‌‌‌तारे गिनना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

‌‌‌तारे गिनना मुहावरे का अर्थ taare ginna muhavare ka arth – रात्री मे निंद आना

दोस्तो मनुष्य के जीवन मे निंद का बहुत महत्व है अगर कोई व्यक्ति समय पर निंद ले लेता है तो उसका सारा दिन बहुत ही अच्छी तरह से बितता है । पर इसके विपरीत अगर किसी व्यक्ति ‌‌‌को रात मे निंद नही आती है । तब ऐसा कहा जाता है की आज तो मैंने तारे गिर कर रात काटी । इस तरह से वह व्यक्ति कहता है की आज मुझे रात को निंद नही आई । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ रात को निंद न आना होता है ।

‌‌‌तारे गिनना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

‌‌‌तारे गिनना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • बिचारी का पति शहर क्या चला गया इसने तो तारे गिनने शुरू कर दिए ।
  • जब रात को बेटा घर नही आया तो मां तारे गिन कर रात काटने लगी ।
  • महेश को जब से नोकरी से निकाला है तब से वह तारे गिनने लगा है ।
  • राजेश ने रातो जाग कर तारे गिने तब जाकर ‌‌‌उसकी नोकरी लगी है ।
  • गर्मी इतनी अधिक है की आज तो तारे गिन कर ही रात गुजानी पडेगी ।
  • पत्नी की याद मे राहुल रात भर तारे गिनता रहा ।
  • अभी तो तुम्हारी शादी भी नही हुई है और तुम रात मे उल्लू की तरह तारे गिनते फिर रहे हो ।
  • ‌‌‌तुम्हारे इंतजार मे सरोज रात भर तारे गिनती रही पर तुम नही आए ।

‌‌‌तारे गिनना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

किसी समय की बात है किसी नगर मे महावीर नाम का एक आदमी रहा करता था । उसके घर मे उसके पिता के अलावा उसकी पत्नी रहा करती थी । महावीर की पत्नी का नाम सरला था । महावीर बहुत ही अच्छा आदमी था वह कभी किसी से कोई मतलब नही रखता था । इसी तरह से माहवीर की पत्नी थी ।

‌‌‌सरला तो बस यही जानती थी की अगर उसका और उसके परिवार कर पेट भर जाय तो वे सभी आराम से सो सकते है । कहने का अर्थ है की सरला अपने घर की ‌‌‌सोचती थी  और किसी दुसरे घर की बात तक करना पंसद नही करती थी ।

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इस तरह की आदद होने के कारण से महावीर बहुत ही खुश रहता और अपनी पत्नी को बहुत ही अच्छी मानता था । महावीर एक गरिब ‌‌‌घर से था । इस कारण से उसे रोजाना खाना खाने के लिए पैसे चाहिए होते थे । पर महावीर और उसके पिता की गाव मे बहुत इज्जत थी ।

जिसके कारण से जब भी महावीर अपने घर से निकलता तो लोग उसके साथ अच्छी अच्छी बाते करते थे । महावीर अपने परिवार का पेट भरने के लिए गाव से कुछ दूरी पर शहर था वहा पर जाकर काम‌‌‌ किया करता था ।

महावीर पढा लिखा था इस कारण से उसे शहर मे एक बहुत ही अच्छा काम मिल गया था । जिसमे मन लगा कर महावीर करता था । यह सब देख कर महावीर का मालिक भी खुश होता की महावीर मेरे पास काम करता है ‌‌‌और इस काम को अपना समझता है ।

महावीर जहां पर काम किया करता था वहां पर एक आदमी और काम ‌‌‌करता था । जो काम मे बहुत ही ढीला था यानि कामचोर था । वह काम करने से मतलब नही रखता था । ‌‌‌बल्की वह तो किसी तरह से दिखावा कर कर अपनी मजुरी लेने वाला था ।

इस कारण से उस आदमी का मालिक उससे कहता की महावीर की तरह काम करो तो तुम्हे पैसे देने मे भी मुझे अच्छा लगे । पर वह आदमी अपने मालिक की एक भी नही ‌‌‌सुनता था । महावीर का इस तरह से कार्य देख कर उसका मालिक बहुत ही प्रसन्न हो जाया करता था ।

इसी कारण से एक दिन की बात है महावीर अपने मालिक के पास काम कर रहा था । तब महावीर का मालिक उससे कहने ही वाला था की महावीर समझ गया की मालिक को क्या चाहिए ।

इसी कारण से महावीर ने तुरन्त मालिक का वह काम कर ‌‌‌दिया जिसके कारण से महावीर का मालिक बहुत खुश हुआ और वह कहने लगा की महावीर तुम तो बहुत ही अच्छे हो मेरे मन की बात को जान कर काम कर लेते हो ।

तभी महावीर के मालिक को वह आदमी दिखाई दिया जो आराम से सो रहा था । तब उसने उस आदमी से कहा की तुम यहां पर सोने के लिए आते हो की काम करने के लिए आते हो । ‌‌‌जब उस आदमी ने अपने मालिक की बात नही सुनी तो उसके मालिक को क्रोध आ गया और वह उसे गालिया देने लगा ।

जिसके कारण से आस पास के लोग भी वहां पर इखट्ठा हो गए थे । उस दिन उसका मालिक उस आदमी को काम से निकालने ही वाला था की उस आदमी ने एक और मोका देने को कहा । तब उसके मालिक ने उसे आखरी मोका दे रहा हूं ‌‌‌ऐसा कहते हुए काम पर रख लिया था ।

तब उस आदमी को लगा की मेरी यह बेज्जईती महावीर के कारण से हुई है । इस कारण से महावीर को काम से निकालना होगा । ऐसा सोच कर वह आदमी महावीर को काम से निकाले  की योजना बनाने लगा था ।

अब जब भी उस आदमी को दिखता की मालिक आ रहे है तो वह काम करने के लिए खडा हो जाता और ‌‌‌महावीर को बैठने के लिए कह देता था । जिसके कारण से मालिक को लगने लगा की आजकल तो महावीर काम नही करता है ।

साथ ही वह आदमी अपने मालिक के कान भी भरने लगता और कहता की महावीर आपके बारे मे गलत कहता है । इस तरह से काफी समय बित गया फिर भी महावीर को उसके मालिक ने कुछ नही कहा । यह देख कर उस आदमी ‌‌‌को बहुत बुरा लगा ।

तब आखिर मे उस आदमी ने एक दिन महावीर की जेब मे बहुत से रूपय डाल दिए जो उसके मालिक के थे । महावीर को पता नही था की उसकी जेम मे रूपय है इस कारण से वह काम से जाने ही वाला था की मालिक आ गया ।

तब महावीर ने अपने मालिक से कहा की मैं अब घर जा रहा हूं । तब उसके मालिक ने भी उसे जाने ‌‌‌के लिए कह दिया था । तभी वह आदमी बोला की मालिक आज कितनी कमाई हुई है ।

उस आदमी के ऐसा पूछने पर उसके मालिक ने अपनी तिजोरी देखी तो उसे पता चला की उसकी तिजोरी मे एक फुटी कोडी नही है । जो पहले पैसे थे वह भी अब नही है । तभी उसे महावीर की जेब भरी नजर आई ।

इस कारण से उसने उसे रोका और उसकी जेब ‌‌‌मे हाथ देकर देखा तो उसे पैसे मिले । यह देख कर महावीर भी चोक गया । तब उसके मालिक ने कहा की तुम मेरे पास काम करते हो और यही पर चोरी करते हो ।

इस बार महावीर की उसके मालिक ने एक नही सुनी और उसे धक्के मार कर काम से निकाल दिया था । अब महावीर अपने घर की तरफ जा रहा था तब रास्ते मे जो भी मिलता ‌‌‌वह महावीर को चोर कहता था ।

इस तरह से चोर चोर सुन कर महावीर को बहुत बुरा लगा । जब महावीर घर गया तो उस दिन उसने किसी से बात नही की और चुप चाप छत पर जाकर सो गया । तब उसे रात भर निंद नही आई ।

तभी उसे लगा की उस आदमी ने मेरे पर यह इलजाम लगाया है । ‌‌‌इस कारण से उसने अगले दिन कुछ लोगो को अपने साथ लेकर उस आदमी को पकड लिया और जब उसके साथ मारपीट की तो उस आदमी ने सच कह दिया था ।

साथ ही यह बात अपने मालिक को बताने के लिए उस आदमी को अपने साथ ले गया और अपने मालिक के सामने सच बोलने के लिए उस आदमी से कहा । जिसके कारण से उस आदमी ने कह दिया की ‌‌‌मालिक महावीर ने उस दिन चोरी नही की थी बल्की मैंने ही की थी ।

‌‌‌तारे गिनना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

ऐसा सुन कर महावीर के मालिक ने उस आदमी को नोकरी से निकले को कह दिया और फिर महावीर से माफी मागने लगा । तब महावीर के मालिक ने कहा की महावीर मुझे माफ कर देना मैंने तुम पर चोरी का इल्जाम लगाया है ।

साथ ही उसने कहा की मेरे ऐसा करने के ‌‌‌कारण से रात भर तुम्हे तारे गिनने पडे । तब महावीर ने भी कहा की मालिक ‌‌‌आपने उसकी बात मान ली एक बार मेरी भी बात सुन लेते । तब महावीर के मालिक ने फिर महावीर से क्षमा मागी और कहा की आगे से मैं तुम्हारे साथ ऐसा कभी नही करूगा ।

इस तरह से फिर महावीर को उसने वापस काम पर रख लिया था । उस दिन के बाद ‌‌‌महावीर अकेला उसके पास काम करता था । तब महावीर का मालिक भी उसे कुछ नही कहता और उसके काम से खुश होता था ।

इस तरह से महावीर ने अपने आप को सही सामने ला दिया । जिसके कारण से महावीर का मालिक मन ही मन पछताता की ‌‌‌मेरे इसे चोर कहने के कारण से इसे तारे गिनने पड गए ।

इस तरह से फिर महावीर का जीवन पहले ‌‌‌की तरह सही चलने लगा था । इस तरह से आपको यह समझ मे आ गया होगा की तारे गिनना मुहावरे का अर्थ रात को निंद न आना होता है ।

‌‌‌तारे गिनना मुहावरे पर निबंध || taare ginna essay on idioms in Hindi

दोस्तो अगर आप भारत के किसी शहर से या फिर गाव से है तो आपको यह पता होगा की हम गर्मी के समय मे खुले आसमान में सोना पसंद करते है । मतलब यह है की शर्दी के समय में तो हम मकानो के अंदर कम्बल से लिपट कर सोते है मगर वही पर गर्मी में हम खुले आसामन में सोते है ताकी अच्छी हवा मिलती रहे ओर मजेदार निंद आती रहे ।

मगर यह बहुत बार होता हैकी रात के समय में कभी कभार निंद नही आती है ओर ऐसी स्थिति में कुछ करने को भी मन नही करता है ओर इस स्थिति में हमारी नजरे केवल आसामन की और जाती रहती है ।

इस अवस्था में बहुत से लोग ऐसे है जो की आज भी आसमान की और देखते है और जो तारे दिखाई देते है उन्हे गिनने लग जाते है । और ऐसा आपने भी कभी न कभी किया होगा जो की शायद अब आपको याद नही होगा ।

क्योकी यह रात्रि में निंद न आने की अवस्था में होता है तो इस बात का मतलब हुआ की रात्रि में निंद न आना मुहावरे का अर्थ है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

थाली का बैंगन होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

एड़ी चोटी का जोर लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आड़े हाथों लेना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नाक रगड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

गुड़ गोबर करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पौ बारह होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

‌‌‌पेट में दाढ़ी होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर खुजलाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मैदान मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर पर सवार होना ‌‌‌मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दाने दाने को तरसना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हां में हां मिलाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दाँतों तले उँगली दबाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पत्थर की लकीर मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

टांग अड़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हाथ पाँव फूलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नाक का बाल होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नमक मिर्च लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दंग रह जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दाल में काला होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पानी पानी होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

लोहा लेना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

टेढ़ी खीर मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पीठ दिखाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

फूला न समाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य का प्रयोग

बाल की खाल निकालना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मुँह की खाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

रंग जमाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

‌‌‌लोहे के चने चबाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर उठाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

लकीर का फकीर होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।