिर साधू बाबा को इस बारे मे पूछने लगे ।

तब साधू बाबा ने कहा की अगर कोई कार्य कर रहे हो तो अपने मन को शुद्ध रख कर उस कार्य को करो तभी आपको सफतला मिलेगी । इतना कह कर साधू बाबा वहा से चला गया । इस बात को एक ही महिना बिता था ‌‌‌की अचानक फकिरमल अमीर होने लगा था और ‌‌‌वह एक ही वर्ष मे अमीर हो गया ।

मन चंगा तो कठौती मे गंगा मुहावरे पर कहानी man changa to kathoti me ganga muhavare par kahani

इस तरह से मन को शुद्ध रख कर काम करने के कारण से ही आज फकिरमल अमीर बन गया । इस तरह से फिर फकिरमल ने पहले की तरह ही साफ मन रख कर अपना जीवन गुजारा । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

‌‌‌मन चंगा तो कठौती मे गंगा मुहावरे पर निबंध man changa to kathoti me ganga muhavare par nibandh

साथियो कठौती एक लकडी ‌‌‌की बनी कटोरी की तरह होती है जिसका उपयोग जुते चपल बनाने वाले करते है । उस कटोरी मे जो पानी होता है वह बहुत ही गंदा होता है और गंगा एक बहुत ही पवित्र नदी है । जिसका पानी बहुत ही पवित्र है। इन दोनो ‌‌‌का आपस मे कोई मेल नही है ।

फिर ‌‌‌भी इस कठौती मे रखे पानी को गंगा नदी का पानी बताया जाता है । क्योकी जिसका मन साफ होता है उसे गंगा नदी मे नहाने की जरूरत नही पडती है । वह बिना गंगा नदी मे स्नान किए ही बहुत पवित्र है ।

इस तरह से जब जुते चपल बनाने वाला पवित्र होता है तो उसके उपयोग मे लेने वाले कठौती का पानी भी पवित्र हो जाता ‌‌‌हो जाता है । इस तरह से जब किसी व्यक्ति का मन शुद्ध होता है तो उसे अवश्य ही अच्छा लाभ प्राप्त होता है । और इसे ही मन चंगा तो कठौती मे गंगा कहा जाता है । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा ।

मन चंगा तो कठौती में गंगा मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of man changa to kathauti me ganga in Hindi

दोस्तो वैसे आपने इस लेख को पढा है जिसके बारे मे हमने आपको उपर बताया है । साथ ही आपने कहानी भी पढी है मगर इसके अलावा इसकी एक अन्य कहानी और जो की काफी प्रसिद्ध है और शायद आपको उस कहानी के बारे मे पता हो सकता है । और यह जो कहानी है वह रविदास की कहानी है और इस कहानी की मदद से आप इस मुहावरे को काफी सरलता से समझ सकते है ।

दोस्तो आपको बता दे की कठौती में रखे पानी को भी यहां पर गंगा के समान पवित्र बताया गया है और यह केवल इसी कारण से बताया गया है क्योकी जो कठौती के पानी को पीता है वह यानि रविदास मन से पवित्र थे । और इस कहानी से आप समझ सकते है की यह कहानी अगर मन शुद्ध है तो किसी भी स्थान पर मुल्यवान वस्तु प्राप्त हो जाती है को दर्शाता है ।

और इसी से आप समझ ले की man changa to kathauti me ganga muhavare ka arth – अगर मन शुद्ध है तो किसी भी स्थान पर मुल्यवान वस्तु प्राप्त हो जाती है होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।