हाथ तंग होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व निबंध

हाथ तंग होना मुहावरे का अर्थ hath tang hona muhavare ka arth – गरीब होना

दोस्तो जिन लोगो के पास धन की कमी होती है उन्हे गरीब व्यक्ति कहा जाता है । ऐसे गरीब व्यक्ति हर अपना वह काम नही कर सकते जिसकी उन्हे जरूरत होती है । उन्हे अपने आप की जरूरतो को मारना ही पडता है । ‌‌‌तब ही वे अपना पेट भर पाते है । इस तरह से गरीब लोगो के लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

हाथ तंग होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व निबंध

हाथ तंग होना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • अगर आज मेरे हाथ तंग न होते तो मैं तुम्हे अपने घर से खाली हाथ नही जाने देता ।
  • उस बिचारे ने तो अपने पास जो भी पैसे थे वह मेरी मदद करने के लिए दे दिए वरना ‌‌‌उसके हाथ भी तंग थे ।
  • जिन लोगो के हाथ तंग होते है उनकी मदद करनी चाहिए ।
  • महेश के पास ऐसे तो बहुत पैसे है पर जब कोई उससे मदद मागने के लिए चला जाता है तो वह यह कह देता है की आज कल मेरे हाथ तंग है ।
  • पहले तो उधार पैसे ले लिए और वापस देने का समय आया ‌‌‌तो तुम्हारे हाथ तंग हो गए ।
  • पिता ने इतना अधिक कर्जा लिया था की उनके मरते ही श्यामलाल के हाथ तंग हो गए ।
  • अमीर लोग हाथ तंग लोगो को किडे मकडो की तरह से मसलने से बाज नही आते ।
  • राहुल आपकी क्या मदद करेगा उसके खुद के हाथ तंग है ।
  • अगर आपको मदद चाहिए तो किसी अमीर आदमी के पास जाओ हम हाथ तंग ‌‌‌लोग आपकी मदद नही कर पाएगे ।

हाथ तंग होना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है ‌‌‌नटवरलाल नाम का एक आदमी था । जिसके घर मे उसके माता पिता के अलावा उसकी पत्नी रहा ‌‌‌करती थी । नटवरलाल के माता पिता की उम्र बहुत अधिक हो गई थी । इस कारण से वही अपने माता पिती की सेवा करता था ।

जिसके कारण से वह दिन रात एक कर कर काम करने के लिए जाता ताकी अपने परीवार के लोगो की अच्छे से देखभाल ‌‌‌हो सके । नटवरलाल का एक मित्र था जो नटवरलाल से कुछ ठिक स्थिती मे था । क्योकी उसके घर मे उसकी पत्नी के अलावा और कोई भी नही रहता था ।

इस कारण से ‌‌‌उन दोनो का पेट आराम से भर जाय इतना ही वह कमा कर लाता था । साथ ही दोनो मे इतनी घहरी दोस्ती थी की दोनो एक साथ काम करने के लिए जाते और एक साथ ही घर आते ‌‌‌थे । इसी तरह से जब भी नटवरलाल को पैसो की जरूत पडती तो उसका मित्र उसकी मदद कर दिया करता था ।

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इसी तरह की एक बार की बात है नटवरलाल की पत्नी मां बनने वाली थी । इस कारण से उसे हॉस्पिटल मे दाखिला दिला दिया था । जिसके कारण से नटवरलाल को पैसो की जरूरत पडने लगी थी ।

इस कारण से नटवरलाल अपने आस पास ‌‌‌के लोगो से पैसे मागे तो उन लोगो ने उसकी कोई मदद नही की । आखिर मे थक हार कर वह अपने मित्र के पास ही गया । तब उसके मित्र के पास भी पैसे नही थे पर वह कर क्या सकता था ।

तब मित्र ने नटवरलाल से कहा की दोस्त तुम्हे तो पता है की आज काल मेरा काम सही तरह से नही चल रहा है । इस कारण से मेरे पास पैसे ‌‌‌भी नही है । इतना सुनकर नटवरलाल वहा से जाने लगा तब उसके मित्र ने कहा की नटवरलाल मैंने तुम्हे कभी भी पैसो के लिए मना नही किया ।

जितना मेरे पास होता मैं तुम्हे दे दिया करता था । पर आज जब मेरे हाथ तंग है तो मैं तुम्हारी मदद नही कर सकता मुझ माफ कर देना । इतना सुन कर नटवरलाल भी उदास हो गया और कहा ‌‌‌माफी मत मागो दोस्त मैं जानता हूं की तुम्हारी हालत भी मेरी तरह है ।

इतना कह कर नटवरलाल कही चला गया था । तब उसका मित्र भी पिछे पिछे काम करने के लिए चला गया था । उस दिन उसके मित्र ने दिन रात काम किया तब जाकर उसे कुछ पैसे मिले ।

जिन्हे लेकर वह सिधा अपने मित्र नटवरलाल के पास गया और ‌‌‌ ‌‌‌उसे दे दिया । पैसे देखकर नटवरलाल को लगा की यह मेरी मदद करने के लिए जरूर कुछ काम कर कर आया है । जब नटवरलाल ने उसकी तरफ सही से देखा तो उसे दिखा की यह तो बहुत थक गया है ।

तब नटवरलाल को समझ मे आ गया की यह दिन रात काम कर कर इतने पैसे लाया है । यह जान कर नटवरलाल उसके सिने से लग गया और उसका धन्यवाद कहने ‌‌‌लगा । पैसे मिल जाने के कारण से नटवरलाल ने अपनी पत्नी की सेवा मे लगा दिए । दुसरे दिन ही नटवरलाल को पता चला की उसकी पत्नी के पुत्री है ।

यह जान कर नटवरलाल बहुत खुश हुआ और वह सोचने लगा की मेरे घर मे तो लक्ष्मी आ गई । इस तरह से सोच कर नटवर लाल ने उसका नाम लक्ष्मी ही रख लिया था  ।

धिरे धिरे ‌‌‌महिने बित गए पर अब नटवरलाल कभी कभार काम करने के लिए जाता था और इतने मे उसके पिताजी बिमार हो गए । यह जानकर नटवरलाल बहुत उदास हो गया क्योकी उसके पास इलाज कराने के लिए पैसे नही थे । फिर भी उसने उन्हे सरकारी हॉस्पिटल मे भर्ती करा दिया था ।

जिसके कारण से दो तिन दिनो तक तो वे सही तरह से ‌‌‌अपना जीवन जिते रहे पर सही तरह से इलाज न होने के कारण से नटवरलाल के पिता की मृत्यु हो गई । तब नटवरलाल अपने आप को कोसने लगा और तभी उसका मित्र आ गया ।

तब नटवरलाल ने अपने मित्र को पास बिठाकर कहने लगा की दोस्त आज अगर मेरे हाथ तंग न होते तो मैं अपने पिताजी का जीवन बचा लेता । इस तरह से कह कर कर ‌‌‌नटवरलाल विलाप करने लगा । तब उसके मित्र ने उसे समभाला ।

इस तरह से दो महिनो के बाद मे नटवरलाल काम करने के लिए शहर चला गया था । वहां पर जाते ही उसे अच्छा काम मिल गया । इस कारण से वह उस काम को बडी इमानदारी के साथ करने लगा था । जिसे देख कर नटवरलाल के मालिक ने उसकी पगार बडा दी और उसे और अच्छा ‌‌‌काम दे दिया ।

हाथ तंग होना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

जब नटवरलाल को वहां पर काम करते हुए एक वर्ष हो गया तब उसने अपने मालिक से आज्ञा लेकर अपने गाव मे मिलने के लिए आ गया था । उस समय नटवरलाल ने अपने दोस्त के लिए और अपने घर वालो के लिए बहुत अच्छे कपडे लाया था ।

साथ ही उसने बहुत कामाई की जिसके कारण से उसने अपना घर महल जैसा बना ‌‌‌लिया और फिर वापस जाते समय उसने अपने मित्र को भी अपने साथ ले गया और अपने साथ काम कराने लगा था । जिसके कारण से उसका भी भाग्य अच्छा हो गया था ।

इस तरह से फिर दोनो का जीवन बडी सानदार तरह से चलने लगा था । ‌‌‌इस तरह से इस कहानी से मसझ ‌‌‌गया ‌‌‌होगा की हाथ तंग होना किसी कहते है ।

हाथ तंग होना मुहावरे पर निबंध || hath tang hona essay on idioms in Hindi

दोस्तो गरीब जीवन किसको जीना है अगर ऐसा पूछा जाए तो कोई भी यह नही कहेगा की मुझे गरीबी में रहना है क्योकी आज के समय में सभी गरीबी से मुक्त चाहते है तो ऐसे में गरीब कोन होना चा​हेगा ।

आपको बात दे की गरीब वह नही है जो की आराम से अपना जीवन बिता रहा है और दो समय का भोजन आराम से मिल जाता है बल्की गरीब तो वह है जिसे भोजन तक नही मिल पाता है और यही असली गरीब है ।

अगर इस तरह का कोई गरीब होता है तो उसके लिए इस मुहावरे का विशेष रूप से प्रयोग में लाया जाता है ओर कहा जाता है की आज के समय में हाथ जरा तंग है ।

मतलब हाथ में कुछनही है मैं तो गरीब हूं जिसके कारण से हाथ तंग है और मैं भला आपकी कैसे मदद कर सकता हूं । तो इस तरह से आप यह समझ सकते है की किस तरह से इस मुहावरे का अर्थ गरीब से जुड़ा होता है । क्योकी आपने उपर इतना कुछ पढा है की आप यह तो समझ ही गए है की मुहावरे का अर्थ क्या होता है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।