मुंह में राम बगल में छुरी का मतलब और वाक्य व कहानी

मुंह में राम बगल में छुरी मुहावरे का अर्थ muh me ram bagal me churi muhavare ka arth – बाहर से मित्र जैसा व्यवाहर करना और पिछे पिछे नुकसान पहुचाना

दोस्तो अगर कोई व्यक्ति ऐसा हो जो बाहर से मित्र बना रहता है और अपने मन मे हमारे प्रति बुराई लेकर पिछे पिछे हमे नुकसान पहुंचाने ‌‌‌का प्रयास करता है । तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है क्योकी जो कोई भी मुह से राम नाम लेता है तो वह भलाई का काम कर रहा है पर इसके विपरीत पिछे पिछे छुरी रखता है यानि नुकसान पहुचाता है तो इस तरह से पिछे पिछे वह बुराई का काम करता रहता है । इस कारण से सामने तो मित्र बन जाता है और पिछे पिछे ‌‌‌शत्रु बन जाता है तब इसे मुंह मे राम बगल मे छुरी कहा जाता है ।

मुंह में राम बगल में छुरी का मतलब और वाक्य व कहानी

‌‌‌मुंह मे राम बगल मे छुरी मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग muh me ram bagal me churi muhavare ka vakya me prayog

  • जब दुश्मन अचानक मेरे से अच्छी अच्छी प्रेम पुर्वक बाते करने लगा तो मैं समझ गया की जरूर इसके मुंह मे राम और बगल मे छुरी है ।
  • तुम राम के मित्र हो और उसे ‌‌‌ही नुकसान पहुंचाने की बात कर रहे हो यह तो वही बात हुई मुंह मे राम और बगल मे छुरी ।
  • तुम सुसीला को अपनी बहन मानती हो पर पिछे पिछे वह तुम्हे ही नुकसान पहुंचाने का काम करती है इसे कहते है मुंह मे राम बगल मे छुरी ।
  • अपने घर मे कैसा भी चल रहा हो बाहर किसी को नही बताना चाहिए क्योकी आजकल मुंह मे ‌‌‌राम बगल मे छुरी वाले लोग हो गए है ।
  • ‌‌‌भला कोई भाई अपने भाई के लिए मुंह मे राम बगल मे छुरी वाला हो सकता है क्या ।
  • मैंने खडकसिंह को अपना दोस्त समझ कर उसके सामने सारे भेद खोल दिए पर वह तो मुंह मे राम बगल मे छुरी वाला निकल गया और उसने मुझे बहुत बडा कष्ट दिया ।
  • धन के लालच मे भाई भाई मुंह मे राम बगल मे छुरी रखते है ।

‌‌‌मुंह मे राम बगल मे छुरी मुहावरे पर कहानी muh me ram bagal me churi muhavare par kahani

‌‌‌एक समय की बात है किसी शहर मे सुखाराम नाम का एक आदमी रहता था । उसके घर मे किसी चिज की कमी नही थी यानि वह बहुत ही धनवान था । सुखाराम एक सरकारी पुलिस कर्मचारी था । इस कारण से वह जो भी गलत समान पकडता तो उनमे से कुछ अपने पास रख कर पैसे कमा लेता था ।

साथ ही कभी कभी लोगो से रिश्वत लेकर उन्हे ‌‌‌जाने भी देता था । इस तरह से वह बिच बिच मे ही पैसे लेकर धनवान बन गया था । सुखाराम जहां पर रहा करता था वही पर एक आदमी और रहता था जो एक न्युज पेपर मे काम करता था । जिसका नाम लादुराम था ।

लादुराम का काम ही लोगो को किसी तरह से बहला-फुसलाकर उनसे सारे राज उगलवाना और फिर उसे दुनिया के सामने ‌‌‌बेनकाब करने का था । इस कारण से जो धनवान लोग थे वह उसे अपने बारे मे कुछ नही बताता था ।

इसी तरह से लादुराम सुखाराम के पिछे लगा हुआ था क्योकी उसे लग रहा था की जरूर सुखाराम गलत तरीके से पैसे कमा कर इतना धनवान बन रहा है । इस बारे मे जानने के लिए ‌‌‌एक सप्ताह मे लादुराम सुखाराम के घर दो बार चला जाया करता ‌‌‌करता था और जब भी सुखाराम दिखाई देता तो वह उसका हाल चाल पूछ लता था ।

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इस कारण से सुखाराम भी उससे बात करता और अपना कुछ समय उसके साथ बितता था । इस तरह से दो वर्ष बित गए और अब दोनो मे बहुत ही गहरी दोस्ती बन गई थी । इस कारण से लादूराम ‌‌‌सोचने लगा की अगर सुखाराम गलत भी होगा तो मैं इसके बारे मे किसी ‌‌‌को कुछ नही बताउगा ।

इस तरह से फिर दोनो की दोस्ती चल रही थी । एक दिन की बात है जब लादूराम कही जा रहा था तो रास्ते मे उसे सुखाराम मिल गया जिसक कारण से दोनो बात करने लगे थे । पर किसी कारण से सुखाराम उससे झगडा करने लगा था । जिसके कारण से लादूराम चुप चाप वहा से चला गया ।

इस तरह से बिच रास्ते ‌‌‌जब सुखाराम लादूराम से लडाई करने लगा तो लादूराम ने सोच लिया की सुखाराम ‌‌‌के बारे मे लोगो के सामने आना ही चाहिए की यह कैसा इंसान है । इसी कारण से अगले ही दिन वापस लादुराम सुखाराम के पास जाने लगा था ।

तब सुखाराम ने उससे कहा की भाई मुझे माफ कर देना मैंने उस दिन तुम्हे बहुत ‌‌‌बुरा भला कह दिया था । मैं ‌‌‌उस समय बहुत ही टेंनस मे थे । यह सुन कर लादूराम सोचने लगा की चाहे जो भी कारण हो उसे उस समय ‌‌‌मुझसे झगडा नही करना चाहिए था ।

इस तरह से फिर लादूराम उससे हंस हंस से बात करने लगा । इसी तरह से फिर ‌‌‌वह उसकी तारीफ करने लगा था । धिरे धिरे जब इसी तरह से चल रहा था तो एक दिन  सुखाराम को उसकी पत्नी ने कहा ‌‌‌की आपका दोस्त लादूराम आपसे कुछ ज्यादा ही अच्छी अच्छी बात कर रहा है साथ ही वह हर समय आपकी तारीफ कर रहा है ।

तब सुखाराम ने कहा की वह जो कह रहा है सही तो कहता है वह मेरा मित्र है वह कभी भी मुझे नुकसान नही पहुंचा सकेगा । इस तरह से अब सुखाराम को उस पर पूरा विश्वास हो गया था । इस तरह से एक वर्ष ‌‌‌बित जाने के बाद मे एक दिन सुखाराम ने लादूराम को अपने बारे मे बता दिया की वह किस तरह से लोगो से धन लेकर इतना धनवान बन गया है ।

साथ ही उसने यह भी बता दिया की वह अपना धन कहा रखता है । यह जानते ही लादूराम ने अगले ही दिन इनकम टैक्स को खबर कर दी की सुखाराम के पास काला धन पडा है ‌‌‌साथ ही किस स्थान पर पडा है ‌‌‌यह भी बता दिया ।

इसी तरह से जब इनकम टैक्स वालो ने छानबिन की तो सुखाराम के पास काला धन पडा था इस कारण से उन्होने सुखाराम से पूछा की यह सब तुम्हारे पास कहा से आया । तब उसने कहा की यह मेरा है ही नही । पर उसके घर से मिला था इसी कारण से वह उसका ही हुआ ।

इस तरह से फिर उस पर केस चलने लगा था । ‌‌‌अगले दिन जब सुखाराम ने न्युज पडी तो उसे पता चला की लादूराम ने ही इस काले धन के बारे मे पुलिस को बताया था । क्योकी वह न्यूज उसने ही छापी थी और साथ ही उसका नाम भी दिया था की यह खबर लादूराम ने दी थी ।

यह जान कर सुखाराम सोचने लगा की उसने तो मेरे साथ विश्वास घात किया है वह मेरे साथ साथ तो ‌‌‌अच्छी अच्छी बात करता था और पिछे पिछे मुझे ही नुकसान पहुंचाता रहा और मुझे तो पता ही नही चला ।

तब सुखाराम की पत्नी ने कहा की मैंने तो पहले ही आपको समझाने का प्रयास किया था पर आपने समझा । उसने तो ऐसा कार्य किया की इसे मुंह मे राम बगल मे छुरी कहते है । इस तरह से फिर लादूराम से सुखाराम ने मिलकर ‌‌‌कहा की वाह दोस्त वाह तुमने मेरे विश्वास का अच्छा सिला दिया ।

‌‌‌मुंह मे राम बगल मे छुरी मुहावरे पर कहानी muh me ram bagal me churi muhavare par kahani

मैं तुम्हे अपना मित्र समझ कर अपने सारे राज तुम्हारे समाने खोल दिया और तुनमे मुंह मे राम बगल मे छुरी वाला ‌‌‌काम कर दिया । इस तरह से फिर सुखाराम ने कहा की यह कर कर तुमने मेरे विश्वास को तोड दिया । इस तरह से फिर सुखाराम किसी ‌‌‌पर भी विश्वास नही करतता था । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

मुंह मे राम बगल मे छुरी मुहावरे पर निबंध muh me ram bagal me churi muhavare par nibandh

दोस्तो आज के समय मे ऐसे लोगो की कमी नही है जो पास होने पर अच्छी अच्छी बाते करते है और दूर जाने पर उसी की बुराई करते है या काटवा करते है । ‌‌‌इस तरह के लोग आपको आसा पास मिल जाएगे ।

जिस तरह से लादूराम ने अपने मित्र सुखाराम के साथ रहकर उसके बारे मे जाना और फिर उसके बारे मे ही इनकम टैक्स वालो को बता दिया । यानि वह अपने मित्र के साथ होता तो उसकी बढाई करता और पिछे पिछे उसे नुकसान पहुंचाता रहता था । इस तरह के लोग जब ऐसा कार्य कर देते ‌‌‌तब इसे मुंह मे राम बगल मे छुरी कहते है । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा ।

मुंह में राम बगल में छुरी मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of muh me ram bagal me churi in Hindi

दोस्तो भगवान राम का नाम का यहां पर प्रयोग किया जा रहा है तो इसका मतलब हुआ की बहुत ही सरल व्यक्ति की बात की जा रही है जो की एक मित्र की तरह होता है । मगर वही पर छुरी का प्रयोग किया जा रहा है तो इसका मतलब हुआ की दुश्मन की भी बात हो रही है।

मुहावरे को ध्यान से पढने पर पता चलता है की मुहावरा मुंह में राम की बात कर रहा है तो इसका मतलब हुआ की बहार से मित्र के जैसा होने की बात हो रही है वही पर बगल मे यानि पीछे छुरी की बात हो रही है तो इसका मतलब हुआ की पीछे हानि पहुंचाने की बात हो रही है ओर इसी से आप समझ सकते है की muh me ram bagal me churi muhavare ka arth – बाहर से मित्र जैसा व्यवाहर करना और पिछे पिछे नुकसान पहुचाना होता है ।

इस कारण से दोस्तो अगर कही पर बाहर से मित्र जैसा व्यवाहर करना और पिछे पिछे नुकसान पहुचाने की बात होती है वही पर इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किया जाता है ओर यह आप समझ सकते है ।

‌‌‌ऐसे मुहावरों की लिस्ट की लींक निचे दी जा रही है जो बहुत बार अनेक स्थानो पर प्रयोग मे बाती है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।