बाजार गर्म होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

बाजार गर्म होना मुहावरे का अर्थ bazar garam hona muhavare ka arth  –  तेजी होना या सरगर्मी होना ।

दोस्तो बाजार को मार्केट कहते है और यह जो मार्केट होता है इसमें अनेक तरह के लोग रहते है जैसे की सुनार, दुकानदार, वही पर बड़े बड़े व्यापारी, और तमाम तरह की खबरे आदी सभी बाजार का हिस्सा ही माना जाता है ।

 अब अगर इस बाजार के किसी काम में तेजी है यानि उस काम की चर्चा चारो और है और उस काम को करने वालो को काफी अधिक फायदा हो रहा है तो इसे उन लोगो का बाजार गर्म होना कहा जाता है । मतलब इससे उन लोगो के काम में तेजी है । तो इस तरह से बाजार गर्म होना मुहावरे का सही अर्थ तेजी होना होता है ।

बाजार गर्म होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

बाजार गर्म होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ||  bazar garam hona use of idioms in sentences in Hindi

1.   बढ़ती बीमारियो के कारण से आजकल डॉक्टरो का बाजार गर्म है ।

2.   1 जुलाई 2023 के आसपास के समय में न्यूज और मिडिया एसडीएम ज्योति मौर्य और उनके पति आलोक की खबरो से बाजार गर्म था ।

3.   अभी के समय में विवाह का शुभ मुर्हत आने वाला है, तो गहने और ज्वलरी बनाने वालो का बाजार गर्म होगा ।

4.   चुनाव के समय में अक्षर मिडीया और अख़बारों में चुनाव से जुडी न्यूज से बाजार गर्म बना रहता है।

5.   वर्तमान में काफी तेज ठंड पड़ने लगी है, तभी उनी कपड़े बैचने और बनाने वालो का बाजार गर्म हो चुका है ।

6.   बढती ठंड के कारण से उनी कपड़ो का व्यापार करने वालो का बाजार गर्म है ।

बाजार गर्म होना मुहावरे पर कहानी || bazar garam hona story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक छोटा सा व्यापार हुआ करता था जिसका नाम चुनालाल हुआ करता था, जो की अपने परिवार की मदद से तरह तरह के रंग बिरंगे कपड़े बनाने का काम करता था । मगर किमत अधिक होने के कारण से वे कपड़े कभी बिक नही पाते थे ।

हालाकी कपड़ो की क्वाल्टी एक नम्बर की थी मगर लोगो को किमत से लेना देना होता है न की क्वाल्टी से इस कारण से उस व्यापारी के कपड़े बहुत ही कम बिका करते थे । चुनालाल जो था वह हमेशा से इस काम मे माहिर रहा था इस कारण से वह कम समय में भी अच्छे और अधिक कपड़े बना देता था मगर उसे इससे ज्यादा फायदा नही मिल पाता था ।

इस कारण से उसने अपने बेटे को यह काम नही सिखाया और पढने के लिए शहर भेज दिया  । उसके बेटे का नाम नंदपाल था और नंदपाल जो था वह शहर में अध्ययन करता हुआ जीवन बिताने लगा था ।

नंदपाल ने शहर में रह कर पता नही क्या सिखा की उसे यह लगने लगा था क वह अपने पिता के व्यापार को और अधिक उंचाईयो तक लेकर जा सकता है इस कारण से उसने सारी पढाईया छोड़ दी और अपने घर आ गया ।

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घर आने के बाद में उसने अपने पिता से बात की तो पिता गुस्सा हो गए और कहने लगे की इसमें ज्यादा फायदा नही है और तुमने इस काम के लिए पढाई छोड़ दी है और इस बात को लेकर कई दिनो तक बहस होती रही ।

मगर आखिरकार चुनालाल मान गया ओर अपने बेटे को 1 साल का समय दिया और कहा की इस एक साल के अंदर तुमने अगर इस व्यापार को उंचाईयो तक न पहुंचाया तो फिर अध्ययन करना और नोकरी लगना । यह सुनकर नंदपाल मान गया और काम पर लग गया ।

बाजार गर्म होना मुहावरे का अर्थ

उसने अपने शहर के कुछ मित्रो से बात की और सस्ती किमत में उन वाले धागे को खरीदकर ले आया । साथ में ही 50 हजार रूपय उधार लेकर बिना पिता को बताए एक मसिन लेकर आ गया जिससे कपड़े बनाना और भी आसान था साथ ही अलग अलग तरह की डिजाइन भी दे सकता था ।

इन सबकी मद से नंदपाल ने कुल 6 महिने तक जम कर काम किया और फिर जब सर्दी का समय आया तो नंदपाल ने अपने पिता को शहर में एक छोटी सी दुकान में बैठा दिया और कपड़े बेचने को कहने लगा ।

साथ में स्वयं जो था वह पूरे के पूरे शहर में अपने कपड़ो को भेजने लगा और दुकानदार को एक जोड़ी कपड़े पर कुल 50 रूपय कमाने का मोका दे दिया । उस समय एक जोड़ी कपड़ो पर लगभग 30 रूपय ही बन पाते थे तो दुकानदार मान गए और इधर चुनालाल भी अपने काम में लगा रहा ।

 शुरूआत मे तो कोई भी कपड़े लेने के लिए नही आता था मगर जैसे ही ठंड बढी तो लोगो की भीड भी बढने लगी थी क्योकी चुनालाल और नंदपाल के कपड़ो की किमत बहुत ही कम थी और कपड़ो की अच्छी क्वाल्टी थी तो आसानी से कोई भी खरीद लेता था और यह सब होने के कारण से अब दुकानदारो के पास उनी कपड़े खरीदने की भीड बढ गई और सभी के सभी चुनालाल और नंदपाल के पकड़े ही लेने लगे थे ।

 वही पर चुनालाल की दुकान जो अभी छोटी थी वह करीब 15 दिन में ही बड़ी बन गई और उनके पास भी लोगो की भिड़ बढती जा रही थी और यह सब जो कोई देखता एक ही बात कहता की आज कल तो नंदपाल के कपड़ो से बाजार गर्म है । क्योकी ज्यादातर लोग केवल नंदपाल को हीजानते थे ।

वही पर जब गाव के लोगो को इस बारे में पता चला तो उन लोगो ने भी कह दिया की आखिरकार आज के समय में चुनालाल के पकड़ो से बाजार गर्म है । और इस तरह से चुनालाल को इस काम में फायदा नजर आ गया

और इसके बाद में चुनालाल और नंदपाल इसी तरह से काम करते रहे और प्रत्येक वर्ष अपने व्यापार में तेजी करते रहे और आज के समय में उनके पास मजदूर काम करते है क्योकी वे इतने बड़े व्यापारी हो चुके है । और अपना जीवन आज मोज मस्ती से बिता रहे है ।

तो इस तरह से ठंड बढने के कारण से उनी वस्त्रो से बाजार गर्म हो जाता है ।

वैसे दोस्तो कहानी से बाजार गर्म होना मुहावरे का अर्थ समझ सकते है की इसका अर्थ तेजी होना होता है । यानि किसी काम में तेजी होना । 

इस वर्ष के एग्जामो के लिए मुहावरे (देखने के लिए मुहावरे पर क्लिक करे)

आपे से बाहर होना  माथे पर बल पड़ना   
आग में घी डालना  हाथ के तोते उड़ना
आँखों में धूल झोंकना  मिट्टी पलीद करना  
आँखें बिछाना  हाथ का मैल होना
आकाश पाताल एक करना  रंगे हाथों पकड़ना
अगर मगर करना  सीधे मुँह बात न करना
पहाड़ टूट पड़ना  प्रतिष्ठा पर आंच आना
आग लगने पर कुआँ खोदना  आँखे फटी रह जाना  
श्री गणेश करना  सिर ऊँचा करना
टस से मस न होना  ‌‌‌चोर चोर मौसेरे भाई
छोटा मुँह बड़ी बात  मर मिटना  
चोली दामन का साथ  ‌‌‌सहम जाना
गुदड़ी का लाल  घास खोदना  
गागर में सागर भरना  रफू चक्कर होना
कान पर जूं न रेंगना  अंतर के पट खोलना
आँखें फेर लेना  चादर से बाहर पैर पसारना
घाट घाट का पानी पीना  उन्नीस बीस का अंतर होना
बालू से तेल निकालना  सिर पर पाँव रखकर भागना  
अंग अंग ढीला होना  काठ की हांडी होना   
अक्ल के घोड़े दौड़ाना  एक लाठी से हाँकना
आवाज उठाना  भानुमती का पिटारा
मक्खी मारना  अंकुश रखना  निबंध व
चैन की बंशी बजाना  अंधी पीसे कुत्ता खाए
आग बबूला होना  का वर्षा जब कृषि सुखाने
भीगी बिल्ली बनना  नीम हकीम खतरे जान
जान हथेली पर रखना  अधजल गगरी छलकत जाए
लाल पीला होना  जैसा देश वैसा भेष मुहावरे
अंधे की लाठी  नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अंगूठा दिखाना  नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब  वाक्य
नौ दो ग्यारह होना  चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
 चौकड़ी भरनाआव देखा न ताव
 हरी झंडी दिखानाथोथा चना बाजे घना  
 हथेली पर सरसों जमानातेल देखो, तेल की धार देखो   
 हाथ को हाथ न सूझना  छाती पर मूँग दलना
 चेहरे पर हवाइयाँ उड़नाकंगाली में आटा गीला
 हाथ लगनाभूखे भजन न होय गोपाला
 हवा हो जानासाँच को आँच नहीं  
 हाथ खींचना ऐरा – गैरा नत्थू खैरा का
 हक्का-बक्का रह जाना पर उपदेश कुशल बहुतेरे

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।