न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

नौ मन तेल होगा, राधा नाचेगी मुहावरे का अर्थ na nau man tel hoga, na radha nachegi muhavare ka arth – ‌‌‌किसी कार्य के लिए अंसभव शर्त रखना

दोस्तो ‌‌‌जब किसी व्यक्ति का कोई कार्य करने का मन नही होता है ‌‌‌यानि वह कार्य नही करना चाहता है तब वह उस कार्य को करने के लिए ऐशी शर्ते रखता है ‌‌‌जिसका पूरी होना अंसभव हो । ताकी उसकी शर्त पूरी न हो पाए और उसे कार्य न करना पडे । इस तरह से जब कोई व्यक्ति ‌‌‌किसी कारण से ऐशी सर्ते रखता है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

नौ मन तले होगा राधा नाचेगी मुहावरे ‌‌‌का वाक्य मे प्रयोग na nau man tel hoga na radha nachegi muhavare ka vaaky me prayog

  • रामू जब किसनलाल से पैसे उधार लेने गया तो किसनलाल ने कहा की दस रूपय का ब्याज लेगेगा यह सुन कर रामू ने कहा की यह तो वही बात हो गई न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी ।
  • तुम्हारा काम करने का इरादा नही है तो साफ साफ बता दो ‌‌‌ऐसी शर्ते क्यो रख रहे हो यह तो वही बात हो गई न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी ‌‌‌।
  • महेश ने अपने भाई को कहा की मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हू पर तुम्हे अपनी जमीन मेरे नाम करनी होगी यह सुन कर महेश के भाई ने कहा की यह तो वही बात हो गई न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी ।
  • महेश से मदद मागने पर महेश ने ऐशी शर्त रखी जिसे सुन कर राजेश ने कहा की न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी ।
  • आजकल बात बात पर हर कोई हडताल कर कर बैंठ जाता है और ऐसी शर्ते रखता है जैसे मानो न नौ मन तले होगा न राधा नाचेगी ।
  • सरीता आगे पढाई करना चाहती थी तब उसके पति ने ऐसी शर्त ‌‌‌रखी जिसे सुन कर सरीता ने कहा न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी ।

‌‌‌ नौ मन तेल होगा राधा नाचेगी मुहावरे पर कहानी na nau man tel hoga na radha nachegee muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी शहर मे एक बहुत बडा साहुकार रहा करता था । साहुकार के घर मे उसकी पत्नी के अलावा उसका एक बेटा रहा करता था । साहुकार का काम ही एक स्थान की वस्तु को दूसरे स्थान पर बेचने का था ।

इस कारण से उसने अपने शहर मे अपने बेटे को एक ‌‌‌दुकान खोल कर दे रखी थी । जिसमे लोग ‌‌‌अपनी अपनी वस्तुओ को साहुकार के बेटे को बेच देते थे और ‌‌‌फिर साहुकार उन वस्तुओ को दूसरे राज्यों मे बेचने के लिए चला जाता था । इस तरह से उस शहर के लोगा की वस्तु बिकती रहती थी जिसके कारण से लोगो को धन प्राप्त होता रहता था।

इस तरह से साहुकार को भी बहुत फायदा होता क्योकी वह लोगो से कम किमत पर वस्तु खरीदता और दुसरे ‌‌‌राज्य मे जाकर उसी वस्तु को बडी अच्छी किमत मे बेच देता था । इस तरह से साहुकार का जीवन बडी ही सानदार तरीके से चल रहा था ।

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इसका एक कारण यह भी था की उस शहर मे कोई ‌‌‌और ऐसा कार्य नही करता था । जिसके कारण से सभी शहर के लोग उसे ही वस्तु बेचते थे । इस तरह से साहुकार के शहर मे एक आदमी रहा करता था । ‌‌‌जो पेशे से एक कुम्हार था । उसका काम ही तरह तरह की वस्तु और पानी पिने के मटके बनाने का था ।

इस तरह से फिर वह कुम्हार उन वस्तुओ को साहुकार को बेचता जिससे साहुकार उसे दुसरे राज्य मे बेच कर आता था । इस तरह से कुम्हार को बहुत ही फायदा होता साथ ही साहुकार को बहुत बडा लाभ होता था ।

अब कुम्हार ‌‌‌को ‌‌‌जो भी धन प्राप्त होता उसका श्रेय साहुकार था । इस कारण से कह सकते है कुम्हार साहुकार पर ही निर्भर था । इस तरह से लम्बे समय से चला आ रहा था जिसके कारण से दोनो मे बहुत गहरी दोस्ती भी चल रही थी ।

मगर एक दिन कुम्हार ने अपनी वस्तु‌‌‌ओ के पैसे बढाने को लेकर साहुकार से झगडा कर लिया था । ‌‌‌जिससे कारण से साहुकार ने भी सोच लिया की अब वह कुम्हार की कोई भी वस्तु नही बेचेगा ।

इस तरह से फिर साहुकार के पास जब भी कुम्हार किसी वस्तु को लेकर ‌‌‌जाता तो साहुकार उससे कहता की भाई आज कल तुम्हारी वस्तु लोग कम खरीदना चाहते है जिसके कारण से इन वस्तुओ का कोई मोल नही रहा ।

इस तरह से कहने पर ‌‌‌कुम्हार ने कहा की आप कैसे भी कर कर मेरी इन वस्तुओ को बेचने का प्रयास करे क्योकी ‌‌‌मेरी कमाई ‌‌‌इनही से होती है । यह सुनते ही साहुकार ने कहा की मैं आपकी वस्तुओ को बेच तो सकता हूं पर आपको इनकी किमत अच्छी नही मिलेगी ।

यह सुन कर कुम्हार ने साहुकार से कहा की आप हमेशा देते हो उतनी दे देना । तब ‌‌‌साहुकार ने कहा की नही मैं आपकी उतने मे वस्तु नही खरीद सकता हूं क्योकी फिर मेरे बिल्कुल फायदा नही होगा ।

इस तरह से अंत मे साहुकार ने उसकी वस्तुओ की किमत बिल्कुल घटा दी। और कहा की इतने मे बेच सकते हो तो मैं कुछ सोच सकता हूं । ‌‌‌यह सुन कर कुम्हार ने कहा यह तो वही बात हो गई न नौ मन तले होगा न राधा नाचेगी

तब साहुकार ने कहा की इतने से ज्यादा मैं आपको नही दे सकता हूं । ‌‌‌यह सुन कर कुम्हार को साफ समझ मे आ गया की साहुकार उसकी वस्तु को बेचाना नही चाहता है । इसके बाद मे कुम्हार ने कई दिनो तक ‌‌‌अपनी कोई भी वस्तु नही बेची ।

पर फिर एक ‌‌‌दिन उसने अपनी वस्तुओ को स्वयं ही बेचने की योजना बनाई और योजना के तहत अपनी वस्तुओ का स्वयं ही बेचने लगा था । जिसके कारण से उसे बहुत लाभ हुआ । इस तरह से लाभ होते हुए जब कुम्हार ने देखा तो उसे लालच आने लगा । ‌‌‌जिसके कारण से ‌‌‌वह अपनी वस्तुओ को इसी तरह से बेचने लगा था ।

‌‌‌इस तरह से अपनी ही वस्तु को अपने ही द्वारा बेचते रहने पर कुछ ही महिनो मे कुम्हार धनवान बन ‌‌‌गया था । इस तरह से एक वर्ष बित गया तब उसे अचानक साहुकार दिखाई दिया । तब कुम्हार ने साहुकार से कहा की आपने तो मेरी वस्तुओ को खरीदने के लिए ऐसी शर्ते रखी जैसे मानो न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी

साथ ही कुम्हार ने कहा की आपके इस कारण से ही आज मै इतना धनवान बन गया हूं । इतना कह कर कुम्हार वहां ‌‌‌से चला गया । तब पिछे से साहुकार सोचने लगा की मैंने तो इस कुम्हार को ऐसा वैसे ही समझा था मगर यह तो बहुत ही काबिल निकला जिसके कारण से इसने मेरी ही चतुराई को मुझ पर ही गेर दिया।

‌‌‌न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी मुहावरे पर कहानी na nau man tel hoga na radha nachegee muhavare par kahani

इस तरह से फिर साहुकार सोचने लगा था की अगर मैं उस दिन कुम्हार के सामने ऐसी शर्त न रखता तो आज मैं ही इतना धनवान बन जाता ‌‌‌था । इस तरह से फिर कुम्हार ने इसी तरह से अपनी वस्तुओ को बचने के लिए अलग अलग राज्य मे जाता और धन कमाता रहता था । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

न नौ मन लेत होगा न राधा नाचेगी मुहावरे पर निबंध na nau man tel hoga na radha nachegi muhavare par nibandh

साथियो यहा पर इस मुहावरे को पढने पर पता चलता है की जब ‌‌‌किसी नृत्यक को नृत्य करने के लिए कहा जाता है तब उस नृत्यक ने नृत्य करने के लिए ऐसी शर्त रखी जो पूरी होना अंसभव है ।


‌‌‌जिस तरह से साहुकार कुम्हार का काम नही करना चाहता था जिसके कारण से उसने कुम्हार के सामने ऐसी शर्त रख दी । जिसके कारण से कुम्हार नही माना और उसने अपनी वस्तु उसे बेचने के लिए नही दी । इस तरह से साहुकार के द्वारा रखी जाने वाली अंसभव शर्त को ही न नौ मन लेत होगा न राधा नाचेगी कहा जाता है । इस तरह ‌‌‌इस मुहावरे का अर्थ आप समझ गए होगे ।

दोस्तो अगर कोई व्यक्ति है जो की किसी तरह के कार्य के लिए ऐसी सर्त रखता है जिसे पूरा करना संभव तक नही होती है तो उसके लिए कहा जाता है की इसने तो इस कार्य के लिए अंसभव सर्त रख दी है ।

जैसे की मान ले की आपसे कोई कह दे की स्वर्ग जाना है और वहां से आपको फुल लेकर आना है तो इसका मतलब यह हुआ की यह पूरी तरह से अंसभव है और इस तरह की जो कुछ सर्त होती है तो उसे ही न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी ।

क्योकी आपने उपर काफी कुछ पढा है तो उन सभी के आधार पर आपके द्वारा यह समझा जा सकता है की इस मुहावरे का सही अर्थ किसी कार्य के लिए अंसभव शर्त रखना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।