चींटी के पर निकलना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

चींटी के पर निकलना मुहावरे का अर्थ chinti ke par nikalna muhavare ka arth – ‌‌‌मृत्यु नजदिक आना ‌‌‌या अपने आप पर घमंड होना

दोस्तो चींटी एक छोटा जीव है जो बरसात की गर्मी के कारण से धरती से बाहर आता है । और उसी समय इन चींटियो के पर निकलते है। जिसके कारण से ये ‌‌‌चींटी उडने लगती है । ‌‌‌इस तरह से उडने के कारण इन चींटीयो को अपने आप पर घमण्ड हो जाता है । ‌‌‌इस कारण से घमंड होने के कारण इन चींटियों के पर वापस  नष्ट हो जाते है तो ज्यादातर चींटियो की मृत्यु हो जाती है ।

इस तरह से जब चींटी के पर निकलते है ‌‌‌तब उन्हे अपने आप पर धमंड होता है और ‌‌‌वे मृत्यु के नजदिक पहुंच जाती है । इसी तरह से जब ‌‌‌किसी व्यक्ति को ‌‌‌घमंड हो जाता है या मृत्यु के नजदिन पहुंच जाता है तब इसे चींटी के पर निकलना कहा जाता है ।

चींटी के पर निकलना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • रामलाल के ‌‌‌बढते घमण्ड को देख कर गाव के लोग कहने लगे की चींटी के पर निकल आए है ।
  • ‌‌‌लगता आज कल चींटी के पर निकल आए है तभी तुम ऐसी बाते कर रहे हो ।
  • रामलाल के पास जरा सी दोलत क्या आ गई उसे तो अपने आप पर घमंड हो गया ‌‌‌लगता है ‌‌‌इसे कहते चींटी के पर निकलना।
  • जब से सुनिल की नोकरी लगी है तब से वह किसी के साथ बात नही करता है इसे तो चींटी के पर निकलना कहा जाता है ।
  • रामवतार की बात सुन कर लगता है की चींटी के पर निकल आए है ।
  • प्रसांत के चींटी के पर निकल आए है जो उस गुडे से लडाई कर रहा है ।।

चींटी के पर निकलना ‌‌‌मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे खिचडचंद नाम का एक आदमी अपने पिता के साथ रहा करता था । खिचडचंद के पिता गाव के ‌‌‌धनवान लोगो मे से एक थे । उनका स्वभाव इस तरह का था की जो भी कोई उन्हे मुसीबत मे दिख जाता तो वे उसकी ‌‌‌आदत कर देते थे ।

इस तरह की ‌‌‌आदत खिचडचंद को बिल्कुल अच्छी ‌‌‌नही लगती थी । क्योकी वह अपने पिता के जैसा नही था । पर उसे पता था की अगर वह अपने पिता से कुछ कह देगा तो वे फिर उसे अपने घर से निकाल देगे ।

इस कारण से खिचडचंद अपने पिता से कुछ भी नही कहता था । जब खिचडचंद काफी बडा हो गया तो उसके पिता ने उसका विवाह कर दिया था । जिसके कारण से अब खिचडचंद के ‌‌‌घर मे उसकी पत्नी और रहने लगी थी ।

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इस तरह से अब खिचडचंद काम करने के लिए शहर जाने लगा था । जिसके कारण से उसे बहुत पैसे मिलने लगे । इस कारण से एक दिन की बात है उस दिन खिचडचंद अपने पिता के साथ बाते कर रहा था ।

तभी उनके पास गाव के कुछ लोग आए । जिन्होने गाव के विकाश के लिए खिचडचंद के ‌‌‌पिता से ‌‌‌मदत मागी । जिसके कारण से खिचडचंद ने अपने पिता से कहा की पिताजी इन्हे पैसे मत देना ।

पर उस समय खिचडचंद के पिता ने उसकी एक भी बात नही सुनी बल्की बहुत रूपय गाव के लोगो को दे दिए । रूपय लेकर गाव के लोग वहा से चले गए थे ।

तब पिछे से खिचडचंद अपने पिता से कहने लगा की पिताजी आप ऐसे ‌‌‌कैसे लोगो को पैसे देने लगे हो साथ ही उसने कहा की मैं जो कमा कर लाता हूं आप इसी तरह से लोगो में बाट देते हो आपको पता नही क्या मैं किस तरह से पैसे ‌‌‌कमाता हूं ।

 तब खिचडचंद के पिता ने कहा की बेटा तुम जो कमा कर लाते हो उन्हे अपने पास ही रख लिया करो । क्योकी मैं तुम्हारे पैसो से लोगो की ‌‌‌मदत नही करता हू । ‌‌‌बल्की मेरे पास जो भी है वह लोगो को देता हूं ।

तब खिचडचंद अपने पिता की बात नही सुन रहा था बल्की उनसे झगडा करने लगा था । तब खिचडचंद को उसके पिता ने कहा की लगता है चींट के पर निकल आए है जो अपने बाप से इस तरह से बात कर रहा है ।

तब खिचडचंद को उसके पिता ने कहा की आज के बाद तुम तुम्हारे पैसे ‌‌‌अपने पास रखना और तुम मेरे घर से निकल जाओ । इस तरह से फिर खिचडचंद ‌‌‌को उसके पिता ने अपने घर से निकाल दिया था ।

तब खिचडचंद भी अपने पिता से रूठ कर अपनी पत्नी को साथ लेकर शहर जाकर रहने लगा था । तब वह अपने पिता से भी धनवान बनने के लिए उसने गलत लोगो का साथ ले लिया । वह एक गुंडे के साथ रहने लगा ‌‌‌था और उसके साथ ही गलत काम करने लगा ।

जिसके कारण से खिचडचंद को पैसे तो बहुत मिलते थे पर इस तरह से फिर खिचडचंद बात बात पर किसी से भी लडाई करने लगा । इस तरह से उसके लडने के कारण से हर कोई उससे नफरत करने लगा था ।

पर वह एक गुंडे के साथ रहता था जिसके कारण से कोई भी उसे कुछ नही‌‌‌ कहता था । तब एक दिन की बात है गाव के कुछ लोग शहर गए हुए थे तो उन्होन देखा की खिचडचंद गुंडे के साथ रह कर गलत काम कर रहा है ।

साथ ही वह मार पीट भी कर रहा है । तब उन लोगो को यह भी पता चला की वह शहर के धनवान लोगो मे से एक है । तब उन लोगो ने खिचडचंद के बारे मे और पता लगाया तो उन्हे पता चला की लोग ‌‌‌इसे जरा भी ‌‌‌पसंद नही करते है ।

चींटी के पर निकलना ‌‌‌मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

साथ ही इसने इतने दुश्मन बना रखे है की इसे किसी भी समय कुछ भी हो सकता है । यह बात जानकर वे लोग अपने गाव मे आ गए और खिचडचंद के पिता के पास जाकर कहने लगे की आपने अपने बेटे को घर से तो निकाल दिया पर अब वह इस तरह का काम कर रहा है ‌‌‌जिससे लगता है की चींटी के पर निकल आए है ‌‌‌।

इतना सुन कर खिचडचंद के पिता ने गाव के लोगो से कहा की आप क्या कहना चाहते है साफ साफ कहो । तब लोगो ने खिचडचंद के बारे मे उसके पिता ‌‌‌को उसके बारे मे पूरी बात बताई । तब अपने बेटे के बारे मे जानकर उसका पिता बहुत ही दुखी हो गया ।

 इसी तरह से जब अगला दिन हुआ तो उसके पिता को पता चला की खिचडचंद को ‌‌‌कुछ लोगो ने जान से मार डाला । यह जान कर वह बहुत ही दुखी हो गया था । तब खिचडचंद का पिता अपने बेटे की मोत का कारण अपने आप को मानने लगा था ।

वह सोचने लगा था की अगर उस दिन मैं उसे अपने घर से नही निकालता तो आज उसकी इस तरह से मोत नही होती । इस बात को वह ‌‌‌बर्दाश नही कर सके ‌‌‌जिससे सदमे से उनकी ‌‌‌भी मोत हो गई ।

इस तरह से फिर खिचडचंद की पत्नी ही जीवत रही थी। जो फिर अपने माता पिता के पास जाकर रहने लगी और फिर उसने वही पर अपना सारा जीवन गुजारा । इस तरह से आपको इस कहानी से पता चल गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

चींटी के पर निकलना मुहावरे पर निबंध || chinti ke par nikalna essay on idioms in Hindi

दोस्तो यह तो आपको पता ही होगा की बारीस के समय चिंटी के पर निकल आते है और पर निकलने के बाद में उनकी मृत्यु होना निश्चित है तो इस बात से आप यह समझ सकते है की चींटी के पर निकलना मुहावरे का अर्थ मृत्यु नजदिक आना ‌‌‌या अपने आप पर घमंड होना होता है ।

अब किसी व्यक्ति की मोत नजदिनक आ जाती है और मृत्यु आने के अनेक कारण होते है जिनमे से बीमारी भी एक होती है । तो अगर किसी की मृत्यु नजदीक आ जाती है तो उस समय इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है ।

जैसे की कहानी में भी तो आपने यह पढा था की किस तरह से एक व्यक्ति की मृत्यु का समय आ गया था तो उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया गया था और आप इसी तरह से समझ सकते है की आपको कहा पर इसका प्रयोग करना है ।

रही बात अर्थ समझने की तो वह तो आप पहले ही समझ गए है ।

‌‌‌निचे ऐसे मुहावरों की लिंक दी गई है जो ज्यादातर काम मे लिए जाते है ।

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तीन तेरह करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

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गुड़ गोबर करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।