धरती पर निगाह रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

धरती पर निगाह रखना मुहावरे का अर्थ है dharti par nigah rakhna muhavare ka arth – अपनी वास्तविकता के साथ जुडकर रहना ।

दोस्तो धरती वह है जीस पर मनुष्य रहता है यानि मनुष्य अपने जीवन के अनमोल कार्य करता है वह धरती है । और इस के साथ ही मनुष्य कार्य करता हुआ वह पैसे कमा कमा कर धनवान बनता जाता है । ‌‌‌और कहते है की जिस व्यक्ति कें पास धन आ जाता है वह अपने आप को धरती पर बडा मानने लगता है । जिसके कारण से वह दूसरो के सामने अलग ही तरह का व्यवाहर करने लग जाता है । और यह बात सत्य भी है।

मगर ऐसा करने के कारण से वह व्यक्ति अपनी वास्तवितक पहचान से दूर चला जाता है । मगर जब कोई व्यक्ति इसके ‌‌‌बिल्कुल ही विपरित होता है यानि वह धन कमा कर धनवान तो बन जाता है मगर अपनी वास्तविक पहचान से दूर नही जाता ।

जिसके कारण से वह अपने आप को दूसरो से अलग नही समझता और पहले जैसा ही व्यवाहर दूसरो के साथ करता है । तो ऐसे लोगो के लिए कहा जाता है की वह तो अपनी वास्तविकता के साथ जुडकर रह रहा है और ‌‌‌ऐसे लोगो के लिए ही इस मुहावरे का प्रयोग होता है जिसका अर्थ होता है की अपनी वास्तविकता के साथ जुडकर रहना ।

धरती पर निगाह रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">‌‌‌धरती पर निगाह रखना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग
  • कमलेश इतने धनवान घर से होने के बाद भी अपने विधालय में गरीब और अमीर का भेदभाव न कर कर सभी के साथ मिलजुल कर रहता है सच है कमलेश तो धरती पर निगाह रखता है ।
  • रामलाल के पिता ने जब से रामलाल को अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में भेजा है तब से रामलाल धरती पर निगाहर नही रख रहा है ।
  • महेश ने अपने विधालय में ही नही बल्की अपने राज्य में भी टॉप किया है फिर भी वह लोगो के सामने आदर पूर्वक रहता है सच है महेश धरती पर निगाह रखा हुआ है ।
  • नेहा जब शहर के सबसे टॉप विधालय में पढने के लिए गई तो उसकी मां ने कहा की बेटा तुम इस विधालय में तो जा रही हो ‌‌‌पर ‌‌‌तुम्हे वही भी यानि धरती पर निगाहर रखना ।
  • ‌‌‌पार्वती की सहेलियां आपस में बात कर रही थी की ‌‌‌पार्वती का पति IAS क्या बन गया ‌‌‌पार्वती  तो ‌‌‌हमारे पास बैठती तक नही है उसे पता नही की चाहे कितना भी उच्चा काम कर लो मगर धरती पर निगाहर रखनी चाहिए ।
  • भारत के एक वीर जवान ने प्रधान मंत्री की जान बचाने के लिए आंतकवादी को मार गिराया और फिर ‌‌‌प्रधान मंत्री को सल्यूट किया सच है धरती पर निगाह रखना ।

‌‌‌धरती पर निगाह रखना मुहावरे पर कहानी

दोस्तो एक समय की बात है जब किसी नगर का राजा जिसका नाम राजा महेश्वर था । वह अपने नगर में लोगो के बारे मे जानने के लिए गया । क्योकी वह जानना चाहता था की उसके नगर मे किस तरह के लोग रहते है । राजा के पास धन की कोई कमी नही थी जिसके कारण से उसने जोरो सोरो से ‌‌‌धन को खर्च किया । और बडे ही धूम धाम से अपने नगर मे लोगो के समाने जाता था ।

जिसके कारण से लोगो को पता चल गया की राजा अगर उन्हे किसी की मदद करते हुए देखेगे तो वह उन पर खुश हो जाएगे और हो सकता है की राजा उनके लिए कुछ अच्छा कर दे । जिसके कारण से राजा के नगर के लगभग आधे लोगो ने गरीबो की सेवा ‌‌‌का नाटक किया और साथ ही ऐसे ऐसे कार्य किया जिसे देख कर राजा को लगे की ये लोग तो बडे ही नेक दिल्ल काम कर रहे है ।

इस तरह से राजा जब लोगो के सामने गया तो उसने देखा की कुछ लोग उसके नगर मे गरीबो को भोज‌‌‌न कराने के लिए ढाबा खोल रखे है । जिसमें फ्रि भौजन मिलता है और कोई भी भोजन खा सकता है । ‌‌‌जब राजा ने यह सब देखा तो उसे बडा अच्छा लगा और अपने ‌‌‌मंत्री से बात करने लगा की देखो हमारे नगर के लोग किस तरह के है जिनके पास इतना धन नही है फिर भी वे लोगो की मदद कर रहे है ।

क्योकी मंत्री का काम नगर मे लगभग पडता ही रहता था । जिसके कारण से मंत्री को सब पता था । तब मंत्री ने राजा महेश्वर से कहा ‌‌‌की महाराज यह सब लोगो का दिखावा है । मगर राजा ने मंत्री की बात पर ध्यान नही दिया । बल्की वह मंत्री को कह रहा था की जो व्यक्ति ढाबा खोल रखा है उसके बारे मे पता लगाओ की इसका क्या नाम है और यह क्या काम करता है साथ ही पता लगाओ की इसमें क्या ‌‌‌खासियत है ।

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इस तरह से कहने पर मंत्री ने कहा की ठिक है । ‌‌‌अब भी राजा अपने मंत्री और बाकी लोगो के साथ आगे की ओर बढ रहा था । और कुछ दूरी पर जाने के बाद में राजा ने एक नाई को देखा जो लोगो के बाल काट रहा था । और उस नाई की दूकान के बाहर बहुत से लोगो की भिड लगी थी ।

तब राजा वही रूका और अपने ‌‌‌सैनिको को आदेश दिया की जरा जाकर पता लगाओ आखिर बात क्या है ‌‌‌। तब राजा के ‌‌‌सैनिको ने पता लगाया और वापस आकर कहा की नाई आज सभी नगर के लोगो के लिए फ्रि सेवा दे रहा है । इस तरह से फिर से राजा ने अपने मंत्री से कहा की हमारे नगर के लोग बडे नेक दिल्ल है हमेशा नेकी करते हुए नजर आते है ।

तब फिर से मंत्री ने कहा की नही महाराज ये लोग आज आपके सामने दिखावा करने ‌‌‌के लिए कर रहे है । जब राजा ने मंत्री से मुख से ‌‌‌ऐसा सुना तो राजा ने कहा की मंत्री लगता है की तुम लोगो के बारे मे जानते नही हो । इस तरह से कहने पर मंत्री ने कुछ नही कहा । कुछ दूरी और जाने के बाद मे फिर से राजा ने इसी तरह से कुछ लोगो को देखा ।

इस तरह से राजा ने पूरे दिन बहुत से लोगो को देखा । जो ‌‌‌नेकी कर रहे थे । मगर मंत्री हर बार राजा से एक ही बात कहता था की ये लोग दिखावा कर रहे है । तब आखिर में राजा ने कहा तो ठिक है कल सभी को महल मे बुलाना पता चल जाएगा की कोन दिखावा कर रहा है ।

साथ ही राजा ने कहा की अगर मंत्री तुम्हारी बात सच्ची है तो तुम्हे इनाम दिया जाएगा और गलत हुई तो तुम ‌‌‌स्वयं इन लोगो की साहयता करोगे । तब मंत्री ने कहा की ठिक है महाराज मैं कल आपके सामने मेरी बात साबित कर दूगा । इस तरह से मंत्री ने अगले ही दिन सभी लोगो को महल मे लेकर आ गया और राजा से कहा की महाराज आप सभी इन लोगो में से श्रेष्ठ को छाट लो जो आपको सही लग रहा है ।

साथ ही कहा की फिर उसके कार्य में ‌‌‌आपको बढावा करना है । जिसके कारण से वह अन्य लोगो के मुकाबले बहुत अधिक धनवान हो जाएगा । और फिर भी वह व्यक्ति पहले की तरह काम करता है तो वह सच्चा है अगर नही करता है तो वह दिखावा कर रहा था ।

इस तरह से कहने पर राजा ने कहा की किठ है अगर सच्चा होगा तो उसे इनाम दिया जाएगा । ‌‌‌तभी मंत्री ने कहा की इस बात का हमारे अलावा किसी और को पता न चले । तब राजा ने कहा की ठिक है । तभी राजा ने कहा की कल ‌‌‌मै सभी का काम देख कर बहुत ही खुश हुआ हूं । जिसके कारण से मैं सभी को कुछ देना चाहता हूं ।

मगर फिर भी मैं आपमे से पाच लोगो को ही धन दूगा और आप उस धन से अपना कारोबार बढा कर ‌‌‌बडे आदमी बन जाना है । साथ ही कहा की आपमे से सबसे अच्छा जिस भी व्यक्ति ने काम किया था ‌‌‌उसीको इस इनाम के योग्य चुना जाएगा । यह सुन कर सभी लोगो ने कहा किठ है जैसा आप चाहते हो ।

तभी मंत्री ने कहा की ठिक है जो सबसे अच्छा काम किया था वह आगे आ जाए । इस बात पर सभी के सभी लोग आगे की ओर आ गए । ‌‌‌यह देख कर राजा ने कहा क्यों ‌‌‌मंत्री इन सभी ने ही सबसे अच्छा काम किया है तो पांच लोगो को कैसे चुनोगे । तब मंत्री सोच में पड गया और सोचने लगा ।

‌‌‌धरती पर निगाह रखना मुहावरे पर कहानी

तब मंत्री ने कहा की इस बारे मे हमारे ‌‌‌सैनिको से पूछा ‌‌‌जाएगा अगर सभी को जो अच्छा लगेगा वह सबसे अच्छा मान लेना । यह सुन कर राजा ने कहा की तुम्हारी बात तो सच ‌‌‌है वे यह बता सकते है की किसने अच्छा काम किया था । क्योकी वे लोगो के बिच में रहते है और लोगो के बारे मे जानते है । इस तरह से राजा ने ‌‌‌सैनिको से पूछा तो ‌‌‌सैनिको ने अलग अलग लोगो का साथ दिया ।

मगर जिसके साथ की सख्या अधिक थी वे चुन लिए गए । इन लोगो मे से एक नाई और एक ‌‌‌ढाबे वाला था । इसके अलावा तीन लोग और थे । इस तरह से राजा ने पांचो को बहुत सारा धन दिया । मगर राजा को लगा की बाकी लोगो को भी कुछ देना चाहिए इस तरह से सोच कर राजा ने उन लोगो को भी थोडा बहुत धन दे दिया ।

मगर जीन पांचो को धन दिया गया उन लोगो से कहा की इस धन को केवल अपने कारोबार मे ही लगाना है । इस तरह से कहने के बाद में राजा ‌‌‌ने उन लोगो को वहां से भेज दिया था । और फिर पिछे से राजा से कहा की अब क्या करना है ।

तब मंत्री ने कहा की महाराज अब जो करेगे वे सब यही लोग करेगे । जिसके कारण से आपको पता चल जाएगा की ये लोग उस दिन दिखावा कर रहे थे की नही । राजा को मंत्री की बात समझ में नही आई जिसके कारण से राजा ने कहा की ‌‌‌क्या मतलब है । तब मंत्री ने कहा की महाराज अब एक महिने के बाद में हम दोनो भेष बदल कर इन सभी के पास जाएगे और इनसे मदद मागेगे ।

अगर ये मदद कर देते है तो ये लोग उस दिन कोई दिखावा नही कर रहे थे और अगर ये दिखावा कर रहे थे तो दूसरे दिन ही इनसे धन ले लेना है । यह सुन कर राजा ने कहा की ये लोग ‌‌‌कोई दिखाव नही कर रहे है यह बात तुम्हे समझ में आ जाएगी । तब मंत्री ने कहा की ठिक है महाराज एक मिहने के बाद मे पता चल जाएगा ।

जब एक महिना हुआ तो मंत्री और राजा ने वृद्ध लोगो का भेष धारण किया और नगर मे चले गए । सबसे पहले वे राजा उस ढाबे वाले के पास गए और उससे कहा की भाई हमारे पास खाने के लिए ‌‌‌रूपय नही है जरा कुछ खाना खिला दोगे क्या । तब उस ढाबे वाले व्यक्ति ने कहा की मैं कोई ऐसा वैसा आदमी नही हूं मुझे स्वयं इस नगर मे राजा ने धन दिया है और मेरे काम को ओर आगे बढाया है ।

जिसके कारण से मेरा खाना कोई आसान खाना नही है बल्की इसे स्वयं राजा अपने दरबार में भी मगवाते है । इस तरह से वह ‌‌‌दिखावा करते हुए राजा और मंत्री वृद्ध के भेष में थे उन्हे कहने लगा की मैं खाना इस तरह से फ्रि मे नही खिला सकता हूं । यह देख कर राजा को बडा अचम्बा हुआ । तब फिर से राजा और मंत्री ने कहा की बेटा हम कई दिनो से भूखे है जारा खाना खिला दो ।

तब उस व्यक्ति ने कहा की तुम लोगो को समझ मे नही आता क्या ‌‌‌यह खाना कोई आसान खाना नही है जो तुम भिखारियो के लिए मैं ऐसे ही दान कर दू । इस तरह से वह व्यक्ति उन्हे धक्के माते हुए बाहर निकाल देता है । तब पिछे से लोगो ने उनकी साहयता की और कहा की भाई लोगो जब से राजा ने इसे धन दिया है ।

तब से यह धनवान बन गया है और अपने खाने की किमत बढा कर लोगो को ठगने ‌‌‌लगा है और आज इस बात को पूरा एक महिना बित गया । ‌‌‌जिससे ‌‌‌इन्होने बहुत सारा धन कमा लिया है फिर भी किसी को उधार तक नही देता । पता नही राजा ने इसे क्या देख कर धन दे दिया । इस तरह से कहते हुए वे लोग वहां से चले गए । तब राजा ने मंत्री से कहा की तुम सही थे यह तो दिखावटी निकल गया चलो अब नाई की बारी आती है ।

‌‌‌जब राजा और मंत्री दोनो ही नाई के पास गए तो उन्होने देखा की नाई ने अपनी दुकान एक आलिसान महल के समान ‌‌‌खडी कर रखी है । और उसके बारह लिखा है की जो पैसे नही लाते है वह हमारे पास आना मत । मगर फिर भी राजा और मंत्री उस नाई के पास गए और उनसे कहा की भाई हमारे बाल जरा काट दो कई दिन हो गए हमको फिरते हुए ‌‌‌।

मगर पैसे न होने के कारण से किसी ने भी हमारी साहयता नही की । तब नाई ने कहा की तुम जैसे लोगो को यहा पर आने तक मना कर रखा है फिर भी न जाने कहा से चल कर आ जाते है । इस तरह से कहने के साथ ही नाई ने दोनो को धक्के मार कर दूकान से निकाल दिया । तब राजा ने अपने मंत्री से कहा की इसे पैसे ‌‌‌क्या मिल गए इस नाई की धरती पर निगार नही है ।

इसी तरह से बाकी तीन लोगो के पास गए तो उन्होने भी राजा के साथ यही सुलूक किया । ‌‌‌जिसे देख कर लोगो ने उन दोनो यानि राजा और मंत्री को कहा की इन लोगो को जब से राजा ने पैसे दिए है तब से इनकी धरती पर निगाहर नही है । इस तरह से फिर राजा ने उन सभी लोगो‌‌‌के सामने अपना असली ‌‌‌भेष बदल लिया और अपने राजा और मंत्री के भेष मे आ गए ।

तब लोगो की वहां पर भिड मच गई । तभी कुछ ही समय मे वे पांचो लोग वहां पर आ गए । तब राजा ने उन पांचो को महल मे आने को कहा । अगले ही दिन पांचो महल मे गए । तब राजा ने कहा की तुम लोगो के नेक दिल्ल को देख कर मैंने पैसे दिए थे मगर ‌‌‌तुम्हारे इस तरह ‌‌‌के कारनामो के कारण से तुम्हारे पास जो पहले था उतना छोड कर सब कुछ वापस ले रहा हूं ।

‌‌‌धरती पर निगाह रखना मुहावरे पर कहानी

यह सुन कर पांचो राजा के सामने गिडगिडाने लगे । तब राजा ने कहा की तुम लोगो के पास जब से पैसे आए है तब से तुम लोग धरती पर निगाह रखना भूल गए हो । जो की अच्छा नही है । इस तरह से फिर राजा ने उन लोगो की एक भी नही ‌‌‌सुनी और सारा धन लेकर अपने मंत्री की काबलियत के लिए इनाम में दिए ।

मगर फिर मंत्री ने कहा की महाराज पैसे मुझे देकर आप शर्मिदा कर रहे हो आप इन्हे राजकोश मे जमा करो ताकी मुसीबत में काम आ जाए । इस तरह से इन लोगो के पास रहने से ये लोग आसमान से उढने लग जाते है । राजा ने मंत्री की बात मान ली और ‌‌‌पैसे राजाकोश में जामा कर दिए ।

फिर राजा ने उन लोगो से कहा की चाहे जितने भी बडे क्यो न बन जाओ हमेशा धरती पर निगाह रखनी चाहिए । इस तरह से कहते हुए राजा ने उन लोगो को वहां से भेज दिया । इस तरह से फिर राजा के राज्य मे कोई  भी ऐसा नही था जो दिखावा कर कर लोगो को ठगने की सोचता था ‌‌‌।

इसके अलावा बहुत से लोग तो गरब ‌‌‌की मदद भी करते और इस बात का दिखावा तक नही करत थे । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ अपनी वास्तविकता के साथ जुडकर रहना होता है

धरती पर निगाह रखना मुहावरे पर निबंध || dharti par nigah rakhna essay on idioms in Hindi

दोस्तो अगर आपको कभी भगवान बना दिया जाए और आपका काम होता हे की आप असामान में रह कर पूरी की पूरी धरती पर अपनी निगाहर लगाए रखे तो क्या आप इस काम को करेगे ।

वैसे आपको बात दे की इस मुहावरे का ऐसा कुछ भी मतलब नही होता है जिसमे आसामन में रहने वाले भगवान की बात की जा रही है । बल्की मुहावरा जो होता है वह हम मानव की ही बात करता है ।

और मुहावरे का कहना है की हमेशा जीवन में अगर चाहे कितनी भी उन्नती कर ले मगर फिर भी धरती के साथ संबंध रखना जरुरी है ।

क्योकी कुछ लोग सफल होने के बाद में आसमान में उड़ने लग जाते हे तो ऐसा नही करना है और यही इस मुहावरे के रूप में बताया जा रहा है । वैसे अगर अर्थ की बात करे तो dharti par nigah rakhna muhavare ka arth – अपनी वास्तविकता के साथ जुडकर रहना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।