जान बची तो लाखों पाए का मतलब और वाक्य व कहानी

जान बची तो लाखों पाए मुहावरे का अर्थ jaan bachi to lakho paye muhavare ka arth – मुसीबत से बच निकलना

दोस्तो ‌‌‌जब कोई व्यक्ति किसी मुसीबत मे फस जाता है तो वह व्यक्ति उस मुसीबत से निकलने ‌‌‌की बहुत कोशिश करता है । इस कारण से वह अपने पास जो भी होता है वह दुसरो को देने के लिए तैयार ‌‌‌भी हो सकता है । चाहे फिर वह उसके पूरे जीवन की कमाई ही क्यो न हो ।

क्योकी तब वह व्यक्ति सोचता है की अगर मेरी जान बच गई तो मैं ‌‌‌वापस धन कमा सकता हूं । अगर मेरी जान नही बची तो मैरा यह धन भी कोई काम का नही होगा । ‌‌‌इस कारण से जब वह व्यक्ति किसी तरह से मुसीबत से बच निकलता है । तब इस मुहावरे का प्रयोग करते हुए कहा जाता है की जान बची तो लाखो पाए ।

जान बची तो लाखों पाए का मतलब और वाक्य व कहानी

‌‌‌जान बची तो लाखों पाए मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग jaan bachi to lakho paye muhavare ka vakya me prayog

  • ‌‌‌हरीराम ने अपनी जीवन भर की कमाई चोरो को दे दि क्योकी चोर पैसो के लिए उसे मारने पर तुल गए थे । ‌‌‌मगर पैसे मिलते ही चोर वहा से फरार हो गए और हरीराम की जान बच गई , तब हरीराम कहने लगा जान बची तो लाखों पाए ।
  • पिताजी कई दिनो से बिमार चल रहे थे तो श्याम डॉक्टर ने पैसे लेकर उनका इलाज कर दिया तब मैने कहा की जान बची तो लाखो पाए ।
  • लुटेरो ने आज तो मुझे मार ही दिया होता परन्तु एन मोके पर पुलिस आ गई जिसके कारण से मै लुटेरो के चगुल से निकल गया जान बची तो लखों पाए ।
  • ‌‌‌जब महेश को पता चला की सेठ ही गाव के लोगो का खुनी है तो महेश ‌‌‌ने तुरन्त बहाना बनाकर सेठ का काम छोड दिया और सोचने लगा की जान बची तो लाखों पाए ।
  • अगर आज प्रताब नही आता तो मेरा अंत निश्चित था जान बची तो लाखों पाए ।

‌‌‌जान बची लाखों पाए मुहावरे पर कहानी jaan bachi to lakho paye muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक साधू रहा करता था । साधू के पास तिन शिष्य रहा करते थे । जो तरह तरह के कार्य करते थे । क्योकी तिनो के विचार अलग अलग थे । इस कारण से कोई भी एक जैसा नही सोचता था । साधू अपने तिनो शिष्यो से कहता की चाहे जो भी मुसीबत ‌‌‌हो अगर तुम तिनो उसमे एक साथ हो जाओगे तो तुम उस मुसीबत से छुटकारा आराम से पा सकते हो ।

यह बात साधू के तिनो शिष्या को अच्छी नही लगती थी । क्योकी साधू के तिनो शिष्य एक दुसरे से नफरत करते थे । उन शिष्यो मे से सबसे बडे वाले का नाम कालू था । वही एक था जो अपने गुरूजी की बात हमेशा मानता था ‌‌‌इस कारण से उसने उसी दिन अपने साथियो से दोस्ती करनी चाही परन्तु बाकी दो शिष्य उससे नफरत करते थे ।

इस कारण से उन्होने उसकी बात नही मानी । साधू अपने तिनो शिष्यो ‌‌‌के साथ रोजाना तरह तरह के गावो मे जाता था । ‌‌‌जिसके कारण से कभी कभी उन्हे जंगल मे भी अपना समय बिताना पडता था । ‌‌‌जगल मे रहने के कारण से उन्हे जंगली जानवरो से खतरा भी रहता था ।

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जिसके कारण से साधू अपने तिनो शिष्यो मे से एक एक को बारी बारी रात को पहरा देने को कहता था । इसी तरह से साधू की बात मान कर उसके शिष्य बारी बारी पहरा दिया करते थे । इसी तरह से एक दिन की बात है साधू पास के गाव मे जा रहा ‌‌‌था । इस कारण से उसे रास्ते मे ही ‌‌‌रात हो गई थी ।

इस कारण से साधू ने वही पर रहने का फैसला किया था । परन्तु जीस जगह पर अब साधू था वह एक भयानक जंगल था । जहा पर कोई भी अकेला रहेगा तो उसे जगली जानवरो से खतरा रहता था । इसी बात को ध्यान मे रख कर साधू ने उस दिन कालू और ‌‌‌अपने एक ओर शिष्य को पहरा देने ‌‌‌को कहा था ।

तब कालू और उसका साथी पहरा दे रहे थे । तभी उन्हे किसी की आवाज ‌‌‌सुनाई दी । जिसके कारण से वे उस आवाज का पता लगाने के लिए एक साथ चले गए थे । कुछ दूरी पर जाने के बाद मे कालू और उसके साथी को कुछ आदिवासियो ने पकड लिया था । उस समय के आदिवासी मांसाहारी हुआ करते थे ।

जिसके कारण से ‌‌‌वे मनुष्य को भी जीवत खा जाते थे । क्योकी कालू और उसका साथी उनकी बिरादरी का नही था । इस कारण से उकनी भी ‌‌‌बली देकर आदिवासी खाने ही वाले थे की साधू उनके पास आग गया ।

साधू को आदिवासियो की भाषा आती थी जिसके कारण से उसने आदिवासियो से बात कर कर उन दोनो की जान बचा ‌‌‌ली थी । जान बच जाने के बाद मे साधू उन दोनो ‌‌‌शिष्यो को अपने साथ अपने स्थान पर लेकर जाने लगा । तभी ‌‌‌उनके सामने एक शेर आ गया । जिसे देख कर सभी आदिवासी वहा से भाग गए ।

यह देख कर साधू भी वहा से भागने लगा । तभी अचानक कालू वही पर पड गया । जिसके कारण से शेर उसे मारकर खाने ही वाला था की पिछे से साधू के दुसरे ‌‌‌शिष्य ने शेर का ध्यान अपनी और कर लिया जिसके कारण से कालू वहा से भाग निकला ।

 इसी तरह से फिर साधू के तिसरे शिष्य ने कर लिया । इस तरह से फिर वे सभी शेर के चंगुल से बच निकले । साधू अपने शिष्यो को इस तरह से बाहदुरी दिखाने के लिए शाबासी देने लगा था और फिर कहा की आज तो ‌‌‌हमारी जान बच गई, वरना हम तो मारे जाते ।

तभी साधू को याद आया की उसकी झोली मे से उसकी मूल्यवान पुस्तक शेर की ‌‌‌ओर गिर गई है । जब शिष्यो को इस बारे मे पता चला तो वे उसकी पुस्तक लाने के लिए जाने लगे थे । तब साधू ने कहा की कोई बात नही पुस्तक शेर के पास गिर गई है तो जान बची तो लाखे पाए ।

ऐसा कहने ‌‌‌के बाद मे साधू ने उन शिष्यो को अपने साथ चलने को कहा । इस तरह से फिर साधू उस पुस्तक के बिना ही अगले नगर को पहुंच गया । जब शिष्यो ने साधू से पूछा की आपकी पुस्तक वहा रह गई फिर भी आप आराम से इस नगर मे आ गए ऐसा कुछ नही था क्या उस पुस्तक मे ।

यह सुन कर साधू ने कहा………… की वह पुस्तक तो बहुत मूल्यवान थी पर अपनी जान से नही ‌‌‌ज्यादा मूल्यवान नही थी । अगर हम वह पुस्तक लेने के लिए फिर जाते तो हम वापस जीवित आते की नही कह नही सकते थे जान बची ‌‌‌तो लाखो पाए । ऐसा कहते हुए साधू ने कहा की वह पुस्तक कभी न कभी और आ जाएगी ।

‌‌‌जान बची लाखों पाए मुहावरे पर कहानी jaan bachi to lakho paye muhavare par kahani

इस तरह से शिष्यो को समझ मे आ गया था की हम किसी तरह से उस मुसीबत से निकल गए यही अच्छा है । ‌‌‌साथ ही शिष्यो को पता चला की हम एक साथ थे इसी कारण से शेर के पास से भी जीवित आ गए । इस तरह से फिर शिष्य एकता की शक्ती के बारे मे जान गए थे ।

इस कारण से फिर वे सभी मित्र बन गए और एक साथ ही अपना सारा कार्य करने लगे थे । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का ‌‌‌अर्थ क्या होता है ।

जान बची ‌‌‌तो लाखे पाए मुहावरे पर निबंध jaan bachi to lakho paye muhavare par nibandhs

साथियो आपको पता है की भले ही जीवन मे कितना भी पैसा क्यो न हो अगर वह किसी की जान नही बचा सकता तो वह कोई काम का नही होता है । यानि जान नही रही तो पैसो का क्या करेगे । उन्हे कोई मरने के बाद साथ तो लेकर नही जा सकता है ना ।

इस तरह से कह ‌‌‌सकते है की मनुष्य के जीवन मे कोई भी ‌‌‌मूल्यवान वस्तु जान से ‌‌‌ ‌‌‌अधिक मूल्यवान नही है । यानि जान ही सबसे श्रेठ ‌‌‌मूल्यवान है । इसे बचाने के लिए किसी का भी बलिदान दिया जा कसता है । इसी तरह से जब कभी मनुष्य किसी छोटी बडी मुसीबत मे फस जाता है जिससे उसका बच निकला मुश्किल लगे ।

परन्तु वह किसी ‌‌‌तरह से उस मुसीबत से बच निकलता है चाहे फिर ‌‌‌उसे मुसीबत से बच निकलने के लिए अनेक कष्टो का समाना क्यो न करना पडा हो । इस तरह से जब भी कोई किसी मुसीबत से बच निकलता है तब इसे जान बची ‌‌‌तो लाखे पाए कहते है । इस तरह से इस मुहावरे के बारे मे आपको पता चल गया होगा ।

जान बची तो लाखों पाए मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of jaan bachi to lakho paye  in Hindi

दोस्तो मुहावरा काफी सिंपल है और इसे सुन कर ही समझा जा सकता है की यहां पर मुसीबत से बच निकलने की बात हो रही है ओर आप इसी बात से इस मुहावरे के अर्थ को समझ सकते है ।

मान ले की आप किसी रास्ते से जा रहे है और आपके सामने काफी सोना है मगर आप उस सोने को जैसे ही लेने लगते है तो आपके पीछे एक ऐसा जानवर पड़ जाता है जो की आपको मारना चाहता है तो ऐसे में आप क्या करेगे, सोना लेगे या अपनी जान बचाएगे । जाहिर होगा की आप अपनी जान बचाने की कोशिश करेगे और वहां से भाग निकलेगे ।

इस स्थिति मे अगर आप अपनी जान बचा लेते है तो आपके पास फिर सोना प्राप्त करने के अनेक तरह के तरीके हो सकते है । और आप इस मुसीबत से बच जाते है तो आपके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है और इस तरह से jaan bachi to lakho paye muhavare ka arth – मुसीबत से बच निकलना होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।