रास्ता देखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

रास्ता देखना मुहावरे का अर्थ rasta dekhna muhavare ka arth  – प्रतीक्षा करना ।

दोस्तो जब कोई अपना घर में आने के लिए कह देता है तो इस स्थिति में पूरे दिन बैठे रास्ते की और देखा जाता है की कही वह आ गया है की नही । मतलब बार बार रास्ते को देखा जाता है ।

जैसे की बेटा विदेश गया है और मां घर पर है और बेटा सुचना पहुंचाता है की कल मैं घर आ रहा हूं तो ऐसी स्थिति में मां कल के दिन रास्ते की और देखती रहती है की बेटा आ रहा है की नही । मतलब बार बार रास्ते की और देखा जाता है । और मां बेटे के आने की प्रतीक्षा करती जा रही है । और इसी तरह से अन्य सभी करते है ।

तो इस बात के आधार पर रास्ता देखना मुहावरे का अर्थ प्रतीक्षा करना होता है ।

रास्ता देखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

रास्ता देखना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||  rasta dekhna use of idioms in sentences in Hindi

1.        बेटा विदेश काम करने के लिए गया है और घर बैठी मां उसका रास्ता देखती रहती है ।

2.        बेटे के विदेश से आने की खबर सुन कर मां दिन भर रास्ता देखने लगी ।

3.        वनवास से लोटे की खबर सुन कर अयोध्या के लोग अपने राजा भगवान राम का रास्ता देखने लगे ।

4.        देश के प्रधानमंत्री जी का शहर में आने की खबर सुन कर बहुत से लोग उनके आने का रास्ता देखने लगे ।

5.        सुरज को लड़की वाले देखने के लिए आ रहे है तभी वह आज सुबह से उनके आने का रास्ता देख रहे है ।

6.        कंचन के विवाह की बारात आने को थी तो परिवार के सभी लोग बारात के आने का रास्ता देखने में लगे थे।

7.        हम कल से आपके आने का रास्ता देख रहे है मगर अभी तक आप आए नही ।

रास्ता देखना मुहावरे पर कहानी || rasta dekhna story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है रामलाल नाम का एक आदमी हुआ करता था जो की अपने माता पिता के साथ किसी शहर में रहा करता था । रामलाल के घर में माता पिता के अलावा कोई और न था और रामलाल का विवाह भी नही हुआ था । मगर रामलाल जो था वह काफी मेहनत करने वाला था ।

वह कभी भी खाली नही बैठता था बल्की कोई न कोई काम करता ही रहता था और इसी तरह से काम में लगे रहने के कारण से रामलाल जो था वह अपने घर को चला पाता था । मगर शहर में इतनी मेहनत करने के बाद भी अच्छा धन हासिल नही हो पाता था इस कारण से किसी ने रामलाल को समझाया की विदेश जाकर काम करो तुम्हे वहां पर बहुत धन मिलेगा ।

 क्योकी वहां पर एक दिन का ही 500 से ज्यादा रूपय मिल जाते है और साथ में काम कर कर आओगे तो अच्छा धन लेकर आओगे । अब रामलाल की उम्र विवाह की थी तो किसी ने उसे यह भी कह दिया की अगर विदेश काम करने के लिए चले जाते हो तो विवाह भी आसानी से और अच्छे घर में हो जाता है ।

और लोगो की बात मान कर रामलाल भी अपने माता पिता से विदेश जाने को कह दिया । अब रामलाल का जो पिता था वह किसी ऐसे आदमी को जानता था जो की विदेश भेजने का काम करता था और वह आदमी रामलाल के पिता का दोस्त था इस कारण से उस आदमी से सम्पर्क कर कर रामलाल को विदेश भेज दिया गया ।

 विदेश जाने के बाद में रामलाल जो था वह वहां पर काम करने लगा और उसे वहां पर अच्छा काम मिल गया था इस कारण से वह खुब काम करता और वहां पर रह कर खुब धन कमा लेताथा और इसी तरह से जीवन बितता जा रहा था और इधर शहर में उसके माता पिता जो थे वे अकेले रहने लगे थे ।

 हालाकी पिता काम करने के लिए कई बार आस पास चले जाते थे  । अब इस स्थिति में क्या होता था की रामलाल की जो मां थी वह घर पर अकेली रह जाती थी और इस कारण से रामलाल की मां का मन नही लगता था ।

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और ऐसे में वे अपने बेटे को याद करने लग जाती थी और इसी तरह से अपना जीवन बिताने लगी थी । काफी समय के बाद में एक दिन रामलाल की मां और पिता ने एक पत्र रामलाल को लिखा जिसमें रामलाल की मां ने लिखवाया था की बेटा जल्दी घर आ जाना और बेटा यह सब पढ कर सोचने लगा की मां उसे याद कर रही है मगर वह जल्दी घर भी नही जा सकता है

रास्ता देखना मुहावरे का अर्थ

क्योकी यहांपर अच्छा काम चल रहा था इस कारण से वह काम पर ज्यादा ध्यान देता रहा और खुब रूपय पैसे कमाने लगा था । करीब दो वर्षों तक इसी तरह से काम करने के कारण से रामलाल को कंपनी वालो ने घर पर भेजने के लिए छुट्टी दे दी और इस कारण से रामलाल ने एक पत्र लिखा की मां मैं घर जल्द ही आ रहा हूं ।

वह पत्र रामलाल की मां के पा चार दिनो बाद पहुंचा और तब देखा तो उसने में लिखा गया था की रामलाल घर आ रहा है और यह खबर सुन कर मां खुश हो गई। अब उसी दिन से रामलाल की मां जो थी वह रामलाल के आने का रास्ता देखने लगी थी और यह सब देख कर रामलाल के पिता ने कहा की पता नही बेटा किस दिन आएगा

और तुम हो की अभी उसके आने की प्रतिक्षा कर रही हो और यह सुन कर मां ने कहा की मां हूं इस कारण से बेटे के आने की प्रतिक्षा करती जा रही हूं । और इसी तरह से कहने पर रामलाल के पिता अपने काम पर चले गए ।

करीब दो दिनो तक इसी तरह से रास्ता देखते रहने के करण से एक दिन रामलाल घर आ गया ओर उसकी मां ने उसे आते हुए देख लिया तो जल्दी से उसके सामने गई और बेटे काहाल चाल पूछ कर जो समान लेकर आया था उसे लेकर आ गई थी।

तब रामलाल के पिता ने बेटे से कहा की रामलाल जिस दिन तुम्हारा पत्र इसे मिला थाउसी दिन से तुम्हारे आने का रास्ता यह देखती जा रही है और यह सुन कर बेटे को पता चला की मां उसके आने का इंतजार कर रही थी और यह जान कर रामलाल खुश हो गया । अब रामलाल जो था वह अपनी मां के साथ रह कर जीवन बिताने लगा था ओर मां से बाते करने लगा था ।

तो इस तरह से दोस्तो जिस मां के बेटेदूर होते हे वे मां अपने बेटे का रास्ता देखती रहती है।

वैसे दोस्तो रास्ता देखना मुहावरे के अर्थ के बारे में आपको पता चला होगा की इसका अर्थ प्रतिक्षा करना होता है । अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर देना ।

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आपे से बाहर होना  माथे पर बल पड़ना   
आग में घी डालना  हाथ के तोते उड़ना
आँखों में धूल झोंकना  मिट्टी पलीद करना  
आँखें बिछाना  हाथ का मैल होना
आकाश पाताल एक करना  रंगे हाथों पकड़ना
अगर मगर करना  सीधे मुँह बात न करना
पहाड़ टूट पड़ना  प्रतिष्ठा पर आंच आना
आग लगने पर कुआँ खोदना  आँखे फटी रह जाना  
श्री गणेश करना  सिर ऊँचा करना
टस से मस न होना  ‌‌‌चोर चोर मौसेरे भाई
छोटा मुँह बड़ी बात  मर मिटना  
चोली दामन का साथ  ‌‌‌सहम जाना
गुदड़ी का लाल  घास खोदना  
गागर में सागर भरना  रफू चक्कर होना
कान पर जूं न रेंगना  अंतर के पट खोलना
आँखें फेर लेना  चादर से बाहर पैर पसारना
घाट घाट का पानी पीना  उन्नीस बीस का अंतर होना
बालू से तेल निकालना  सिर पर पाँव रखकर भागना  
अंग अंग ढीला होना  काठ की हांडी होना   
अक्ल के घोड़े दौड़ाना  एक लाठी से हाँकना
आवाज उठाना  भानुमती का पिटारा
मक्खी मारना  अंकुश रखना  निबंध व
चैन की बंशी बजाना  अंधी पीसे कुत्ता खाए
आग बबूला होना  का वर्षा जब कृषि सुखाने
भीगी बिल्ली बनना  नीम हकीम खतरे जान
जान हथेली पर रखना  अधजल गगरी छलकत जाए
लाल पीला होना  जैसा देश वैसा भेष मुहावरे
अंधे की लाठी  नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अंगूठा दिखाना  नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब  वाक्य
नौ दो ग्यारह होना  चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
 चौकड़ी भरनाआव देखा न ताव
 हरी झंडी दिखानाथोथा चना बाजे घना  
 हथेली पर सरसों जमानातेल देखो, तेल की धार देखो   
 हाथ को हाथ न सूझना  छाती पर मूँग दलना
 चेहरे पर हवाइयाँ उड़नाकंगाली में आटा गीला
 हाथ लगनाभूखे भजन न होय गोपाला
 हवा हो जानासाँच को आँच नहीं  
 हाथ खींचनाऐरा – गैरा नत्थू खैरा का
 हक्का-बक्का रह जानापर उपदेश कुशल बहुतेरे

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।