भेड़ की खाल में भेड़िया मुहावरा क्या है

भेड़ की खाल में भेड़िया मुहावरे का अर्थ bhed ki khal me bhediya muhavare ka arth – जो देखने में भोला -भाला हो, परन्तु वास्तव में खतरनाक हो।

दोस्तो भेड़ और भेड़िया दोनो में सबसे बड़ा फर्क यही होता है की जो भेड़ होता है वह एक भोला भाला पशु होता है यानि सरल तरह का पशु होता है और शांत रहकर अपना जीवन बिताता है साथ ही मानव के पास रहता है और मानव को किसी तरह का नुकसान नही पहुंचाता है मतलब मानव के लिए खतरनाक नही होता है। मगर वही पर भेड़िया की बात करे तो वह काफी खतरनाक जानवर होता है जो की मानव को नुकसान पहुंचा सकता है।

अब क्योकी यह जो भेड़िया होता है वह भेढ की खाल पहन लेता है तो इसका मतलब यह थोड़े है की भेड़िया भेड़ बन चुका है बल्की वह तो रहेगा । मगर देखने से तो ऐसा ही लगेगा की यह भोला भाला यानि सरल है मगर वास्तव में यह खतरनाक होता है ।

और इस तरह से भेड की खाल में भेड़िया मुहावरे का अर्थ होता है जो देखने में भोला -भाला हो, परन्तु वास्तव में खतरनाक हो।

भेड की खाल में भेड़िया मुहवारे का वाक्य में प्रयोग ||  bhed ki khal me bhediya use of idioms in sentences in Hindi

1.        चुनाव के समय में बहुत से नेता लोग भेड की खाल में भेड़िया बन जाते है ।

2.        रामू जी आप जानते नही हो, वह शर्मा तो भेड़ की खाल में भेड़िया है ।

3.        आप उस रमेश की भोली सकल पर मत जाना क्योकी वह तो भेड़ की खाल में भेड़िया है ।

4.        आपने शर्मा जी पर भरोषा करा तो कैसे करा, वह तो भेड़ की खाल में भेड़िया है ।

5.        नेताजी के भाषणो को सुन कर उन्हे अच्छा मत मानने लग जाना क्योकी असल में नेताजी तो भेड़ की खाल में भेड़िया है।

6.        पाकिस्तान सामने तो ऐसा बना रहता है जैसे की काफी अच्छा हो मगर पीछे पीछे आतंकवादियो से भारत पर हमला करने की कोशिश करने लग जाता है, सच है पाकिस्तान तो भेड़ की खाल में भेड़िया है ।

7.        आज मुझे पता चल गया की थानेदार तो अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए भेड़ की खाल में भेड़िया बने बैठे है ।

8.        अविनाश तो अपने दुश्मनो से भी मिठी मिठी बाते करता है और पीछे पीछे उन्हे ही नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता रहता है सच पूछो तो अविनाश भेड़ की खाल में भेड़िया है ।

भेड़ की खाल में भेड़िया मुहावरे पर कहानी || bhed ki khal me bhediya story on idiom in Hindi

दोस्तो एक बार की बात है एक शहर में अविनाश नाम का एक आदमी रहा करता था जो की काफी अधिक अमीर था और अपनी अमीरी के कारण से वह हमेशा अच्छे लोगो में जाना जाता था ।

अविनाश जो था वह हमेशा लोगो को धन उधार पर देने का काम किया करता था और इसी तरह से काम करने के कारण से अविनाश का जीवन हमेशा अच्छी तरह से चलता रहता था । वह कोई नेक आदमी नही था बल्की उसे उस शहर में पसंद न करने वाले लोग भी बहुत अधिक थे

 और न पसंद करने का कारण यही था की जो अविनाश था वह पैसो के लिए किसी भी तरफ हो सकता था । मतलब अगर उसे कोई पैसे दे देता और उसे गलत का साथ देने को कहता था तो वह उसकी और हो जाता था । इतने पैसे होने के बाद भी जब अविनाश ऐसा करता था तो लोग उसे बुरा मानते थे ।

और इतना ही नही बल्की जो लोग अविनाश के दुश्मन होते थे उन्हे अविनाश चैन से जीने तक नही देता था । उनके घर में झगड़ा करवाता था उन्हे काम सही तरह से मिलने नही देता था और इस तरह का अविनाश था ।

एक बार की बात है किसी बात को लेकर अविनाश और गाव के अच्छे और नेक आदमी शर्मा जी का झगड़ा हो गया था और उस झगड़े के कारण से अविनाश और शर्मा जी की अनबन हो गई थी । जिसके कारण से कई दिनो तक दोनो में बोल चाल तक बंद रही थी ।

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मगर फिर अविनाश ही शर्मा से बोलने लगा और इस तरह से फिर शर्मा भी अविनाश से बोलने लग गया था । अब दोनो को इसी तरह से बोलते हुए एक वर्ष बित गया और अब शर्मा और अविनाश के बिच में एक दोस्ती सी हो गई थी । और अब अविनाश शर्मा के साथ मीठी मीठी बाते करता था ।

एक दिन शर्मा जो था वह अपने मित्र रामू के साथ बैठा था और अविनाश के बारे मे बात कर रहा था और कह रहा था की वह तो काफी अच्छा है । वह तो हमेशा मुझसे अच्छी बाते करता है । तब रामू ने कहा की शर्मा जी आप अविनाश को जानते नही हो वह तो सामने मीठी मीठी बाते करता है और पीठ पीछे नुकसान पहुंचाता है सच पूछो तो भेड़ की खाल में भेड़िया है ।

मगर शर्मा यह बात सुन कर रामू को कहने लगा की नही वह ऐसा नही है और इस तरह से रामू की बात शर्मा ने नही मानी । अब करी एक महिने के बाद की बात है अचानक से शर्मा और उसके भाई में झगड़ा होने लग गया था और शर्मा को समझ में नही आ रहा था की आखिर बार बार झगड़ा क्यो हो रहा है ।

हालाकी दोनो में प्रेम भाव हमेशा से ही था मगर पता नही जायदाद को लेकर झगड़ा बढता ही जा रहा था अब शर्मा को समझ में नही आ रहा था की इस झगड़े को कैसे शांत किया जाए ।

तब शर्मा ने एक दिन सोचा की इसके दोस्त कोन है जरूर वही इसे झगड़ा करने के लिए उकसाते है और इस बारे में शर्मा ने पता लगाया तो पता चला की अविनाश ही वह है जो की बार बार झगड़ा करवा रहा है और यह जान कर शर्मा को रामू की बात याद आ गई और शर्मा ने ही मन मन में सोचा की सच में अविनाश तो भेड की खाल में भेड़िया ही है ।

इसके बाद में शर्मा ने अविनाश कासाथ छोड़ दिया और किसी तरह से अपने भाई से झगड़े को शांत किया और उसो भी अविनाश से दूर रहने को कह दिया । जिसके कारण से उनके जीवन में सुख शांत रहने लगी और वे अपने जीवन को आराम से बिताने लगे ।

तो इस तरह से अविनाश भेड की खाल में भेडिया था । वैसे कहानी से इस मुहावरे के अर्थ को समझे होगे की इस मुहावरे का अर्थ जो देखने में भोला .भाला होए परन्तु वास्तव में खतरनाक हो होता है। अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर देना ।

इस वर्ष के एग्जामो के लिए मुहावरे (देखने के लिए मुहावरे पर क्लिक करे)

आपे से बाहर होना माथे पर बल पड़ना
आग में घी डालना हाथ के तोते उड़ना
आँखों में धूल झोंकना मिट्टी पलीद करना
आँखें बिछाना हाथ का मैल होना
आकाश पाताल एक करना रंगे हाथों पकड़ना
अगर मगर करना सीधे मुँह बात न करना
पहाड़ टूट पड़ना प्रतिष्ठा पर आंच आना
आग लगने पर कुआँ खोदना आँखे फटी रह जाना
श्री गणेश करना सिर ऊँचा करना
टस से मस न होना ‌‌‌चोर चोर मौसेरे भाई
छोटा मुँह बड़ी बात मर मिटना
चोली दामन का साथ ‌‌‌सहम जाना
गुदड़ी का लाल घास खोदना
गागर में सागर भरना रफू चक्कर होना
कान पर जूं न रेंगना अंतर के पट खोलना
आँखें फेर लेना चादर से बाहर पैर पसारना
घाट घाट का पानी पीना उन्नीस बीस का अंतर होना
बालू से तेल निकालना सिर पर पाँव रखकर भागना
अंग अंग ढीला होना काठ की हांडी होना
अक्ल के घोड़े दौड़ाना एक लाठी से हाँकना
आवाज उठाना भानुमती का पिटारा
मक्खी मारना अंकुश रखना  निबंध व
चैन की बंशी बजाना अंधी पीसे कुत्ता खाए
आग बबूला होना का वर्षा जब कृषि सुखाने
भीगी बिल्ली बनना नीम हकीम खतरे जान
जान हथेली पर रखना अधजल गगरी छलकत जाए
लाल पीला होना जैसा देश वैसा भेष मुहावरे
अंधे की लाठी नौ दिन चले अढ़ाई कोस
अंगूठा दिखाना नेकी कर, दरिया में डाल का मतलब  वाक्य
नौ दो ग्यारह होना चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए
चौकड़ी भरनाआव देखा न ताव
हरी झंडी दिखानाथोथा चना बाजे घना
हथेली पर सरसों जमानातेल देखो, तेल की धार देखो
हाथ को हाथ न सूझना छाती पर मूँग दलना
चेहरे पर हवाइयाँ उड़नाकंगाली में आटा गीला
हाथ लगनाभूखे भजन न होय गोपाला
हवा हो जानासाँच को आँच नहीं
हाथ खींचना ऐरा – गैरा नत्थू खैरा का
हक्का-बक्का रह जाना पर उपदेश कुशल बहुतेरे