मुंह ताकना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

मुंह ताकना मुहावरे का अर्थ muh takna muhavare ka arth – दूसरे पर आश्रित होना।

दोस्तो आज के समय मे जो लोग अपना काम स्वयं कर लेते है वही अपने जीवन मे सफल हो ‌‌‌सकते है । पर कुछ लोग अपने कार्यो को स्वयं नही करते है वे तो किसी अन्य पर निर्भर या अश्रित रहते है और सोचते है की उनका ‌‌‌कार्य दुसरे कर देगे । इस तरह से जब कोई व्यक्ति किसी भी कारण से दुसरो पर आश्रित रहते है तब उनके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

मुंह ताकना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

मुंह ताकना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌पार्वती ऐसी औरत है जो किसी भी काम के लिए मुंह तकना जानती ही नही ।
  • पिताजी के समझाने के बाद राजेश ने आज तक मुंह नही ताका ।
  • उससे किसी काम की उमिद भी क्या कर सकते है जो अपने काम के लिए मुंह ताकते रहते है ।
  • ‌‌‌यहां पर मुंह ताकने से कुछ नही होगा यह घर नही जो मां काम कर देगी ।
  • सुरेश ‌‌‌ने बहुत बार मुंह ताका पर कोई भी उसका काम करने के लिए नही आया ।
  • ‌‌‌अगर बेटी इस तरह से मुंह ताकने लगी तो ससुराल वाले क्या सोचेगे ।
  • जब राहुल मुंह ताकते हुए थक गया तब उसने अपना काम स्वयं ही कर लिया ।

‌‌‌मुंह ताकना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे तारामणी नाम की एक औरत रहा करती थी। उसके घर मे उसका पति और एक बेटी रहती थी । तारामणी काम करने मे बहुत आनाकानी करती और वह सोचती की उसका काम कोई और कर देगा ।

इसी कारण से वह अपने घर मे रोटी भी नही बनाती बल्की ‌‌‌उसका पति ही रोटी बना दिया करता था । जब तारामणी की बेटी बडी हो गयी तो वह अपने पिता से रोटी नही बनवाती और वह स्वयं रोटी बनाकर दे देती थी । साथ ही अन्य काम भी वह करने लगी थी । जिसके कारण से फिर तारामणी जो काम करती थी वह भी नही करती थी।

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इस तरह से तारामणी का जीवन चल रहा था । तारामणी का ‌‌‌पति खेत मे काम किया करता था । जिसके कारण से उनका घर चल जाया करता था । साथ ही वह अपने पति का खेत मे हाथ बटाने के लिए भी नही जाती थी।

इस कारण से उसके पति को बहुत बुरा लगता की उसकी पत्नी अपने खेत मे भी काम नही करती है और साथ ही वह घर काम काम भी नही करती है । पर तारामणी का पति बहुत ही सरल ‌‌‌आदमी था इस कारण से वह अपनी पत्नी को कुछ नही कहता था ।

इसी तरह से धिरे धिरे समय बितता गया और अब तो तारामणी को इस तरह की आदद पड गई की वह स्वयं का काम भी नही करती थी । वह अपने काम के लिए भी किसी और उसे उम्मीद करने लगी थी ।

इस तरह से तारामणी के स्वभाव मे परिवर्तन देख कर उसके ‌‌‌पति को लगा की इसे सबक सिखाना ही होगा वरना यह तो इसी तरह से रहेगी । ऐसा सोच कर एक दिन तारामणी के पति ने अपनी बेटी को समझाया की बेटी तुम्हारी मां कुछ काम नही करती है ।

वह तो अपने काम के लिए भी मुंह ताकती रहती है । अगर इसी तरह की हालत रही तो तुम्हारे विवाह के बादमे उसका सारा काम भी मुझे करना ‌‌‌पडेगा । तब उसकी बेटी ने कहा की तो फिर पिताजी क्या करे जिसके कारण मां काम करने लग जाए ।

तब उसके पिता ने कहा की ऐसा करो की तुम बिमार होने का नाटक करो और मैं उसका कोई काम नही करूगा । तब उसकी बेटी ने कहा की पिताजी तो फिर हम सब भुखे रह जाएगे । यह सुन कर तारामणी के पति ने अपनी बेटी से कहा की ‌‌‌बेटी तुम इस बात की फिकर मत करो।

खाने के लिए मैं रोटी बना लूगा और बाकी काम मैं नही करूगा । जिसके कारण से उसे मजबूर होकर काम करना ही होगा । इस तरह से फिर एक दिन दोनो बाप बेटी योजना के तहत काम करने लगे थे । तब तारामणी की बेटी बिमार होने का नाटक करने लगी थी ।

जिसके कारण से तारामणी उसे काम करने ‌‌‌के लिए नही कह रही थी । अब रहा उसका पति इस कारण से फिर तारामणी हर काम के लिए मुंह ताकने लगी । इस तरह से फिर चार पांच दिनो तक तो उसने स्नान भी नही किया ।

फिर आखिर मे थक हार कर वह पानी गर्म कर कर स्नान करने लगी और अपने कपडे भी स्वयं ही धोने लगी थी । इसी तरह से ‌‌‌एक दिन तारामणी के घर मे कुछ औरते आए तो उन्होने देखा की उसका घर बहुत ही गंदा है ।

क्योकी उसके घर की किसी ने सफाई नही की थी । तब उन औरतो ने कहा की घर की हालत इस तरह की क्यो कर रखी है । तब तारामणी ने कहा की बेटी बिमार है वही सब काम करती थी । तभी बाकी औरते बोलने लगी की इस तरह से घर नही ‌‌‌रखना चाहिए ।

इसी तरह से वे औरते तारमणी को तरह तरह की बाते कहने लगी थी । जिसके कारण से उसने अगले ही दिन साफ सफाई करने के लिए हाथ मे झाड़ू तो ले ली पर साफ सफाई नही कर रही थी बल्की वह मुंह ताक रही थी।

तब उसका पति बोला की इसे लेने से कुछ नही होगा थोडे हाथ चला लो क्योकी बेटी बिमार है और मैं ‌‌‌खेत मे काम करने के लिए जा रहा हूं । इतना कह कर वह तो काम करने के लिए चला गया था । और पिछे से तारामणी निराश होकर काम करने लगी थी और सोच रही थी की अगर घर अच्छी तरह से नही होगा तो औरते मेरे बारे मे बुरा सोचेगी ।

‌‌‌मुंह ताकना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

इस तरह से फिर दस दिनो तक उस ने अपना काम किया और फिर जब वह रोटीया भी बनाने ‌‌‌लगी ‌‌‌तब तारामणी की बेटी ने अपना नाटक खत्म कर कर ठिक हो गई थी। इस तरह से फिर तारामणी अपने घर का काम स्वयं ही करने लगी थी ।

फिर किसी भी काम के लिए ‌‌‌वह मुंह नही ताका करती थी बल्की जल्दी जल्दी काम खत्म कर देती थी । यह सब देख कर दोनो बाप बेटी बहुत ही खुश थे । फिर भी उन दोनो ने अपनी योजना ‌‌‌के बारे मे तारमणी को पता नही चलने दिया ।

इस तरह से फिर तारामणी काम स्वयं कर लेती थी । इस तरह से आपको इस कहानी से पता चल गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ दुसरो पर आश्रित रहना होता है ।

मुंह ताकना मुहावरे पर निबंध || muh takna essay on idioms in Hindi

साथियों दूसरे पर आश्रित होना होना आज के समय में सबसे बड़ा बुरा साबित होने वाला काम होता है । क्योकी आपको पता है की यह हमारा पेट है तो इसे भरने के लिए हमे ही काम करना होगा अगर ऐसे मे हम दूसरे पर आश्रित होगे तो कभी कभी हमारा पेट खाली रह जाएगा और आप इस बात को समझ सकते है ।

और यही कारण है की जो लोग दूसरे पर आश्रित होना नही चाहते है वे अपना काम स्वयं करते है और अपना जीवन स्वयं ही चलाते है ।

मगर दोस्तो जो लोग दूसरे पर आश्रित होते है वे अपना काम करवाने के लिए या फिर अपना पेट भरने के लिए उनके मुंह की और देखते रहते है । जैसे की आपने भिखारियों को देखा होगा जो की भिख मागते है और वे जिस किसी से भिख मागते है तो जब तक वह उन्हे भिख नही दे देता है तब तक उनके मुंह को देखते ही रहते है । और इस तरह से मुंह को देखते रहने को ही मुंह ताकना कहते है । मगर इसका अर्थ यानि muh takna muhavare ka arth – दूसरे पर आश्रित होना होता है और यह याद रखना ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।