फूल झड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

फूल झड़ना मुहावरे का अर्थ full jhadna muhavare ka arth – प्रियभाषी होना।

दोस्तो कहते है की अपने मुंह से बोलते समय ध्यान रखना चाहिए की क्या बोला जा रहा है । क्योकी जो गलत बोला जाता है तो वह सामने वाले के दिल पर वार सा करता है । मतलब उसे बहुत बुरा लगता है  । मगर कुछ लोग होते है जो की इसी तरह के कटु वचन बोलते रहते है ।

वही पर बहुत से लोग ऐसे भी होते है जो की मधुर वचन या प्रिय वचन बोलते है । जो की सुनकर सामने वाले व्यक्ति को काफी अधिक अच्छा लगता है। तो इस तरह से जो व्यक्ति बोलता है उसके लिए कहा जाता है की यह तो प्रियभाषी है मतलब प्रिय भाषा बोलता है ।

वही पर अगर फूल की बात करे तो वह मानव को काफी अधिक पसंद होते है जिस तरह से प्रिय भाषा मानव को अच्छी लगती है ठिक वैसे ही फूल भी मानव को अच्छे लगते है । और इस तरह से अच्छे वचन या प्रिय वचन बोले वाले के लिए कहा जाता है की इसके मुंह से तो फूल झड़ते है । तो इस बात का मतलब हुआ की मुहावरे का सही अर्थ प्रियभाषी होना, प्रिय वचन बोलना होते है ।

फूल झड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

फूल झड़ना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||  full jhadna use of idioms in sentences in Hindi

1.        कंचन इतना अच्छी अच्छी बाते करती है जैसे मानो की उसके मुंह से फूल झड़ते हो ।

2.        वहां भाई साहब आपसे बाते कर कर तो मजा ही आ गया, क्योकी आप जब बोलते हो तो ऐसा लगता है जैसे की फूल झड़ रहे हो ।

3.        सविता कितनी अच्छी लड़की है हर किसी से ऐसे ही बात करती है जैसे की मानो फूल झड़ते हो ।

4.        लड़को से जब लड़किया बात करती है तो लड़को को ऐसा लगता है जैसे मानो की उनके मुंह से फूल झड़ रहे हो ।

5.        रामलाल एक हलवाई है मगर सभी उसके बारे में कहते है की जिस तरह से मिठाई में मिठास है उसी तरह से उसकी बातो में मिठास है मानो जैसे की उनके मुंह से फूल झड़ते हो ।

फूल झड़ना मुहावरे पर कहानी || full jhadna story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक छोटा सा हलवाई हुआ करता था जिसका नाम रामलाल था और वह क्या मिठाई बनाता था , खा कर मजा ही आ जाता था ।

और ऐसा मैं नही कह रहा हूं बल्की उस गाव के सभी लोगो का कहना था क्योकी जहां गाव के लोग शहर जाकर महगी महंगी मिठाईया लेकर आते थे वही पर रामलाल की मिठाई अलग ही रहती थी क्योकी यह सबसे श्रेष्ठ थी और इसी कारण से यह लोगो को इतनी अधिक पसंद आती थी की जब भी कोई काम होता था जिसमें मिठाई की जरूरत होती थी

तो एक तो रामलाल की ही दुकान से मिठाई लेकर जाते थे और दूसरा की उसे भी कभी कभार अपने घर पर बुला कर मिठाई बनाने को कह देते थे । इसके बदले में रामलाल जो था वह अच्छा धन कमा लेता था मगर अपने गाव से उसने कभी भी ज्यादा धन न लिया बल्की हमेशा गाव के लोगो से कम धन ही लेता थाऔर इससे ही रामलाल खुश था ।

और यह सब देख कर केवल रामलाल ही नही बल्की गाव के लोग भी काफी खुश थे। यह सब कारण ही थे की उस गाव में रामलाल की मिठाईया इतनी अधिक बिक जाती थी की कोई सोच तक नही सकता था । मगर इसके अलावा भी एक और कारण था और वह उसकी मधुर बोली का था ।

दरसल रामलाल जो था वह कई वर्षों से इस काम को कर रहा था तो उसे एक बात समझ में आ गई की ग्राहक हो या फिर कोई और सभी से जब अच्छा और प्रेम पूर्वक बोला जाता है

तभी वे हमारी दुकान पर आ सकते है और इसी कारण से रामलाल जो था वह हमेशा दूसरो से जो की ग्राहक और अन्य लोग होते थे उनसे इसी तरह से बाते करता था जैसे की मानो कोई उनका अपना है ।

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और रामलाल जो कुछ बोलता था उसकी बाते सुन कर उन लोगो को केवल यही लगता था की वहां क्या बाते कर रहा है , और इसी कारण से जो लोग थे वे रामलाल के बारे में एक ही बात कहा करते थे की रामलाल तो इस तरह से बाते करता है जैसे की मानो उसके मूंह से फुल झड़ते हो । और इसी कारण से रामलाल की दुकान काफी श्रेष्ठ बनी रही थी ।

फूल झड़ना मुहावरे का अर्थ

एक बार की बात है एक छोटा सा प्रोग्राम था जो की किसन जी के घर में था और वहां पर मिठाईया बनाने का काम रामलाल को ही दिया था जिसके कारण से रामलाल जो था वह सुबह सुबह ही मिठाईया बनाने के लिए चला गया और उस दिन उसने अच्छी मेहनत कर कर अच्छे अच्छे पकवान बनाए ।

क्योकी उस दिन किसन जी के घर में लड़के को देखने के लिए आ रहे थे तो उनको नास्ता करवाने के लिए रामलाल से मिठाईया बनाई गई थी । अब कुछ समय के बाद में वे लड़के को देखने के लिए किसन जी के घर में आ गए और इधर रामलाल अब समोसे निकाल रहा था और जब वे आए तो उन्हे मिठाईया दी गई और समोसे दिए गए ।

जिसे खा कर वे लोग खुश हो गए और कहा की यह मिठाईया इतना स्वादिष्ठ किसने बनाई है तब किसनजी ने रामलाल को बुला कर कहा की इसने बनाई है । और फिर वे लोग रामलाल से बाते करने लगे ।

तब रामलाल ने भी उनके साथ अच्छी बाते की जिसे सुन कर उन लोगो ने कहा की वहां रामलाल क्या बाते करतो हो मानो जैसे की फूल झड़ते हो और यह सुन कर रामलाल ने कहा की रहने दो साहब क्यो मजाक कर रहे हो । इसके बाद में में उन लोगो ने लड़के को देखा और देखते ही वह पसंद आ गया ।

 जिसके कारण से उन्होने तुरन्त हां कह दिया और फिर वे वहां से चले गए । अब पिछे से किसन जी ने रामलाल से कहा की भाई रामलाल लड़का तो उनको पसंद आ गया है मगर इसमें जरा सा तुम्हारा भी हाथ है

 क्योकी एक तो तुम अच्छी मिठाई बनाते हो और दूसरा की तुम इस तरह से बोलते हो जैसे मानो की तुम्हारे मुंह से फूल झड़ते हो । और यह सुन कर रामलाल खुश हो गया और फिर किसनजी ने उसे उसकी मेहनत का पैसा दिया जिसे लेकर रामलाल चला । और इसी तरह से अपना काम करता रहा ।

तो इस तरह से रामलाल जो था वह प्रिय भाषा बोलता था जो की दूसरो को पसंद आ जाती थी । वैसे कहानी से आप समझ सकते है की फूल झड़ना मुहावरे का अर्थ प्रियभाषा बोला होता है ।

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आपे से बाहर होना  माथे पर बल पड़ना   
आग में घी डालना  हाथ के तोते उड़ना
आँखों में धूल झोंकना  मिट्टी पलीद करना  
आँखें बिछाना  हाथ का मैल होना
आकाश पाताल एक करना  रंगे हाथों पकड़ना
अगर मगर करना  सीधे मुँह बात न करना
पहाड़ टूट पड़ना  प्रतिष्ठा पर आंच आना
आग लगने पर कुआँ खोदना  आँखे फटी रह जाना  
श्री गणेश करना  सिर ऊँचा करना
टस से मस न होना  ‌‌‌चोर चोर मौसेरे भाई
छोटा मुँह बड़ी बात  मर मिटना  
चोली दामन का साथ  ‌‌‌सहम जाना
गुदड़ी का लाल  घास खोदना  
गागर में सागर भरना  रफू चक्कर होना
कान पर जूं न रेंगना  अंतर के पट खोलना
आँखें फेर लेना  चादर से बाहर पैर पसारना
घाट घाट का पानी पीना  उन्नीस बीस का अंतर होना
बालू से तेल निकालना  सिर पर पाँव रखकर भागना  
अंग अंग ढीला होना  काठ की हांडी होना   
अक्ल के घोड़े दौड़ाना  एक लाठी से हाँकना
आवाज उठाना  भानुमती का पिटारा
मक्खी मारना  अंकुश रखना  निबंध व
चैन की बंशी बजाना  अंधी पीसे कुत्ता खाए
आग बबूला होना  का वर्षा जब कृषि सुखाने
भीगी बिल्ली बनना  नीम हकीम खतरे जान
जान हथेली पर रखना  अधजल गगरी छलकत जाए
लाल पीला होना  जैसा देश वैसा भेष मुहावरे
अंधे की लाठी  नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अंगूठा दिखाना  नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब  वाक्य
नौ दो ग्यारह होना  चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
 चौकड़ी भरनाआव देखा न ताव
 हरी झंडी दिखानाथोथा चना बाजे घना  
 हथेली पर सरसों जमानातेल देखो, तेल की धार देखो   
 हाथ को हाथ न सूझना  छाती पर मूँग दलना
 चेहरे पर हवाइयाँ उड़नाकंगाली में आटा गीला
 हाथ लगनाभूखे भजन न होय गोपाला
 हवा हो जानासाँच को आँच नहीं  
 हाथ खींचना ऐरा – गैरा नत्थू खैरा का
 हक्का-बक्का रह जाना पर उपदेश कुशल बहुतेरे

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।