लोटपोट होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

लोट-पोट होना मुहावरे का अर्थ lot pot hona muhavare ka arth  – अत्यधिक हंसना ।

दोस्तो जब भी मानव किसी कारण से खुश होता है तो वह बहुत बार अत्यधिक हंसने लग जाता है । और यह बहुत बार देखा गया है की अत्यधिक हंसते समय मानव धरती पर लोटने लग जाता है । यानि मानव लुढ़कने लग जाता है ।

और यह जो लोटपोट शब्द होता है वह खुशी से अत्यधिक हंसते समय लोटने या लुढ़कने की स्थिति को ही दर्शाता है ।

और इस तरह से लोट पोट होना मुहावरे का सही अर्थ अत्यधिक हंसना या बहुत हंसना होता है ।

लोट पोट होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || lot pot hona  use of idioms in sentences in Hindi

1.        रामलाल की बाते सुन कर महेश लोट पोट होने लगा ।

2.        सुरज ने स्कूल में 15 अगस्त के दिन अच्छी कॉमेडी की जिसे देख कर सभी लोट पोट हो गए ।

3.        राहुल गांधी के भाषणो को सुन कर बहुत से लोग लोट पोट होते है ।

4.        कपिल शर्मा की कॉमेडी देख कर सभी लोट पोट होने लगे ।

5.        सिनेमा घर में जब गोविंदा की मुवी चला करती थी तो सभी लोट पोट हो जाते थे ।

6.        मिस्टर बीन की फिल्मे देख कर आज भी लोग लोट पोट होते रहते है ।

7.        मिस्टर बीन अपनी फिल्मो में कुछ नही बोलते थे, मगर फिर भी आज लोग उनकी फिल्मे देख कर लोट पोट हो जाते है ।

8.        तारकमहता का उल्टा चश्मा सिरियल देख कर घर के सभी लोग लोट पोट होने लगे  ।

9.        राम के चुटकले सुन कर सभी विद्यार्थी और अध्यापक लोट पोट होने लगे ।

10.      मैंने ऐसा क्या कह दिया जो तुम सभी लोट पोट होने लगे हो ।

लोट पोट होना मुहावरे पर कहानी || lot pot hona story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक विद्यालय हुआ करता था जहां पर बच्चे तो थे ही जो की पढने के लिए स्कूल में आते थे वही पर अध्यापक और अध्यापिका सभी उन्हे पढाने का काम करते थे । और इस तरह से सभी अपने कार्यों के अच्छी और पूरी ईमानदारी के साथ पूरा करते थे ।

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उस स्कूल में जो अध्यापक थे वे हमेशा अन्यो से अलग रहे थे और इसका कारण यह था की स्कूल में अध्यापक बच्चो के अंदर छीपे कलाकार को बहार निकालना जानता था ओर जो जिस काम को अच्छी तरह से कर सकता था उसे वही काम करने को कहा जाता था ।

जैसे की किसी को किसी प्रकार का खेल अच्छा आता था तो उसे वह खेल खेलना सिखाया जाता था और विभिनन तरह की प्रतियोगिता में भेजा जाता था वही पर जो बच्चे नाटक करना जानते थे यानि कॉमेडी करना जानते थे उनकी कॉमेडी को लोगो के सामने लाया जाता था ।

इस कारण से हमेशा से उस स्कूल में 15 अगस्त के समय में आस पास के गाव के लोग भी आते रहते थे क्योक स्कूल में जो प्रोग्राम होता था वह कही और नही होता था ।

 स्कूल में इतने लोग आते थे की स्कूल ही छोटी रह जाती थी । और एक बार 15 अगस्त के दिन इतना अच्छा प्रोग्राम हुआ की सभी बहुत हंसने लगे । और उसमें सुरज का भी बहुत योगदान रहा था ।

दरसल उस स्कूल में सुरज नाम का एक लड़का था जो की 8 वी कक्षा में अध्ययन करता था वह अध्ययन करने में काफी होसियार था मगर इसके अलावा वह कॉमेडी अच्छी तरह से कर लेता था । इस कारण से उसने स्कूल में एक टीम बना रखी थी जिसमें लड़किया और लड़के सभी थे टीम में करीब 10 लोग थे और सभी के सभी कॉमेडी अच्छी करना जानते थे और उन सभी का लिडर सुरज ही था ।

अब 15 अगस्त आने वाला था तो सभी तैयारी कर रहे थे और सुरज की टीम ने भी एक अच्छी कॉमेडी की तैयारी की जिसमें सभी को अपना अपना कार्य बताया गया और कॉमेडी में पूरी तरह से प्रफेक्ट बन गए । अब 15 के दिन की बात है सभी लोग स्टेज के सामने बैठे थे और तभी अध्यापको ने सुरज और उसकी टीम को स्टेज पर बुलाया और अपनी कॉमेडी दिखाने को कहा ।

क्योकी सुरज की टीम में कुल 10 सदस्य थे तो उनमे से चार सदस्य तरह तरह के साउड इफैक्ट निकालने का काम करते थे जो की पर्दे के पीछे छीपे रहे थे । मगर बाकी बचे 6 सदस्य जिनमे से एक सुरज था और उन सभी ने कॉमेडी दिखाना शुरू कर दिया ।

अब  सुरज की जो टीम थी वह इतनी अच्छी कॉमेडी दिखाती जा रही थी की जो लोग देख रहे थे वे सभी के सभी लोट पोट होने लगे थे और यह सब देख कर सुरज की टीम को ओर जोश आने लगा था और अच्छी कॉमेडी दिखाने लगे थे ।

उन्होने तरह तरह की अवाजे भी निकाली थी जो की कॉमेडी में चार चांद लगाने काम कर रही थी वही पर साउड इफैक्ट होने के कारण से ऐसा लग रहा था जैसे की फोन में यूट्युब ऑपन कर कर यह सब देख रहे है यह इतना मजेदार हरा था की लोग लोट पोट हो रहे थे ।

मगर आखिर कार कॉमेडी पूरी हुई और सुरज की टीम अपनी कला दिखा कर चली गई । अब आखिर में अच्छी कॉमेडी दिखाने के कारण से सूजर को इनाम दिया गया और सभी लोगो ने सुरज और उसकी टीम की वाह वाह की ।

अब प्रोग्राम का समापन हुआ तो सभी अपने अपने घरजाने लगे और इसके बाद में सभी बच्चे और अध्यापक भी स्कूल से चले गए । और इस तरह से प्रोग्राम का समापन हो गया ।

तो दोस्तो इस तरह से बहुत से स्कूल है जहां पर बच्चो की कॉमेडी और अन्य तरह के पर्दशन देख कर लोग लोट पोट होते रहते है ।

वैसे आप इस कहानी से लोट पोट होना मुहावरे के अर्थ के बारे में जान गए होगे की इसका अर्थ बहुत हंसना होता है ।

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आपे से बाहर होना माथे पर बल पड़ना
आग में घी डालना हाथ के तोते उड़ना
आँखों में धूल झोंकना मिट्टी पलीद करना
आँखें बिछाना हाथ का मैल होना
आकाश पाताल एक करना रंगे हाथों पकड़ना
अगर मगर करना सीधे मुँह बात न करना
पहाड़ टूट पड़ना प्रतिष्ठा पर आंच आना
आग लगने पर कुआँ खोदना आँखे फटी रह जाना
श्री गणेश करना सिर ऊँचा करना
टस से मस न होना ‌‌‌चोर चोर मौसेरे भाई
छोटा मुँह बड़ी बात मर मिटना
चोली दामन का साथ ‌‌‌सहम जाना
गुदड़ी का लाल घास खोदना
गागर में सागर भरना रफू चक्कर होना
कान पर जूं न रेंगना अंतर के पट खोलना
आँखें फेर लेना चादर से बाहर पैर पसारना
घाट घाट का पानी पीना उन्नीस बीस का अंतर होना
बालू से तेल निकालना सिर पर पाँव रखकर भागना
अंग अंग ढीला होना काठ की हांडी होना
अक्ल के घोड़े दौड़ाना एक लाठी से हाँकना
आवाज उठाना भानुमती का पिटारा
मक्खी मारना अंकुश रखना  निबंध व
चैन की बंशी बजाना अंधी पीसे कुत्ता खाए
आग बबूला होना का वर्षा जब कृषि सुखाने
भीगी बिल्ली बनना नीम हकीम खतरे जान
जान हथेली पर रखना अधजल गगरी छलकत जाए
लाल पीला होना जैसा देश वैसा भेष मुहावरे
अंधे की लाठी नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अंगूठा दिखाना नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब  वाक्य
नौ दो ग्यारह होना चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
चौकड़ी भरनाआव देखा न ताव
हरी झंडी दिखानाथोथा चना बाजे घना
हथेली पर सरसों जमानातेल देखो, तेल की धार देखो
हाथ को हाथ न सूझना छाती पर मूँग दलना
चेहरे पर हवाइयाँ उड़नाकंगाली में आटा गीला
हाथ लगनाभूखे भजन न होय गोपाला
हवा हो जानासाँच को आँच नहीं
हाथ खींचनाऐरा – गैरा नत्थू खैरा का
हक्का-बक्का रह जानापर उपदेश कुशल बहुतेरे