चनेकेझाड़परचढ़ानामुहावरेकाअर्थ chane ke jhad par chadhana muhavare ka arth – किसीव्यक्तिकीझूठीप्रसंसाकरतेहुएउसेश्रेष्ठबताना।प्रसंसाकरनायाबढाईकरना।
दोस्तो चने का झाड़ यहां पर चने के पेड को कहा गया है जो काफी अधिक नाजूक होता है । क्योकी चने का पेड थोडी बहुत मुसीबत से निचे आ पडता है । और जब इस पेड पर किसी मनुष्य को चढाया जाता है तो वह पल भर मे निचे आ जाता है और चने का पेड टूट जाता है यह आपको पता है ।
मगर इसी तरह से जब कोई किसी व्यक्ति की झूठी प्रशंशा करता है तो वह व्यक्ति खुश तो बहुत होता है और अपने आप को श्रेष्ठ मानने लग जाता है । मगर असल मे यह झूठ कुछ ही पल का होता है और जब झूठ टूट जाता है यानि झूठ का पता चल जाता है तो वह व्यक्ति वापस समान्य की तरह हो जाता है । यानि वह व्यक्ति श्रेष्ठ साबित नही रहता है ।
जो की चने के झाड़ पर चढने के बाद मे वापस गिर जाने के समान होता है । मगर इस तरह से कुछ पल के लिए झूठी प्रशंशा कर कर जब किसी व्यक्ति को श्रेष्ठ बना दिया जाता है तो इसे चने के झाड़ पर चढाना कहा जाता है ।
class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">चने के पेड पर चढ़ाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग // use of idioms in sentences
अध्यापक के पूछे गए प्रशन का किसी को उतर नही आ रहा था मगर सुनिता ने उतर सही तरह से दे दिया जिसके कारण से कलाश की लडकियों ने सुनिता को चने के झाड पर चढा दिया ।
गाव के लोगो ने महेश को चने के झाड पर चढोकर कुश्ती लडने के लिए तो भेज दिया मगर कुश्ती मे महेश बहुत ही बुरी तरह से हारा जिसके कारण से वह स्वयं से भी नजरे नही मिला पा रहा था ।
घर मे सांप आ जाने के कारण से सभी बहुत बुरी तरह से डर रहे थे तभी वहां पर राहुल आ गया तो घर के लोगो ने उसे चने के झाड पर चढो कर सांप को भगाने के लिए भेज दिया मगर वह सांप से डर कर वापस भाग आया ।
किशोर ने चंद रूपयो के लिए राहुल को चने के झाड पर चढाकर उसके ही दूश्मन से पिटवा दिया ।
रिया कहने लगी की जब से राहुल आया है तब से ही भैया अपनी कमाई के चंद पैसो के कारण से अपने आप को बडा मानने लगे है जरूर राहुल ने ही इन्हे चने के झाड पर चढाया होगा ।
सुरिली अपनी सहेली निलम की बडाई कर रही थी तभी निलम की मां ने कहा की आज सुरिली किस बात पर तुम्हे चने के झाड पर चढाने आई है ।
जब महेश ने किशोर के मुह से अपनी बहुत अधिक प्रशंशा सुनी तो किशोर ने कहा की भाई तुम आज क्यो मुझे चने के झाड पर चढो रहे हो ।
पार्वती ने सरोज को चने के झाड पर चढोने की बहुत कोशिश की मगर सरोज ने पार्वती की एक भी बात पर ध्यान नही दिया ।
चनेकेझाडपरचढोनामुहावरेपरएककहानी
प्राचीन समय की बात है किसी नगर मे एक साधू बाबा रहा करता था जो बहुत ही ज्ञानी था । वह साधू बाबा लोगो को अपनी कहानियो से जीवन में हो रही बातो को सही तरह से समझाने के लिए बहुत ही प्रसिद्ध था । उनकी इन्ही कहानी के कारण से उस नगर के लोग हर दिन उनके पास आते रहते थे । यहां तक की जब भी कोई परेशानी होती तो वहां के लोग साधू बाबा से कह दिया करते थे ।
जिसके कारण से साधू बाबा उनकी परेशानी को दूर करता था । इसी तरह से एक बार की बात है उस नगर मे किशोर नाम का एक आदमी रहा करता था वह लोगो की बातो मे आ जाता था और गलत कार्य कर बैठता था ।
एक दिन उसके साथ इसी तरह से हुआ उस दिन किशोर के पास एक व्यक्ति आया और उसने किशोर की जम कर तारिफ की और कहने लगा की गाव में तुम जैसा व्यक्ति कहा देखने को मिलगा । तुम जैसा तो बलवान यहां पर आखिर कोई हो सकता है क्या । इस तरह से कह कह कर वह व्यक्ति किशोर को बलवान बताने लगा ।
जिसकी बाते सुन सुन कर किशोर को भी लगा की मैं बलवान हूं । इस बात को कुछ ही दिन बिते थे की गाव में एक पहलवान आया जो गाव के लोगो को हराने की बात कहने लगा था । साथ ही वह पहलवान गाव के लोगो को कह रहा था की इस गाव में ऐसा कोई नही है जो मुझे हरा सके । इसके अलावा किशोर का वह पहलवान दूश्मन और था ।
मगर तभी वह व्यक्ति आ गया जो पहले किशोर को अपनी बातो से बलवान कह रहा था । अब वह फिर से किशोर के पास आकर कहने लगा की मैंने तुम्हे देखा है की तुम कितने बलवान हो तुम तो इस तरह के पहलवानो को कुछ ही समय में हरा सकते हो । तुम्हारे जैसा आखिर यहां पर है जिसमें तुम्हारे जीतना बल हो ।
अब यह बात सुन सुन कर किशोर अपने आप को ताक्तवर समझने लगा था और वह मानने लगा था की उसके जीतना बलशाली तो पहलवान है ही नही । इसी सोच के साथ किशोर ने पहलवान को ललकार दिया । अब किशोर पहलवान यानि अपने दूश्मन को हराने की सोच कर मैदान मे उतर गया ।
मगर पहलवान ने मैदान मे किशोर का बडा बूरा हाल किया । जिसके कारण से किशोर हारा सो हारा साथ ही उसके शरीर में भी दर्द दोडने लगा था । यह सब होने के बाद में किशोर को यह तो पता चल गया की बलवान नही है । मगर तभी उसे पता चला की वह व्यक्ति जो उसे बलवान कह रहा था दरसल वह पहलवान की तरफ था और मुझे मैंदान मे उतारने के लिए ऐसा कर रहा था ।
यह जानने के बाद मे किशोर को बडा बूरा लगा । अब इस बात को लेकर किशोर दूसरे दिन उस साधू बाबा के पास गया और अपनी घटना सुनाई । तब साधू बाबा ने कहा की बालक तुम्हारे साथ तो वही हो गया जो अजगर के सामने जाने पर सांप का हुआ था । यह सुन कर किशोर ने कहा की सांप के साथ क्या हुआ था । साथ ही वहां पर बैठे लोगो ने कहा की सांप के साथ क्या हुआ ।
तब साधू बाबा ने कहा……………………………
की एक बार की बात है एक सुनसान जगल हुआ करता था । वहां पर बहुत से जीव जन्तु रहते थे जिनमे से ही एक सांप था । मगर उन सभी जीवो पर एक बडी मुसीबत छाई हुई थी । यानि जंगल के हर जीव को एक बडा अजगर खा कर नष्ट करते जा रहा था । जिसके कारण से सभी के जीवन संकट मे थे । हर एक दिन बितता तो किसी न किसी जीव का अंत जरूर हो जाता था ।
इस तरह से सभी जीव बहुत ही परेशान थे । मगर तभी उन सभी को सांप का ख्याल आया क्योकी उन्हे पता था की उनके साथ एक सांप भी रहता है जो काफी अधिक जहरीला है अगर वह किसी जीव को एक बार काट लेता है तो उस जीव का अंत जरूर होता है ।
बस यही कारण था की जंगल के सभी जीवो को लगा की वह सांप अजगर को भी मार देगा । मगर सांप को इस बारे मे पता था क्योकी वह जानता था की अजगर उससे बडा शक्तिशाली और जहरीला है । मगर जब जंगल के सभी जीवो ने सांप से उसके जहरीला होने की तारीफ की तो सांप को लगा की वह जंगल मे सबसे जहरीला जीव है ।
मगर अभी भी वह अजगर को अपने से बडा जहरीला मानता था । मगर जैसे जैसे एक दिन बितता जाता तो जंगल के जीव सांप के पास जाकर उसकी तारिफ करने लगे और कहने लगे की अजगर तुम्हारे आगे क्या है अगर तुम उसे भी एक बार काट लोगे तो वह अपने आप नष्ट हो जाएगा ।
इसी तरह से लगातार 10 दिनो तक होता रहा । जिसके कारण से सांप अपने आप को अजगर से श्रेष्ठ समझने लगा था । अब 11 वे दिन सभी जंगल के जीवो ने सांप को अजगर को नष्ट करने के लिए भेज दिया था । और अब सांप यह तक भूल गया की उससे अधिक शक्तिशाली और जहरीला अजगर है ।
बल्की वह अपने आप को बहुत ही जहरीला मानने लगा । और सांप के पास जाकर कहने लगा की मैं तुम्हारा आज अंत बनकर आया हूं । तब अजगर जोर से हंसता और कहता की एक किडा पहाड को कुचलने के लिए चला है । और इतना कह कर अजगर हसंने लगा ।
मगर सांप को लोगो ने इतना अधिक श्रेष्ठ बना दिया था की वह अजगर को अपने आगे किडा समझने की भूल कर बैठा और उसे काट दिया । मगर इससे अजगर को जरा भी फर्क नही पडा बल्की सांप स्वयं ही अजगर के जहर से संकट मे आ गया । जिसके कारण से सांप को चक्कर आने लगे ।
मगर उसने किसी तरह से अपना ठिकाना पकड लिया । और जंगल के जीवो के पास चला गया । मगर वहा जाते ही उसकी आंखे बद हो गई । मगर खुशी की बात यह रही की शांप का अंत नही हुआ बल्की दो दिनो के बाद मे जब सांप को होस आया तो उसे पता चला की उसे लोगो ने प्रशंशा करते हुए श्रेष्ठ शाबित कर दिया ।
असल मे सांप को यकिन हो गया की वह बलवान नही है बल्की वह अजगर के सामने किडा है । मगर उसे क्रोध भी आया की जंगल के जीवो ने उसके साथ अच्छा नही किया । तब वह जंगल के किसी एक जीव को काट देता है । मगर अब सांप देख कर हैरान हो जाता है क्योकी वह जीव जिसे सांप ने काटा था उसे किसी प्रकार का असर नही हुआ ।
तब सांप को पता चला की उसका सारा जहर नष्ट हो गया है । यह जंगल के जीवो को भी पता चला तो वे साफ को कुछ नही समझने लगे थे । अब जैसे जैसे दिन बितता सांप जंगल के जीव के सामने लाचार बन गया और जंगल के जीव उसका मजाक बनाते मगर सांप कुछ नही कर सकता था ।
इस तरह से कहते हुए साधू बाबा ने किशोर से कहा …………… की बिल्कुल सांप के साथ जो हुआ वही तुम्हारे साथ हुआ । साथ ही कहा की सांप को जंगल के जीवो ने चने के झाड पर चढो दिया था और उसी तरह से किशोर तुम्हे भी उस व्यक्ति ने चने के झाड पर चढा दिया था । जिसके कारण से नुकसान सांप और तुम्हारा ही हूआ । तब भी किशोर कुछ समझ नही पाया ।
तब किशोर ने कहा की मतलब बाबा । तब साधू बाबा ने कहा की किशोर तुम्हे उस व्यक्ति ने झूठी तारिफ कह कर चने के पहाड पर चढाया था यानि तुम्हे श्रेष्ठ बनाया था जिस तरह से सांप के साथ हुआ । और जब वह अजगर और तुम पहलवान से लडने के लिए गए तो तुम्हारा नुकसान हो गाया ।
अंत मे साधू बाबा ने कहा की कभी कोई व्यक्ति अगर आपकी झूठी तारिफ करे तो समझ जाना की वह आपको चने के झाड पर चढा रहा है । तब उसकी बातो पर यकिन मत करना क्योकी वह आपके लिए नुकसान दायक हो सकता है । इस तरह से गाव के सभी लोग चने के झाड पर चढाना को समझ गए थे ।
इस तरह से आप भी इस कहानी से मुहावरे का अर्थ समझ गए होगे ।
चने के झाड पर चढाना मुहावरे पर निबंध essay on idiom
साथियो चने के पेड पर जब सामान्य से अधिक चनो की सख्या हो जाती है तो चना टूट जाता है । उसी तरह से अगर मनुष्य को झूठी प्रशंशा करते हुए उसे श्रेष्ठ बना दिया जाता है वह मनुष्य भी संकट मे चला जाता है । जिस तरह से कहानी में बताया गया की किशोर और सांप दोनो की झूठी प्रशंशा की गई और दोनो ही चने के झाड पर चढ गए ।
जिसके कारण से नुकसान दोनो का ही होता है । बिल्कुल इसी तरह से संसार मे आज हो रहा है क्योकी जो व्यक्ति समझदार होता है वह दूसरो को झूठी प्रशंशा करते हुए अपना काम निकाल लेता है । क्योकी प्रशंशा करने पर ऐसा लगता है की मानो वह सच कह रहा है बस यही चने के झाड पर चढाना होता है ।
यानि किसी व्यक्ति की झूठी प्रशंशा करते हुए उसे श्रेष्ठ बताना । प्रसंसा करना या बढाई करना । इस तरह से इस मुहावरे का वही प्रयोग होता है जहां पर प्रशंशा करने की बात होती है । इस तरह से आप समझ गए होगे ।
चने के झाड़ पर चढ़ाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of chane ke jhad par chadhana in Hindi
दोस्तो अगर आप गांव में रहते है या फिर आप खेती का काम करते है या फिर आपके माता पिता खेती का काम करते है तो आपने जरूर ही चने की झाड़ यानि पेड़ को देखा होगा ।
दरसल चने का जो पेड़ होता है वह काफी कच्चा होता है जिसके कारण से अगर उस पर जरा सा वजन डाला जाता है तो वह टूट पड़ता है । तो ऐसे में अगर आप उस तरह के पेड़ पर चढते है या फिर आपको कोई चढाता है तो इसका मतलब यही हुआ की आपको कोई बेवकुफ बनाने काम कर रहा है ।
वैसे अगर इसके अर्थ की बात करे तो chane ke jhad par chadhana muhavare ka arth – किसी व्यक्ति की झूठी प्रसंसा करते हुए उसे श्रेष्ठ बताना । प्रसंसा करना या बढाई करना होता है और जहां पर इसका अर्थ प्रकट होता है वही पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।
मेरा नाम मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।