ढांचा डगमगा उठना मुहावरे का अर्थ ‌‌‌और वाक्य प्रयोग और कहानी

ढांचा डगमगा उठना मुहावरे का अर्थ dhancha dagmaga uthana muhavare ka arth – आधार हिल उठना ।

दोस्तो ढांचा शब्द का अर्थ किसी वस्तु का आरभिक स्थान को कहा जाता है इसके अलावा मानव के शरीर को भी ढांचा कहा जाता है । और डगमगा उठने को हिल उठना कहा जाता है। इस तरह से जब मानव का शरीर हिल उठता है तो इसे ढांचा ‌‌‌डगमगा उठना कहा जाता है ।

क्योकी मानव का शरीर उसका आरंभिक बिंदु या स्थान होता है ‌‌‌और जब कभी आधार हिल उठने की बात होती है तो इसे ढांचा डगमगा उठना कहा जाता है। यहां पर आधार का हिल उठने का अर्थ किसी वस्तु या व्यक्ति का आधार होता है और जहां पर आधार हिल उठने ‌‌‌की बात होती है वही इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

ढांचा डगमगा उठना मुहावरे का अर्थ ‌‌‌और वाक्य प्रयोग और कहानी

ढांचा डगमगा उठना मुहावरे के अन्य रूप

  1. ढांचा डगमगाना
  • ढांचा डगमगाने लगना
  • ढांचा डगमगा हिल उठना

दोस्तो ‌‌‌इन सब मुहावरो का एक ही रूप होता है जो की ढांचा डगमगा उठना है और इन सब मुहावरो का अर्थ भी एक ही होता है ‌‌‌जो आधार हिल उठना है । मगर इन्हे कुछ अन्य नाम से जाना जाता है जिसके कारण से यहा पर ये ‌‌‌बताया गया है ।

class="wp-block-heading">ढांचा डगमगा उठना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग use in sentence
  • सरपंच साहब के एक गलत निर्णय के कारण से पूरे गाव का ढांचा डगमगा उठा ।
  • राहुल ने अपने पडोसी की मदद के लिए ऐसा निर्णय लिया जिसके कारण से उसके घर का ढांचा डगमगा उठा ।
  • ‌‌‌बाढ के आने के कारण से हमारे गाव का ढांचा डगमगा उठा ।
  • जब रामलाल बुढापे मे जमीन पर गिर गए तो उनका डांचा डगमागा उठा ।
  • ‌‌‌आपदा सकंट आने के कारण से रामकिशन के गाव का ढांचा डगमागा उठा ।
  • कोरोना मे बढते मरीजो की संख्या को देखते हुए एक बार तो हमारे देश का ढांचा भी बडमगा उठा था ।
  • ‌‌‌जब भारत के सेनिको ने दुश्मन पर वार पर वार किया तो दूशमन का ढांचा डगमगा उठा ।

‌‌‌ढांचा डगमगा उठना मुहावरे पर एक प्रसिद्ध कहानी

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है किसी नगर मे एक साधू बाबा रहा करता था । साधू बाबा के पास इतना ज्ञान था की कोई भी उसका बाल तक बाका नही कर सकता था और इतना अधिक ज्ञान होने के बाद में भी वह लोगो की मदद तक नही करते थे । इसका कारण था की साधू बाबा ‌‌‌को लोग ऐसा वैसा ही समझते थे ।

यही कारण था कोई भी उनके पास तक नही जाता था । ‌‌‌इसके साथ ही उस नगर में जो राजा था वह भी साधू को भिखारी की तरह समझता था जो अपना पेट भर लेता है । यानि राजा भी साधू बाबा की कोई कदर नही करता था ।

दो पाटों के बीच आना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व मुहावरे पर कहानी

वाह वाह करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

नहले पर दहला मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

चने के झाड़ पर चढ़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग व कहानी

धरती पर निगाह रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

मगर साधू बाबा को ‌‌‌इस बारे मे पता नही था बल्की वे अपने ध्याम मे मग्न रहते थे । मगर साधू बाबा के पास उकसे दो शिष्य रहा करते थे जो साधू बाबा की हर बात को मानते थे । यहां तक की वे शिष्य साधू बाबा ‌‌‌की बडी अच्छी सेवा करते थे । जिसके कारण से साधू बाबा उन दोनो मे सबसे अच्छा शिष्य कोन है इस बारे में पता लगाना चाहते थे मगर इसमे वे विफल रहते थे ।

क्योकी दोनो ही शिष्य बडे अच्छे थे । मगर साधू बाबा ने उन दोनो को ज्ञान के साथ साथ युद्ध कला भी सिखाई थी जिसके कारण से वे दोनो युद्ध मे इतने ‌‌‌माहिर थे की वे किसी को भी हरा सकते थे । साधू बाबा उस नगर से दूर एक जगल में अपना जीवन गुजारते थे ।

मगर एक दिन की बात है साधू बाबा के पास उसके दोनो शिष्य भी नही थे और उसके पास खाने को भी कुछ नही था तो वह स्वयं ही उस नगर मे भिक्षा मागने के लिए चला गया । उसे देख कर लोगो ने बडा बुरा भला कहा । ‌‌‌मगर साधू बाबा को इससे कुछ भी बुरा नही लगा बल्की वे इसी तरह से भिक्षा मगाने के लिए उस नगर मे फिर रहे थे ।

मगर जब गाव मे किसी ने भिक्षा नही दी तो साधू उस नगर के राजा के पास चला गया । मगर वहां जाने पर सैनिको ने उसे अंदर नही जाने दिया तभी साधू बाबा ने राजा को देख लिया और उन्हे आवाज लगाई । ‌‌‌साथ ही कहा की ‌‌‌राजन् आपके महल मे एक साधू पधारा है उसे कुछ खाने के लिए दे दो ।

मगर राजा साधू की बात सुन कर हसने लगा और बोला की तुम जैसे भिखारियो को मैं अपना धन क्यो दू । तब साधू ने कहा की ‌‌‌राजन् आपके पास इतना अधिक धन है तो आप इस धन मे से मुझे एक समय का खाना तक नही दे सकते हो क्या ।

तब राजा ने ‌‌‌कहा की यह धन मैंने कमाया है तुम जैसे भिखारियो के लिए नही । जब साधू ने बार बार राजा जैसे उच्चे पद पर होने वाले व्यक्ति से भिखारी ‌‌‌जैसे अपशब्द सुने तो साधू को बडा बूरा लगा । तब साधू ने राजा से कहा की हे ‌‌‌राजन् तुम्हारा यह घमंड तुम पर ही भारी पडने वाला है।

यह सुन कर राजा ने कहा की तुम एक ‌‌‌भिखारी होकर मुझे धमक्की दे रहे हो । तब साधू ने कहा की मैं जो सत्य है वही बता रहा हूं क्योकी तुम एक साधू का पेट तक नही भर सकते तो तुम्हारा राजा होना भी बेकार है । तुम तो एक भिखारी की तरह ही जीवन गुजारने के ‌‌‌काबिल हो । यह सुन कर राजा को बडा बुरा लगा जिसके कारण से राजा ने उसे पकड कर कारागार मे ‌‌‌ढाल दिया ।

 और फिर राजा ने साधू से कहा की तुम मेरा कुछ नही बिगाड सकते हो अब तुम वही करोगे जो मैं कहुगा । मगर साधू ने फिर कहा की राजन तुम जो कर रहो उससे तुम्हारा बडा नुकसान होगा समझ जाओ अभी भी समय है । मगर राजा ने साधू की बात को हलके मे लिया ।

कुछ समय बित जाने पर जब साधू बाबा के शिष्य वापस ‌‌‌जंगल मे आए तो उन्हे साधू नही मिला । तब उन दोनो शिष्यो ने सारे जगल मे ‌‌‌उन्हे छान मारा मगर वे नही मिले । तभी एक शिष्य ने कहा की वे पास के नगर मे तो नही चले गए है क्योकी उन्हे पता नही है की उनकी वहां पर कोई इज्जत नही है ।

यह सुन कर दूसरे शिष्य ने कहा की जरूर वे वही गए है । इस कारण से दोनो ‌‌‌ही शिष्य उस नगर मे चले गए और पता लगाने लगे की साधू बाबा आया था क्या । तब उन्हे पता चला की साधू बाबा तो राजा के महल की तरफ गए थे मगर वापस नही आए । इस बारे मे दोनो शिष्यो ने पता लगाते हुए राजा के पास चले गए ।

‌‌‌ढांचा डगमगा उठना मुहावरे पर एक प्रसिद्ध कहानी

तब राजा से कहा की महाराज हमारे गुरूजी आपके राज्य मे गलती से आ गए थे आपने उन्हे कही ‌‌‌देखा है की नही । तब राजा हंसने लगा की वह भिखारी साधू । यह सुन कर शिष्यो ने कहा की महाराज वे भिखारी नही बल्की बडे ज्ञानी साधू है ।

मगर शिष्यो की बात सुन कर राजा फिर से हंसने लगा और फिर कहा की वह भिखारी मुझे धमक्की दे रहा था तो मैंने उसे कारागार मे डाल दिया । यह सुन कर दोनो शिष्यो ने ‌‌‌से प्राथना की की उन्हे छोड दो मगर राजा नही माना । तब शिष्यो ने कहा की अगर आपने हमारे गुरू को नही छोडा तो अच्छा नही होगा ।

यह सुन कर राजा क्रोध मे आ गया और उन दोनो से भरी सभा मे कहा की अगर तुम दोनो मुझे हरा दोगे तो मैं तुरन्त साधु को छोड दूगा । मगर दोनो शिष्यो ने कहा की राजन हम ‌‌‌तुमसे ‌‌‌नही लड सकते है । यह सुन कर राजा को लगा की दोनो काफी अधिक कमजोर है । जिसके कारण से उसने भरी सभा मे बोल दिया की अगर तुम मुझे हरा दोगे तो यह राज्य तुम्हारा होगा ।

यह सुन कर ‌‌‌सभा मे बैठे लोगो का ढांचा डगमगा उठा ‌‌‌और फिर वे लोग बोलने लगे की महाराज यह कैसा निर्णय ले रहे हो । तब राजा ने कहा की तुम लोगो को लगता है की ये दो साधु के भिखारी ‌‌‌मुझे हरा देगे । यह सुन कर कोई नही बोला । मगर वे दोनो शिष्य बोल पडे की अगर हमारे गुरू को छुटाने के लिए लडना पडा तो वो भी कम नही है ।

इस तरह से फिर दोनो शिष्य राजा से लडने लगे थे । मगर दोनो ने नाटक करते हुए राजा के समाने कमजोर बन रहे थे । जिसके कारण से राजा बडा ही खुश हो रहा था । ‌‌‌काफि समय तक युद्ध होता रहा मगर शिष्य ‌‌‌हारने का नाम नही ले रहे थे और राजा थकने लगा था । और तभी साधू का एक शिष्य बैठ गया और दूसरा राजा पर दो वार किए जिसके कारण से राजा हार गया ।

 राजा की हार देख कर राजा की प्रजा का ढांचा डगमगा उठा । क्योकी राजा ने जैसा कहा था तो राज्य ‌‌‌को दोनो शिष्यो के हवाले करना ही था मगर राजा ने ऐसा करने से फिर इनकार कर दिया । जिसके कारण से दोनो शिष्यो ने राजा को ‌‌‌बंदी बना लिया और अपने गुरू को छुटा लिया और फिर यह सारी बात ‌‌‌अपने गुरू को बता दी ।

तब साधू ने राजा और उसकी प्रजा से कहा की जो पहले बोला था उकसे हिसाब से यह राज्य मेरे शिष्यो का है ‌‌‌और यह राजा नही बल्की यहां का भिखारी होगा । इस तरह से कहने पर राज्य की प्रजा मान गई क्योकी राजा ने जो कहा था उसकी पालना सभी कर रहे थे । और जो लोग नही मान रहे थे उन्हे भी मना दिया गया ।

इस तरह से फिर उस राज्य पर ‌‌‌साधू के दोनो शिष्यो ने राज करना शुरू कर दिया और उस राजा को अपने राज्य का भिखारी बना कर रख दिया । तब लोगो को समझ मे आया की जब साधू ने राजा को भिखारी कहा था तभी राजा को सभल जाना चाहिए था मगर इन्होने तो साधू ‌‌‌के दोनो शिष्यो को राज्य देने की बात कह दी और अब राज्य के भिखारी बन कर रह रहे है ‌‌‌।

इस तरह से राजा अपने जीवन मे भिखारी ही था मगर फिर साधू ने अपने शिष्यो के साथ राज्य को छोड दिया और राजा के बेटे को वह राज्य सोप कर चला गया । इस तरह से फिर राजा का बेटा वहा का राजा बना था ‌‌‌अब ‌‌‌इस कहानी से आपको समझ मे अगया होगा की राजा के एक गलत निर्णय के कारण से उसके राज्य का ढांचा डगमगा उठा था ।

‌‌‌ढांचा डगमगा उठना मुहावरे पर एक प्रसिद्ध कहानी

ढांचा डगमगा उठना मुहावरे पर निबंध

साथियो कहा जाता है की एक गलत निर्णय के कारण से कुछ ऐसा हो जाता है जिसका हरजाना पूरी की पूरी प्रजा तक को भुगतना पड सकता है । जिस तरह से राजा के एक गलत निर्णय के कारण से उसका राज्य उसके हाथ से निकल गया था ठिक उसी तरह से ।

इस तरह के निर्णय के कारण से ‌‌‌जब किसी वस्तु का आधार हिल उठता है यानि जब कभी आधार हिल उठने की बात होती है वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग होता है । क्योकी जैसा की हमने बताया की ढांचा शब्द को मनुष्य के शरीर को भी कहा जाता है तो जब कभी किसी कारण से मनुष्य हिल उठता है तो इसे भी ढांचा डगमगा उठना कहा जा सकता है ।

हालाकी इस ‌‌‌तरह से वाक्य में प्रयोग भी किया जाता है जैसे एक वृद्ध आदमी के पडने के कारण से उसका ढांचा डगमगा उठा । यानि यहां पर बताया जाता है की जब वृद्ध आदमी जमीन पर पड जाता है तो वह हिलने लग जाता है और उसका शरीर हिल उठता है ।

 इस तरह से इस मुहावरे का प्रयोग वही पर होता है जहां पर आधार हिल उठने की बात होती ‌‌‌है । क्योकी व्यक्ति ‌‌‌का आधार उसका शरीर ही होता है जिसके कारण से कहा जाता है की उसका आधार हिल उठा ।

‌‌‌मगर इसका मतलब यह नही की इस मुहावरे का प्रयोग व्यक्ति के हिल उठने पर ही हो बल्की जहां पर किसी वस्तु का आधार हिल उठने की बात होती है वहा पर इस मुहावरे का प्रयोग होता है ।

इस तरह से आप इस मुहावरे के बारे मे समझ गए होगे । ‌‌‌अगर लेख पसंद आया तो कमेंट करे और अपनी बात को जाहिर करे ।

ढांचा डगमगा उठना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of dhancha dagmaga uthana in Hindi

दोस्तो अगर किसी भी वस्तु का आधार सही है और वह उस आधार पर बनी रहती है तो इसका मतलब है की वह अपने जीवन में वही पर और स्थिर रह सकती है । जैसे की एक व्यक्ति है जो की अपने आधार पर ही रहता है तो इसका मतलब है की वह व्यक्ति लंबे समय तक वहां पर बना रह सकता है ।

इसे इस तरह से समझे की एक नेता का आधार पर उसकी कुर्सी होती है और उसका पद होता है । अगर नेता अच्छे काम करेगा जैसे की योगी जी, तो वे कई वर्षों तक अपनी इसी कुर्सी और इसी पद पर बने रह सकते है । और इसका मतलब है की वे अपने आधार पर बने रहते है ।

मगर वही पर अगर आधार हिल उठता है यानि आधार ही हिलने लग जाता है तो इसका मतलब है की लंबे समय तक वे अपने पद पर नही बने रह सकते है और इसी से समझ ले की dhancha dagmaga uthana muhavare ka arth – आधार हिल उठना होता है ।

very very most important hindi muhavare

घमंड में चूर होना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

डींग हाँकना (मारना) मुहावरे का मतलब और वाक्य में प्रयोग

छाती पर साँप लोटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

धाक जमाना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

जली कटी सुनाना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

सिर पर कफन बांधना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

धूप में बाल सफेद करना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

घाव पर नमक छिड़कना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

जिसकी लाठी उसकी भैंस का अर्थ और वाक्य व कहानी

चींटी के पर निकलना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नुक्ताचीनी करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व निबंध

नाच नचाना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पीठ ठोंकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नानी याद आना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

धूल में मिलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

धज्जियाँ उड़ाना का मतलब और वाक्य व निबंध

दूर के ढोल सुहावने का मतलब और वाक्य व कहानी

मजा किरकिरा होना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

दिन फिरना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

दाँत पीसना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व निबंध

तूती बोलना मुहावरे का मतलब और वाक्य व कहानी

मुंह ताकना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

मुँह मोड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मेंढकी को जुकाम होना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

दो नावों पर पैर रखना का मतलब और वाक्य व कहानी

तारे गिनना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

तेली का बैल होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दम भरना का मतलब और वाक्य व कहानी

टूट पड़ना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

आग में कूदना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हाथ खाली होना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

हाथ तंग होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व निबंध

आसन डोलना मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

अंडे का शाहजादा मुहावरे का मतलब और वाक्य व कहानी

आँख उठाकर न देखना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग व निबंध

अंगारे उगलना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।