दस्तक देना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग और एक प्रसिद्ध कहानी

दस्तक देना मुहावरे का अर्थ है dastak dena muhavare ka arth – दरवाज़ा खटखटाना या आगमन होने की सुचना देना

‌‌‌दोस्तो जब भी कोई व्यक्ति किसी के घर में जाता है तो घर मे प्रवेश होने से पहले वह दरवाज़ा खटखटाता है ताकी घर के लोगो को पता चल जाए की उनके घर मे कोई आया है । इस तरह से घर के लोगो को आने की सुचना मिल जाती है । और हिंदी भाषा कें अंदर दरवाज़ा खटखटाना का अर्थ दस्तक देना से ही होता है । इस कारण से ‌‌‌जब कोई अपने आने की सुचना देता है या यह कह सकते है की दरवाजा खटखटाता है तो इसे दस्तक देना कहा जाता है ।

दस्तक देना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग और एक प्रसिद्ध कहानी

दस्तक देना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  1. रात के बारह बजे न जाने किसने दरवाजे पर दस्तक दी ।
  • राहुल रात को आराम से सो रहा था तभी उसका दरवाजा जोरो सोरो से बजने लगा यह सोर सुन कर उसने कहा की इतनी रात को किसने दस्तक दी है । ‌‌‌
  • सर्दी के आने से महेश के घर हर कोई बिमार होने लगा लगता है ‌‌‌मानो की महेश के घर बिमारियो ने दस्तक दी है ।
  • राहुल अभी कुछ दिन पहले ही तो विदेश से घर आया था और अभी उसके घर मे पुलिस ने दस्तक दी है लगता है की राहुल कुछ गलत काम करता था ।
  • चोर के घर मे जैसे ही पुलिस ने दस्तक दी चोर घरा गया और वहां से ‌‌‌भागने लगा ।
  • बैंक से चोर चोरी कर कर जा ही रहे थे की अचानक पुलिस ने वहां पर दस्तक दे दी ।
  • ‌‌‌जब निर्धन ब्रहामण के घर में राजा ने दस्तक दी तो ब्रह्मण बडा खुश हो गया ।

दस्तक देना मुहावरे पर प्रसिद्ध कहानी (‌‌‌वृद्ध व्यक्ति और धनवान राजा)

दोस्तो प्राचीन समय की बात है किसी नगर मे एक राजा रहा करता था जो बहुत ही धनवान था उसके पास इतना अधिक धन था की वह अपने आस पास के राजाओ की मदद करने के ‌‌‌लिए धन धन दान कर दिया करता था । जिसके कारण से वे सभी राजा धनवान राजा के साथी बने रहते थे ।

इसके साथ ही धनवान राजा का स्वभाव बडा ही अच्छा था वह जब भी अपने से बढ कर किसी नेक आदमी को देखता तो उसे माला माल कर देता था । इसके साथ ही उस राजा का एक अनोखा ‌‌‌शोक था की वह तरह तरह के राज्यो मे जाता रहता ‌‌और वहां के लोगो के साथ अपना समय बिताता था ।

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इसके साथ ही उस समय राजा किसी को भी यह बताता नही था की मैं धनवान हूं । बल्की वह तो एक निर्धन बना रहता था। मगर वह हमेशा ही अपने साथ एक फटी पोटली लेकर जाता था जिसमें दो तीन परत पर फटे पूराने कपडे थे और बिच मे काफी अधिक धन रहता था । इस बारे मे राजा के ‌‌‌महल के लोगो के अलावा किसी को पता तक नही था । और कोई भी इस बारे मे किसी को नही बताता था ।

क्योकी राजा का स्वभाव इतना सरल था की सभी उसे देवता तक मानते थे और अपने देव से गदारी करना अच्छा नही होता है । इस तरह से धनवान राजा का ‌‌‌शोक चलता रहता था । इसी तरह से घूमते फिरते हुए एक दिन वह अपने राज्य ‌‌‌से काफी दूरी पर पहाडी इलाको मे चला गया ।

वहां पर राजा को खाने को अन तक नही मिल रहा था साथ राजा ने देखा की लोगो के पास कुटिया है और किसी के पास पक्का मकान नही है । यह देख कर राजा ने लोगो से इस बारे में बात की तो लोगो ने राजा से कहा की हे निर्धन मनुष्य अगर लोग इस पहाडी इलाके मे पक्के मकान बना ‌‌‌लेगे तो वे थोडी सी मुसीबत के कारण से नष्ट हो सकते है ।

यह सुन कर राजा ने कहा की आपकी बात मे दम है । क्योकी उस समय भी राजा एक निर्धन के वेश मे था तो कोई भी उसे राजा नही समझ रहा था । इस तरह से कुछ ही पल मे अंधेरा होने को था तो राजा ने उन्ही लोगो से कहा की मैं एक मुसाफिर हूं और मुझे आज रात ‌‌‌आराम करने के लिए स्थान चाहिए ।

यह सुन कर वे सभी लोग जोरो सोरे से हंसने लगे और कहा की मुर्ख व्यक्ति तुम्हे लगता है की हम तुम्हारी मदद करेगे क्योकी मदद करने पर आज हमे अपने घरो से बहार सोना पडेगा । यह सुन कर राजा ने कहा ऐसा क्यो ।

तब उन लोगो ने कहा की हमारे पास सिमित जगह है अगर उसमे ‌‌‌हम आपको आराम करने देगे तो हम कहा जाएगे । यह सुन कर राजा ने कहा की नही आज की ही बात है हम सभी आराम से वहा रह सकते है । मगर राजा की बात किसी ने नही मानी । तब आखिर मे राजा ने कहा की अगर आप हमें यहां रहेने दोगे तो पैसे भी ले लेना ।

यह सुन कर सभी जोरो सोरो से हंसन लगे और कहा की तुम निर्धन हो और ‌‌‌तुम्हारे के पास खाने को अन तक नही है तुम हमे धन कहा से दोगे । इस तरह से वे सभी लोग राजा का मजाक बनाने लगे । यह देख कर राजा को बुरा लगा मगर राजा क्या कर सकता था ।

कुछ ही समय बित जाने पर सभी राजा ‌‌‌के पास से चले गए । अब राजा उस अनजान जगह पर अकेला था उसे कही पर भी आश्रम मिलने की उमीद नही थी । ‌‌‌तभी राजा विश्राम के लिए लोगो के घरो मे जाने लगा था । तब उसने दो तीन घरो मे विश्राम के लिए जगह मागी तो किसी ने उसकी मदद नही की बल्की बुरा भला कहते हुए निकाल दिया ।

दस्तक देना मुहावरे पर प्रसिद्ध कहानी (‌‌‌वृद्ध व्यक्ति और धनवान राजा)

इसके बाद मे राजा एक घर मे और गया और जाकर उस घर का दरवाजा खटखटाने लगा था । यह सुन कर अंदर सो रहे एक वृद्ध व्यक्ति ने अपने मन ‌‌‌मे कहा आज इस अंधेरी रात मे मेरे घर मे किसने दस्तक दी है । तब उस वृद्ध व्यक्ति ने आवाज लगाते हुए कहा की जरा आ रहा हू भाई प्रतिक्षा करो ।

इस तरह से थोडी देर के बाद मे दरवाजा खुला तो राजा ने देखा की अंदर एक वृद्ध व्यक्ति है जो की सही तरह से चल तक नही सकता है । यह देख कर राजा ने उससे कहा की ‌‌‌मैं आपके नगर मे घूमता हुआ आग गया हूं। मुझे आज रात आराम करने के लिए जगह चाहिए।

यह सुन कर उस वृद्ध व्यक्ति ने बिना सोचे समझे ही उसे अपने घर मे आने को कह दिया था । तब राजा को उसके घर मे और कोई नही दिखा तो राजा ने कहा की आपके घर मे और कोन कोन है । यह सुन कर उस वृद्ध व्यक्ति की आंखो से आसू ‌‌‌आ पडे और वह रोते हुए कहने लगा की भाई पत्नी थी उसकी काफी समय पहले ही मोत हो गई और एक बेटा था जो अभी एक महिने पहले ही मर गया है ।

अब मैं ही इस घर मे अकेला हूं जो अपना जीवन कष्टो मे काट रहा हूं। यह सुन कर राजा को बडा दूख ‌‌‌हुआ । कुछ समय के बाद मे उस वृद्ध व्यक्ति ने राजा को एक रोटी लाकर दी जो दो ‌‌‌दिन पूरानी थी । इसके साथ ही उस वृद्ध व्यक्ति ने कहा की भाई मेरे पास खाने को नही है अब यह रोटी ही बची है जो तुम खा कर अपना पेट भर लो ।

राजा ने यह सुन कर बिना सोचे समझे ही रोटी खा ली और फिर रात को आराम से सो गया । जब दिन उगने का समय हुआ तो राजा चुपके से उठा और वहां से चला गया । यहां तक की इस ‌‌‌बारे मे उस वृद्ध व्यक्ति को पता ही नही चला । कुछ समय के बादमें जब वृद्ध व्यक्ति निंद से जाग ‌‌‌गया तो उसने देखा की जो उसके घर मे रात को विश्राम कर रहा था वह उसके घर मे नही है ।

यह देख कर उस वृद्ध व्यक्ति को कुछ समझ मे नही आया । कुछ समय के बाद मे उसे एक पोटली दिखी जिसे देख कर उसे पता चल गया ‌‌‌की यह पोटली उसी की है । यह देख कर उस वृद्ध व्यक्ति को लगा की वह अपनी पोटली लेने के लिए वापस आएगा । मगर दो दिन बित गए राजा का कही अता पता नही था ।

तब उस वृद्ध व्यक्ति ने उस पोटली को खोल कर देखा तो उसे फटे पूराने कपडे मिले फिर भी उसने उसे पूरा खोला तो देखा की इसमे सोने के सिक्के है । ‌‌‌यह देख कर वह वृद्ध व्यक्ति समझ गया की यह जरूर उसने मेरे लिए ही छोडे है ।

मगर फिर उसने जब इस बारे मे अपने आस पास के लोगो से कहा तो लोगो ने थोडी बहुत जाच पडताल की तो पता चला की वह व्यक्ति और कोई नही बल्की एक राजा था । जो काफी अधिक धनवान था और लोगो को इसी तरह से धन देता रहता है ।

यह सब जान ‌‌‌कर लोगो ने इस बारे मे वृद्ध व्यक्ति से कहा तो उसने कहा की वह कोई निर्धन जैसा था जिसने रात को मेरे दरवाजे पर दस्तक दी थी । और मेने उसकी मदद कर दी । यह सुनकर लोगो को समझ मे आ गया की जो भी कोई मदद मागता है उसकी मदद करने से फायदा ही होता है ।

दस्तक देना मुहावरे पर प्रसिद्ध कहानी (‌‌‌वृद्ध व्यक्ति और धनवान राजा)

इस तरह से राजा लोगो की मदद करता रहता था और लोगो को ‌‌‌धनवान बनाता रहता था । ‌‌‌इस तरह से राजा लोगो के घरो मे दस्तक देता रहता था । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

दस्तक देना मुहावरे पर निबंध

साथियो आपने अनेक बार देखा होगा की जब भी कोई महेमान घर मे आता है तो वह दरवाजा खटखटाता है ताकी घर के लोगो को इस बारे मे पता चल सके की उनके ‌‌‌घर मे कोई आया है । इस तरह से आने की सुचना दी जाती है ।

जिस तरह से हमने उपर कहानी में देखा की एक गरीब वृद्ध व्यक्ति के घर में राजा निर्धन बन कर पहुंच गया और उसने दरवाजे के खटखटाया था । तब इसे दस्तक देना कहा गया था । क्योकी दस्तक का अर्थ ही दरवाजा खटखटना होता है । इस कारण से इस मुहावरे ‌‌‌का अर्थ भी यही होगा ।

‌‌‌अंत में कह सकते है की जहां पर दरवाजा खटखटाना या आने की सुचना देने की बात होते है वहीं इस मुहावरे का प्रयोग करते हुए दस्तक देना कहा जाता है । और इस तरह से अनेक रूपो मे इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग होता रहता है ।

दस्तक देना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of dastak dena in Hindi

दोस्तो आज के समय में आपको पता है की लगभग ऐसे घर होते है जिनके दरवाजे के पास एक बैल लगी होती है जिसे बजाने पर घर के अंदर आवाज होती है और जो घर के अंदर होता है उसे पता चलता है की उसके दरवाजे पर कोई आया है ।

मगर पहले के समय में ऐसा कुछ नही था बल्की उस समय क्या होता था की जो लोग होते थे वे अपने दरवाजे पर कुछ ऐसा लगाए रखते थे जिसे दरवाजे पर मारने पर वह आवाज करता था और उससे घर के लोग समझ जाते थे ​की उनके दरवाजे पर कोई न कोई आया है।

और इस तरह से दरवाजे को बजाने को दरवाजा खटखटाना कहा जाता है और यह एक तरह से आगमन होने की सुचना देने का प्रतिक माना जाता है ।

और जब ऐसा कुछ सुना जाता है तो कहा जाता है की न जाने किसने दरवाजे पर दस्कत दी है और इसी से समझ ले की  dastak dena muhavare ka arth – दरवाज़ा खटखटाना या आगमन होने की सुचना देना होता है ।

इस तरह से इस मुहावरे के बारे मे आपको पता चल गया होगा । अगर आपको लेख पसंद आया तो ‌‌‌कमेंट करे ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।

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