छाती पर पत्थर रखना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ chhati par patthar rakhna muhavare ka arth  – हृदय कठोर होना

दोस्तो जब किसी व्यक्ति पर बहुत बडी मुसीबत आ जाती है तो वह अपने आप को संभालता नही है और अपने आप को नुकसान पहुचाने की कोशिश करने लग जाता है । इसी तरह से जब किसी के साथ कुछ इस तरह ‌‌‌की घटना घट जाती है या छोटी मोटी भी घटना घट जाती है तो जिस व्यक्ति के साथ यह घटना घटती है  ।  

उसे बहुत कष्ट झेलना पडता है फिर भी अपने आप को संभालता है और ऐसा अहसास दिलाता है की उसे इससे कुछ भी फर्क नही पडा है । तो इस तरह से दुख न होने के कारण यह कहा जाता है की इसने छाती पर पत्थर रख रखा ‌‌‌है यानि इसने अपने आप का दुख छुपा रखा है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ कठोर हृदय होना या कठोर हृदय करना होता है ।

छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌अपने बेटे को गलत रास्ते पर जाते देखकर महेशवर्मा ने छती पर पत्थर रख कर उसे होस्टल मे डाल दिया ।
  • जब बेटा घर से निकल कर कही चला गया तो माता पिता ने अपनी छाती पर पत्थर रख लिया था ।
  • फुलवती ने छाती पर पत्थर रख कर अपने बेटे को पढने के लिए शहर भेजा था तब आज वह नोक‌‌‌री लग सका है ।
  • जब पुत्र के मरने की ‌‌‌खबर उसके माता पिता के पास पहुंची तो उन्होने छाती पर पत्थर रख कर उसकी चिता को अग्नि दी ।
  • बेचारी का पती मर गया फिर भी इसने छाती पर पत्थर रख रखा है ।
  • जब से श्यामलाल को पता चला है की उसकी ‌‌‌बेटी अब कुछ ही दिनो की महमान है तो उन्होने अपनी छाती पर पत्थर रख कर उसकी देखभाल करने लगे थे ।
  • मेने ‌‌‌तुम्हे अपनी छाती पर पत्थर रख कर विदेश कमाने के लिए भेजा था और तुम वहां से कुछ नही लाए ।

‌‌‌छाती पर पत्थर रखना मुहावरे पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे श्यामलाल नाम का एक आदमी रहता था । उसका गाव मे बहुत नाम था और उसके पास पैसे भी थे पर ज्यादा नही थे । वह उन पैसो से अपना और अपने परिवार का पेट आराम से भर सकता था । इस कारण से उन्हे कभी भी खाली पेट नही सोना ‌‌‌पडता था ।

उसके परिवार मे उसकी पत्नी और उसका एक बेटा था । उसके बेटे का नाम महेश था । जब वह छोटा था तभी से उसके पिता उसे पढने के लिए भेजते थे । और जब वह बढा हो गया तो उसके पिता उसे शहर पढने के लिए भेजने लगे थे । उस समय शहर जाने से भी लोग डरते थे ।

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इस कारण से महेश के माता पिता ने अपनी छाती पर ‌‌‌पत्थर रख लिया और उसे पढने के लिए शहर जाने दिया था । इस तरह से महेश ने शहर मे कई वर्षो तक पढाई की और जब वह बढा हो गया तो वह नोकरी की तैयारी करने लगा था । तब उसके माता पिता ने उसे अपने पास बुला लिया था ।

उस समय के बाद उसके माता पिता उसे अपने से दूर तक नही जाने देते थे । क्योकी इतने समय के ‌‌‌बाद वह आराम से अपने माता पिता के पास आया है । क्योकी वह नोकरी की तैयारी कर रहा था । इस कारण से वह नोकरी का पेपर देने लगा था ।

जिससे पहली बार मे ही उसकी नोकरी लग गई थी । नोकरी लग जाने के कारण वह और उसके माता पिता बहुत ही खुश थे और अपने गाव मे लड्डू बाटते फिर रहे थे । जब उसकी नोकरी लग गई तब से ‌‌‌गाव के लोग अपने बेटो को पढाने लगे थे । क्योकी उन्हे पता था की नोकरी आराम की होती है ।

उसमे ज्यादा काम नही करना पडता है । अगर काम करना पडता है तो आराम से बैठे बैठे कर सकते है । जब महेश की नोकरी लग गई तो एक महिने के बाद उसकी नोकरी का जोईनिग लेटर आ गया था ।

जब महेश के पिता ने उस लेटर को ‌‌‌देखा तो उन्हे पता चला की महेश की नोकरी बहुत ‌‌‌दूर लगी है । जब इस बारे मे महेश की माता को पता चला तो महेश की माता बहुत ही उदास हो गई और सोचने लगी की इतने दिनो के बाद तो हमारा बेटा हमारे पास आया है और अब वह हमसे इतनी ‌‌‌दूर जायेगा ।

उसकी इस उदासी को देख कर श्यामलाल भी उदास हो गया था । तब महेश ने ‌‌‌उन्हे किसी तरह से समझाया और नोकरी करने के लिए जाने चाहता था । तब उसके माता पिता को लगा की कोई बात नही नोकरी कर लेगा तो इसे ही फायदा होगा ।

इस तरह से महेश के माता पिता ने अपनी छाती पर पत्थर रख लिया और उसे नोकरी करने के लिए भेज दिया था । धिरे धिर महेश को नोकरी करते हुए एक वर्ष बित गया । ‌‌‌तब उसे एक माह की छुट्टी मिली थी । इस कारण से उसके माता पिता ने उसकी शादी करनी चाही और उसके लिए अच्छी लडकी देखकर  उसकी शादी कर दी थी ।

शादी हो जाने के कुछ दिनो के बाद महेश नोकरी करने के लिए वापस जोने लगा था । तब उसकी पत्नी भी कहने लगी की मै भी आपके साथ जाउगी । पर तब महेश ने उसकी एक बात भी नही ‌‌‌सुनी ।

धिरे धिरे छ महा बित गए और तब फिर महेश अपने माता पिता और पत्नी से मिलने के लिए गाव आया और वापस जाते समय वह अपनी पत्नी को भी साथ ले जाने लगा था । तब महेश के माता पिता ने उसे बहुत बार कहा की अब इसे तो हमारे साथ रहने दो हम यहां पर अकेले हो जाएगे । तब महेश ने उनकी एक भी नही सुनी और ‌‌‌अपनी पत्नी को अपने साथ लेकर चला गया था ।

‌‌‌छाती पर पत्थर रखना मुहावरे पर कहानी Idiom story

अब हो भी क्या सकता था तब उसके माता पिता ने अपनी छाती पर पत्थर रख लिया और सोचा कोई बात नही वह कम से कम हमसे मिलने के लिए तो आ ही जाएगा । इस तरह से महेश के माता पिता ने अपना हृदय कठोर किया था । ‌‌‌फिर महेश अपने माता पिता ‌‌‌से मिलने के लिए कभी कभार ‌‌‌आता था । इस तरह से आप इस कहानी से समझ गए होगे की इस मुहावरे का ‌‌‌अर्थ क्या है ।

छाती पर पत्थर रखना मुहावरे पर निबंध Essay on idiom

साथियो इस संसार मे दुखो की कोई कमी नही है जब देखो तब हर कोई दुख मे डूबा ही रहता है । साथ ही इस दुख के कारण वे लोग अपने आप को तो दुखी करते ही है साथ ही अपने आस पास के लोगो को भी दुखी कर देते है । पर कुछ लोग ऐसे भी होते है जो अपने दुख को ‌‌‌सहते रहते है और ऐसा अहसास दिलाते है की वह बहुत खुश है ।

कहने का अर्थ है उन्होने अपनी छाती पर पत्थर रख लिया है। साथ ही आज के समय मे दुख आते ही रहते है । जिस तरह से किसी का बेटा अगर कमाने के लिए चला जाता है तो माता पिता उसके बारे मे सोच कर दुखी हो जाती है पर कुछ लोग अपना हृदय कठोर कर लेते ‌‌‌है और अपने बेटे को कमाने के लिए भेज देते है ।

यहां पर हृदय कठोर करने को ही छाती पर पत्थर रखना कहा जाता है । इस तरह से आप बहुत ही अच्छी तरह से समझ गए होगे की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of chhati par patthar rakhna  in Hindi

दोस्तो अगर हम छाती की बात करते है तो आपको एक बात के बारे में पता है की छाती के अंदर ही हमारे हृदय होता है । जिसे हम दिल कहते है । और यह छाती के भितर होने के कारण से ही यहां पर छाती का मतलब हृदय से माना जाता है ।

अगर हम हृदय पर पत्थर को रखते है तो इसका मतलब है की हमारा हृदय कठोर बन जाता है ओर यह इसी बात के आधार पर आप यह समझ सकते है की chhati par patthar rakhna muhavare ka arth  – हृदय कठोर होना होता है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

खाक में मिलना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

‌‌आँखों का तारा मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

कान भरना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अपना उल्लू सीधा करना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

चिराग तले अंधेरा होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

अक्ल पर पत्थर पड़ना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मेप्रयोग

हृदय भर आना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

‌‌‌ अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

पानी में आग लगाना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

सौ सुनार की एक लुहार की मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

अपना हाथ जगन्नाथ मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अंत भला तो सब भला मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अक्ल का दुश्मन मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अन्धों में काना राजा मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

अपने पैरों पर खड़ा होना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

आँखें खुलना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

खाक छानना मुहावरे का अर्थ , वाक्य मे प्रयोग और निंबंध

खून पसीना एक करना मुहावरे का अर्थ और khoon pasina ek karna

खरी खोटी सुनाना मुहावरे का अर्थ khari khoti sunana muhavare

खून का प्यासा मुहावरे का अर्थ ,वाक्य मे प्रयोग और निंबंध

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खटाई मे पड़ना मुहावरे का अर्थ Khatai men padna Muhavare ka arth

दूध का दूध और पानी का पानी मुहावरे का अर्थ

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।