ज्वार उठना मुहावरे का अर्थ और एक प्रसिद्ध कहानी

ज्वार उठना मुहावरे का अर्थ है jwar uthana muhavare ka arth – भूली हुई बात का अचानक याद आना ।

दोस्तो मनुष्य का जो दिमाग होता है वह बडा ही ज्ञानी होता है जिसके कारण से वह बरसो पुरानी बातो को याद रख सकता है । मगर कभी कभार ऐसा होता है की हम ‌‌‌जो बात कहना चाहते है वह भूल जाते है । और कहते है की मैं वह बात भूल गया । मगर कुछ ही समय में वह बात वापस याद आ जाता है । तो इसे ज्वार उठना कहा जाता है ।

इस तरह से भी समझा जा सकता है जब कभी हम किसी व्यक्ति के बारे में कोई बात कर रहे है मगर अचानक उस व्यक्ति का नाम भूल जाते है ‌‌‌और फिर कुछ ही समय के बाद अचानक उस व्यक्ति का नाम याद आ जाता है । इस तरह से भूली हुई बात का अचानक याद आने को ही ज्वार उठना कहा जाता है ।

‌‌‌ज्वार उठना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग use in sentence

  1. ‌‌‌रजनी अक्सर बातो को भूल जाती है मगर कुछ ही समय के बाद वापस ज्वार उठ जाता है ।
  • ‌‌‌पुलिस की मार खा कर अच्छे अच्छे मुजरीमो के ज्वार उठ जाते है ।
  • ‌‌‌पुलिस चोर से चोरी का समान पूछ रही थी मगर वह कह रहा था की मैं भूल गया तभी एक पुलिस वाले ने चोर को दो डंडे मारे तो वह सारी बाते बता दी यह देख कर बाकी सभी कहने लगे की मार खाते ही ज्वार उठ गया ।
  • ‌‌‌शर्माजी अपने दोस्तो के साथ बैठे गप लगा रहे थे की वे अचानक बोल पडे और पूरानी बात बताने लगे तब शर्माजी के दोस्तो ने कहा की इस तरह से ज्वार उठने का क्या कारण है ।
  • पार्वती अपनी बहन शिवानी से बाते कर रही थी मगर तभी उसे पूरानी बात याद आ गई और वह अपनी बहन को कहने लगी तब शिवानी ने कहा की तुम्हे कब से ज्वार उठने लगे ।
  • जब अध्यापक ने सुरेश से प्रशन का उत्तर पूछा तो सुरेश को कुछ याद नही आया तभी अधयापक ने ‌‌‌दूसरे विधार्थी से उत्तर पूछा तो अचानक सूरेश को याद आ गया और वह अध्यापक को उत्तर बताने लगा । तब अध्यापक ने कहा तुम्हे भी जवार उठने लगे है ।

‌‌‌ज्वार उठना मुहावरे पर कहानी (साधू और शिष्य की सतसंग)

दोस्तो प्राचीन समय की बात है किसी नगर में एक साधू रहा करता था । जो अपने आप मे ही मस्त रहता और दिन रात अपने प्रभू के भंजन किया करता था । इसके साथ ही साधू के कई शिष्य थे क्योकी साधू ज्ञानी था और अपने शिष्यो को ज्ञान देने का काम करता ‌‌‌था । साधू ने अपना विश्राम घर एक जंगल के किनारे पर बना रखा था। जिसके पास ही एक सुंदर और पवित्र नदी जाया करती थी।

‌‌‌जिसके तट पर गाव के बहुत से लोग आया करते थे । साधू अपने शिष्यो को तरह तरह की कलाओ के बारे मे बताता रहता था । और हर शिष्य को एक अलग ही ज्ञान देता था । साधू के दो शिष्य सबसे अधिक ‌‌‌प्रिय थे ‌‌‌। ‌‌‌जिनमे से एक शिष्य भजन कीर्तन मे माहिर था और दूसरा शिष्य अस्त्र शस्त्र की कलाओ के बारे मे जानता था यानि एक योद्धा के गुण रखता था ।

भीतर तक काँप जाना का अर्थ और मुहावरे का ‌‌‌वाक्य व एक कहानी

कानो कान खबर न होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

ढांचा डगमगा उठना मुहावरे का अर्थ ‌‌‌और वाक्य प्रयोग और कहानी

दो पाटों के बीच आना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व मुहावरे पर कहानी

वाह वाह करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

इन दोनो शिष्यो को साधू जहां पर भी जाता अपने साथ रखता था । क्योकी योद्धा होने के कारण से साधू की हिफाजत ‌‌‌कर सके । और भजन कीर्तन करने के कारण से साधू को आनन्द प्राप्त हो सके । इस तरह से साधू दोनो शिष्यो को प्रिय मानते हुए अपने साथ रखता था ।

मगर एक बार की बात है साधू को कई वर्ष हो गए मगर वह अपने स्थान से बहार नही निकला था । क्योकी वह एक तप मे लीन हो गया जिसमे पूरा एक वर्ष लग गया और इससे पहले एक ‌‌‌वर्ष तक वह अपने कार्यकाल मे व्यस्थ रहा । मगर जैसे ही साधू तप से बहार आया तो उसने देखा की सभी शिष्य अपना अपना काम कर रहे है और जो उसके प्रिय शिष्य थे उनमे से जो योद्धा था वह उसके पास बैठा हुआ था ।

यह देख कर साधू को लगा की यह शिष्य मेरी हिफाजत के लिए ही यहां पर बैठा है । मगर साधू को पता ‌‌‌नही था की इसके अलावा भी उसका दूसरा शिष्य मेरे पास ही रहता है । तो साधू ने इस बारे मे बिना सोचे समझे अपने शिष्य से कहा ……………….. शिष्य तुम्हारे गुरू को काफी समय बित गया है वह इसी कुटिया मे रह रहा है तो आज वह बहार घुमने के लिए जाएगा ।

यह बात सुन कर शिष्य ने साधू के कहा की जी ‌‌‌गुरूदेव जैसी आपकी आज्ञा । तब साधू उसी समय जाने को तैयार हो गया था । यह देख कर योद्धा वाले शिष्य को लगा की जब साधू घुमने के लिए जाएगे तो भजन सुनना भी पसंद करेगे जो मुझे आते नही है ।

यह सोच कर उसने कहा की गुरूदेव जरा भजन करने वाले शिष्य को भी आने दो फिर हम तीनो साथ जाएगे । मगर यह सुन कर साधू ‌‌‌ने कहा की नही हमे उसकी कोई जरूरत नही है तुम हो न मेरी हिफाजत के लिए । तब फिर से उसने कहा की महाराज एक बार……………इतने मे साधू ने कहा की नही हम दोनो ही आज घूमने के लिए जाएगे ।

अब शिष्य को समझ मे आ गया था की आज तो गुरूदेव मेरे साथ ही जाएगे । इस कारण से दोनो (शिष्य और गुरू) चल पडे । इस ‌‌‌तरह से चलते चलते दोनो ने जंगल को पार कर लिया था । मगर अभी साधू डटने का नाम ही नही ले रहा था और शिष्य इस बारे मे साधू को कुछ कह नही सकता था ।

इस तरह से काफी समय हो जाने के बाद मे साधू को पता चला की वे तो अपनी कुटिया से काफी दूरी पर आ गए है । तभी उन्हे यह पता चला की अभी रात्रि होने मे ज्यादा ‌‌‌समय नही है । तब साधू ने शिष्य से कहा की अगर हम इस समय अपने निवास स्थान की और जाएगे तो आधे रास्ते मे ही रात हो जाएगी ।

ज्वार उठना मुहावरे का अर्थ

मगर पास में जो गाव दिख रहा है वहां जाएगे तो रात होने से पहले पहुंच जाएगे और हम इस गाव के बारे में भी पता कर कर आएगे । ताकी इस गाव में भी हमारे भग्त और शिष्य बन सके । इस ‌‌‌तरह से साधू के कहने पर शिष्य ने कुछ नही कहा बल्की वह अपने गुरू के साथ साथ चला गया ।

मगर जैसे जैसे वे गाव के पास जाते उन्हे पता चला की गाव काफी दूरी पर है और ‌‌‌गाव में पहुंचने पर हमे रात हो जाएगी । मगर साधू और शिष्य अब वापस जा नही सकते थे तो वे गाव की तरफ बढते गए । अंधेरा होते ही दोनो गाव में पहुंच गए तभी उन्हे ‌‌‌पता चला की आज तो गाव में भजन कीर्तन होने वाला है ।

यह जानकर साधू ने अपने शिष्य से कहा की चलो हम भी चलते है और भजन के मजे लते है । तब शिष्य ने कहा की गुरूदेव अगर वहां नही जाए तो अच्छा रहे क्योकी अगर उन्होने कह दिया की साधू को भजन करने दो तो हम क्या करेगे । तब साधू ने अपने शिष्य की बात पर ‌‌‌अमल किया और शिष्य से कहा की तुम ठिक कह रहे हो ।

इस तरह से साधू और शिष्य वहां नही ‌‌‌गए । मगर काफी समय बित जाने के बाद भी जब साधू को भजन की आवाज तक नही सुनाई दे रही थी तो साधू से रहा नही ‌‌‌गया और अपने शिष्य से कहा की चलो हम पता करके आते है आखिर बात क्या है भजन होने वाला था ओ हो क्यो नही रहे‌‌‌ है ।

इस तरह से साधू तैयार हो गया तो शिष्य ने उन्हे कुछ नही कहा बल्की आज्ञा का पालन करते हुए दोनो जाने लगे । कुछ ही समय में भजन कीर्तन वाले स्थान पर जा जहुंचे । उन्हे देखते ही एक व्यक्ति जोरो से बोल पडा की आज जो भजन करने वाले थे वे साधू यहां आ गए है । और इसी जोरो सोर मे साधू और उसके शिष्य ‌‌‌को मंच पर चढा दिया ।

मगर इस बिच साधू ने कहा था की हम भजन करने वाले नही है मगर बहुत शोर होने के कारण से उनकी आवाज किसी को सुनाई नही दी । मंच पर जाने पर सभी लोग शांत हो गए । तभी एक सेठ आया और उसने कहा की महाराज हम इस गाव में सबसे अधिक धनवान है और इस गाव मे हमारी काफी इज्जत है ।

मगर आज हमने जीस ‌‌‌व्यक्ति को भजन करने के लिए बुलाया था वह नही आया जिसके कारण से हमारी इज्जत मिट्टी मे मिलने वाली है । तो आप जरा भजन कीर्तन कर दे तो हमारी इज्जत ‌‌‌बच जाएगी और लोग हमे पहले की तरह ही मानने लगेगे । सेठ की बात सुन कर साधू को लगा की इसके साथ बूरा हुआ है जिसके कारण से सेठ मान गया ।

मगर तभी शिष्य ‌‌‌ने सेठ से कहा की महाराज आप भजन कीर्तन न करो तो अच्छा है । मगर अब साधू ने कहा की यहां एक व्यक्ति पर मुसीबत है और तुम हमे ज्ञान दे रहे हो तुम मेरे शिष्य हो इस कारण से मेरा सहयोग दो । साधू की ऐसी बात सुन कर शिष्य ने कहा की ठिक है गुरूदेव । इस तरह से साधू और शिष्य भजन करने के लिए बैठ गए ।

‌‌‌कुछ ही समय मे भजन शुरू किया गया जिसे सुनकर ‌‌‌जनता खुश हो रही थी पहला ही भजन था और आधा पहुंचा ही था की साधू आगे क्या बोलना है भूल गया । जिसके कारण से साधू ने भजन रोक दिया । और सोचने लगा की आखिर आगे क्या बोलना है ।

अब इस बारे मे शिष्य को भी नही पता था तो दोनो सोचने लगे तभी साधू को भजन की एक ‌‌‌लाईन याद आ गई तो वह उसे बोलने लगा । मगर उसे बोलने के बाद मे फिर साधू आगे क्या है भजन मे भूल गया । जिसके कारण से फिर से साधू सोचने लगा । यह देख कर ‌‌‌जनता को कुछ समझ मे नही आ रहा था ।

कुछ ही देरे के बाद मे फिर से साधू भजन करने लगा था । इस तरह से एक भजन तो हो गया । मगर अब अगला भजन साधू को थोडा बहुत ‌‌‌ही याद था जिसके कारण से फिर उसने बोलना शुरू किया । मगर जैसे ही भजन थोडी दूर पहुंचा तो साधू वापस भूल गया और भजन को याद करने लगा ।

मगर साधू को याद नही आ रहा था । मगर दस मिनट के बाद में फिर से साधू ने भजन का अगला भाग बोला और फिर वापस रूक गया । यह देख कर सेठ खडा होकर साधू के पास आया और कहने लगा ‌‌‌की महाराज ये क्या कर रहे है आप तो ज्वार उठा  कर भजन कर रहे हो ।

मगर अब साधू ने कहा की आप आराम करो मैं सही तरह से करता हूं । इस तरह से सेठ वापस जाकर बैठ गया मगर साधू को भजन नही आ रहे थे जिसके कारण से उसने इसी तरह से भजन किए। जिसे सुन कर एक एक कर कर सभी लोग जाने लगे और सभी कहने लगे की इस ‌‌‌साधू को ज्वार उठाकर भजन करना आता है ।

इस तरह से साधू को भजन नही आते है यह बात गाव के लोगो को पता चली । साथ ही उस सेठ से अगले दिन लोगो ने कहा की जरा पैसे खर्च कर कर अच्छे भजन करने वालो को लेकर आना था । मगर सेठ क्या कह सकता था । इसी तरह से साधू को भी पता चला की लोग ‌‌‌उसके बारे में कह रहे है की साधू तो ज्वार उठा कर भजन करता है ।

ज्वार उठना मुहावरे का अर्थ

‌‌‌तब साधू को समझ मे आया की आज उसका शिष्य अगर उसके साथ होता तो यहां पर मेरी ही वाह वाह होती । तब साधू ने अपने शिष्य से कहा की हमे भजन करने वाले शिष्य को भी अपने साथ रखना चाहिए था और इस छोटी सी गलती के कारण से हमे लोग बुरा भला ‌‌‌कह रहे है ।

इस तरह से साधू और वह शिष्य अपने निवास स्थान की ‌‌‌ओर लोट गए और वहां पर पहुंचते ही अपने शिष्य को सारी बात कही और कहा की मैं तुम्हे लेकर नही गया था । जिसका परिणाम यह हुआ की आज वहां के लोग मुझे ज्वार उठा कर भजन करने वाला कह रहे है ।

मगर शिष्य ने कहा की गुरूदेव जब आपको पता था की ‌‌‌भजन नही आते है तो नही करने का था । तब गुरू ने कहा की तुम सत्य कह रहे हो शिष्य । इस तरह से फिर साधू ने कभी भी भजन नही किए थे ।

इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की ज्वार उठना क्या होता है ।

ज्वार उठना मुहावरे पर निबंध || jwar uthana essay on idioms in Hindi

दोस्तो अगर आपने इस मुहावरे को पढा है तो आपको पता है की jwar uthana muhavare ka arth – भूली हुई बात का अचानक याद आना होता है । और इसका मतलब है की जब कोई व्यक्ति अपने जीवन में भुली हुई बात को फिर से याद कर लेता है या फिर कहे की वह बात अचानक से याद आ जाती है तो वहां पर इसका वाक्य में प्रयोग किया जा सकता है ।

जैसे की आप और आपका मित्र एक दूसरे से बात कर रहे है । मगर अचानक से आप कोई बात अपने मित्र को कहते हो जो की भुल जाते हो और काफी याद  करने पर भी आपको वह बात याद नही आती है। मगर कुछ समय बितने पर वह बात अचानक से आपको याद आ जाती है और आप अपने मित्र को वह बात बता देते हो ।

तो इस तरह से अचानक से भुली हुई बात जब याद आ जाती है तो वहां पर कहा जा सकता है की आपका ज्वार उठ रहा है । और इस तरह से इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग किया जाता है ।

very very most important hindi muhavare

मिट्टी में मिलाना मुहावरे का मतलब और वाक्य व कहानी

नजर चुराना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

चुल्लू भर पानी में डूब मरना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

बाल बाँका न होना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

घमंड में चूर होना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

डींग हाँकना (मारना) मुहावरे का मतलब और वाक्य में प्रयोग

छाती पर साँप लोटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

धाक जमाना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

जली कटी सुनाना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

सिर पर कफन बांधना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

धूप में बाल सफेद करना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

घाव पर नमक छिड़कना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

जिसकी लाठी उसकी भैंस का अर्थ और वाक्य व कहानी

चींटी के पर निकलना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नुक्ताचीनी करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व निबंध

नाच नचाना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पीठ ठोंकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नानी याद आना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

धूल में मिलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

धज्जियाँ उड़ाना का मतलब और वाक्य व निबंध

दूर के ढोल सुहावने का मतलब और वाक्य व कहानी

मजा किरकिरा होना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

दिन फिरना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

दाँत पीसना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व निबंध

तूती बोलना मुहावरे का मतलब और वाक्य व कहानी

मुंह ताकना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

मुँह मोड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मेंढकी को जुकाम होना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

दो नावों पर पैर रखना का मतलब और वाक्य व कहानी

तारे गिनना मुहावरे का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

तेली का बैल होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दम भरना का मतलब और वाक्य व कहानी

टूट पड़ना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

आग में कूदना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हाथ खाली होना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

हाथ तंग होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व निबंध

आसन डोलना मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।

Leave a Reply