भाड़ झोंकना मुहावरा का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

भाड़ झोंकना मुहावरे का अर्थ bhad jhokna muhavare ka arth – व्यर्थ समय नष्ट करना ।

दोस्तो भाड़ जो होता है वह एक तरह का चुल्हा होता है जिसमें चने व मूंगफली इत्यादि भूना जाता है । और वही पर झोंकना का मतलब आग में डालने से होता है । तो इस तरह से चूल्हे में कोयला वगैरह डाल कर अग्नि तेज करने के बारे में मुहावरा बता रहा है ।

जो की असल में एक ऐसा काम है जो की व्यर्थ में समय नष्ट करता रहता है । क्योकी आज के समय में गैस वगैरह है तो इस चुल्हे का यूज करना मतलब व्यर्थ समय नष्ट करना । तो इस बात का मतलब हुआ की भाड़ झोकना मुहावरे का सही अर्थ व्यर्थ समय नष्ट करना होता है ।

भाड़ झोंकना मुहावरा का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

भाड़ झोकना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||  bhad jhokna use of idioms in sentences in Hindi

1.        सुनिल ने पहले तो अध्ययन किया नही और आज भाड़ झोंकना पडऋ रहा है तो कहता है की उस समय अध्ययन कर लेता तो आज अच्छी नोकरी करता ।

2.        सुरज के नोकरी न मिलने के कारण से जीवन में भाड़ झोंकना पड़ रहा है ।

3.        राजवीर आज 30 साल का हो गया है मगर अभी भी घर बैठा भाड़ खोद रहा है।

4.        तुम्हे लगता है की वह घर पर बैठा भाड़ झोंक रहा है मगर असल में वह अच्छी जॉब करता है।

5.        राजकिशोर इंजिनियर बन कर घर पर बैठा है तो सभी कह रहे है की राजकिशोर भाड़ झोंक रहा है ।

6.        कंचन को नोकरी से निकाल दिया है और आज कल भाड़ झोंकती रहती है ।

7.        अविनाश को नोकरी से निकाल देने के कारण से उसे अब जीवन में भाड़ झोंकना पड रहा है ।

भाड़ झोंकना मुहावरे पर कहानी || bhad jhokna story on idiom in Hindi

दोस्तो अभी वर्तमान समय की बात है एक गाव में राजवीर नाम का लड़का रहा करता था जो की अपने जीवन में काफी खुश था । और वह जो जीवन में कर रहा था उससे बहुत ही खुश था और उसके बारे में किसी को बताना तक नही चाहता था ।

 बल्की वह तो जब 20 वर्ष का हुआ था उसी समय से न जाने कैसा काम करने लगा था और लोगो को इस बारे में पता न था इस कारण से लोग तो उसके लिए एक ही बात कहते थे की वह तो घर में बेकार बेठा है ।

दरसल राजवीर पढने में काफी होसियार था इस कारण से वह जीवन में काफी अधिक पढता रहता था और जीवन में नोकरी लगने का एक छोटा सा ख्वाब बनाए रखता था ।

वह सोचता था की जिस दिन मैं बडा होउगा उस दिन मैं नोकरी करूगा । मगर जैसे ही वह कॉलेज में हुआ तो उसे शेयर बाजार के बारे में पता चला और उसने सोचा की थोडा बहुत खर्चा भी निकल जाएगा इस तरह से उसने काम करना शुरू कर दिया और आज राजवीर करीब 25 साल का हो चुका है

और इस काम को करते हुए 5 वर्ष बित गए है तो उसे काफी अनुभव हासिल हो चुका है ओर अब तो वह घर पर रह कर अध्ययन करता है और शेयर बाजार से पैसे कमाता रहता है और इससे राजवीर का जीवन काफी अच्छी तरह से आगे की ओर बढ रहा है ।

मगर घर के लोगो को तो इस बारे में पता है इसके अलावा किसी को पता नही है। और यही कारण है की गाव के लोग जब भी राजवीर को देखते है या उससे बाते करते है तो एक ही बात कहते है की राजीवर किसी कंपनी में जाकर काम कर लो इस तर हसे घर पर रह कर कितने दिनो तक भाड़ झोकते रहोगे ।

मगर राजीवन एक ही बात कहता है की नही मैं अभी अध्ययन कर रहा हूं । मगर एक दिन की बात है जब राजीवन को पता नही क्या समझ में आ गया उसने सभी को बता दिया की वह क्या काम करता है ।

दरसल बात कुछ इस तरह से है की राजीवर जो था एक दिन शहर से अपने घर आ रहा था तो रास्ते में उसे कुछ लड़के मिल गए जो की कंपनी से महिने के 20 हजार रूपय कमाते थे और उन लोगो को लगा की राजीवर जो है

 वह घर पर आराम से रह रहा है और इसी बात को सोच कर उन लड़को ने राजवीर को बुरा भला कह दिया और कहा की घर में ऐसे ही पड़े रहते हो कोई काम वगैरह कर लो ।

मगर राजीवन को इससे किसी बात का फर्क नही पड़ मगर जब वे चुप होने का नाम नही ले रहे थे उसे मन ही मन क्रोध आ रहा था क्योकी जो लड़के उससे छोटे थे वे ऐसी बाते कह रहे थे मगर राजीवन ने अपने आप पर काबू रखा और किसी को कुछ नही कहा ।

गाव में पहुंचने पर गाव के कुछ बड़े लोगो ने कहा की बेटा राजीवर इतने पढ लिख लिए हो तो कोई काम कर लो इस तरह से भाड़ झोंकने से काम नही चलने वाला है ।

मगर इस तरह से कहने पर राजीवन को क्रोध आ गया और उसने कहा की अंकल जी जो लोग कंपनी में महिने के 20 हजार कमाते है वह तो मैं चार दिन में हासिल कर लेता हूं और यह सुन कर वे लोग चौंक उठे क्योकी चार दिन के अंदर 20 हजार रूपय हासिल करना कोई छोटी मोटी बात तो है नही ।

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मगर तब उन लोगो ने पूछा की ऐसा क्या काम करते हो तो राजवीर ने कहा की मैं काम चाहे जो भी करता हूं मगर अच्छा करता हूं । और इस तर हसे काम के बारे में राजीवर ने किसी को बताया नही ।

पल भर के अंदर यह बात पूरे गाव में फैल गई किसी को यकिन नही हो रहा था की जो लड़का घर पर रहता है वह चार दिन में 20 हजार रूपय भी हासिल कर सकता है ।

मगर एक महिने के बाद में लोगो को पता चला की राजवीर शेयर बाजार उपयोग में लेता है तो जो लोग इस बारे में जानते थे वे समझ गए की इससे काफी अच्छी किमत हासिल हो सकती है ओर जो नही जानते थे वे कहते थे की यह शेयर बाजार किस चिड़िया का नाम है ।

भाड़ झोंकना मुहावरे का अर्थ

और उनको तो अभी भी यही लगता था की राजीवर घर पर रह कर भाड़ झोंकता है । मगर लोगो का किसी को क्या लेना देना राजवीर तो अपने इसी काम में लगा रहा और अध्ययन करता रहा ।

 शायद वह जल्द ही नोकरी भी लग सकता है क्योकी तैयारी भी तो अच्छी करता है । तो इस तरह से राजवीर की कहानी है ।

वैसे दोस्तो इस कहानी से आप भाड़ झोंकना मुहावरे के अर्थ के बारे में जान सकते है। अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर दे ।

इस वर्ष के एग्जामो के लिए मुहावरे (देखने के लिए मुहावरे पर क्लिक करे)

आपे से बाहर होना  माथे पर बल पड़ना   
आग में घी डालना  हाथ के तोते उड़ना
आँखों में धूल झोंकना  मिट्टी पलीद करना  
आँखें बिछाना  हाथ का मैल होना
आकाश पाताल एक करना  रंगे हाथों पकड़ना
अगर मगर करना  सीधे मुँह बात न करना
पहाड़ टूट पड़ना  प्रतिष्ठा पर आंच आना
आग लगने पर कुआँ खोदना  आँखे फटी रह जाना  
श्री गणेश करना  सिर ऊँचा करना
टस से मस न होना  ‌‌‌चोर चोर मौसेरे भाई
छोटा मुँह बड़ी बात  मर मिटना  
चोली दामन का साथ  ‌‌‌सहम जाना
गुदड़ी का लाल  घास खोदना  
गागर में सागर भरना  रफू चक्कर होना
कान पर जूं न रेंगना  अंतर के पट खोलना
आँखें फेर लेना  चादर से बाहर पैर पसारना
घाट घाट का पानी पीना  उन्नीस बीस का अंतर होना
बालू से तेल निकालना  सिर पर पाँव रखकर भागना  
अंग अंग ढीला होना  काठ की हांडी होना   
अक्ल के घोड़े दौड़ाना  एक लाठी से हाँकना
आवाज उठाना  भानुमती का पिटारा
मक्खी मारना  अंकुश रखना  निबंध व
चैन की बंशी बजाना  अंधी पीसे कुत्ता खाए
आग बबूला होना  का वर्षा जब कृषि सुखाने
भीगी बिल्ली बनना  नीम हकीम खतरे जान
जान हथेली पर रखना  अधजल गगरी छलकत जाए
लाल पीला होना  जैसा देश वैसा भेष मुहावरे
अंधे की लाठी  नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अंगूठा दिखाना  नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब  वाक्य
नौ दो ग्यारह होना  चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
 चौकड़ी भरनाआव देखा न ताव
 हरी झंडी दिखानाथोथा चना बाजे घना  
 हथेली पर सरसों जमानातेल देखो, तेल की धार देखो   
 हाथ को हाथ न सूझना  छाती पर मूँग दलना
 चेहरे पर हवाइयाँ उड़नाकंगाली में आटा गीला
 हाथ लगनाभूखे भजन न होय गोपाला
 हवा हो जानासाँच को आँच नहीं  
 हाथ खींचना ऐरा – गैरा नत्थू खैरा का
 हक्का-बक्का रह जाना पर उपदेश कुशल बहुतेरे

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।