कानो कान खबर न होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

कानो कान खबर न होना मुहावरे का अर्थ kano kan khabar na hona muhavare ka arth – भेद का पता न चलना या किसी को गुप्त बात का पता न चलना ।

दोस्तो खबर किसी ऐसी बात को कहा जाता है जो बहुत ही दिलचप होती है । जिसे सुनने के बाद अपने आस पास के बारे मे पता चल जाता है । क्योकी इन खबरों को ‌‌‌जब दुसरो के मुख से सुना जाता है तो कान का प्रयोग होता है । और इस तरह की खबरो को एक कान से सुन कर दूसरे लोगो के कानो तक भी पहचाया जाता है ।

जिसके कारण से मुहावरा कानो कान खबर न होना होता है जिसका अर्थ किसी को भी किसी बात का पता न होना है । ‌‌‌क्योकी जो बात किसी को पता न होती है उसे गुप्त या भेद कहा जाता है । इस कारण से भेद या गुप्त बात का पता न होना इस मुहावरे का सही अर्थ हो जाता है । और जहां पर गुप्त बात या भेद का पता न होने की बात होती है वही इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किया जाता है।

कानो कान खबर न होना मुहावरे का वाक्य ‌‌‌में प्रयोग

  • झांगिरमल की मृत्यु होने ही वाली थी की उसके भाई ने हॉस्पिटल में ले जाने के बहाने उसका सब कुछ अपने नाम करा लिया और झांगिरमल के घर वालो को कानो कान खबर न हुई ।
  • अमावश्या की रात को चौर ने मुकनाराम के घर मे चोरी कर ली और किसी को कानो कान खबर न हुई ।
  • रात का फायदा उठा कर राहुल ने ‌‌‌किसन जी का घर जला डाला और किसी को कानो कान खबर न हुई ।
  • महेश जेल से फरार हो गया और पुलिस वाले सोते रह गए किसी को कानो कान खबर न हुई ।
  • लकडुराम ने भरी सभा में रिया के चेहरे पर ऐसिड की बोतल फेंक दी और किसी को कानो कान खबर न हुई ।
  • शर्माजी का कल रात को देहांत हो गया और आस पास के पडोसियो को ‌‌‌कानो कान खबर न हुई ।
  • बिजली मैंन बिजली चैंक कर रहा था मगर तभी बिजली के आ जाने के कारण से उसकी मौंत हो गई और पास खडे शर्माजी को 1 घंटे तक इस बारे मे पता तक न चला इसे कहते है कानो कान खबर न होना ।

‌‌‌कानो कान खबर होना मुहावरे पर कहानी (‌‌‌मुर्ख राजा और लालची मंत्री)

दोस्तो प्राचीन समय में अनेक तरह के राजा महाराज हुआ करते थे । उनमें से ही एक राजा झिगुंडदास था । राजा झिगुंडदास बडा ही दानी और महान था जिसके कारण से हर कोई उसकी महानता के गुण गाने का काम करते थे । मगर उसके पास अपरम पार धन था जिसका कोई अंत न था ।

यहां तक की ‌‌‌राजा झिगुंडदास के सेनापति को भी इस बारे में पता नही था ।मगर सेनापति बडा लालची था वह पैसो के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता था । इसके अलावा एक बार राजा के महल मे एक बडा ही ज्ञानी साधू आया था जिसका राजा ने खुब अपमान किया । जिसके कारण से साधू ने राजा को श्राप दे दिया की तुम्हारा सब कुछ ‌‌‌नष्ट हो जाएगा ।

यही सुन कर राजा को क्रोध आया और उसने साधू को पास के ही जंगल मे छोड दिया । उस जंगल मे जहरीले जानवरो का घर था और आज तक वहां जो भी गया था वह जीवित नही लोटा ।

मगर साधू ने कहा की मुर्ख राजा तु भले ही प्रजा के लिए देवता होगा मगर तुमने एक साधू का अपमान कर कर अपने कर्मो को नष्ट कर ‌‌‌दिया है जिसका तुम्हे एक दिन अहसास हो जाएगा और ‌‌‌उसी दिन मैं वापस तुम्हारे राज्य में आउगा । साधू की बात सुन कर राजा जोरो सोरो से हंसने लगा था ।

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बस यही कारण था की राजा झिंगुरदास जी का राजा का सासन नष्ट हो गया था । इसके पिछे राजा के मंत्री का ही हाथ था । क्योकी जैसा की बताया की राजा की मंत्री ‌‌‌लालची था और जब उसे राजा के पास अपरम पार धन के बारे में पता चला तो वह धिरे धिरे कर कर राजा का सारा धन लूटने गला था ।

इसकी शुरूआत जब राजा ने साधू को जंगल मे ढाला था उसी दिन से हो गई थी । क्योकी मंत्री जैसे ही महल मे गया तो उसने देखा की महारानी बहुत सारा धन अपनी नोकरानियो में बाट रही है जिसका ‌‌‌राजा को पता तक नही था । मगर जब राजा महल मे आए तो मंत्री ने इस बारे मे राजा से कहा ।

तब राजा ने उत्तर न दिया बल्की वह कहने लगा की मंत्री तुम अपने काम से काम रखो । महारानी जो करती है उस पर नजर क्यो रख रहे हो । यह सुन कर मंत्री को कुछ समझ मे नही आया मगर फिर भी उसने राजा से कहा की महाराजा ऐसा फिर ‌‌‌नही होगा । मगर मंत्री का लालच उसे राजा के खिलाफ लेकर चला गया और एक दिन वह महारानी का पिछा करते हुए ‌‌‌ऐसी गुप्त जगह गया जिसके बारे मे किसी को कानो कान खबर न थी ।

 उस जगह पर जाने के बाद मे मंत्री ने देखा की एक बडा कक्ष है जो की पूरा का पूरा हिरे जेवरातो से भरा हुआ है । यह देख कर मंत्री का लालच ‌‌‌बोला की मंत्री यही मोका है अपने आप को चमकाने का तुम्हे यह सारा धन चोरी कर लेना होगा ।

इसके बाद में फिर मंत्री एक दिन रात का फायदा उठा कर उस कक्ष मे जा पहुंचा जब राजा और उसके सेनिक सो रहे थे । मगर मंत्री ने लालच दे कर पहरे देने वाले सेनिको को भी अपने साथ मिला लियाप । और फिर बहुत सारा ‌‌‌धन चुरा कर अपने घर लेकर चला गया और एक गुप्त जगह छिपा दिया ।

इस तरह से मंत्री रोज करता था और धिरे धिरे राजा के समिप होते हुए कुछ सेनिको को अपने साथ मिलाने लगा था । क्योकी अब मंत्री के पास धन आने लगा था तो उसने गाव के कुछ ऐसे लोगो की तलाश की जो की काफी अधिक बलवान और चालाक थे । जिसे राजा ‌‌‌की मंजुरी से अपने सेनिक बना लिए ।

क्योकी राजा ने कहा की मंत्री ये लोग तुम्हारे घर तक ही सिमित है और तुम अपने घर में जो चाहे करो उससे मुझे क्या । इस तरह से फिर मंत्री को मोका मिल गया और उसने अपनी एक सेना तैयार कर ली । ताकी जब भी राजा को लगे की मंत्री उसे हानि पहुंचा रहा है तब वह राजा को हरा ‌‌‌कर राज्य पर अपना हक जामा सके ।

मगर जब राजा ने देखा की मंत्री समय समय पर अधिक सेना तैयार कर रहा है तो राजा को सक होने लगा । और जैसे ही इस बारे मे मंत्री को पता चला तो उसने अपना घर बार बेच दिया ताकी राजा को लगे की वह कंगाल हो गया है और ऐसा ही हुआ ।

 क्योकी जब मंत्री ने अपने घर को बेचा तो राजा ने ‌‌‌उससे कहा की मंत्री जब आय कम हो तो इतने अधिक सेनिको को बेवजह नही रखना चाहिए था । तब मंत्री राजा से कहने लगा की महाराज मुझे आज यह समझ मे आ गया है । इस बात को एक महिना बिता था ।

तब एक दिन मंत्री पास के राजा से मिलने के लिए चला गया और उसे अपनी सारी योजना बता दी और कहा की राजा का जो धन होगा वह ‌‌‌सब चुरा कर उसमे से 20 प्रतिशत आपको मिलेगा क्योकी मेहनत मैं कर रहा हु तो अधिक मुझे मिले । मगर राजा नही माना तब मजबूर न मंत्री को 30 प्रतिश धन उस राजा को देने को कहना पडा ।

इस तरह से साधू के जंगल मे रहने के 10 महिने बित गए थे और मंत्री को भी राजा का धन लूटते हुए 10 महिने हो गए मगर एक दिन ‌‌‌मंत्री ने राजा का सारा धन लूट लिया और उन सेनिको के साथ दूसरे राज्य जा पहुंचा । जहां पर जाने के बाद मे जैसा ‌‌‌वादा किया था राजा को 30 प्रतिशत धन मिल गया और 10 प्रतिश अपने सेनिको को मिला । अब राजा झिंगुरदास के पास कुछ न था ।

मगर उसे इस बारे मे कानो कान खबर न थी । कुछ दिन बिते तो राजा झिंगुरदास ‌‌‌ने मंत्री को नही देखा तो वह अपने सेनिको से पूछने लगा । मगर इस बारे मे सनिको को कोई बता का पता नही था । मगर राजा ने हलके मे ले कर एक महिना बिता दिया । अब साधू को जंगल मे रहते हुए एक वर्ष बित गया और राजा को लग रहा था की साधू खत्म हो गया है ।

‌‌‌कानो कान खबर न होना मुहावरे पर कहानी (‌‌‌मुर्ख राजा और लालची मंत्री)

मगर तभी राजा के महल मे वह साधू आया और राजा से ‌‌‌कहा ‌‌‌हे मुर्ख राजा मैंने जो कहा था वह सत्य हो गया है । यह सुन कर राजा हैरान हो गया क्योकी राजा को लगा की साधू मर गया मगर वह नही मरा था । और साधू की बात सुन कर तो वह हंसने लगा क्योकी उसे लग रहा था की जो साधू ने कहा है वह तो अभी हुआ ही नही है ।

मगर तभी साधू ने कहा की तुम्हारे पास जो धन था वह सब ‌‌‌चोरी हो गया है । यह सुन कर राजा ने कहा की मुर्ख साधू तु जगल से तो बंच गया मगर अब यहां पर आकर वापस अपना जीवन नष्ट करने में क्यो लगा है । तब साधू ने कहा की एक बार अपने गुप्त कमरे मे जाकर देखा । साधू की बात मान कर राजा एक बार धन को देखने के लिए गया तो वह वही पर रह गया ।

क्योकी धन न होने के कारण ‌‌‌से उसके हाथ पैर काम नही कर रहे थे और वह सदमे मे चला गया । इस तरह से जब राजा नही आया तो साधू ने सेनिको को कहा की अपने राजा को लेकर आओ । साधू की बात सुन कर महारानी वहां गई तो वह भी देख कर चकित रह गई ।

तभी राजा को देखा यह देख कर महारानी ने राजा को संभाला और उसे वापस साधू के पास लेकर आई । तब महारानी ‌‌‌ने साधू से माफी मागी और कहा की महाराज हमने जो आपके साथ किया है वह श्रमा के काबिल नही है मगर फिर भी हो सके तो श्रमा करे । तब साधू ने कहा की महारानी यह सब आपके पति का किया हुआ है ।

मैंने कुछ नही किया जो हुआ है वह इन्ही की देन है । यह सुन कर महारानी समझ नही पा रही थी  । तभी साधू ने कहा की आपका ‌‌‌मंत्री कहा है । साधू के मुंख से मंत्री का ‌‌‌शब्द सुनते ही महारानी समझ गई की उसने ही सब कुछ चुराया है। तब महारानी ने साधू से कहा की महाराज हमारा धन चोरी हो गया और हमे कानो कान खबर न हुई

मगर साधू ने अब उत्तर न दिया और वहां से चला गया और जाकर उसी जंगल मे रहने लगा था । वही राजा झिंगुरदास सदमे में 1 ‌‌‌दिन तक रहा और जब उसे होस आया तो पता चला की धन न होने के कारण से उसकी सेना भी उसके साथ न है ।

जिसके कारण से राजा नाम का ही राजा रह गया था । तब राजा को समझ मे आ गया की वह मुर्ख था जो लालची मंत्री पर भरोषा कर रहा था । इस तरह से आपको इस कहानी से मुहावरे का अर्थ समझ मे आ गया होगा ।

‌‌‌कानो कान खबर होना मुहावरे पर निबंध

साथियो वर्तमान के समय में खबर को पहुंचाने के लिए बहुत से उपकर बन गए है । जैसे टीवी, चेनल, अखबार आदी । मगर इनका उपयोग अधिक रूप मे शहरो मे होता है । गावो में इनका उपयोग बहुत ही कम होता है। गावो मे किसी खबर को दूसरे तक पहुचाने के लिए दूसरो को बताई जाती है ‌‌‌जिससे लोग अपने कानो से सुनते है और फिर उस खबर को दूसरे लोगो के कानो मे पहुंचाते है ।

‌‌‌कानो कान खबर न होना मुहावरे पर कहानी (‌‌‌मुर्ख राजा और लालची मंत्री)

इस तरह से कानो कान खबर ‌‌‌पहुंचती है। मगर वही अगर किसी प्रकार की खबर किसी के पास न पहुंचे तो इसे कानो कान खबर न होना कहते है । क्योकी जो खबर किसी के पास नही है वह गुप्त है । और इस तरह से जब किसी गुप्त बात ‌‌‌का किसी को पता नही चलता है या कह सकते है की भेद का पता नही चलता है तो कानो कान खबर न होना मुहावरे का प्रयोग होता है ।

इस मुहावरे में कान का प्रयोग सुनने के लिए किया गया है क्योकी खबर को कान से ही सुना जाता है । इस तरह से इस मुहावरे के बारे मे आप बहुत कुछ समझ गए होगे । अ

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कानो कान खबर न होना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of kano kan khabar na hona in Hindi

दोस्तो kano kan khabar na hona एक ऐसा मुहावरा है जो की पीछले कुछ समय से काफी अधिक उपयोगी रहा है और इसका कारण यह है की यह मुहावरा कई बार एग्जामों में पूछा जा चुका है ।

जैसे की दोस्तो आप एसएससी जीडी की तैयारी कर रहे है तो आपको बात दे की 2024 में इस मुहावरे को एसएससी जीडी के एग्जाम में पूछा गया है और इसका मतलब हुआ की इस मुहावरे के बारे में आपकों पता होना चाहिए ।

वैसे आपने जो कुछ समझा है उसके आधार पर आपको यह तो पता चल ही गया है की kano kan khabar na hona muhavare ka arth – भेद का पता न चलना या किसी को गुप्त बात का पता न चलना होता है और इसी से यह समझ ले की जहां पर भी भेद का पता न चलना या किसी को गुप्त बात का पता न चलने की बात होती है वही पर इसका वाक्य में प्रयोग किया जाता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।