भेड़ चाल मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग व कहानी

भेड़ चाल मुहावरे का अर्थ bhed chaal muhavare ka arth  –  बिना सोचे समझे किसी का अनुसरण करना ।

दोस्तो भेड़ के बारे में आपको पता होगा की यह एक झूंड में रहीत है और इस झूंड में बहुत सारी भेड़ होती है। जब भी झूंड की कोई भेड़ किसी दिशा में जाने लग जाती है तो बाकी भेड़ भी बिना कुछ सोचे समझे उसके पीछे पीछे जाने लग जाती है यानि आगे वाली भेड़ का बाकी सभी भेड़ भी अनुसरण करती है । और इसी कारण से भेड़ एक स्थान पर रूक कर चरती नही है बल्की आगे बढती जाती है और चरती रहती है ।

और ठिक ऐसे ही जब कोई व्यक्ति किसी भी कारण से और किसी भी कार्य में एक भेड़ की तरह दूसरे किसी व्यक्ति का अनुसरण करता है यानि उसने जैसे किया है वैसे ही करता है तो इसे भेड़ चाल कहा जाता है ।

और इस तरह से भेड़ चाल मुहावरे का सही अर्थ  बिना सोचे समझे किसी का अनुसरण करना होता है ।

भेड़ चाल मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग व कहानी

भेड़ की चाल चलना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || bhed chaal  use of idioms in sentences in Hindi

1.        शेयर बाजार में भेड़ की चाल चलने वालो को हमेशा नुकसान होता है ।

2.        अक्षर शेयर मार्केट में लोग भेड़ की चाल चलते रहते है ।

3.        राम लाल का छोरा अगर पुलिसविभाग में नोकरी लगा तो इसका मतलब तुम भी पुलिसविभाग में नोकरी लगोगे यह तो भेड की चाल चलना हुआ ।

4.        आजकल लोग भेड़ की चाल चलकर जीवन में सफल होने की सोचते है ।

5.        अगर सभी नोकरी लग रहे है तो इसका मतलब है की मुझे भी नोकरी लगना चाहिए, मगर मुझसे यह भेड चाल नही चली जाती ।

6.        दुसरो को देख कर भेड चाल चलना सही नही है ।

7.        राहुल ने 11 वी कक्षा में विज्ञान विषय लिया है तो मनीष भी विज्ञान विषय लेने लगा तब मैंने कहा भेड चाल चलना सही नही ।

8.        अक्षर प्रेम मे लोग भेड चाल चलने लग जाते है ।

9.        सुरज पूजा से प्रेम करता था और जब पुजा ने प्राईवेट कॉलेज में दाखिला लिया तो सुरज भी प्राईवेट कॉलेज में दाखिला लेकर भेड चाल चलने लगा ।

भेड चाल मुहावरे पर कहानी || bhed chaal story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक गाव में रामलाल नाम का एक आदमी रहा करता था जो की अपनी पत्नी के साथ अपने घर में रहा करता था । समय के साथ साथ परिवार में बढोतरी होती गई और अब उनके घर में एक नन्हे से बच्चे का जन्म हो गया था और एक बेटी का जन्म भी हुआ था ।

रामलाल जो था वह इस खबर को सुन कर काफी खुश हुआ और उसने अपने बेटे का नाम महेश रखा और बेटी का नाम रेखा रखा था । और इसके बाद में उनका पालन करने लगा था । मगर समय के साथ साथ रामलाल के बेटा बेटी बढे होने लगे तो उसने पढने के लिए अपने बेटा बेटी को विद्यालय भेज दिया था । जहां पर महेश और रेखा पढने के लिए जाते थे ।

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अब महेश जो था वह शुरूआत से ही पढने में रूची लेता था तो जैसे जैसे वह बढा होता गया वह और अधिक पढने लगा और इसी तरह से पढने के कारण से वह ज्ञानी बनता जा रहा था । अब जैसे जैसे महेश आगे बढता गया वह चीजो को समझने लगा और एक एक शब्द को समझ कर पढना शुरू कर देता है ।

और इसी तरह से रेखा जो थी वह पढती थी और पिता यह सब देख कर खुश होता था क्योकी उन्हे लगता की बेटा और बेटी बडे होकर नोकरी लग जाएगे और ऐसा होगा तो अच्छा होगा । अब बात भी सच थी की नोकरी मिलने के कारण से सच में जीवन में काफी कुछ अच्छा होता है और जीवन सरल बन जाता है ।

भेड़ चाल मुहावरे का अर्थ

मगर रामलाल का जो बेटा था वह इस बात को उम्र के साथ और अच्छी तरह से समझ गया था । इस कारण से उसने ठान लिया की वह जीवन में जॉब लग बर रहेगा और इसी कारण से रामलाल का जो बेटा था जिसका नाम महेश था उसने दिन रात एक कर कर तैयारी करनी शुरू कर दी थी ।

और इस तरहसे तैयारी करने के कारण से महेश जीवन में सफलता की और कदम बढता जा रहा था । और करीब दो वर्ष तक तैयारी करने के बाद मे महेश ने पुलिसविभाग के एग्जाम को पास कर लिया और नोरी लग गया था ।

अब महेश पुलिसकर्मी बन कर ड्यूटी जॉइन हो गया तो गाव के लोगो को लगा की पुलिस बनना आसान काम है और यह बाते तो उन लड़को के दिमाग में कुछ ज्यादा ही बैठ गई जो महेश के साथ पढते थे।

वे कहने लगे की महेश तो पढने में हमारे जैसा ही था मगर वह  नोकरी लग गया है और इसकार मतलब है की पुलिस बनना आसान है और इसी बात को अपने दिमाग में बैठा कर पुरे गाव के लड़को ने पुलिस विभाग में नोकरी लगने के लिए तैयारी शुरू कर दी ।

अब गाव में एक सेठ था जो की काफी पढा लिखा था मगर फिर भी जॉब नही लग पाया था उसने उन लड़को को समझाते हुए कहा की बेटा नोकरी लगना तो सही है मगर रामलाल के छोरा पुलिस विभाग में नोकरी तो लग गया है मगर इसका मतलब यह थोड़े है की सभी उसकी की तैयारी करनी शुरू कर दे यह तो भेड चाल चलना हुआ ।

मगर बच्चो ने इस बात को हल्के में लिया और नही समझ पाए की सेठ क्या कहना चाहता था । मगर उसी दिन की बात है सेठ का जो बेटा था वह कहने लगा की पिताजी रामलाल का छोरा पुलिस विभाग में नोकरी लगा है

तो मैं भी पुलिस विभाग में नोकरी लगूगा और यह सुन कर सेठ ने कहा की रामलाल का छोरा पुलिस विभाग में नोकरी लगा है तो इसका मतलब हुआ की तुम भी पुलिस विभाग में नोकरी लगोगे यह तो भेड चाल चलना हुआ ।

और इस तरह से कह कर सेठ ने कहा की तुम्हारी जिस काम में इच्छा हो उस नोकरी को प्राप्त करो न की दूसरो को देश कर कार्य करो और यह सेठ का बेटा समझ गया और उसने फिर पुलिसविभाग में नोकरी की तैयारी न कर कर बैंक की तैयारी करने लगा ।

मगर लोगो का क्या था वे तो वैसे ही करते जा रहे थे उन्हे लगता की इस नोकरी को प्राप्त करना आसान है तो वे पुलिसविभाग के लिए ही तैयारी करने लगे ।

तो दोस्तो कहानी की तरह ही आज असल में होता है और यह आपको पता है । मगर आप कहानी से मुहावरे के अर्थ को समझ सकते है ।

इस वर्ष के एग्जामो के लिए मुहावरे (देखने के लिए मुहावरे पर क्लिक करे)

आपे से बाहर होना  माथे पर बल पड़ना   
आग में घी डालना  हाथ के तोते उड़ना
आँखों में धूल झोंकना  मिट्टी पलीद करना  
आँखें बिछाना  हाथ का मैल होना
आकाश पाताल एक करना  रंगे हाथों पकड़ना
अगर मगर करना  सीधे मुँह बात न करना
पहाड़ टूट पड़ना  प्रतिष्ठा पर आंच आना
आग लगने पर कुआँ खोदना  आँखे फटी रह जाना  
श्री गणेश करना  सिर ऊँचा करना
टस से मस न होना  ‌‌‌चोर चोर मौसेरे भाई
छोटा मुँह बड़ी बात  मर मिटना  
चोली दामन का साथ  ‌‌‌सहम जाना
गुदड़ी का लाल  घास खोदना  
गागर में सागर भरना  रफू चक्कर होना
कान पर जूं न रेंगना  अंतर के पट खोलना
आँखें फेर लेना  चादर से बाहर पैर पसारना
घाट घाट का पानी पीना  उन्नीस बीस का अंतर होना
बालू से तेल निकालना  सिर पर पाँव रखकर भागना  
अंग अंग ढीला होना  काठ की हांडी होना   
अक्ल के घोड़े दौड़ाना  एक लाठी से हाँकना
आवाज उठाना  भानुमती का पिटारा
मक्खी मारना  अंकुश रखना  निबंध व
चैन की बंशी बजाना  अंधी पीसे कुत्ता खाए
आग बबूला होना  का वर्षा जब कृषि सुखाने
भीगी बिल्ली बनना  नीम हकीम खतरे जान
जान हथेली पर रखना  अधजल गगरी छलकत जाए
लाल पीला होना  जैसा देश वैसा भेष मुहावरे
अंधे की लाठी  नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अंगूठा दिखाना  नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब  वाक्य
नौ दो ग्यारह होना  चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
 चौकड़ी भरनाआव देखा न ताव
 हरी झंडी दिखानाथोथा चना बाजे घना  
 हथेली पर सरसों जमानातेल देखो, तेल की धार देखो   
 हाथ को हाथ न सूझना  छाती पर मूँग दलना
 चेहरे पर हवाइयाँ उड़नाकंगाली में आटा गीला
 हाथ लगनाभूखे भजन न होय गोपाला
 हवा हो जानासाँच को आँच नहीं  
 हाथ खींचनाऐरा – गैरा नत्थू खैरा का
 हक्का-बक्का रह जानापर उपदेश कुशल बहुतेरे

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।