दूर के ढोल सुहावने का मतलब और वाक्य व कहानी

दूर के ढोल सुहावने मुहावरे का अर्थ dur ke dhol suhavane muhavare ka arth – दूर से सब अच्छा लगना

दोस्तो अगर कोई व्यक्ति बर्फीले पहडो पर रहने को कह देता है तो वह हर किसी को अच्छा लगता है और सोचता है की वहा रहने मे मजा आ जाएगा और क्या क्या पल होगे साथ ही उसे लगता है की वह पहाड बहुत ‌‌‌ही सुंदर है कहने का अर्थ है की वह हमे बहुत ही अच्छा लगता है । पर जब वहा जाकर जीवन जीना पडता है तो वही अच्छी जगह हमे बुरी लगने लग जाती है ।

क्योकी वहां पर अगर ध्यान नही देते तो लोग बर्फ मे दफन हो सकते है और बर्फ के तुफान भी आते है । कहने का अर्थ है की वहा पर बहुत समस्या होती है । इस तरह ‌‌‌से जब कोई व्यक्ति दूर से किसी को देखता है तो वह बहुत ही अच्छा लगता है पर पास जाने पर उसकी हकीकत पता चल जाती है । जिसके कारण से वह बुरा लगने लगता है । इसी तरह से इस मुहावरे का अर्थ दूर से सब अच्छा लगना होता है ।

दूर के ढोल सुहावने मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • आसमान से बर्फ पडना सबको अच्छा लगता पर जहा बर्फ गिरती है वहा जाकर रहने से पता चलता है की दूर के ढोल सुहाने होते है ।
  • रामवतार जब भी घर से बाह जाता है तो देखने वाले को अच्छा दिखता है पर वह दुर के ढोल ‌‌‌सुहाना है ।
  • राजेश तो दूर के ढोल सूहाना है उस पर आप भरोषा मत करना ।
  • सेठ लालचंद दिखने मे सरिफ है पर वह अंदर ही अंदर लोगो को लूटता रहता है इस तरह के लोगो को दूर के ढोल सुहाने कहा जाता है ।
  • मैंने तो राधेश्याम को पहले ही कहा था की वह उस बाबा पर भरोषा न करे वह दूर का ढोल सुहाना है पर उसने मेरी बात ‌‌‌नही मानी और आज लूट गया ।
  • ‌‌‌अगर मुझे पहले पता होता की तुम दूर के ढोल सुहाने हो तो मैं तुम्हारे पास आता ही नही ।
  • शिमला जाने के बाद पता चला की शिमला मे दूर के ढोल सुहाने वाली बात है ।
  • ‌‌‌शिमला की चर्चा करने वाले सभी बाहर के ही है ‌‌‌इसी कारण से उनको शिमला दूर के ढोल सुहाना ‌‌‌लगता है ।

दूर के ढोल सुहावने मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक साधू बाबा रहा करता था । जिसका आस पास के गाव मे खुब नाम था । साधू को आस पास के लोग इतना अधिक पंसद करते थे की हर कोई उनके दर्शन करना चाहता था । साथ ही साधू को कुछ जादू आता था ।

जिसके कारण से जो भी कोई उनके पास आता ‌‌‌तब साधू ‌‌‌उन्हे अपना जादु दिखा कर इस तहर से भ्रमित कर देता था । जिसके कारण से उन लोगो को लगता की साधू तो चमत्कारी है । इस तरह से साधू जब अपना चमत्मार दिखाने लगा तो उसका नाम दूर दूर तक फैल गया था ।

तब उस गाव के लोगो को पता चलने लगा की साधू को किसी चिज का ज्ञान नही है क्योकी साधू जो लोगो को बताता ‌‌‌वह लोगो को कुछ समय तक तो सच लगता पर दिनो के बितने पर लोगो को पता चलता की साधू उन्हे झुठी आसा देता था की अगर वे साधू की बात मानेगे तो उनका सब कुछ सही हो जाएगा ।

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पर यह जब तक वहां के लोगो को समझ मे आने लगा तब तक तो साधू के बारे मे दूर दूर तक फैल गया था । जिसके कारण से दूर दूर के लोग साधू के पास ‌‌‌आते और अपनी समस्या का समाधान करवाते थे । इस तरह से वे लोग साधू के पास आते रहते और साधू को चढावे के तोर पर पैसे मिलते रहते थे ।

जिसके कारण से उस गाव के कुछ लोग भी साधू की जय जयकार करने लगे थे । ताकी आने वालो को लगे की साधू सच मे ज्ञानी और चमत्कारी है । इसी तरह से एक बार की बात है उसी गाव मे ‌‌‌रामेश्वर नाम का एक आदमी ‌‌‌रहता था ।

जिसके घर मे उसके माता पिता रहा करते थे । रामेश्वर विदेश मे काम किया करता था । इस कारण से उसे यह पता नही था की उसके गाव मे जो साधू है वह कैसा है । इस कारण से वह सोचता की मैं जब भी गाव जाउगा तो उस साधू बाबा का दर्शन करने के लिए जरूर जाउगा ।

इसी तरह से जब रामेश्वर ‌‌‌विदेश से अपने गाव की तरफ आने लगा तो उसे रास्ते मे ऐसे लोग बहुत अधिक देखने को मिले जो साधू बाबा का दर्शन करने के लिए आ रहे थे । तब रामेश्वर यह जान कर बहुत ही प्रसन्न होने लगा ।

तब रामेश्वर सोच मे पड गया की साधू इतना अच्छा होने के कारण से ही लोग उन्हे इतना मानते है तभी तो ये लोग ‌‌‌दूर दूर से उनसे मिलने के लिए आते है । इस तरह से सोच कर रामेश्वर ने ठान लिया की वह साधू के पास जाकर ही रहेगा और जब वह अपने घर पहुंचा तो अपनी मां से कहने लगा की मैं साधू के दर्शन करने के लिए जा रहा हूं ।

यह सून कर रामेश्वर की मां ने कहा की वह साधू तो ढोगी है तुम उसके पास जाकर अपने पैसे ही गवा ‌‌‌लोगे । अपनी मां की इस तरह की बात सुन कर रामेश्वर ने कहा की अगर वह साधू ढोगी है तो लोग कोसो कोसो से उनका दर्शन करने के लिए क्यो आ रहे है ।

तभी रामेश्वर के पिता भी वहां पर आ गए थे इस कारण से रामेश्वर के माता पिता दोनो उसे समझाने लगे की उन लोगो ‌‌‌को दूर के ढोले सुहाने लगते है । इतना समझाने के ‌‌‌के बाद मे भी रामेश्वर को लगा की ये जरूर मुझे साधू के पास जाने नही देते है ।

इस कारण से वह उनकी बात न मान कर साधू के पास जाने लगा । तब रास्ते मे जो भी गाव का सदस्य मिलता तो वह कहता की बेटा तुम अभी विदेश कमा कर आए हो तभी तुम्हे साधू अच्छा लग रहा है अगर कुछ दिन यहां रहोगे तो तुम्हे भी पता चल ‌‌‌जाएगा की साधू ढोगी है ।

तब उसने किसी की भी बात नही सुनी और साधू के पास जा पहुंचा । तब साधू ने उससे कहा की बेटा अगर इक्कीस हजार रूपय यहां पर चोडोगे तो तुम्हारे सारे कष्ट दुर हो जाएगे । तब रामेश्वर ने बिना सोचे समझे वहां रूपय चोड दिए और फिर अपने घर आ गया था ।

दूर के ढोल सुहावने मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

धिरे धिरे इस बात को आधा ‌‌‌महिना बित गया पर अभी भी रामेश्वर का जीवन पहले की तरह ही था । तब रामेश्वर को अपने माता पिता और गाव के लोगो की बात समझ मे आ गई की जो लोग दूर से आते है वह साधू बाबा की ‌‌‌बढाई करते रहते है उनके गुण गाते रहते है क्योकी उन्हे दूर के ढोले सुहाने होते है।

इस तरह से फिर रामेश्वर ने कभी भी उस साधू ‌‌‌पर भरोषा नही किया और जो भी कोई उससे ‌‌‌पुछता की साधू कैसा है तो वह भी वही जबाब देता जो गाव के लोग देते थे । इस तरह से फिर रामेश्वर पहले की तरह ही अपना जीवन गुजारने लगा था । इस तरह से आपको इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

दूर के ढोल सुहावने मुहावरे || dur ke dhol suhavane essay on idioms in Hindi

दोस्तो अगर आप किसी स्थान पर अभी जाना चाहते है जैसे की शिमला की बात करे या फिर किसी अन्य तरह के स्थान पर जाने की बात करते है जहां पर आप अभी तक नही गए है । तो आप उस स्थान पर जाने से पहले उसके काफी गुणगान करते हो क्योकी वह आपको काफी अधिक अच्छा लगता है ।

मगर जब आप उस स्थान पर पहुंचोगे और वहां पर जाने के बाद में देखोगे की आखिर क्या है इस स्थान पर है तो आप समझ पाओगे की आप पहले इसे जितना अच्छा समझते थे यह उतना अच्छा नही है ।

मतलब यह स्थान आपको दूर से काफी अच्छा लगता था मगर अब अच्छा नही लग रहा है तो इसे ही दूर के ढोल सुहावने कहा जाता है ।

दरसल यह मुहावरा उस समय को दर्शाता है जब मानव को दूर से सब अच्छा लगता है और यह शायद आप समझ गए है ।

‌‌‌निचे ऐसे मुहावरों की लिंक दी गई है जो ज्यादातर काम मे लिए जाते है ।

दाँत खट्टे करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मक्खन लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

ओखली में सिर देना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हाथ पीले करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

चिकना घड़ा होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आँख लगना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

बीड़ा उठाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

थूक कर चाटना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

एक और एक ग्यारह होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

थाली का बैंगन होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

एड़ी चोटी का जोर लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग


आड़े हाथों लेना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नाक रगड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

गुड़ गोबर करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पौ बारह होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

‌‌‌पेट में दाढ़ी होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर खुजलाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मैदान मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर पर सवार होना ‌‌‌मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दाने दाने को तरसना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हां में हां मिलाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दाँतों तले उँगली दबाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पत्थर की लकीर मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

टांग अड़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हाथ पाँव फूलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नाक का बाल होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नमक मिर्च लगाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दंग रह जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दाल में काला होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

पानी पानी होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।